धिक्कार है धिक्कार – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi

रात के दो बजकर दस मिनट हो चुके   थे |प्रियंका स्टेशन के प्लेटफार्म  पर शाल ओढ़े चुपचाप बैठी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था,  वह क्या करे? रात दो बजे वाली ट्रेन आकर आगे जा चुकी थी और उसका मन तेजी से पीछे की ओर भाग रहा था |                             दो भाईयों की छोटी  बहन प्रियंका सारे घर की जान थी |

एक तो वह घर में सबसे छोटी थी, दूसरे उसके घर में दो पीढ़ियों के बाद लड़की का जन्म हुआ था |  पिता शहर के एक अच्छे बिजनेसमैन थे | घर में सारी सुख – सुविधाएं थी | माता- पिता,दादा- दादी,दोनों भाई रौनक और रोहित सभी की वह लाडली थी | जो मन होता, करती और जो चाहती, तुरंत पा जाती | 

दादा- दादी जबतक जीवित रहे,वह उनकी आंखों का तारा बनी रही | इन सब बातों ने उसे जिद्दी और मनमौजी बना दिया था | वह सदैव अपने मन का ही करती | माँ के टोकने, कुछ समझाने, डांटने पर पापा उसका बचपना कहकर  उसका ही पक्ष लेते और उसकी सारी बातें मान लेते| दोनों भाई भी उससे बहुत प्यार करते थे |

उसने अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर कालेज में एडमिशन लिया | वह देखने में सुंदर थी और खुले हाथों पैसे खर्च करती, इसी से कालेज में उसके बहुत सारे दोस्त बन गये थे|  वे सब सदा  उसे घेरे रहते और उसकी प्रशंसा करते रहते | इन्हीं में एक लड़का था, आलोक | वह एक साधारण परिवार का लड़का था और पढने में भी साधारण था, पर देखने में स्मार्ट, सुंदर था और रहता तडक-भडक से था |

साथ हीं बातें अच्छी बनाता था |किसी गाँव से आया था और कमरा किराये पर लेकर रहता था |उसका मन पढाई में कम और अन्य बातों में ज्यादा लगता था | वह सदा प्रियंका के साथ रहता और अपनी बातों से उसे प्रभावित करने में लगा रहता | शुरू में तो प्रियंका ने उसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर धीरे- धीरे वह भी उसकी ओर आकर्षित होने लगी और दोनों की दोस्ती, प्यार में बदल गई |

अब दोनों ज्यादा समय साथ बिताने लगे | प्रियंका उसपर बहुत पैसे खर्च करती और आलोक उसकी बहुत प्रशंसा करता | उसके दोनों भाई बाहर पढते थे, पापा अपने काम में व्यस्त रहते |घर में सभी को उसपर पूरा विश्वास था, इसीलिए उसपर कोई ज्यादा रोक- टोक न था | वैसे भी प्रियंका को पूरा विश्वास था कि किसी बात के लिए मना नही करने वाले पापा उसकी यह बात भी मान ही लेंगे और उसकी शादी आलोक से हो हीं जायेगी |

प्रियंका का यह भ्रम तब टूट गया, जब उसका छोटा भैया  रोहित घर आया और उसे यह बात पता चली तो माँ को बता दिया | माँ ने उसे बहुत समझाया और रोका , पर वह न मानी, तो उसने पापा को बताया | पापा ने जब उसे समझाया तो उसने कहा कि वह आलोक से प्यार करती है और उससे ही शादी करना चाहती है |

पापा ने उसकी बात सुनी और कहा कि ठीक है, पर पहले उन्हें  उसके बारे में  पता  करवाने दो | जब उन्होंने आलोक के बारे में पता करवाया तो उन्हें पता चला कि आलोक एक साधारण घर का लड़का है और पढने में भी साधारण है | वह आवारा किस्म का लडका है , जो पढने में कम और लडकियों से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देता है | अमीर लडकियों से दोस्ती कर उनके पैसों से मजे करता  है |पैसा उसकी कमजोरी है और वह पैसे के लिए कुछ भी कर सकता है |

वह पढाई पर ध्यान ही नहीं देता है तो उसका करियर क्या बनेगा? पापा ने प्रियंका को ये सारी बातें बताई और आलोक से दूर रहने को कहा, पर प्रियंका पर तो आलोक का जादू चल रहा था,उसने इसे सही नहीं माना|उसे लगा पापा उसे आलोक से दूर करने के चलते ऐसा कह रहे हैं |उसने आलोक को सारी बातें बता दी |

आलोक ने उसे समझाया कि पापा उन दोनों की शादी कभी नहीं करेंगे | अच्छा होगा, दोनों भागकर शादी कर लें |आलोक ने अपनी बातों में उसे ऐसा फंसाया कि प्रियंका उसकी बातों में आकर घर से पैसे, गहने लेकर रात में भागकर स्टेशन आ गई |स्टेशन पर उसे आलोक मिला और उससे पैसों, गहने का बैग यह कहते हुए ले लिया,यह उसके पास ज्यादा सुरक्षित रहेगा | थोड़ी देर बाद उसे यह कहकर गया कि खाने के लिए कुछ लेकर आ रहा है |

तब का गया हुआ अबतक नहीं आया था | अब तो उसका फोन भी बंद आ रहा था | स्टेशन पर भीड़ कम थी |प्रियंका को अब समझ आ रहा था कि पापा सही कह रहे थे | उससे भयंकर भूल हो गई, जो उसने पापा की बात नहीं मानी और एक झूठे, मक्कार, धोखेबाज की बातों पर भरोसा किया | अब वह क्या करे? घर लौट जाये या अगली आने वाली ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दे | वह बहुत पछता रही थी और हाथों में मुंह छिपाकर रो रही थी |

