गायन प्रतियोगिता में प्रथम…पूर्वी माथुर।
नृत्य नाटिका में सबसे अच्छा नृत्य रहा..पूर्वी एंड टीम…
पूर्वी का नाम बार बार बोला जा रहा था और वो मुस्कुराती हुई मंच तक जाती और अपना पुरस्कार ग्रहण
करती।
ये लड़की है या जादूगर?दिखने में भी खूबसूरत,इतनी टैलेंटेड,हर काम में प्रथम ही आ रही है…शालिनी वर्मा जी
मंत्रमुग्ध हुई पूर्वी को देख रही थीं।
उनके साथ बैठी प्रोफेसर रागिनी जो उनकी अच्छी दोस्त थीं..बोल उठीं…जितनी प्रतिभाशाली है उतनी ही
जुझारू भी…कोई कहेगा कि ये इस शहर में अकेली पेइंग गेस्ट बनके रह रही है लेकिन इसकी हिम्मत की दाद
देनी पड़ेगी जो इतनी सफल है।
तो इसके पेरेंट्स कहां हैं,उनसे तो मुझे मिलना पड़ेगा…
मिलना पड़ेगा ??क्यों शालिनी ??? तुम्हारे इरादे नेक नहीं लग रहे मुझे?रागिनी हंसी।
जब नहीं हैं तो लगेंगे कैसे?शालिनी भी मुस्कराई,इसे तो मैंने अपने बेटे राज के लिए पसंद कर लिया
है…ग्रेजुएशन तो हो ही गई अब इसकी…
लेकिन अगर वो आगे पढ़ना चाहेगी तो?
पढ़ लेगी,किसने रोका है…तुम इसका एड्रेस निकलवाना, मैं इसे कॉन्टेक्ट करूंगी।
अरे तुम तो सीरियस ही हो गई..रागिनी गौर से शालिनी को देखते बोली।
यस..इतनी अच्छी और प्यारी बहू मुझे कब मिलेगी,मुझे तो ये सच में पसंद आ गई है।
कुछ दिनों में ही रागिनी के बताए पते पर शालिनी जा पहुंची,किस्मत से जिस घर में पूर्वी पेइंग गेस्ट थी वो
शालिनी के जानकार ही थे।
अच्छी लड़की है…मेहनती है,पढ़ाई में भी अच्छी है बाकी रिश्ते वगैरह के लिए आप खुद देख लो…उनकी दोस्त
ऋचा ने कहा तो शालिनी ने खुद ही पूर्वी से बात करनी चाही।
पूर्वी को ऋचा की बेटी नीलम ने शालिनी और राज की फोटो दिखाई और छेड़ा कि इन आंटी को तू उनके
बेटे के लिए पसंद आ गई है..अपने भैया भाभी को बुलवा ले,वो जल्दी ही तुझसे मिलने आएंगी।
क्या?पूर्वी तो राज की फोटो देखकर उसपर लट्टू ही हो गई…हाय!कितना हैंडसम लड़का है! मैं मर जावा!!उसने
आहें भरी…
और शालिनी आंटी?वो कम सुंदर और स्मार्ट हैं,इतनी उम्र में भी इतनी एक्टिव रहती हैं,मां बता रही थीं।नीलम
बोली।
उसकी बात अनसुनी कर,पूर्वी तो राज की फोटो ही निहार रही थी।
सुन..पूर्वी!तू अपने भैया भाभी को फोन पर बुला ले,शायद अगले हफ्ते ही वो तुझसे मिलने आएंगी।ऐसे
कामों में घर के बड़े हों तो बातचीत ठीक रहती है।
तुझे लगता है भैया हैदराबाद से मेरी शादी की बात करने आएंगे?इंपॉसिबल…मैं खुद ही हैंडल कर लूंगी,तू
फिक्र मत कर।
लेकिन मां बता रही थीं कि शालिनी आंटी बहुत सीरियस हैं,इसलिए तू उन्हें खबर तो कर दे कम से कम।
तू मुझे समझती क्या है? ऐसी एक्टिंग करूंगी कि वो मेरे चकमे में आ ही जाएंगी…पूर्वी घमंड से बोली।
हां..मेरी ड्रामा क्वीन!पर ये कोई कॉलेज का नाटक नहीं हो रहा,असल जिंदगी है,यहां सब वास्तविक ही हो तो
ठीक रहेगा।
ओके..वो सब तू मुझपर छोड़ दे..पूर्वी अति विश्वास से बोली।
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सुन पूर्वी! उस दिन तू इंडियन ड्रेस पहनना, शालिनी आंटी थोड़े पुराने खयालात की हैं, शॉर्ट स्कर्ट वगैरह मत
पहन लेना और अपना कमरा जरा सही कर लेना, कहीं कोई एडल्ट मैगजीन दिख जाए उन्हें?
