ढलती शाम – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“पापा••• अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता “मैं••• सब कुछ छोड़-छाड़—  मुन्ना को ले घर आ रही हूं••• !

पर ये समय अंश पर गुस्सा करने का नहीं बल्कि हिम्मत से काम लेने का है••मेरी बच्ची•• !

जैसा तुम बता रही हो उस हिसाब से मुझे लगता है कि अंश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं••! 

पर पापा अब तो यह हर शाम की कहानी हो गई •••

 बेटा••• तु एक काम कर•• अंश को  बहला-फुसला  के मनोचिकित्सक के पास ले जा और यह काम सिर्फ तू ही कर सकती है••!

 पर पापा••• मैं अकेले कैसे••ओ•के••• !

एक आखिरी कोशिश आपके कहने पर मैं जरूर करूंगी•• परंतु अगर उससे बात नहीं बनी तो मैं फिर यहां नहीं रह सकती••••!

ठीक है•• एक बार कोशिश करके देख!

 पिता की बात सुनकर सियाली में थोड़ी हिम्मत आई और अपने  प्लान के बारे में सोचने लगी।

सियाली के पापा मनोविज्ञान के प्रोफेसर थे माता शारदाजी हाउसवाइफ एक बड़ा भाई सुनील जो जॉब करता था । सियाली की बचपन से इच्छा थी कि वह पापा की तरह ही प्रोफेसर बने। पढ़ाई में उसका बहुत मन लगता । ग्रेजुएशन में “यूनिवर्सिटी टॉपर” होने की वजह से उसे गोल्ड मैडल मिला। और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला •• ।

मास्टर डिग्री करते समय ही उसकी मुलाकात अंश से हुई अंश  उसी कॉलेज में सियाली का सीनियर था। कॉलेज के शुरू दिनों में जब वह पढ़ने आई तो उसे रैगिंग का कोई आईडिया नहीं था••• ।

 देखो हम सब को भी रैगिंग के लिए तैयार रहना पड़ेगा और मुझे लगता है लंच के बाद ही रैगिंग शुरू हो जाएगी•• सियाली ने अपने कुछ क्लासमेट्स को एक- दूसरे से बात करते हुए सुना । 

पर ••हमारे गर्ल्स कॉलेज में तो कोई रैगिंग नहीं होती थी सियाली आश्चर्य से बोली । 

भाई•• यहां तो सीनियर्स की ही चलती है ••!मधु बोली।

लंच के टाइम कुछ सीनियर्स आए•• ।

 कुछ ने सवाल पूछे तो कुछ ने गाना गाने को बोला।

 इधर सियाली डर के मारे एक कोने में जाकर  दुबक गई ।

   अंश की नजर सियाली पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया•• फिर थोड़ी देर चेतना में आने के बाद•• अरे मैडम•• क्या नाम है आपका••? पास आते हुऐ•• 

  और इतनी घबराई क्यों हो•••? 

वो तो बस यूं ही•••घबराते  इधर-उधर देखते हुए बोली ।

 अरे बाबा••• तुमसे कुछ नहीं पूछूंगा••! सियाली के सर से पसीना टपकने लगा और चेहरा लाल होता देख, यह लो पानी•••पानी की बोतल थमाते हुए अंश बोला।  सियाली पानी पीने लगी जिसे देख अंश हंसने लगा।

अब ठीक हो ना••? 

 हां••• बट प्लीज मुझे गाना-वाना नहीं आता•• अब सियाली की नजर अंश पर गई तो वह उसे देखते ही रह गई । “हाय•• कितना हैंडसम है ••• मन ही मन सोचने लगी  ।

तभी सारे सीनियर्स वहां पहुंचे क्या हुआ भाई•• इनसे भी गाना सुना जाए••?

 नहीं-नहीं यह काफी घबराई हुई है चलो•• चलते हैं कहते हुए सभी वहां से चले गए ।

 परंतु सियाली अंश को जाते-जाते तक देखती रही।

  जब वह घर आई तो उसके मन में सिर्फ अंश की छवि थी ।

नहीं ••मुझे अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहना है क्या फालतू मे मैं अपने लक्ष्य से भटक रही हूं••• परंतु यह क्या•• किताबों में भी अंश ही अंश उसे नजर आने लगा।

 दूसरे ही दिन सयाली की आंखें अंश को ढूंढें जा रही थी ।

अब वह हर दिन अंश को एक नजर देख ले••• इस चक्कर में•• कॉलेज के पार्क और कैंटीन में जाकर बैठने लगी ।

तभी एक दिन अचानक•• कहीं यह मृगनैनी सी नजर मुझे तो नहीं ढूंढ रही••  सियाली के सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए अंश बोला ।

मैं तो बस यूं ही•• अरे इसमें हिचकिचाने वाली क्या बात है•••? मैं देख रहा हूं कि तुम कई दिनों से मुझे ही ढूंढ रही हो••!

