देवर जी  ससुर बने फिरते थे और ननद रानी आप मेरी सास..! – कामिनी सजल सोनी

रेवती को समझ आ गया उसे अब क्या करना है अब जमाना बदल गया है अगर कोई पुरानी घिसी पिटी बातों का बेसुरा राग अलापता है तो उसे कैसे सुर में लाकर समय के साथ चलना सिखाना है मन ही मन उसने सोच लिया..!

दरअसल रेवती के छोटे भाई रौनक की शादी में बड़ी भाभी  हर बात पर मेरे साथ ऐसा हुआ था मेरे साथ वैसा हुआ था बोल बोल कर सभी को ऐसे सुना रही  थी जैसे उनके साथ परिवार वालों ने मिलकर घोर अत्याचार कर दिया हो।

अब अगर कोई उनकी बातों का जवाब देता है तो घर का अच्छा भला माहौल खराब होना तय है क्योंकि कहा गया है कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी जब बड़ी भाभी की शादी हुई थी तब रेवती और रौनक दोनों छोटे थे पूरे दस साल का अंतर था रौनक और बड़े भैया में रेवती दोनों के बीच की कड़ी थी

शादी के शुरू के नेगचार में तो बड़ी भाभी थोड़ा शांत थी लेकिन जब विदाई का समय आया और रौनक की पत्नी रूपाली ने अपने सर से घूंघट हटा दिया उस समय तो बड़ी भाभी की आंखों से अंगारे बरस रहे थे।

रेवती के पास आकर उन्होंने तल्ख स्वर में कहा मेरे लिए तो देवर जी  ससुर बने फिरते थे और ननद रानी आप मेरी सास!

जब देखो तब मेरा घूंघट नीचे करके बोलते थे कि भाभी घूंघट कर लो पापा आ रहे हैं और अब अपने घर के संस्कार रूपाली के लिए भूल गए?




भाभी तब रौनक और मैं बहुत छोटे  थे हमने जो भी किया वह बचपने का हंसी मजाक  था उस समय हम लोगों की सोच के दायरे में हमारी मां चाची और आस पड़ोस की बुजुर्ग ही थी जो कि सदैव घूंघट करती थी बस इसीलिए हम भी आपके साथ मजाक मजाक में वही करते थे आप से पर्दा करवाने का हमारा कोई ऐसा इरादा नहीं था।  आप  बचपने की इतनी सी घटना अपने दिल पर ले कर बैठी है।

हमने आपको कभी मजबूर नहीं किया घूंघट करने के लिए ..! आप तो यह सरासर इल्जाम लगा रही हैं हम  भाई बहन के ऊपर!

हां रेवती मैं तो दिल पर ले कर भरी हुई बैठी हूं सबको एक-एक करके सुनाऊंगी..!

रेवती को समझ में आ गया था कि बड़ी भाभी से सवाल जवाब करने का कोई फायदा नहीं उनको उन्हीं की बातों से समझाना पड़ेगा..!

अगले दिन रेवती जब सबको खाना परोस रही थी तो जानबूझकर उसने खाने में कल की बची हुई सब्जी परोस दी…!

 

अरे ननद रानी आपने कल की बची हुई सब्जी थाली में क्यों परोस दी? वह तो खराब हो गई होगी आपको इतना भी पता नहीं सड़ा हुआ खाना थाली में नहीं परोसते..! ताजा खाने का भी स्वाद खराब हो जाएगा।




क्यों नहीं परोसते भाभी ! मैं तो जरूर परोसूंगी जब आप दस साल पुरानी बातों को लेकर आज भड़ास निकाल रही हैं तो फिर तो यह कल की ही सब्जी है।

किस बात को किस बात से जोड़ रही हैं आप ननदरानी..?

सीधी सीधी बात है भाभी जिस तरह बचा हुआ खाना खराब हो जाता है उसका हम उपयोग नहीं करते वैसे ही गुजरे हुए कल की बातें वहीं छोड़ देना चाहिए। अगर हम गुजरे हुए कल की बातें आज करेंगे तो हमारे अच्छे संबंध भी खराब हो सकते हैं इसीलिए समझदारी इसी में है की आज के समय के हिसाब से कदम से कदम मिलाकर सबके साथ हंसी खुशी रहें ! एक दूसरे की गलतियों को माफ करके आगे बढ़ने का नाम ही जिंदगी है।

कहते हैं ना बहती हुई नदी का जल हमेशा उपयोग करने लायक रहता है लेकिन एक जगह रुका हुआ पानी सड़ जाता है जो किसी काम का नहीं रहता।

ऐसे ही हमें भी किसी भी बात को लेकर रुकना नहीं है बस कल कल करते हुए आगे बढ़ते जाना है।

इसी का नाम तो जिंदगी है..!

बड़ी भाभी समझ चुकी थी पुरानी बातों को लेकर सिर्फ और सिर्फ माहौल ही खराब होगा और सभी की नजरों में उनकी छवि इसीलिए उन्होंने भी समय के साथ होने वाले बदलाव को स्वीकार कर लिया था।

बदले की भावना से परे अब उन्हें हर काम में मजा आ रहा था और वह खुले दिल से सभी के साथ हंसी मजाक में शामिल हो रही थी आखिर उनके दिल का इतना बड़ा बोझ जो उतर गया था।

अगर कभी अनजाने में किसी से कोई ऐसी बात हो गई है जो हमारी मर्जी के खिलाफ हो तो थोड़ा सा दिल बड़ा रखते हुए उसे माफ करना ही समझदारी है। अगर कोई जानबूझकर आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है तो उसके लिए जरूर आवाज उठाना चाहिए।  

 

धन्यवाद 

कामिनी सजल सोनी

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