दिखावे का हश्र – पूनम अरोड़ा

करीब आठ दस पहले हमारी सोसाइटी की एक सदस्या ने लकी ड्राॅ  वाली किटी स्टार्ट  की। उसमें  विशेष आकर्षण था कि जैसे जैसे किटी निकलती जाती थी उसके सदस्यों  को आगे की किश्त का भुगतान नहीं  करना पड़ता था साथ ही सदस्यों  को किटी की मेम्बरशिप  के लिए एक गिफ्ट  भी दिया जा रहा था ।यह प्रलोभन कम नहीं  था अतः हमारी सोसाइटी के तो बहुत  लोग मेम्बर बने ही ,सुन सुना कर और प्रचार की वजह से आस पास की सोसाइटी के लोंगो  ने उसमें  किटी डाल ली ।लालच की वजह से किसी किसी ने तो दो तीन या चार किटी भी डाल लीं। बहुत  बढ़िया प्रोग्राम  होता किटी वाले दिन ,तम्बोला ,जलपान ,म्यूजिक,
गिफ्ट्स  यानि कि मनोरंजन के बहुआयामी  साधन ।
सब मेजमान की दरियादिली , उसकी इस स्कीम और कार्यान्वयन  के प्रबन्धन की भूरि भूरि सराहना करते नहीं  थकते।
किटी की मेजबान ने इन्हीं सब की वजह से इतनी सम्पन्नता अर्जित  कर ली थी कि एक एक करके तीन फ्लैट खरीद लिए वहीं ।
खान पान ,रहन सहन  के तौर तरीके बदल गए । दो तीन गाडियाँ,कीमती फर्नीचर ,शानो शौकत के सब संसाधन यानि कि हाई स्टेटस के आडम्बर  और दिखावे का  पूरा तामझाम ।
अपनी लोकप्रियता  को और अधिक  प्रसारित करते हुए उसने विशाल स्तर पर भागवत कथा का भी आयोजन कराया । सोसाइटी और किटी मेम्बर्स के अलावा भी रिश्तेदारों ,परिचितों  आदि को निमंत्रित  किया । बहुत  ही भव्यता और शानोशौकत से भागवत का शुभारम्भ  एक विराट कलश यात्रा  के साथ किया गया। सभी महिलाओं  ने बढ चढ कर भाग लिया । वृंदावन से कथावाचक और भजन मंडली को आमंत्रित  किया गया।
कहना न होगा कि कथा के समय  देखने वाली रौनक होती थी ।बीच बीच में  कुछ जलपान भी चलता और बाद में  विशिष्टताओं  विभिन्नताओं वाले प्रसाद का भी  वितरण सुनियोजित  होता ।





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सोसाइटी में  तो जैसे रोज ही उत्सव का सा माहौल होता ।सब अपने दोपहर के आराम नींद  की चिंता न करके वहाँ  समय से कथा पर पहुँच ते ।सब एकदम व्यवस्थित और सुसज्जित  जैसे विवाह का आयोजन  हो।
आखिरी दिन विशाल भंडारे का आयोजन  किया गया और साथ ही आयोजक की तारीफों  प्रशंसा के  भर भर के पुल बाँधे गए। वो तो एक सेलिब्रिटी  जैसी बन गई थी ।
लेकिन लोलुपता और आडम्बर  दिखावे की अति की कहीं  न कहीं  इति परिणिति  होनी ही होती है।यहाँ  भी ऐसे ही हुआ ।  किसी को कानों  कान खबर भी न होने दी और एक एक करके तीनों  मकान अच्छे  मार्जन पर बेच दिए ।सोसाइटी के मेन कर्ता धर्ता को उसने खिला पिला कर अपने षडयंत्र  में  शामिल  कर लिया था ।एक दिन सुबह उठने पर सोसाइटी में  बहुत ही शोर हंगामा मचा हुआ था । मालूम करने पर पता चला कि  वो किटी की संचालिका मय परिवार बहुत से लोंगो  का लाखों  का पैसा ले के चंपत हो गई  है । सोसाइटी में  गिने चुने परिवार  ही ऐसे थे जो उसके जाल में  न फँसे थे  किसी का कम तो किसी का ज्यादा  और  किसी  किसी का तो लाखों  रूपए चले गए  थे ।एक बार फिर सोसाइटी  शोर कोलाहल से गुंजायमान थी ।बाहर वाले भी आ गए थे ।पुलिस और मीडिया भी बुलाई गई ।पुलिस वाले सबको नियंत्रित  करके एक एक से उनके नाम ,पता और उनकी राशि का ब्यौरा ले कर  रिपोर्ट  दर्ज  करते जा रहे थे। दो तीन दिन मेला सा लगा रहा सोसाइटी में ।


पुलिस ने भी और भुक्तभोगियों ने भी अपने अपने स्तर पर उसकी तलाश शुरू कर दी ।वैसे तो अपराधी  इतने जल्दी  पकड़ में  नहीं  आते लेकिन पता नहीं  किसी सूत्र के आधार पर ग्यारहवें  ही दिन उसे  एक हिल स्टेशन के आलीशान बनवाए बंगले से गिरफ्तार कर लिया गया । पूरे परिवार को जेल हुई उनकी एक बच्ची नाबालिग थी उसे पहले तो वहीं फिर बाद में  शायद किसी रिश्तेदार के पास छोड़  दिया गया ।अधिकतर रूपए  का तो  वे हेरफेर पहले ही  कर चुके थे बाकी बचे रुपयों  से  अदालत के आदेशानुसार किसी किसी को आंशिक राशि ही प्राप्त हो सकी।
दोंनो  पति पत्नी और उनकी संतान अब भी जेल में है । ए सी और डनलप के बिस्तरों  मे  सोने वाले आज फर्श पर  पंखे के नीचे सोते हैं
यानि—
हुआ ऐसा आडम्बर का हश्र
अर्श से सीधे पहुँच गए फर्श 

पूनम अरोड़ा

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