 नहीं नहीं वह तो मैं चाय पीने के लिए यहां आई थी•••नजरे झुकाते हुए वह बोली ।

क्या तुम मुझे पसंद करती हो•••? अंश ने एकदम से ही पूछ लिया। सियाली एकदम से घबरा के उठ गई और हाथ में किताब लेते हुए वह वहां से बिना कुछ बोलेजाने लगी ।

ठीक है अभी तो जाओ••• लेकिन कल मुझे मेरे सवाल का जवाब जरूर देना—! अंश हंसते हुए बोला। 

  यह क्या है इसने तो मुझे प्रपोज भी कर दिया••• और मैं अभी तक उसे ठीक से जानती भी नहीं•••? सियाली अपनी दोस्त मधु से बात कर रही थी। 

देख अंश  अच्छा लड़का है कॉलेज की कितनी लड़कियां उसके आगे पीछे मंडराती फिरती हैं लेकिन••• वह किसी को भाव नहीं देता शायद तु उसके लिए स्पेशल है•• ! मधु बोली।

 अब सियाली और अंश रोज एक दूसरे से मिलने लगे और दोनों ने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसमें खाई।

 एक दिन 

पापा आज मैं आपको कुछ बताना चाहती हूं– अगर आप इजाजत दे तो••?

 हां बता क्या बात है••? सारी बात से अवगत हो

बेटा यह प्यार-व्यार तो ठीक है परंतु तुमने जो अपनी कैरियर के बारे में सोचा है उसका क्या•••? तू पढ़ने में इतनी अच्छी है चल तू शादी अंश के साथ ही कर लेकिन•• अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद•• और तब तक अंश भी कुछ ना कुछ कर ही लेगा

 “थैंक यू पापा “सियाली पापा से लिपटते हुए बोली  ।

समय बीतता गया।

अब 2 साल गुजर गये अंश ने भी हाई स्कूल की जॉब ले ली और वह इलाहाबाद में जॉब करने लगा इधर सियाली की मास्टर डिग्री भी पूरी हो गई। बेटी की जीद के आगे परिवार वालों को झुकना पड़ा

 बेटा अंश••• अपने मम्मी-पापा को भेजो•• हम शादी का दिन निश्चित करना चाहते हैं विनोद जी अंश से बोले। 

  अंकल मेरे मम्मी-पापा दोनों तलाकशुदा थे मैं अपनी मम्मी के साथ रहता था इधर कुछ सालों पहले मेरी मम्मी किसी गंभीर बीमारी से गुजर गईं अब मैं एकदम अकेला हूं– !अंश बोला।

ओह••आई एम सॉरी बेटा••!

एक शुभ दिन देखकर दोनों की शादी बहुत धूमधाम से कर दी गई

 अंश अब सियाली को ले इलाहाबाद आ गया•••

 जिंदगी मजे से गुजर रही थी।  

 सियाली हमेशा #शाम होने का इंतजार करती और अपने उस सुनहरे पल को हसीन बनाने के लिए नए-नए तरीके ढूंढती कभी ढलती शाम नदी के किनारे तो कभी किसी रेस्टोरेंट में कॉफी- चाय का मजा तो कभी स्ट्रीट फूड  खाते तो कभी किसी मंदिर में शांति से बैठते•••।

 अंश अपने आप से भी ज्यादा सियाली को प्यार करता सियाली के लिए वह पजेसिव होते जा रहा था ।

 2 साल बाद सियाली ने एक बेटे को जन्म दिया।

बेटे के जन्म के बाद अंश में नेगेटिविटी आने लगी•• सियाली का ज्यादा टाइम अब बेटे के पीछे जाता । वह उसे टाइम नहीं दे पा रही थी जिसकी वजह से अंश सोचने लगा कि सियाली उसे इग्नोर कर रही है  धीरे-धीरे वह शक की जाल में घिरने लगा ।

अब वह जब भी सियाली  को

 किसी पड़ोसी से बातचीत करते देखता तो अंदर ही अंदर कूढ़ता। 

5:00 बजे अंश का घर आने का टाइम होता और उसके आने के पहले सियाली उसके लिए खाने को कुछ बनाती•••  एक दिन घर में कुछ नहीं था तो वह उसके आने के 10 मिनट पहले बगल के शॉप से ब्रेड लेने चली गई तभी अंश उस रास्ते से ही घर लौट रहा था तो सियाली को दुकान वाले से बात करते हुए देख उसका पारा गर्म हो गया घर पहुंचते ही••• क्या बात कर रही थी••?

   किसके साथ••?

 ज्यादा भोली बनने का नाटक मत करो•••!

 मैं तो तुम्हारे नाश्ते के लिए ब्रेड लाने गई थी!

 बस चुप करो बंद करो नैन-मटका  करना••!

