ढलती सांझ – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

मेरा बेटा आज बहुत दिन बाद मेरे पास रहने के लिए आ रहा है यह बात सुषमा ने लगभग 10 से 15 लोगों को बता दी घर में अकेले रह रहे बूढ़े मां का सहारा कोई नहीं तीन मंजिला मकान ग्राउंड फ्लोर में खुद रहती है और पूरे कमरों कर किराए पर उठा दिया सुषमा के दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी बेटा लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर शहर में रहता था

बच्चे बड़े हो चले थे शहर में ही आलीशान घर बना लिया था कपिल मां-बाप का इकलौता बेटा नौकरी के कारण उसे शहर में शिफ्ट होना पड़ा शहर गांव से ज्यादा दूर नहीं था लेकिन आना-जाना काम हो पाता था सुबह जो 8:00 बजे निकलता था लगभग रात में 9:00 बजे घर पहुंचता था

करता भी क्या बीवी रानी को भी नौकरी करने थी बच्चे दो बेटियां एक बेटी नीट की तैयारी कर रही थी और एक इंजीनियरिंग कर रही थी दोनों शहर में रहकर पढ़ रहे थे ।

सुषमा जी के पास पैसा बहुत था लेकिन अब बुढ़ापे में शरीर साथ नहीं दे रहा था मानसिक रूप से बिल्कुल ही लाचार हो गई थी

 जब भी बेटा कहता था मां मैं आपके पास आ रहा हूं मां इतना खुश हो जाती थी कि दिन भर उसके लिए कुछ ना कुछ बनाने लग जाती थी ।

हाथ पैर में दम नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे कपिल को जो भी चीज पसंद थी वह बनाने लग जाती थी वर्षा घर में सारा काम करती थी लेकिन सुषमा जी का भी किचन में हाथ बटा  देती इस बार उन्होंने कपिल को पसंद मुरमुरे के लड्डू तैयार करवाई पोहे का चूड़ा और तिल के लड्डू दिन भर काम करते-करते इतनी थकान हो गई कि वह बिस्तर पर जाकर लेट गई।

 वर्षा ने कहा अम्मा मैं तो कहती हूं कि आप क्यों इतना परेशान होती हो भैया तो शहर में रहते हैं भाभी भी अच्छा बना लेती है फिर आप उनका इतना ध्यान क्यों रखती हो 

सुषमा ने कहा कि नहीं बेटा आएगा और रहेगा की मां आपके डिब्बे तो पूरे खाली पड़े हुए हैं ।

आपके डिब्बे में कुछ नहीं है  वर्षा कहने लगी मैं बाजार से लाकर इन डिब्बों को भर देती अरे वर्षा तुझे पता नहीं है कि मेरे हाथ के मुरमुरे के लड्डू मेरे बेटे को बहुत पसंद है ।

हां माजी मैं समझ गई हूं…

 और वर्षा कहते हुए अपना काम पूरा करके चली गई।

 कपिल ने फोन करके बताया कि मां मैं अब 2 दिन बाद आऊंगा आज नहीं आ पा रहा हूं मुझे ऑफिस में बहुत काम है सुषमा जी इतना सुनते ही उनकी आंखों से आंसू आ गए…

 और दहलीज पर जाकर बैठ गई इस समय नए आए हुए किराएदार विपिन ऑफिस से लौट कर घर आया।

अम्मा क्या हुआ आज इतनी शाम को दहलीज पर बैठी हुई हो…

आप तो हमेशा आरती पूजा पाठ करते थी इस समय…. अरे !बेटा क्या बताऊं मेरा बेटा आने वाला था और उसने अभी फोन किया कि मैं अब 2 दिन बाद आऊंगा मुझे तो अब बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है।

 ऐसा लग रहा है मैं कपिल को कब देख लूं अरे लेकिन आप की तबीयत तो बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही हां मुझे चक्कर भी लग रहे हैं।

 आज मैं दिन भर मेरे बेटे के लिए लड्डू नमकीन बनाया मैं बहुत थक गई हूं ।

हालांकि वर्ष ने पूरी हेल्प कर दी लेकिन फिर भी मुझे थकान हो रही है विपिन ने कहा अम्मा चलो मैं तुम्हें पलंग पर लिटा देता हूं थोड़ी देर आप आराम कर लीजिए नहीं बेटा मुझे दहलीज पर बैठना अच्छा लग रहा है

 और कहते हुए वह बैठी रह गई थोड़ी देर बाद विपिन ने आकर फिर से देखा..

