दिल पर कोई ज़ोर चलता नहीं है – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

रेवती अपने कमरे में लेटी हुई थी । सुजीत रसोई में चाय बना रहा था कि रेवती ने उसे पुकारा कि एक बार इधर आओ ना आपसे बात करनी है ।

वह कई दिनों से सुजीत को अपने मन की बात बताना चाहती थी लेकिन हर बार वह अपनी बात दिल में ही रखकर चुप हो जाती थी ।

सुजीत के साथ उसकी शादी चालीस साल पहले हुई थी । उनके दोनों बच्चे अमेरिका में रहते थे । सुजीत आर टी सी में नौकरी करके दो साल पहले ही रिटायर हुए थे । रेवती बैंक में नौकरी करती थी और सुजीत के रिटायर होते ही तबियत के ख़राब चलते उसने वालेंटरी रिटायर मेंट ले लिया था । दोनों ने सोचा कि अब हम बच्चों के पास थोड़े दिन रह सकते हैं ।

उसी समय रेवती को कैंसर है यह पता चला वह भी लास्ट स्टेज में है । उस ख़बर को सुनकर दोनों उदास हो गए । उस समय से उसका ट्रीटमेंट चल रहा था । सुजीत ही उसकी देखभाल कर रहा था ।

रेवती ने आज सुजीत को डॉक्टर से बात करते हुए सुना था कि अब वह दो तीन महीने से ज़्यादा नहीं बच सकेगी ।

उस ख़बर को सुनकर उसे लगा कि अब मुझे देरी नहीं करनी चाहिए अपने दिल की बात बता ही देनी चाहिए इसलिए वह सुजीत को पुकार रही थी। वह चाय पानी और थोड़े से फल काटकर लेकर आया और बैठते हुए कहा कि चल अब बताओ कि तुम मुझसे क्या कहना चाहती हो ।

रेवती ने कहा कि मैं अब जो भी बता रही हूँ उसे सुनकर मुझे गलत मत समझना । सुजीत ने कहा कि हम दोनों चालीस साल से साथ मिलकर रह रहे हैं फिर तुमने कैसे समझ लिया कि मैं तुम्हारी किसी बात को दिल से लगाऊँगा ।

बहुत ही सोचते हुए रेवती ने बताना शुरू किया था कि..

मैं जिस डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी वह कोएड कॉलेज था । मैं होशियार थी और बहुत ही अच्छे अंक आने के कारण विद्यालय में प्रसिद्ध हो गई थी । उसी दौरान हमारी कक्षा में कृष्णकांत नामक एक छात्र भी जॉइन हुआ वह भी पढ़ने में होशियार था । दिखने में बहुत ही हेंडसम और गोरा चिट्टा था उसके घुँघराले बाल भी थे । कॉलेज की लड़कियाँ उससे बातें करने के लिए मरी जाती थी। वह था कि किसी से भी बात नहीं करता था ।

हम दोनों के बीच काँपिटीशन था कि किस को अधिक अंक आएँगे ।

एक दिन वह मेरे पास आकर नोट्स माँगने लगा था क्योंकि वह एक हफ़्ते कॉलेज नहीं आ सका था । मैंने उसे अपने नोट्स दिए । उस दिन से हम दोनों के बीच बातचीत होने लगी ।

अंतिम साल पहुँचने तक हम अच्छे दोस्त बन गए थे । एक दिन उसने मुझसे कहा कि डिग्री के बाद क्या करोगी? मैंने उत्तर दिया था कि पोस्ट ग्रेजुएट करूँगी सोच रही हूँ । तुम्हारा क्या इरादा है तो उसने कहा कि पापा कह रहे हैं कि मैं उनके बिज़नेस को सँभाल लूँ । अब देखते हैं क्या होगा ।

कॉलेज के ख़त्म होते ही हम एक-दूसरे को बॉय कहकर अलग हो गए थे । मैं यूनिवर्सिटी में एम ए में जॉइन हो गई थी । कृष्णकांत का कुछ भी पता नहीं था कि वह कहाँ है । यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में मैं एक सीनियर के साथ मिलकर रहती थी ।

एक दिन जब कमरे में डोर बेल बजी तो मैं ही दरवाज़ा खोलने गई जैसे ही दरवाज़ा खोला तो सामने कृष्णकांत को खड़े हुए पाया । मैं ज़ोर चीख उठी इतने दिन कहाँ थे कोई ख़बर नहीं और यह बताओ कि तुम्हें कैसे पता चला कि मैं यहाँ हूँ ।

वह मेरी बातों को हँसते हुए सुन रहा था । जब मैं चुप हुई तब बताया था कि उसके रिश्तेदार यहाँ रहते हैं तो उनसे मिलने आना पड़ा तो सोचा तुमसे भी मिलता चलूँ । यह भी बताया था कि वह उसकी जानकारी लगातार प्राप्त कर ही रहा था । हाँ तुमसे मिल नहीं पाया था बस । वह अपने साथ फल और स्वीट्स लेकर आया था ।

