दिव्यतारा (भाग-3) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —

           अम्मा आज आप भी ले ही लो ना ….आज आपका पोता पास हुआ है ….रसगुल्ला के रस को निचोड़ते हुए मालती ने कहा ….

      अरे अब पूरा ही रस निचोड़ कर देगी क्या बहू ….तो क्या मैं रूई के समान बेस्वाद सीठा सीठा रसगुल्ला खाऊंगी ……

     मां अभी सुगर बढ़ा आया था ना आपका ….शर्मा जी ने कुछ कहना चाहा… बीच में ही तू चुप कर मुन्ना… बोलकर अम्मा ने चुप करा दिया….

अब आगे —

              तपन पता करना दिल्ली के कोचिंग सेंटरों की फीस ……

हां पापा देखता हूं ….दिव्य तेरा आगे का क्या प्लान है ….?

अंकल मैं यहीं से पोस्ट ग्रेजुएशन करूंगा ….

अच्छा ठीक है …कम से कम तपन के अनुपस्थिति में तू तो आया जाया करेगा ना ….थोड़ा भावुक होते हुए शर्मा जी बोले….! शायद पहली बार बच्चा घर से बाहर जा रहा था …

     हां अंकल बिल्कुल मैं तो आऊंगा ही ….हां , नहीं तो इन्हें ठेकुआ कहां मिलेगा तारा ने दिव्य को छेड़ा…!

       अब तू बच्ची नहीं है तारा… बड़ी हो गई है …थोड़ा शऊर तो सीख …बड़ा है तुझसे दिव्य…..बुरा नहीं मानता इसका मतलब कुछ भी  बोलती रहेगी…

      दूसरे के घर जाना है ऐसे ही जबान चलाती रहेगी तो कैसे ससुराल में गुजारा होगा …मालती ने चिंतित होते हुए तारा को डांटा…।

हां आंटी जी , आपने ठीक कहा… ससुराल से बैरंग वापस कर दी जाएगी… दिव्य ने और चिढ़ाना चाहा ….

    ऐसा न बोल दिव्य….भगवान मेरी पोती को खूब खुश रखे ….दादी ने तारा को बाहों में लेते हुए कहा…।

तभी शर्मा जी उठकर कमरे में आए… डायरी पेन निकाल कर कुछ जोड़ घटाव कर हिसाब लगाते हुए मालती से बोले….. भेज देते हैं तपन को दिल्ली के उस नामी गिरामी कोचिंग सेंटर में …..हम लोग मैनेज कर लेंगे…

      हां जी , कुछ दिनों की बात है थोड़ा मेहनत करेगा और भगवान चाहेंगे तो हमारा बेटा अफसर बन जाएगा ….आने वाले खुशी से आनंदित होते हुए मालती ने कहा …..!

    अब तो तपन भी चला जा रहा है बाहर …..दूध लेना कम कर देते हैं ….पेपर भी बंद कर दीजिए…. मोबाइल में तो सारा समाचार आ ही जाता है ….

अरे बस भी करो मालती…कुछ बंद या कम मत करना …..सब मैनेज हो जाएगा ….” मैं हूं ना ” बड़े आत्मविश्वास से शर्मा जी ने मालती को समझाया….।

तभी कॉलबेल की आवाज आई …इस टाइम कौन आ गया …

लगता है चुनाव प्रचार वाले होंगे शर्मा जी कमरे से बाहर निकलते हुए बोले…!

    कुछ देर बाद दो पर्ची हाथ में लेकर अंदर आते ही शर्मा जी ने कहा ….बस आज आखिरी दिन है प्रचार का ….कल से प्रचार समाप्त हो जाएगा …..।

मालती परसों जल्दी तैयार हो जाना सुबह-सुबह वोट डालकर आ जाएंगे… फिर धूप हो जाएगी ….हां जी बिल्कुल…   मैंने सावित्री  (कामवाली) को भी बोला है ,वो वोट डालकर ही काम पर आए… !