तू फिक्र मत कर..मैंने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं।पूर्वी मुस्कराई।
शालिनी थोड़ा चौंकी थीं जब पूर्वी ने उन्हें बताया कि उसके पापा बहुत पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे और
उसकी मां को कोरोना ने लील लिया था, फिर वो भाई भाभी के साथ रही लेकिन जल्दी ही वो दोनो भी उसे
अकेला छोड़कर हैदराबाद जा बसे थे।
ओह! इतनी प्यारी लडकी और इतने संघर्ष..शालिनी के दिल में ममता का सागर लहरा गया था।
पूर्वी का हाथ अपने हाथों में लेते वो बोली, तुम मेरे घर की बहू बनोगी?
इतनी जल्दी सीधा आमंत्रण सुन कर पूर्वी झूम उठी लेकिन सहमने की एक्टिंग करते बोली.. बहू??इतनी
जल्दी??
बेटी! कोई जल्दी नहीं है…अपने भैया का नंबर मुझे दे दो, बात कर लूंगी उनसे मैं, ये देखो! मेरे बेटे की
फोटो…बहुत अच्छा कमाता है ये, पाश कॉलोनी में हमारा एच आई जी फ्लैट है, तुम्हें कोई परेशानी न होगी।
जी आंटी..पूर्वी ने शरमा के आँखें झुका लीं और शालिनी उसकी इस अदा पर फिदा हो गई, कितनी शर्मीली
है ये।
शालिनी के जाने के बाद, पूर्वी, नीलम से लिपट गई।
क्या हुआ पगली! लगता है काम बन गया तेरा..वो हंसी।
शीशे में उतार लिया मैंने तुम्हारी स्मार्ट शालिनी आंटी को, अब एक बार उनका बेटा और मिल ले , उसे भी
दीवाना बना ही लूंगी अपना।
तेरी तो तकदीर खुल गई पूर्वी! नीलम बोली।ससुराल के नाम पर बस एक मां हैं वो भी इतनी स्मार्ट और प्यार
करने वाली।
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देखती जा अभी आगे आगे…पूर्वी ने नीलम को आंख मारी..तू तो जानती है कि मुझे शुरू से अकेले रहने की ही
आदत पड़ चुकी है।
यानि??तू शादी के बाद राज को उसकी मां से अलग कर देगी? लेकिन उसकी क्या जरूरत है? बेचारी अकेली
वो ही तो हैं और मां कह रही थीं कि दोनो मां बेटे में बहुत अच्छी ट्यूनिंग है।
वो शादी के पहले की बात है न, बाद में क्या होगा, कौन जाने? पूर्वी बेशर्मी से हंसी।
तू भी कमाल है..नीलम आश्चर्य से बोली, अभी रिश्ता तय हुआ नहीं और तू अलग करने की बात सोचने
लगी।
तू पूर्वी को जानती नहीं…वो जो कहती है उस कर के भी दिखाती है, पूर्वी घमंड से बोली।
बहुत जल्दी पूर्वी की शादी राज से हो गई।उसने देख लिया था कि राज अपनी मां को कुछ ज्यादा ही प्यार