अब हर महीने वह आने लगा था थोड़ी देर बैठकर बातें करके चला जाता था। एक दिन उसकी सीनियर ने कहा कि तुम दोनों को देख कर मुझे नहीं लगता है कि तुम दोनों दोस्त हो दोनों में दोस्ती से कुछ ज़्यादा ही है क्यों नहीं एक दूसरे को मन की बात बता लेते । पहले तो मैंने उसकी बातों को सुनकर अनसुना कर दिया था पर धीरे-धीरे मुझे भी महसूस होने लगा था कि शायद हम दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे हैं परंतु बताने में हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं ।

एक दिन की बात थी कि सीनियर अपनी सहेली के घर गई थी यह कहकर कि देर से आएगी । मैं भी पढ़ाई करते हुए बैठी हुई थी कि दरवाज़े पर दस्तक हुई । मैंने जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने कृष्णकांत को पाया था । मैं बहुत खुश हो गई थी उसके लिए चाय बनाते हुए सोचने लगी थी कि मौका भी है और दस्तूर भी आज दिल की बात बता ही दूँगी परंतु हिम्मत नहीं हो रही थी । मैं चाय बनाकर लाई और सामने चुपचाप बैठ गई ।

वह थोड़ी देर बैठकर चला गया था मुझे जो मौक़ा मिला था उसे भी मैंने गँवा दिया था ।

मुझे लगने लगा था कि वे बहुत पैसे वाले हैं और उसके माता-पिता की ख्वाहिशें अलग हो सकती है।

हम दोनों शादी का प्रस्ताव रखते हैं तो शायद उन्हें पसंद ना आए इसलिए अच्छे से सोच समझ कर मैंने उसे एक पत्र लिखा कि मेरे पिताजी के दोस्त की लड़की है । जो आपके घर की बहू बनने के काबिल है । अपने माता-पिता से बात कर लें तो मैं उसकी फ़ोटो आपको भेज दूँगी ।

एक सप्ताह बाद भी जवाब नहीं आया और एक दिन अचानक वह आकर कहने लगा कि मेरे भाई ने लव मैरिज घर वालों के खिलाफ जाकर कर लिया है और मेरे पिताजी मुझे अमेरिका भेजना चाहते हैं । बस इतना ही कहा  और चले गए । उसके बाद मैंने दो तीन पत्र लिखे थे पर जवाब नहीं आया ।

जैसे ही मेरा पोस्ट ग्रेजुएट ख़त्म हुआ पिताजी के पास आप रिश्ता लेकर आए थे । यह भी कहा कि आप मुझे चाहते हैं और बिना किसी दहेज शादी करने के लिए तैयार हैं । मेरी रज़ामंदी के बाद हम दोनों की शादी हो गई है।

सुजीत आज सुबह मैंने डॉक्टर की बातों को सुन लिया है । मेरी आपसे यही विनती है कि मैं एक बार कृष्णकांत से मिलना चाहती हूँ ।

सुजीत ने उसके हाथों को पकड़कर कहा कि मैं तुम्हारी ख्वाहिश पूरी करूँगा ।

उस दिन से रेवती के बताए पते पर छानबीन शुरू कर दिया था उम्मीद कम थी परंतु सुजीत रेवती की अंतिम इच्छा पूरी करना ही चाहता था ।

उस दिन रेवती की तबियत बहुत ख़राब हो गई थी । वह आँखें बंद करके लेटी हुई थी कि उसके कान के पास किसी की जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी रेवती ।

उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोली और सामने कृष्णकांत बैठा हुआ था । उसे देखते ही रेवती की आँखों में चमक आ गई थी ।

रेवती ने कहा कि तुमने मेरे ख़तों का जवाब नहीं दिया । उसने कहा कि मैं अमेरिका चला गया था दो साल बाद आया तो तुम्हारी शादी हो चुकी थी । मैं तुम्हारे शादी शुदा जीवन में ख़लल नहीं मचाना चाहता था इसलिए वापस चला गया था ।

रेवती ने पूछा शादी की कितने बच्चे हैं तो उसने कहा कि हाँ मेरे तीन हज़ार बच्चे हैं। उसे आश्चर्य चकित होते देख कर कहा तुम्हें शादी शुदा जीवन बिताते देख कर मैंने तुम्हारे नाम पर एक अनाथालय खोला जिसमें तीन हज़ार बच्चे हैं बस उनकी ही देखभाल अच्छे से कर रहा हूँ । कमरे के बाहर खड़े होकर उनकी बातों को सुनता हुआ सुजीत सोच रहा था कि वाह दिल पर कोई ज़ोर चलता नहीं है ।

के कामेश्वरी

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