रवि, उसके बड़े भाई विजय और विजय की पत्नी सुरभि तीनों का छोटा सा और सुंदर परिवार था! रवि और विजय के माता-पिता का देहावसान हो चुका था, सुरभि रवि को अपने बेटे जैसे ही प्यार करती थी, और इन इन दिनों घर में रवि की नौकरी लगते ही शादी की तैयारी शुरू होने लगी थी थी!
वैसे तो रवि के लिए अच्छे-अच्छे घरों से अनेक रिश्ते आ रहे थे, किंतु सुरभि चाहती थी की रवि के लिए एक सुंदर सी और सीधी शादी बिना नौकरी वाली बहू आ जाए, सुरभि को नौकरी वाली बहू पसंद नहीं थी क्योंकि उसे लगता था बाहर नौकरी करने वाली लड़कियां घर को नहीं संभाल सकती! और रवि तो अपने भाई भाभी का भक्त था तो जहां उसकी भाभी ने उसके लिए रिश्ता पक्का किया रवि ने चुपचाप हां कर दी!
सचमुच उसकी भाभी ने रवि के लिए सही फैसला लिया था, माधुरी अप्रतिम सौंदर्य की धनी थी किंतु उसमें घमंड लेश मात्र भी नहीं था और घर के हर काम में वह अपनी भाभी का बराबर से सहयोग देती! माधुरी अपने जेठ जेठानी को अपने माता-पिता जैसा सम्मान देती थी, कई सालों से सुरभि की गोद नहीं भरी थी किंतु माधुरी के आने के पश्चात 6 महीने में ही सुरभि गर्भवती हो गई जिसका सारा श्रेय उसने माधुरी को दिया! माधुरी भी दिन भर सुरभि को आराम करवाती और उसके खाने पीने का और दवाइयां का अच्छी तरह से ध्यान रखती!
डॉक्टर ने ज्यादा उम्र हो जाने की वजह से सुरभि को बहुत एहतियात बरतने के लिए कहा था! सुरभि को पांचवा महीना लग चुका था, सुरभि के पति जब भी सुरभि के पास जाते सुरभि उन्हें मना कर देती और कहती…. देखो जी बड़ी मुश्किल से मेरी गोद हरी हुई है, तुम थोड़ा सा सब्र तो रख ही सकते हो, बस एक बार यह बच्चा दुनिया में आ जाए फिर हम दोनों की जिंदगी वापस से पहले की तरह हो जाएगी! एक दिन सुरभि की तबीयत कुछ खराब सी हो गई थी जेठ जी का फोन लग नहीं रहा था, तब माधुरी ने रवि को फोन मिलाया और कहा आप तुरंत आकर सुरभि दीदी को अस्पताल ले जाइए!
रवि फटाफट घर आया और गाड़ी लेकर सुरभि को दिखाने अस्पताल चला गया, एक घंटे बाद खबर आई की गाड़ी के ब्रेक फेल होने की वजह से सुरभि और रवि दोनों की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई! विजय और माधुरी पर तो जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा, क्योंकि एक ने अपना पति खोया था और एक ने अपनी पत्नी! दोनों के ही जीवनसाथी उन्हें छोड़ गए थे! घर में हर समय एक मातम सा पसरा रहता, फिर भी माधुरी अपने जेठ जी का बहुत ध्यान रखती, उनको किसी भी चीज की कमी नहीं होने देती, एक दिन माधुरी जैसे ही अपने जेठ जी को खाना परोस रही थी कि उन्होंने माधुरी का हाथ पकड़ लिया और कहा…
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देखो माधुरी.. अब तुम और मैं दोनों ही इस दुनिया में अकेले-अकेले हैं तो क्यों ना हम दोनों एक हो जाएं, अभी तुम भी जवान हो और मैं भी! पूरी जिंदगी हम कैसे गुजारेंगे, हमें भी साथी की जरूरत तो पड़ेगी! तब फिर माधुरी ने कहा…. भाई साहब आप चिंता मत कीजिए, मैं आपके लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढ कर ले आऊंगी! तब विजय ने कहा…. माधुरी तुम मेरा मतलब नहीं समझी, मैं बहुत समय से तुमसे कहना चाहता था कि जब से तुम इस घर में आई हो मेरा मन हमेशा ही तुमको चाहने लगा था,
अब मैं सोच रहा हूं कि हम दोनों ही शादी कर ले ताकि हमारी जिंदगी पूरक हो जाए! भाई साहब…. आप कैसी बातें कर रहे हैं? मैं आपकी छोटी बहन जैसी हूं, मैंने आपको हमेशा बड़े भाई के समान आदर दिया है और आपने मेरे पर ही गलत दृष्टि डाली! धिक्कार है आप पर ….मैंने कभी सपने में भी इस बात की उम्मीद नहीं की थी कि आप मुझ से इस तरह की बातें भी कर सकते हैं.? और माधुरी वहां से चली गई! कुछ देर बाद जब माधुरी वापस आई तो उसने सुना.. उसके जेठ जी फोन पर किसी से कह रहे थे….
अरे यार… रवि और सुरभि को ठिकाने लगाने के बाद भी माधुरी मुझसे शादी के लिए हां नहीं कर रही, क्या करूं? यह सुनकर तो माधुरी अवाक रह गई! इतना घटिया कार्य उसके जेठ जी ने उसे पाने के लिए ही किया था! इसका मतलब उस दिन सुरभि भाभी की तबीयत खराब करने का सारा प्लान भी जेठ जी का था, उन दोनों को अपने रास्ते से हटाने की उनकी साजिश थी! उन्होंने अपनी पत्नी और मेरे पति दोनों को मार दिया! धिक्कार है..
ऐसे इंसान पर ..जिसने तुच्छ चीज के लिए अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए! माधुरी तुरंत पुलिस स्टेशन गई और उसने अपने जेठ के खिलाफ f.i.r.दर्ज करवा दी, फिर पुलिस ने आकर विजय को गिरफ्तार कर लिया और उसे फांसी की सजा हुई,! आज माधुरी की आत्मा को तसल्ली मिल गई थी! आज वह सोच रही थी… कई रिश्ते कितने हद तक गिर जाते हैं,धिक्कार है ऐसे रिश्तों पर, जो अपनी बहू बेटीयो पर ही गलत दृष्टि डालते हैं!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
साप्ताहिक प्रतियोगिता #धिक्कार