रुपाली अपने बड़े भाई यश की शादी में जाने की तैयारियों में लगी हुई थी। पर खुशी के साथ साथ उसके मन में एक अजीब सा डर और असुरक्षा की भावना भी हिलोरें मार रही थी।
बात ऐसी थी कि रुपाली की परवरिश एक संयुक्त परिवार के बीच रहकर हुई थी जिसमे उसके दादा दादी, ताऊजी ताईजी,उनकी बेटी मिताली दीदी और बेटे तरुण भैया,उसके मम्मी पापा और दो साल बड़ा भाई यश सब मिलकर साथ मे रहते थे। सारे भाई बहनों की आपस मे बहुत अच्छी तरह बनती थी।
सबसे पहले मिताली दीदी की शादी हुई और ईश्वर की कृपा से उनको बहुत अच्छा परिवार और पति मिला। वो अपने ससुराल में बहुत खुश थीं । उसके बाद तरुण भैया की शादी हुई और चारु भाभी घर आयीं।घर का माहौल बहुत अच्छा था पर धीरे धीरे भाभी और ताईजी के बीच खटास पैदा होने लगी और तरुण भैया भी सबसे दूरी बढ़ाने लगे। मिताली दीदी जब भी मायके आती तो उनकी चारु भाभी को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता । अगर ताऊजी या ताईजी उनको कुछ उपहार स्वरूप दे देते तो वो जलभुनकर राख हो जाती
और उनके जाते ही घर में कलह मचने लगती। मिताली दीदी मन भर कर शांति से अपने मायके रुक भी नहीं पाती थीं क्योंकि उनको अपनी वजह से घर के अशांत माहौल को देखकर दुख होता था। अब उनका आना भी पहले से बहुत कम हो गया था ।चारु के आने के बाद घर मे दो चूल्हे जलने लगे थे । पर अब यश भैया की शादी में सबका एक साथ इकट्ठा होना बहुत समय बाद हो पा रहा था।
रुपाली को इस बात का दुख अंदर से खा रहा था कि इस शादी में उसकी अपनी माँ नहीं होगी क्योंकि रुपाली की शादी के छः महीने बाद ही उसकी माँ का हृदय गति रुक जाने से देहान्त हो गया था।
और साथ ही यह असुरक्षा की भावना भी उसको अंदर ही अंदर पीड़ा दे रही थी कि उसकी अपनी होने वाली भाभी यानी आमवी भी कहीं उससे चारु जैसा ही व्यवहार न करे। उसकी तो माँ भी नहीं थी फिर तो उसका मायका हमेशा के लिए छूट ही जायेगा।
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यही ताने बाने बुनते हुए रुपाली मायके जाने की तैयारियों में लगी हुई थी तभी ऋषभ आ गए और अपनी पत्नी का उतरा हुआ चेहरा देखकर बोले,”क्या बात है आज हमारी बीवीजी उदास क्यों है??”
रुपाली ने ऋषभ से अपने मन का डर साझा किया तो वो गंभीरता से बोला,”तुम पहले आमवी से मिल तो लो,उसको जान समझ तो लो फिर ये तय करना कि वो व्यवहारकुशल है या नहीं,पहले से बिना किसी को जाने बूझे सिर्फ भाभी के रिश्ते का हवाला देते हुए ये तय कर लेना कि वो खराब ही होगी,ये मेरे हिसाब से ठीक बात नहीं है।ज़रूरी नहीं है कि आमवी भी चारु भाभी जैसी ही हो।हो सकता है वो परिवार को अच्छे से संभाल ले, ठीक जैसे तुमने मेरे परिवार और मेरी बहन के साथ मधुर संबंध बना कर रखे हैं।अब ये बेकार की बातें सोचना छोड़ो और अच्छे मन से घर जाने की तैयारी करो और अपने पापा का भी हौसला बढ़ाओ।”
रुपाली दो दिनों बाद मायके पहुंच गई और मिताली दीदी और बाकी रिश्तेदारों के साथ मस्ती का समय शुरू हो गया। रीति रस्मों के बीच बीच माँ को याद करके रुपाली और परिवार वालों की आंखे भी नम हो जाती फिर से सब लोग काम मे उलझ जाते।
शादी कुशलता से सम्पन्न हो गयी और आमवी विदा होकर ससुराल आ गयी।
एक दी दिनों में सब रिश्तेदार वापस हो गये और रुपाली भी वापसी की तैयारी करने लगी तो आमवी ने आकर प्यार से बोला,”दीदी दो चार दिन मेरे साथ और रुक जाइये थोड़ा मुझे भी सबके बारे में और मम्मी कैसे घर को रखती थीं ये सब बता दीजिए ताकि उसी तरीके से उनकी गृहस्थी को आगे बढाऊँ।”
आमवी की बात सुनकर रुपाली को थोड़ा संतोष हुआ। फिर रुपाली ने घर के सब सदस्यों के बारे में अपनी भाभी को बताया और चारु भाभी से थोड़ा आगाह रहने की सलाह दी।
तीन-चार दिन हंसते खेलते बीत गए और रुपाली वापस ससुराल जाने लगी तो आमवी उसके लिए एक नई साड़ी,उसकी सास ससुर के लिए कपड़े,ऋषभ के लिए कपड़े,मिठाई और नेग के रुपये सब लेकर आई तो रुपाली थोड़ा असहज हो गयी, बोली”भाभी अब शादी में मुझे नेग दे तो चुकी हैं और बाकी सब कुछ पापा ने भी कर दिया है तो ये सब अलग से करने की क्या ज़रूरत है?”
आमवी बोली,”दीदी ये आपका घर है और अपने भाई पर आपका हक है। अगर मम्मी होतीं तो भी यही सब करतीं।मेरी मम्मी ने भी मुझसे यही कहा था कि अपने मायके में भाभी से और ससुराल में ननद से हमेशा मधुर संबंध बनाकर रखना।”
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आमवी की ये बात सुनकर रुपाली के मन मे पल रहे सारे संशय ठंडे पड़ने लगे और वो अपनी भाभी के गले लगकर बोली,”थैंक्स भाभी,आपने मेरा मायका सहेज लिया। मेरे लिए इतना बहुत है। भगवान आपको हमेशा सुखी रखे।”
इसके बाद रुपाली जब भी अपने पापा से फोन पर बात करती तो हर बार वो अपनी बहू की तारीफ ही करते तो रुपाली पापा की तरफ से भी निश्चिंत हो गयी।
फिर रुपाली का कई बार मायका आना हुआ और हर बार आमवी ने बहुत प्रेम से स्वागत किया और सम्मान के साथ विदा किया बस एक बेटी को और क्या चाहिए कि मायके में उसकी इतनी सी जगह सुरक्षित बनी रहे……।।।
सिन्नी पाण्डेय