दिल होना चाहिए जवान – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज अमन और श्रेया की शादी की बीसवीं वर्षगांठ थी। दो दशक का ये समय दोनों ने सफलतापूर्वक पूर्ण किया था। खुशी और गम एक दूसरे के साथ बांटे थे। अमन और श्रेया दोनों को ही ऐसा लगता था कि वर्षगांठ जैसे ये अवसर किसी की भी ज़िंदगी में काफ़ी निजी होते हैं इसलिए वो इसके संबंध में सोशल मीडिया पर ज्यादा तस्वीर नहीं डालते थे। फिर भी बहुत लोगों को इनकी शादी की वर्षगांठ याद रहती थी, इसलिए सुबह से ही फोन और सोशल मीडिया पर बधाई संदेश आना शुरू हो जाते थे। अवसर चाहे कोई भी हो,

कई बार कार्यालय में छुट्टी लेना थोड़ा कठिन होता है। ऐसा ही कुछ अमन और श्रेया के साथ भी हुआ था। दोनों को ही छुट्टी नहीं मिल पाई थी तो दोनों ने ही इसे ऑफिस के बाद घर पर मानने की सोची। आज जब श्रेया ऑफिस पहुंची तो सबने उसको बोला आज वो कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही है, पहले तो वो बस मुस्कराकर रह गई पर सबके बार-बार ऐसा बोलने पर उसको अपनी वर्षगांठ के विषय में बताना पड़ा। उसके बाद उससे कई लोगों ने पूछा कि कितने साल हो गए? प्रत्युत्तर में जैसे ही उसने कहा बीस वर्ष तब कई लोगों के मुंह से एकदम निकला बीस, हमें तो लगा था कि अभी थोड़ा ही समय हुआ होगा। श्रेया बस मुस्कराकर रह गई। 

शाम को जब वो घर पहुंची, तब इसी तरह के कुछ अनुभव अमन ने भी उसके साथ साझा किए। दोनों काफ़ी देर तक हंसते रहे। बातें करते-करते उनको अपनी नई शादी के बाद का एक किस्सा याद आ गया। असल में जब श्रेया और अमन की शादी हुई तब उन दोनों की उमर लगभग बाइस-तेईस साल रही होगी। शादी के बाद अमन को मुंबई में नौकरी मिल गई तो दोनों वहीं चले गए। वहां श्रेया को भी नौकरी मिल गई थी। अभी घर की व्यवस्था नहीं हुई थी। दोनों ने सोचा कुछ दिन होटल में रह लेंगे और साथ-साथ घर भी ढूंढ लेंगे।

अब पहले आजकल की तरह होटल की एडवांस बुकिंग तो होती नहीं थी। कुछ जानने वालों से दो-चार अच्छे होटल का पता करके वो चल दिए सपनों की नगरी मुंबई। वहा पहुंचने में ही वो काफ़ी थक गए थे। फिर चल दिए बताए गए होटल की तरफ। उन लोगों को पूरी उम्मीद थी कि किसी न किसी होटल में तो उनको उचित किराए पर हफ़्ते-दस दिन के लिए कमरा मिल ही जायेगा। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

माँ का फ़ैसला – के कामेश्वरी : Moral stories in hindi




अब जैसे ही वो पहले होटल में पहुंचे तो वहां कमरा नहीं मिला, ऐसा ही कुछ सभी बताए गए होटल में हुआ। अब दोनों को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है? अभी तो छुट्टियां भी नहीं है और शादियों का भी मौसम नहीं है फिर सारे होटल वाले उनको कमरा ना होने की बात कह रहे हैं। नई और अजनबी जगह किसी से कुछ ज्यादा पूछते भी नहीं बन रहा था। तभी अमन को याद आया कि यहां से थोड़ी ही दूरी पर होटल ब्लू डायमंड है जिसमें काफी समय पहले वो अपनी पढ़ाई के साथ एक ट्रेनिंग के लिए आया था।

अब वैसे भी दोनों के पास कोई और दूसरा ठिकाना भी नहीं था इसलिए ये होटल ब्लू डायमंड ही आखिरी सहारा था। बस अमन को ये लग रहा था कि कहीं ऐसा ना हो कि ये होटल अब हो ही ना क्योंकि वो काफ़ी पहले आया था। ख़ैर वहां खड़े ऑटो वालों से उन्होंने इस होटल के विषय में पूछा। गनीमत ये रही कि होटल अभी भी था और काफ़ी प्रसिद्ध भी था। मुंबई की एक खास बात ये भी है कि वहां के टैक्सी और ऑटो वालों का व्यवहार बाहर के लोगों के साथ काफ़ी अच्छा और सौहार्दपूर्ण होता है। वे मीटर से चलते हैं और किराया भी उसी के हिसाब से लेते हैं। एक ऑटो वाले ने उन दोनों की परेशानी भांपते हुए उनको होटल ब्लू डायमंड में आराम से पहुंचा दिया। 