 अम्मा वहां पर बेहोश पड़ी हुई थी विपिन ने जल्दी से ऑटो मंगाई और उनको दवाखाने ले गया।

डॉक्टर ने कहा कि थकान के कारण इनको चक्कर आ गए हैं और दवाई देकर घर आ गए।

 तब अम्मा ने कहा विपिन विपिन और अम्मा को होश आ गया विपिन ने दवाई दिए और उन्हें अच्छे से सुला दिया उस रात विपिन नीचे ही दरी बिछाकर सो गया।

 सुबह उठकर सुषमा ने देखा कि विपिन नीचे दरी बिछाकर सो गया है तब उन्हें एहसास हुआ दुनिया में अपने ही हमेशा काम नहीं आते हैं कभी-कभी पराए भी अपने लिए बहुत कुछ कर जाते हैं ।

और वही खास हो जाते हैं कुछ देर में विपिन की भी नींद खुल गई ।

और विपिन ने कहा की अम्मा आप भी नहा धोकर तैयार हो जाइए मैं भी नहा धोकर आ रहा हूं ।

आपको फिजियोथेरेपी के लिए ले जा रहा हूं और विपिन ने उस दिन  ऑफिस से छुट्टी लेकर सुषमा को फिजियोथेरेपी के लिए ले गया कुछ दिन में ही अम्मा अच्छे से चलने फिरने लगी और अपने काम स्वयं ही करने लगी। 

फिजियोथेरेपी से सुषमा को बहुत आराम मिला हालांकि सुषमा कहती थी कि फिजियोथैरेपी में 3 घंटे लगते हैं मैं तो योग  सब कर लेती हूं ।

विपिन ने कहा अम्मा आप सब कर लेती है लेकिन इस उम्र में आपको थोड़ा मशीनी एक्सरसाइज भी जरूरी है।

 सुषमा की हालत कुछ दिनों में ही ठीक होने लगी।

 कपिल का रोज मैसेज आ जाता था कि मम्मी अब आपकी तबीयत कैसी है मैं  नहीं आ पाया मुझे बहुत दुख है सुषमा ने कहा कोई बात नहीं बेटा जब तुम्हें टाइम होगा… तब आ जाना तुम तो दो दिन बाद आने वाले थे लेकिन अभी तक नहीं आ पाए… कोई बात नहीं बेटा सबके काम अपने अपने होते हैं

मुझे भी एक तुम्हारे जैसा बेटा मिल गया है ..उसने मेरी पूरी देखरेख और सेवा की और मैं अब चलने फिरने लगी हूं कपिल रोज विपिन को वीडियो कॉल कर लेता था और मम्मी से बात करा देता था ढलती सांझ में सुषमा को नई सूरज की रोशनी मिल गई जब भी विपिन शाम को घर वापस आता है सुषमा जी के साथ कुछ देर व्यतीत करता

और हंसी मजाक करता हूं कभी वह टीवी चालू कर कर प्रवचन सुनने के लिए उन्हें कहता विपिन के रहने से सुषमा जी को बहुत अच्छा लगता था और उन्हें अपनी लड़के की कमी महसूस नहीं होती थी इस प्रकार दुनिया में आज के युग में बेटा बेटी को पढ़कर बड़ा करके उनकी शादी करके जब सारी जिम्मेदारियां से मुक्त होते हैं तब एहसास होता है

की पढ़ा लिखा कर बच्चों को बाहर तो खुशी-खुशी भेज दिया लेकिन इस ढलती सांझ में हमें किसी की जरूरत तो पड़ती है जब हमसफर भी साथ ना हो तब हमारे लिए जीवन मुश्किल हो जाता है लेकिन उसे बीच में जीवन में कोई व्यक्ति अपने जीवन में आ जाए तो वही भी एक ईश्वर का स्वरूप ही होता है।

लेखिका : विधि जैन

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