         ” प्रियंका, प्रियंका ” की आवाज सुनकर उसका ध्यान भंग हुआ | उसनें सिर उठाकर देखा तो सामने उसके पापा और  भाई रोहित खड़ा था | उसने घबराकर अपना चेहरा पुनः हाथों से छिपा लिया |

        ” उठो, घर चलो |” पापा ने उसका हाथ पकड़ते हुए जोर से कहा | प्रियंका हडबडाकर खड़ी हो गई | पापा बिना कुछ पूछे, कहे, उसे साथ लेकर चल पडे | प्रियंका भी बिना कुछ बोले चल पडी | पापा उसे लेकर स्टेशन से बाहर आये और अपनी गाड़ी के पास आ गये | रोहित ने गाड़ी का दरवाजा खोला और पापा प्रियंका के साथ गाड़ी में बैठ गये | रोहित गाड़ी चलाने लगा | सारे रास्ते कोई कुछ नहीं बोला | प्रियंका सिर नीचा किये, सिसकती रही | 

           गाड़ी घर पहुँच गईं | तीनों उतरे | पापा ने कॉल वेल बजाया | दरवाजा तुरंत खुल गया | तीनों अंदर आये | सामने मम्मी खडी थी | 

          “मम्मी” प्रियंका रोते हुए माँ के गले लग गई |

          ” नालायक ,लडकी | क्या कमी रह गई थी हमारे प्यार में, जो तुमने ऐसा किया? धिक्कार है धिक्कार| हमने तुम्हें अपनी जान से ज्यादा प्यार किया,इतनी अच्छी तरह पालन किया , विश्वास किया और तुमने हमारे प्यार, परवरिश, संस्कार सब भुला दिये | हमारे विश्वास की हत्या कर दी | एकबार भी नहीं सोचा कि तुम सिर्फ इस घर की बेटी ही नहीं हो |तुम इस घर की मर्यादा, मान-सम्मान, इज्जत भी हो | तुम कहीं भी अकेली नहीं जाती हो, ये सब तुम्हारे साथ रहते हैं |

एक आवारा, लोफर लडके के लिए , जिसे तुम मात्र कुछ समय से जानती हो और ठीक से समझ भी नहीं पाई , उसके लिए तुमने अपनी और घर की मर्यादा, इज्जत, मान-सम्मान, संस्कार, सब दाव पर लगा दिया | हमारे सारे प्यार भुला दिये जो हमने तुम्हें जन्म से दिया |धिक्कार है तुमपर|” मम्मी एक सांस में बोल गई |

         ” मम्मी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई | मुझे माफ कर दो | ” प्रियंका और जोर से रोने लगी | 

        ” माफी मांगने से क्या होगा? तुम्हें पता है, तुम्हें कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता? तुम हमारी जान हो | तुम्हें कुछ हो जाता तो हम तो जीते जी मर जाते | वो तो मैं  रात को तुम्हारे कमरे में ये सोच कर गई कि  तुम नींद में होगी,तुम्हें ठीक से कंबल उडा दूं, तभी पता चला कि तुम अपने कमरे में नहीं हो | पापा को बताया तो पापा और रोहित दोनों तुरंत तुम्हें खोजने निकल पड़े |” मम्मी भी रोने लगी |

        ” भगवान् का लाख-लाख धन्यवाद है, जो  खोजते- खोजते तुम हमे सही सलामत मिल गई | अच्छा हुआ वह तुम्हें छोडकर चला गया अन्यथा न जाने क्या हो जाता? ” रोहित  भी रूआंसा हो गया |                                        “अफ़सोस तो इस बात का है कि तुमने मेरी बात पर भरोसा नहीं किया , हमपर विश्वास नहीं किया | हम तो तुमपर पूरा विश्वास करते थे, पर तुमने उसकी लाज नहीं रखी |” पापा गुस्से से बोले|

        “पापा, पापा, मुझे माफ कर दो | मै भटक गई थी, बहक गई थी | अब सदा आपलोगो की बात मानूंगी | किसी के बहकावे में नहीं आऊंगी | ” प्रियंका ने रोते हुए पापा के पैर पकड लिए | पापा भी रोने लगे | उसे उठाकर गले लगा लिया | मम्मी और रोहित भी रो रहे थे |

         “पापा, आपके पैसे, गहने, मैंने गंवा दिये | आलोक लेकर भाग गया | ” प्रियंका ने थोड़ी देर बाद कहा | 

         ” उसकी तुम चिंता न करो | वो सब मैं संभाल लूंगा | मैं उसे ढूंढवाकर और सजा दिलवाकर रहूंगा, ताकि वो आगे और किसी को धोखा न दे सके | तुम सिर्फ अपने आप को संभालो | अपनी माँ की बातों पर ध्यान दो | ” पापा ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा |

          “आपलोग बहुत अच्छे है ं | मैं अच्छी तरह समझ गई कि माता- पिता से बढ़कर कोई हितैषी नहीं होता | मै अब सदा आपलोगो की बात मानूंगी | ” प्रियंका मम्मी के पैर पकडकर बोली -” अब मैं आपलोगो के विश्वास को कभी नहीं तोडूंगी | कोई ऐसा काम नहीं करूंगी, जिससे आपको मुझे धिक्कारना पडे | मै आपलोगो की ऐसी बेटी बनकर दिखाऊंगा, जिसपर आप सब नाज कर सकें|”

        ” मेरी प्यारी बेटी |” मम्मी  ने उसे गले से लगा लिया | सबने चैन की सांस ली और रोते- रोते मुस्कुराने लगे |

#धिक्कार

स्वरचित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

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