” नेहू,कहां हो तुम? इधर आओ मेरी जान,देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं,” विक्की( विकास) ऑफिस से आकर घर में घुसते हुए बोला।विकास नेहा का पति था और वह प्यार से उसको विक्की कह के बुलाती थी। उनकी शादी को पांच वर्ष हो चुके थे और तीन साल के एक प्यारा सा बेटा तुषार भी था उनका।विकास एक अच्छी कंपनी में सीनियर मैनेजर था और अच्छे खासे पैकेज पे काम कर रहा था।पिछले एक दो माह से नेहा नोटिस कर रही थी कि विक्की कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक हो गया है और उसपे कुछ असामान्य सा कुछ ज़्यादा ही प्रेम लुटा रहा है।आए दिन वह उसके लिए कुछ न कुछ सरप्राईज गिफ्ट ले आता।इससे पहले इतने सालों में उसने ऐसा कुछ नहीं किया था इसलिए नेहा थोड़ी हैरान थी पर खुश भी थी पति के इस अतिरिक्त प्यार लुटाने से।
उस दिन विक्की की वार्डरोब की सफाई करते वक्त नेहा को दो फ्लाइट के टिकट मिले।ये टिकट बैंगलोर के थे और दो दिन बाद के थे।एक टिकट पे विकास और दूसरे पे किसी अंजलि का नाम प्रिंट था।विक्की तो उसे बता रहा था कि वह ऑफिशियल टूर पे अकेले ही जा रहा है,फिर साथ में यह अंजलि कौन है।नेहा सोच में पड़ गई।शाम को विकास से ऑफिस से लौटने के बाद जब नेहा उसके लिए चाय बना कर लाई तो उसने पूछ ही लिया,” विक्की,तुम बैंगलोर परसों अकेले ही जा रहे हो न?”
” हां,क्यों क्या हुआ? एक हफ्ते का टूर है,अगले शनिवार तक वापस आ ही जाऊंगा अपनी प्यारी नेहू के पास,” विक्की प्यार दिखाता हुआ बोला।
” फिर यह दूसरा टिकट किसका है? कोई अंजलि का नाम लिखा है इसपे,” नेहा उसको टिकट दिखाती हुई बोली।
“ओह, मैं तुमको बतलाना भूल ही गया,मेरे साथ कंपनी की जूनियर मैनेजर अंजलि भी जा रही है, दोनों को एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में बैंगलोर के कंपनी के हेड ऑफिस के डायरेक्टर के साथ मीटिंग करनी है,” विक्की थोड़ा सकपका के सफाई देता हुआ बोला।
” तुम मुझे बता भी सकते थे कि तुम्हारे साथ तुम्हारी कोई कलीग भी जा रही है।तुमने मुझसे छुपाया क्यों?”,नेहा नाराज़गी दिखाती हुई बोली।
अरे,नेहू,ऑफिस के इतने काम हैं सर पे, नए प्रोजेक्ट में उलझा रहता हूं,जरूरी नहीं कि हर बात तुम्हें बताऊं,भूल गया होऊंगा बताना”!,विकास बोला।
नेहा कुछ नहीं बोली।चाय के खाली कप उठा के धोने चल दी।
अगले दिन विकास के ऑफिस जाने के बाद नेहा ने विकास का लैप टॉप खोल के विकास की कंपनी की वेबसाइट खोली और वहां काम करने वाले एम्प्लॉयी और वर्कर्स की लिस्ट देखने लगी। उस दिन अपना लैप टॉप घर पे ही छोड़ गया था विकास क्योंकि बैंगलोर से आने वाले एक डेलीगेट के साथ उसको फाइव स्टार होटल में लंच करना था और उसके बाद घर आ जाना था। लिस्ट में कुछ के फोटो भी थे नाम के साथ।
अंजलि का नाम और फोटो दोनों मिल गए।काफी खूबसूरत और कम उम्र लग रही थी अंजलि।