करता था और ये बात पूर्वी के गुस्से को भड़काती जा रही थी।उसे शालिनी से नफरत होने लगी थी लेकिन वो
राज के सामने जाहिर ये ही करती जैसे वो शालिनी को बहुत प्यार करती है।
शालिनी भी उसके व्यवहार में कभी कोई कमी नहीं निकाल पाई थी, उसे खुशी होती कि उसका निर्णय ठीक
रहा, अपने बेटे के लिए वो एक अच्छी बहू ला पाई थी।
समय बीता, शालिनी चाहती कि जल्दी ही पूर्वी उसका प्रमोशन कर दे और उसे दादी बनाए, बस वो जल्दी
सब कुछ सौंप कर तीर्थ पर जाए कुछ समय।
एक बार आखिर शालिनी ने अपने दिल की बात राज और पूर्वी के सामने रख ही दी…
मुझे दादी कब बना रहे हो तुम दोनो?शालिनी ने कहा तो राज मुस्करा के पूर्वी को देखने लगा।
पूर्वी थोड़ा चिढ़ गई थी मन में पर ऊपर से मुस्कराते हुए शालिनी की तरफ देखा जैसे शर्मा गई हो और वहां से
चली गई।
वो कमरे में आते ही बड़बड़ाई …हर समय जोंक सी चिपकी रहती हैं चाहे घूमने जाओ या काम से मार्केट
जाओ,पिक्चर देखने जाओ या चाट खाने…इस उम्र में भी सब चीजों का चस्का पूरा है…कभी अकेले छोड़ोगी
तभी दादी बना पाऊंगी न…।
तभी राज पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में ले लेता है…चलो!मां की इच्छा पूरी कर देते हैं।
धत!उसने झूठे प्यार से राज को परे धकेला…
सुनो राज!हम हनीमून पर कब चलेंगे?
ओह!मैडम को हनीमून पर चलना है…राज उसे चूमते हुए बोला,यहां कौन सी कसर छोड़ी है हमने , फिर वो
गंभीर होते बोला, घर छोड़ कर कैसे चलेंगे डार्लिंग ! तुम जानती हो कि मैं मां को इतने दिन अकेले नहीं छोड़
सकता…
आय एम सॉरी!
कोई बात नहीं…उससे तो पूर्वी ने कह दिया पर मन में उसे भी गाली दी…मां का चमचा! शादी ही क्यों की थी
जब मां का पल्लू ही नहीं छोड़ना था कभी।
राज समझता कि उसकी पूर्वी कितनी समझदार है,उसका प्यार और विश्वास अपनी बीबी के लिए बढ़ता ही
जा रहा था।
एक दिन वो दोनो रोमांटिक मूड में घर की छत पर घूम रहे थे कि शालिनी जी ने अचानक आकर बताया कि
उनके सिर में बहुत भयंकर दर्द है,कोई मेडिसिन दे दो।
राज ने झट पूर्वी को खुद से दूर किया और अपनी मां का सिर सहलाने लगा।वो संभाल के मां को हाथ पकड़
कर जीने से नीचे उतार रहा था कि पूर्वी जो सास के ऐसे अचानक आ जाने से बौखला गई थी,सारा रोमांस
चौपट कर दिया इन्होंने…मर रही थीं क्या दर्द के बारे जो जब चाहा बीच में घुस आती हैं!!