इस होटल के स्वागत कक्ष में जब दोनों पहुंचे तो यहां और जगह की तरह उनको कमरा खाली ना होने की बात नहीं कही गई। पर यहां उन दोनों को देखते ही ये कहा गया कि आजकल मुंबई में बहुत चेकिंग चल रही है। बहुत सारी घटनाएं हो चुकी हैं इसलिए वो अविवाहित जोड़े को कमरा नहीं देते। तब अमन और श्रेया ने कहा कि वो दोनों तो विवाहित हैं। इस पर वहां के मैनेजर ने कहा कि आप दोनों की उम्र बहुत काफ़ी कम लग रही है, ऐसा लग रहा कि आप दोनों कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी हैं इसलिए आप दोनों

अपनी शादी का कोई प्रमाणपत्र दे दीजिए। अगर प्रमाणपत्र सही लगा तो हम आपको कमरा दे देंगे।इस पर श्रेया ने कहा कि देखिए मैंने मांग में सिंदूर लगाया है, अमन के और मेरे दोनों के हाथ में अंगूठी है। इससे बड़ा साक्ष्य क्या हो सकता है? मैनेजर ने कहा, ऐसे रूप में तो कई अविवाहित जोड़े भी हमारे पास आते हैं। अब अमन और श्रेया अजीब सी दुविधा में थे। दोनों ने सोचा ही नहीं था कि इस तरह का भी कोई संकट आ सकता है। तभी अमन को याद आता है कि शायद शादी का कार्ड और तस्वीरों की एक एल्बम उसने अपने बैग में रखी थी।

अगर इन लोगों को वो दिखा दिया जाए तो शायद बात बन जाए। फिर जल्दी से बैग खोलकर उनको कार्ड और शादी की एल्बम दिखाई गई और उन दोनों को होटल में कमरा मिल गया। अब दोनों की जान में जान आई। मैनेजर ने भी दोनों की परेशानी समझ रहा था पर अपने कर्तव्य के आगे मजबूर था। उसने भी उन दोनों से माफी मांगते हुए कहा कि आप लोगों को कष्ट हुआ उसके लिए खेद है। असल में ये मुंबई है यहां बहुत सारे लड़के-लड़कियां घरों से भागकर आ जाते हैं इसलिए हम लोगों को थोड़ा सतर्क रहना पड़ता है। 

इस कहानी को भी पढ़ें: 

ननिहाल – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi




अमन और श्रेया भी उसकी बात से सहमत थे।उन्हें बाकी होटल में कमरा ना मिलने का कारण भी समझ आ गया था। अब उन्हें कमरा मिल गया था वो तो इसी बात से निश्चिंत थे। वैसे भी कल से तो वो अपने लिए घर ढूंढने की कवायद में जुट ही जायेंगे ऐसा सोचकर दोनों ने एक-दूसरे को तसल्ली दी थी। 

अभी वो दोनों अपनी पुरानी यादों में खोए ही हुए थे कि बेटी ने आकर कहा कि आप दोनो एक-दूसरे में ही खोए रहेंगे या केक भी काटेंगे। बेटी की बात सुनकर वो आज की अपनी दुनिया में वापिस आए। दोनों जब केक काटने लगे तब उन दोनों की नौकझोंक और चेहरे पर बच्चों जैसी खुशी देखकर बेटी भी कहने लगी कि कई बार मेरे को ऐसा लगता है कि आप दोनों मेरे हमउम्र ही हो और मेरे साथ ही बड़े हुए है। उसकी ये बात सुनकर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े और एक साथ बोल पड़े कि उम्र चाहे जो भी हो, दिल जवान रहना चाहिए। 

दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी? अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।हम सब की ज़िंदगी में कुछ किस्से ऐसे जरूर होते हैं,जो हम लोगों के लिए हमेशा के लिए यादगार हो जाते है। जीवन में तनाव के तो बहुत पल आते हैं पर जब भी मौका मिले अच्छी यादों को एक बार फिर से जी लेना चाहिए। वैसे भी किसी ने कहा भी है कि दिल होना चाहिए जवान क्योंकि उम्र और कमर तो ज़िंदगी भर बढ़ती है।

#अप्रैल_मासिक_प्रतियोगिता

प्रथम कहानी

डॉ. पारुल अग्रवाल,

नोएडा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!