मैं आपको धोखा नहीं दे सकती
लता ओ लता सुन जरा
“जी मेम साहब “
“तूने अभी झाड़ू पोछा किया है ना!”
” जी मेम साहब, अच्छे से किया है । डस्टिंग भी कर दी है।”
” अच्छा यह बता तुझे झाड़ू पोछा करते वक्त मेरी एक हीरे की अंगूठी तो नहीं मिली!!”
” नहीं नहीं मेम साहब ,अंगूठी तो कोई ना मिली मुझे! मिलती तो मैं यही मेज पर रख देती हूं ।”
“अरे वह तो तू रख देती है ,लेकिन ना जाने कल मैंने आकर अंगूठी उतारी तो कहां रख दी ,कहीं नहीं मिल रही है ।”
“मैं उसे फिर से झाड़ू लगा दूं मेमसाहब हो सकता है पलंग के नीचे सरक गई हो।”
” हां लता देखना, मैं अलमारी में सुबह से ढूंढ रही हूं, अब मैं परेशान हो चुकी हूं वह अंगूठी मेरी बेटी ने मुझे मेरे जन्मदिन पर दी थी ।उसमें लगा हीरा बहुत महंगा है अगर वह अंगूठी मुझसे गुम हो गई तो प्रीति मुझसे बहुत गुस्सा हो जायेगी।
“कोई ना मेम साहब आप परेशान ना हो, मैं झाड़ू लगा देती हूं”
बड़ी मेहनत से एक एक समान हटाकर लता झाड़ू लगाने लगती है लेकिन उसे अंगूठी कहीं नहीं मिलती। तभी मेम साहब की बेटी प्रीति का फोन आता है।
“मां क्या कर रही हो?”
“कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही चाय पीने जा रही थी”
“अच्छा मां मेरा एक काम करोगी ?वह अंगूठी जो मैंने तुम्हें पिछले बर्थडे पर दी थी उसकी एक तस्वीर खींच कर मुझे भेज सकती हो!”
” क्यों क्या हुआ बेटा”
“अंगूठी बहुत सुंदर है तो मैं सोच रही हूं अपनी सास के लिए भी वैसे ही अंगूठी बनवा दूं। उन्हें बहुत पसंद आयिगी।”
“बेटा क्या इसी वक्त तुझे उसकी तस्वीर चाहिए?”
” क्यों क्या हुआ मां”
“बेटा दरअसल आज सुबह ही मुझसे अंगूठी गुम गई है,”
” क्या इतनी महंगी अंगूठी कहां गुम गई”
” पता नहीं बेटा कल रात को जब मैं आई थी पार्टी से, तब मैंने अंगूठी उतारी ,अब देखो ना मुझे याद ही नहीं आ रहा”
” लता से पूछो उसी ने अंगूठी चुराई होगी, मुझे तो कभी भी उसके लक्षण अच्छे नहीं लगते, हमेशा तुम्हारे आगे पीछे डोलते रहती है, वैसे भी इतना मीठा बोलने वाली काम वाली मुझे कभी अच्छी नहीं लगती “
बेटा धीरे बोलो , तुम लाउडस्पीकर पर हो “
“लाउडस्पीकर पर हो तो रहने दो, मुझे किसी का डर नहीं पड़ा है ।वह लता एक नंबर की चोर है चोर ,”
‘बेटा धीरे बोलो मुझे लाउडस्पीकर पर से कॉल हटाने नहीं आ रही ,मैं फोन रख दे रही हूं “
“नहीं मम्मी अगर तुम फोन रखोगे तो मैं लता को फोन करूंगी उसी ने अंगूठी चुराई है ,वह तुम्हे धोखा दे रही है धोखा, में उसके खिलाफ कंप्लेंट करूंगी, वह धोखेबाज निकली ,धोखा दिया है उसने तुम्हें !अभी तुमने पिछले महीने ही उसे दस हजार रुपए दिए थे जब उसका बेटा छत से गिर गया था और उसके पैर की हड्डी टूट गई थी। उसकी शादी पर, उसके बच्चे होने पर ,दस साल से तो तुम ना जाने कितने रुपए दे चुकी हो!!”