      क्या बात है मम्मी , बड़ी उतावली है वोट डालने को… तपन ने छेड़ा..

अच्छा बताइए मम्मी , आप किसे वोट देगी ….? 

ये लो , ये भी कोई बताता है भला…. हमारा वोट , हमारा अधिकार , हमारी मर्जी , हम चाहे जिसे दे …..सब ध्यान में रखा है मैंने … .महंगाई , बेरोजगारी…. मालती के कहने का अर्थ समझते हुए तपन ने तुरंत जवाब दिया …….

     बिल्कुल मम्मी …बल्कि कुछ चीजों पर और भी ध्यान दीजिएगा आज के भारत की स्थिति …विश्व में भारत का स्थान ….अहमियत…. आतंकवादी… देश की सुरक्षा और भी बहुत सारी बातें….।

      नहीं भैया , मत बोल मम्मी को… कई बार मेरी इस विषय पर बहस हो चुकी है ….जब भी घर में राजनीति बहस हो जाती है ना ….तो समझो उस दिन सब का मूड खराब और मम्मी का सारा गुस्सा खाने पर ही निकलता है …..तारा के इतना कहते ही सब हंस पड़े….।

  सच में ..कभी अपने से ऊपर दूसरों के लिए , देश के लिए सोचना चाहिए.. सीमा पर आतंकवादी हमले , टीवी पर देख-देकर रोंगटे खड़े हो जाते थे , मालती सच में थोड़ी देर सोचने पर मजबूर हो गई ….क्या वोट देते समय सिर्फ महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे ही होने चाहिए और ये मुद्दे तो पहले भी थे …..हर समय मध्यम वर्गीय परिवार इन संघर्षों से जुझता ही आया है….. हल्की सी मुस्कुराहट के साथ मालती ने लंबी सांस ली….।

   अम्मा आप किसे वोट देंगी… दादी मैं बता दूं …आपने मुझे कान में बताया था ना …. तारा ने हंसते हुए कहा…

चुप कर… तुझसे कुट्टी कर लूंगी फिर.. दादी ने आंख दिखाकर बताने से मना किया…!

तपन के जाने का समय भी आ ही गया …..ऑटो में बैठते ही तपन बाय तारा बोला …..

डबडबाई आंखों से तारा ने कहा ….जा रहा है भैया …अच्छे से पढ़ना ….मां ने रूंधे गले से और नम आंखों से न जाने कितनी ऐसी सीख दे डाली…..

समय से खाना ,पढ़ना ,मेहनत करना , ज्यादा दोस्त वोस्त मत बनाना , वरना गलत संगत में पड़ जाओगे ….

    ठेकुआ और सलोनी , चूड़ा सब पैक कर दिया है पढ़ाई के बीच-बीच में जब नींद आने लगे निकाल कर खा लेना…..!

  आगे मालती और कुछ कहती …शर्मा जी ने कहा …अब बस भी करो मालती….सब कुछ अभी ही सीखा लोगी …..फिर फोन पर क्या बात करोगी …..!

    एक मिनट सुन लल्ला…..दादी ने पीछे से आवाज दी …..ऑटो से उतर कर तपन फिर से दादी के पास गया…..

      दादी साड़ी के पल्लू की गांठ खोलने लगी ….आज उसमें से मिचुडे मिचुडे 20  , 50 ,100 के कई नोट थे….. जो दादी ने जमा किए होंगे ….उसे निकाल कर तपन को देते हुए बोली…. इसे एकदम अंदर रखना आखिरी इमरजेंसी के लिए ….

      और ये सिर्फ पैसे नहीं है दादी का आशीर्वाद है लल्ला….और तपन का माथा चुमा…।

अगला भाग

दिव्यतारा (भाग 4) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

( स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित रचना)

संध्या त्रिपाठी

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