स्वाति आज बहुत खुश थी आज उसकी बेटी रुचि ससुराल से पहली बार पग फेरे के लिए मायके जो आ रही थी। रुचि एक सरकारी डॉक्टर है और उसके पति हर्ष भी सरकारी डॉक्टर ही हैं दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे इसलिए परिवार वालों ने मिलकर दोनों की शादी के लिए खुशी से सहमति दे दी हर्ष के परिवार में उसके माता-पिता और छोटी बहन है। स्वाति ने सभी
तैयारी पूरी कर ली थी वह थोड़ी देर के लिए चाय लेकर बालकनी में बैठ गई और पुरानी यादों में खो गई करीब 22 साल पहले स्वाति अपने पति रमेश और 3 साल के बेटे वैभव के साथ उसके दोस्त की शादी में जा रही थी। तभी अचानक एक ट्रक उनकी गाड़ी से टकरा जाता है और इस हादसे में वह अपना बेटा और पति दोनों को खो देती है
स्वाति को भी दो दिन में होश आया था उसके सर में काफी चोट लगी थी स्वाति इस हादसे के बाद पूरी तरह से टूट गई थी उसे कुछ रास्ता ही नहीं सूझ रहा था उसका सब कुछ लुट चुका था। उसके परिवार में उसकी सास के सिवाय कोई न था रमेश एक स्कूल में प्रधानध्यापक थे और स्वाति भी उसी स्कूल में पढ़ाया करती थी।
।पैसे की कोई कमी नहीं थी ,लेकिन अब वह खुद को संभाल नहीं पा रही थी। राधा जो उनके घर काम करती थी ,वहीं उन दोनों का पूरा ध्यान रखती थी । धीरे-धीरे स्वाति ने खुद को और अपनी सास को संभाल लिया।करीब 2 महीने बाद वह अपने स्कूल भी पढाने जाने लगी थी ,राधा उसके जाने के बाद मां का ध्यान रख लेती थी ,
राधा सुबह आती थी और शाम का काम खत्म करके अपने घर लौट जाती थी। उसके साथ उसकी 3 साल की बेटी रुचि भी आती थी। वह घर में काफी घुल मिल गई थी। स्वाति भी उसके साथ काफी खुश रहने लगी थी ,जीने के लिए जैसे दोनों को एक सहारा मिल गया था। राधा का पति बहुत शराब पीता था कुछ करता भी नहीं था।
राधा से सारे पैसे छीनकर शराब पी जाता था। राधा आप तंग आ चुकी थी उसे अपनी बेटी का स्कूल में एडमिशन भी करना था लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे उसने सारी बात स्वाति से बताई, स्वाति ने रुचि का एडमिशन अपने ही स्कूल में कर दिया और राधा से कहा कि रुचि की पढ़ाई का खर्चा अब वही उठेगी रुचि उसकी भी बेटी जैसी ही है।
न जाने कब और कैसे रुचि राधा के साथ-साथ स्वाति को भी मां कहकर बुलाने लगी थी रमेश की मां को तो वह दादी कहकर बुलाती ही थी । कुछ ही समय में वह घर का हिस्सा बन चुकी थी राधा के साथ-साथ स्वाति और उसकी सास की जिंदगी भी उस पर ही टिक गई थी । एक दिन राधा का पति भी जहरीली शराब पीने के कारण मर गया था। राधा अब स्वाति
के घर पर ही रहने लगी थी रुचि पढ़ने में बहुत होशियार थी।देखते ही देखते समय पंख लगा कर उड़ गया और उसकी बेटी अव्वल दर्जे से आगे निकलती गई आज वह एक डॉक्टर है और स्वाति ने एक हफ्ते पहले ही उसकी शादी बड़ी धूमधाम से की है।
स्वाति को जैसे जीने का उद्देश्य ही रुचि से मिला था। तभी राधा दौड़ कर आती है और उससे कहती है दीदी पीहू आ गई। स्वाति अतीत से वर्तमान में लौट आती है और दौड़कर अपनी बेटी की और दामाद की आरती उतारती है और उसको गले लगा कर कहती है पीहू आज तेरी वजह से ही मैं दोबारा मां बनी हूं ,तूने मेरे जीवन को एक अर्थ दे दिया है। आज बेटी के साथ मुझे एक बेटा भी मिल गया है ।
सच ही कहा है किसी ने कुछ रिश्ते खून के न होकर भी दिल में हमेशा के लिए बस जाते हैं और गहरे हो जाते हैं।
पूजा शर्मा