” तुम परेशान मत हो प्रीति हम दोनों मिलकर ढूंढ रहे हैं ,जैसी अंगूठी मिलेगी वैसे ही उसकी तस्वीर तुमको भेजूंगी”
” मां वह अंगूठी अब कहीं नहीं मिलेगी “
“ऐसा मत कहो बेटा,”
” वह अंगूठी तब मिलती ना मां जब वह घर में होती ,लता की बच्ची , उसे जाकर बेच आई होगी औने पौने भाव पर, मां अगर तुम उसके खिलाफ पुलिस कंप्लेंट नहीं करोगी तो मैं करूंगी !!इस धोखे की सजा उसे मिलनी चाहिए !!!!”
तभी पीछे से आवाज आती है
“मेम साहब और मिसेज शर्मा घबराकर जल्दी से फोन काट देती है ।उनके माथे पर पसीने की बूंदे आ गई है। कहीं लता ने सब सुन तो नहीं लिया ?उनकी बेटी बहुत गुस्से वाली है । गुस्से में आकर उससे अनाप-शनाप बोल दिया ,वह जानती है लता कुछ भी करेगी उन्हें धोखा कभी नहीं दे सकती । जब उनकी बेटी की शादी थी तब अचानक उनके पति का एक्सीडेंट हो गया था और प्रीति और वो बदहवास हॉस्पिटल भागे थे ।सारा गहना जेवर पैसा कपड़े घर पर ही थे। लता तब एक पल को भी घर छोड़कर नहीं गई थी।तीन दिन बाद जब वे वापस आए तो एक समान भी इधर से उधर नहीं हुआ था ।एक एक रुपए का हिसाब लता जवाबी देती थी ।पैसे की उसे जब भी जरूरत हुई उसने मुंह खोल कर पैसे मांगे कभी भी चोरी चकारी करने की कोशिश नहीं की । जैसे ही mrs शर्मा पलटी तो लता के आंखों में आंसू थे और उसके हाथों में उनकी अंगूठी।।
उन्हें ऐसा लगा जैसे वह शर्म से वहीं गड़ जाएंगी। लता ने जरूर सारी बातें सुन ली है ।लता पल्लू से अपनी आंखें पोछती हुए आगे आती है ।
“यह लो मेम साहब कहते कहते उसका गला रूंध गया… Mrs शर्मा बोली अरे कहां मिली तुझे अंगूठी !
” सोफे की गद्दी के नीचे”
“अरे हां बड़ी ढीली हो गई है गद्दी अक्सर वहां सामान गिर जाता है ,मैंने तो वहां देखा ही नहीं, चल तू बैठ मैं तेरी लिए बढ़िया अदरक वाली चाय बनाऊंगी ।”
“नहीं मेम साहब मैं घर जा रही हूं ।”
“अरे लता तू भी दीदी की बात पर गुस्सा मानेगी !!वह तुझसे बहुत प्यार करती है लेकिन क्या करें वह भी चिड़चड़ी हो गई है। घर का काम ,बाहर का काम ,बच्चे सब संभालते संभालते उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है ।फिर तूने मुझे मां कहा है ना और बहनों में लड़ाई झगड़ा होता ही रहता है, मैं तेरी मां हूं और मां के लिए सब बच्चे को बराबर होते है। जैसे तू मेरे लिए वैसे ही प्रीति ।चल आजा ।
रोते-रोते लता कुछ कहने लगती है “मेम साहब मैं कभी आपको धोखा नहीं दे सकती “
Mrs शर्मा उसे गले से लगा लेती हैं ।”अरे पगली रुलाएगी क्या ?मुझे पता है तुम मुझे कभी धोखा नहीं दे सकती, मुझे तुझ पर अंधा विश्वास है और लता की बच्ची आज से तुम मुझे मेमसाब नहीं बुलाएगी “
“फिर क्या कह कर बुलाऊं मेम साहब ?”
“आज से तू मुझे “मां “कहकर बुलाएगी “
“मां “
“क्यों तुम्हे मुझमें मां नहीं दिखती?”
“मेरी मां तो बहुत बचपन में ही गुजर गई थी ।उसके बाद से किसी को मां बोला ही नहीं।
” इसीलिए तो कह रही हूं, चल अब यहां बैठ, मैं तेरे लिए बढ़िया अदरक की चाय बना रही हूं और गरम-गरम चिप्स तल लूंगी ,तुझे पसंद है ना आलू के चिप्स “
“हां मां मुझे बहुत पसंद है “
कहकर दोनों एक दूसरे के गले लगकर रोने लगती है
#धोखा
लेखिका : गरिमा जैन
Adhuri kahani likh kar post karna thik nahi hai