देरी कर दी – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

दरवाज़े की साँकल पर जोर जोर से हाथ मारते हुए अनिकेत शंभू शंभू कह कर चिल्ला रहा था ।

तभी एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला… आँखों पर चश्मा दुरुस्त करते हुए अपना चेहरा उपर अनिकेत की ओर करते हुए पूछी ,” तुम कौन हो बेटा… जो आज शंभू की खोज खबर लेने आए हो?”

“ जी मैं शंभू का दोस्त हूँ… स्कूल में हम साथ ही पढ़ते थे फिर मैं शहर चला गया … बहुत दिनों से उसकी याद सता रही थी तो सोचा आज छुट्टी है मिल आऊँ… उसे बुला दीजिए आप उसकी अम्मा है?” महिला के हाँ में सिर हिलाते अनिकेत उनके पैर छू कर आशीर्वाद लिया 

“ बिटवा बहुत वक्त लगा दिए शंभू की खोज खबर लेने में अब तो वो तुमसे क्या किसी से भी नहीं मिल सकता ।” कहते कहते महिला रोने लगी

“ क्यों चाची ऐसे क्यों बोल रही है.. क्या हुआ शंभू को ?” अनिकेत आश्चर्य से पूछा 

“ बेटा जब तुम उसके दोस्त हो तो जानते ही होंगे वो पढ़ाई से जी चुराता था… बहुत कोशिश की उसे शहर भेज दे कुछ तकनीकी पढ़ाई कर ले तो काम धंधा करने लायक हो जाएगा यही सोचकर उसके बापू ने अपनी साइकिल और घड़ी बेच कर कुछ पैसों का इंतज़ाम किया ताकि उसे शहर भेज सके पर नालायक पैसे जाने कहाँ जाकर उड़ा दिया कहता था चोरी हो गए…

फिर जैसे तैसे कुछ काम धंधा करने लगा इधर बापू की बीमारी में ज़्यादा पैसे खर्च हो गए तो वो हर दिन ट्रेन से पास के शहर जाकर मज़दूरी करने लगा एक रात उतर कर पटरी क्रॉस कर रहा था कि दूसरी तरफ़ से आती ट्रेन ने लील लिया उसको.. मेरा लाल चला गया ।” रोते रोते महिला ने चश्मा उतार कर पल्लू से उसे पोंछ कर फिर से पहन लिया 

 “ ओहह इतना कुछ हो गया… मैं तो सोच रहा था जब नौकरी लगेगी तो उसे ख़ुशख़बरी देने आऊँगा पर … वो बहुत भला था चाची उस दिन वो पैसे चोरी नहीं हुए थे … वो जाने से पहले मुझसे मिलने आया था तब मैंने कहा मुझे भी शहर जाकर पढ़ाई करना… पर बापू के पास पैसे नहीं है उसने हँसते हँसते वो पैसे मुझे देते हुए कहा.,

लगता है ये तेरे काम के है तू पढ़ाई में होशियार है जा शहर जा कुछ बन मैं तो वहाँ जाकर भी पैसे डूबा दूँगा और फिर उसने यही कहा कह दूँगा पैसे चोरी हो गए, ये लो चाची उसके पैसे ही तो लौटाने आया था ….पर क्या पता था मैंने उसकी खोज खबर लेने में देरी कर दी ।” भावुक हो अनिकेत ने कहा और दस हज़ार रूपये शंभू की माँ के हाथ में रख दिए 

“ चाची अब से आपका बेटा मैं हूँ चिन्ता मत कीजिएगा,खोज खबर लेने आता रहूँगा ।” भरे गले से कहते हुए अनिकेत अपने दोस्त के प्रति कृतज्ञ हो वहाँ से चला गया 

अगले महीने फिर से खोज खबर लेने आने के लिए ।

दोस्तों ज़िंदगी कितनी छोटी होती है या हो सकती है ये हम नहीं जानते पर कई बार हम खोज खबर लेने में इतनी देरी कर देते हैं कि उससे मिलना नामुमकिन हो जाता है इसलिए अपने अज़ीज़ की खोज खबर लेते रहे उनके अलविदा करके जाने से पहले ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

#खोजखबरलेना

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!