नेहा खुद भी कंप्यूटर इंजीनियर थी,पर तुषार के जन्म के बाद उसकी जॉब छोड़नी पड़ी थी क्योंकि तुषार प्रीमेच्योर बेबी था और काफी कमज़ोर भी था। शुरू के एक साल तक तुषार काफी बीमार रहा था।उसकी देखभाल के लिए उसको जॉब छोड़नी पड़ी थी।नेहा के मन में संदेह का अंकुर फूट चुका था।
पर अपने मन के संदेह को हकीकत साबित करने के लिए कोई पुख़्ता सबूत ज़रूरी था।
विकास अपना बैंगलोर ट्रिप करके लौट आया था और बड़ा प्रफुल्लित नज़र आ रहा था।
अगले सप्ताह तुषार का जन्मदिन भी आने वाला था। हर साल वह आस पास के फ्लैट्स में रहने वाले बच्चों और अपने और तुषार के कुछ ख़ास दोस्तों को इनवाइट कर लेती थी बर्थडे पर।इस बार भी उसको बच्चों के लिए रिटर्न गिफ्ट्स और कुछ अन्य शापिंग करनी थी।उसने विकास से कहा तो विक्की ने व्यस्तता का बहाना बना के उससे कह दिया कि वह कैब बुक करके अकेले ही चली जाए तुषार के साथ।पैसे वह उसके अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा।
एक दो दिन में शॉपिंग मॉल जाने की सोच कर नेहा अन्य कार्यों में व्यस्त हो गई। आज अचानक से ही उसकी कॉलेज टाइम की पुरानी फ्रेंड वर्षा का फोन आ गया कि वह उसके शहर गुड़गांव आई हुई है ऑफिस के काम के सिलसिले में।उसके पास दोपहर में बस दो घंटे का समय है,नेहा उससे मेट्रोपोलिटन मॉल में आकर मिल ले,क्योंकि वह उसके घर नहीं आ पाएगी।
नेहा बड़ी खुश हो गई,आज इतने सालों बाद वह अपनी पुरानी प्रिय सहेली से मिल रही थी।उसने हामी भर दी।
दोपहर को तुषार भी स्कूल से आ गया।उसको साथ लेकर वह कैब से मेट्रोपोलिटन मॉल चल दी।मॉल उसके घर से काफी दूर था पर सहेली से मिलने की खुशी उसको रोक न पाई।
मॉल की एंट्रेंस पे ही वर्षा उसे मिल गई। दोनों एक दूसरे के गले लग गईं। दोनों को ही साउथ इंडियन डिशेज बहुत पसंद थीं और तुषार भी डोसा सांभर बड़े मन से खाता था अतः वे एक साउथ इंडियन रेस्टोरेंट श्री रत्नम में घुस गईं।वर्षा वेटर को मेनू कार्ड से डिशेज ऑर्डर करने लगी।तभी नेहा की दृष्टि हॉल के बीच में बने पिलर के आड़ में दूसरी तरफ कुर्सी मेज पर बैठे विक्की और अंजलि पे पड़ी।दोनों खूब हंस हंस कर बात कर रहे थे और विक्की बड़ी रोमांटिक नज़रों से अंजलि की तरफ देख कर बातें कर रहा था। कभी वह उसकी पीठ पे हाथ मारता कभी उसके बालों की लट अपने हाथ से पीछे कर देता, दोनों पास पास बैठे थे।नेहा धक से रह गई।अपने को आड़ में लेकर उसने चुपके से अपने मोबाइल से दोनों की फोटो ले ली।
” वर्षा,यहां के श्री रत्नम से,बगल वाले मॉल में बने श्री रत्नम रेस्टोरेंट की प्रिपरेशन ज़्यादा अच्छी हैं।चलो वहीं चल कर खाते हैं,” कहते हुए उसने जबरदस्ती वर्षा का हाथ पकड़ कर उसे वहां से उठाया और मॉल के बाहर निकल गई,अपना मुंह पर्स से छुपा के।
किसी तरह वर्षा के साथ एक घंटा काटा उसने और घर आ गई।विकास उसको धोखा दे रहा था यह अब साफ ज़ाहिर हो चुका था।उसका उसके प्रति अप्रत्याशित व्यवहार,अतिरिक्त प्यार , ढेर सारे गिफ्ट्स शायद विकास का अपना अपराध बोध कम करने की प्रतिक्रिया मात्र थे।वह ऐसा करके शायद अपने मन को यह समझा रहा था कि वह पत्नी के साथ भी कोई अन्याय नहीं कर रहा।नेहा का दिल टूट चुका था।