 क्या कह रहे हो••? सियाली बोली। इतना ही बोलना था कि एक थप्पड़ अंश ने उसके  गाल पर खींच के मारी। 

इससे पहले की सियाली कुछ समझ पाती•• मैंने तुम पर शक किया मैं कितना बुरा हूं•••और वह खुद अपने गाल पर अपने आप को थप्पड़ मारने लगा ।

ऐसा देख वह सोचने लगी कि 

शायद वो मुझसे ज्यादा प्यार करते हैं इसलिए मुझ पर शक किया ।कोई बात नहीं•••! सियाली मन ही मन खुश होने लगी  ।और सब कुछ नॉर्मल ही समझ रही थी। 

इस घटना के कुछ दिन बाद  जब अंश स्कूल से आया तो अपने बगल के पड़ोसी मालती जी को अपने घर से निकलते हुए देख, सियाली से पूछा••मालती आंटी क्यों आई थी•••?

  उन्होंने सत्यनारायण भगवान की पूजा रखी है इसलिए हमें कल आने को कहा है•• !सियाली चाय चढ़ाते हुए  बोली।

तभी अंश किचन में आता है और केतली की गर्म पानी में सियाली की  उंगलियां डूबाते हुए कहता है झूठ ••बकवास ••! उस दिन जो मैंने तुम्हें मारा था  वह बात मालती को बता रही थी बोल सही है ना••••? नहीं-नहीं चीखते हुए छोड़ो मेरा हाथ जल रहा है•••! फिर बर्फ वाले पानी से उसे सेकने भी लग जाता है ।

 सियाली••• पता नहीं मैं भी क्या-क्या सोचने लगता हूं मुझे माफ कर दो प्लीज•••! बहुत मानने के बाद सियाली नॉर्मल हो गई ।

अब तो यह किस्सा रोज का होने लगा जब भी वह शाम में घर आता सियाली को किसी के साथ हंसते बोलते या फोन पर बात करते देख, उस पर शक करता  ।

अब सियाली बहुत गुमसुम सी रहने लगी थी 

#शाम होने से ही उसे डर लगने लगता कि घर लौटते ही फिर से अंश का नया ड्रामा••• फिर से मेरे साथ मारपीट•• नहीं-नहीं•• बस• बहुत हो गया••• अब मुझे इस स्थिति से निकलना ही पड़ेगा मैं आज ही अपने पापा से बात करूंगी •••!

पिता से हिम्मत मिलने के बाद सियाली मनोचिकित्सक के पास जाने के लिए सोचने लगी और यह भी सोचने लगी कि अंश को कैसे ले जाया जाए

सुबह में 

अंश इधर कई दिनों से मेरी तबीयत खराब सी रहती है•• मैं सोच रही हूं कि मुझे डॉक्टर के पास जाना चाहिए—!  क्या तुम मेरे साथ चलोगे•••?

 हां हां सयाली क्यों नहीं•••! तुमने मुझे पहले ही बताया होता तो मैं आज के लिए छुट्टी अप्लाई कर देता ••कोई बात नहीं•• आज ही हम डॉक्टर के पास चलते हैं। 

अंश बोला।

सारी बातचीत की जानकारी लेते हुए डॉक्टर अंश की काउंसलिंग शुरू करते हैं इन काउंसलिंग के दौरान पता चला कि वह पैरानॉइड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहा है आप चिंता मत करें अच्छा हुआ इन्हें यहां लेकर आए•••!

  सर यह ठीक तो हो जाएंगे ना•••?

 बिल्कुल काउंसलिंग और मेडिसिन के द्वारा यह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे•••

 पर सर इस बीमारी का कारण क्या है•••?

 देखिए काउंसलिंग  के दौरान पता चला कि उनके मां-बाप में अक्सर झगड़े होते रहते थे जिनकी वजह से यह अपने आप को इनसिक्योर महसूस करने लगे और यही कारण है कि यह आपके प्रति भी काफी ओवर पजेसिव है अभी इन्होंने अपने शंका करने की बीमारी को भी एक्सेप्ट किया है ।

सर यह शाम में ही इनकी प्रॉब्लम ज्यादा बढ़ती है दिन भर तो एक नॉर्मल जैसा बिहेव करते हैं सियाली बोली। 

हां मेंटल पेशेंट के ब्रेन में केमिकल रिएक्शन की वजह से ऐसा होता है इसलिए वह शाम होते ही नीरस हो जाते हैं डॉक्टर बोले। 

 “थैंक यू सो मच सर”

 एक साल के बाद अब अंश पूर्ण रूप से ठीक है परंतु आज भी वह जब भी उन बीते लम्हों को याद करती है तब तब उसकी रूहें कांप जाती है क्योंकि उसने एक प्रेमी को मानसिक रोगी बनते हुए देखा है।

 

दोस्तों कुछ शामे लोगों के लिए  हसीन यादें लेकर आती है और कुछ  दर्द भरी यादों के साथ बीते पन्नों पर छप जाती है•••!

अक्सर पैरानॉइड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर वाले मानसिक रोगी जब इस रोग से ग्रसित होते हैं तब  वह जो भी सोचना चाहते हैं वह वही, सोचते हैं और वही देखते भी हैं इसलिए हमें समय रहते हुए रोगी की मेंटल स्थिति को पहचानना चाहिए और डॉक्टर से कंसल्ट करनी चाहिए 

धन्यवाद।

मनीषा सिंह

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