शाम को जब विकास ऑफिस से आने के बाद फ्रेश होकर उसके कमरे में आया तो वह बेड पे उदास, अनमनी सी बैठी हुई थी।तुषार नीचे वाले फ्लोर पे बने फ्लैट में रहने वाले अपने दोस्त गोलू के साथ खेलने चला गया था।
” क्या बात है,आज हमारी नेहू चुप चुप सी क्यों है,”विकास उसके नजदीक आते हुए बोला।
” पति जब अपनी जीवनसंगिनी को धोखा दे,सात फेरों के समय पवित्र अग्नि के समक्ष लिए गए अपने वचन भूल जाए,तो पत्नी चुप चुप तो रहेगी ही,” नेहा बोली।
” धोखा? यह क्या कह रही हो तुम? मैं अपनी प्यारी नेहा को धोखा क्यों दूंगा?” विकास बोला।
” चुप रहो विकास तुम,मैं सब देख चुकी हूं अपनी आंखों से।बेटे की बर्थडे शॉपिंग के लिए तुम्हारे पास टाइम नहीं था पर अंजलि के साथ रेस्टोरेंट में रोमांस करने के लिए टाइम ही टाइम।बहुत खूब!
यह क्या है?” नेहा मोबाइल विकास की आंखों के सामने करते हुए बोली।
मोबाइल की फोटो में विकास और अंजलि हंसते हुए नजर आ रहे थे और विकास का एक हाथ अंजलि के गाल पे था।
विकास हक्का बक्का रह गया।उसके चेहरे का रंग उड़ गया।दो मिनट तक तो उसके मुंह से कोई शब्द नहीं निकला।
” नेहा,तुम गलत समझ रही हो,ऐसा कुछ नहीं है,” विकास हकलाता हुआ बोला।
नेहा ने एक व्यंगात्मक दृष्टि उसकी ओर डाली और मुस्कुराते हुए बोली,” एक स्त्री को भगवान ने यह शक्ति दी है कि वह अपने पति की बदली हुई नज़र और धोखे को आसानी से पहचान सके।तुम्हारा बदला हुआ व्यवहार मुझे पहले ही सशंकित कर रहा था पर अपने मन का वहम मान कर मैं तुमपे अपना विश्वास तोड़ना नहीं चाहती थी।पर आज प्रत्यक्ष सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बाद तुम विश्वास के काबिल नहीं रहे।तुम मुझे धोखा दोगे ऐसा मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था।
मैने अपनी पुरानी कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई कर दिया है। वहां के डायरेक्टर श्री निवासन सर मुझको अच्छी तरह जानते हैं।उनकी मदद से मुझे शीघ्र ही वहां जॉब मिल जाएगी।मैं तुषार को लेकर दूसरे फ्लैट में चली जाऊंगी।तुम वर्षा से शादी करने को स्वतंत्र हो।कोई भी रिश्ता जबरदस्ती से या बिना विश्वास के नहीं निभाया जा सकता। बस,एक हफ्ता मैं यहां रहूंगी।इसके बाद तुम जो चाहे करना।,” नेहा बोली।
” यह तुम क्या कह रही हो? तुम्हें और तुषार को छोड़ने की मैं सपने में भी नहीं सोच सकता नेहा।तुम लोग मेरी ज़िंदगी हो।वर्षा से मैं खाली टाइम पास कर रहा था।वह तुम्हारा स्थान कभी नहीं ले सकती।,विक्की गिड़गिड़ाता हुआ बोला।
” बस विकास,बहुत हो गया।यह मेरा आखिरी फैसला है,” कहती हुई नेहा किचन में चली गई मन में एक दृढ़ विश्वास लिए,एक नया जीवन आरंभ करने का,तुषार के साथ।
स्वरचित और अप्रकाशित
नीति सक्सेना
कहानी में आखरी में अंजलि की जगह वर्षा आ गई। सुधार की आवश्यकता है।