उसने शालिनी की चप्पल पर पीछे पैर रख दिया जैसे गलती से हुआ हो लेकिन शालिनी का संतुलन बिगड़ा
और वो राज के हाथ से छुट कर सीढ़ियों पर लुढ़कती चली गई।
मां!राज चिल्लाया,साथ ही पूर्वी भी घबराती हुई दौड़ी और शालिनी को संभालने लगे,उसके कूल्हे की हड्डी टूट
गई थी शायद।
तीन महीने बेड पर रहना था अब।पूर्वी ने रोते हुए कहा कि वो मां की सेवा सुश्रुषा करेगी,हालांकि राज और
शालिनी चाहते थे कि कोई अटेंडेंट बाहर से बुलवा लें पर वो न मानी।
इसी बीच,राज को पंद्रह दिन,ऑफिस के काम से बाहर जाना पड़ा।जाना तो नहीं चाहता था वो लेकिन मां
और पत्नी दोनो के समझाने पर जाने को राजी हो गया क्योंकि नौकरी की बात थी।
पूर्वी ने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए थे।असहाय शालिनी को इस कदर डरा रखा था कि राज से
कुछ नहीं बताना है इस बारे में…वो शालिनी को खाने तक को तरसाने लगी,उसकी बात न सुनती और उल्टा
सीधा बोलती।
तू मेरे साथ क्यों ऐसा कर रही है बेटी?शालिनी अवाक होकर पूछती,बीमारी ने वैसे ही उनकी हिम्मत तोड़ दी
थी और अब पूर्वी का ऐसा व्यवहार..उन्हें अंदर तक हिला रहा था।
राज जैसे ही आया,पूर्वी ने पूरे त्रिया चरित्र से उसे अपने आंसुओं में उलझा लिया…शालिनी की ऐसी
खतरनाक तस्वीर उसके सामने रखी कि वो सब सच मानने को मजबूर हो गया।
मैं एक बार मां से बात करता हूं प्लीज!मां कभी ऐसी नहीं थीं…वो बोला,आय एम सॉरी!तुम्हें इतना कुछ सहना
पड़ रहा है डार्लिंग!
तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी बर्दाश्त कर लूंगी,तुम प्लीज मां से कुछ मत पूछना या कहना,वो वैसे ही दुखी और
टूटी हुई हैं…पूर्वी ने मक्कारी से कहा।
राज ने खुद नोटिस किया कि पूर्वी जैसा कह रही थी,ठीक वैसा ही हो रहा था,उसे बहुत धक्का लगा कि मां को
अचानक क्या हो गया?
मां का कहना था कि तेरी बीबी नाटकबाज है,तेरे सामने भली बनती है,वैसे बहुत दुष्ट है,मैंने अब इसे पहचाना
है।
सौभाग्यवती बनी रहो – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi
बेचारा त्रिशंकु की तरह मां और पत्नी की बातों में फंस चुका था,पूर्वी पर शक करने का कोई प्रश्न न था, मां की
बीमारी,उम्र,अकेलेपन की वजह से सारे संदेह मां को ही दोषी बना रहे थे।
कुछ दिन बाद,राज अपने ऑफिस गया तो सारे इंतजाम करके गया था वो चुपचाप और उसकी सांसे अटक
गई जब उसने मां के कमरे में पूर्वी और मां की बातचीत देखी और सुनी अपने ऑफिस से।
मां पूर्वी के आगे गिड़गिड़ा रही थी कि उसे वॉशरूम जाना है,जरा सहारा देके ले जाओ।
पूर्वी अपनी कुर्सी पर जमी हुई थी बेशर्मी से.. मैं आपकी नौकर नहीं हूं..चुपचाप पड़ी रहो।
अब राज आ गया है, मैं उसे बता दूंगी तुम क्या कर रही हो मेरे साथ…वो गुस्से से बोली।
कोशिश भी नहीं करना आप…वो पूरी तरह मेरे प्यार के गिरफ्त में है और जल्दी ही आपको यहां से ओल्ड एज
होम भिजवा के ही दम लूंगी मैं…हर समय कबाब में हड्डी बनी रहती हैं।
कितनी गलत थी मैं?शालिनी रोने लगी…तुझे क्या समझा था और क्या निकली?
अब समझ आ गया न…चुपचाप पड़ी रहो।पूर्वी चीखते हुए बोली।
तभी राज धड़धड़ाते हुए कमरे में आया और पूर्वी के सामने डाइवोर्स पेपर रख दिए…साइन करो यहां!
राज!ये सब क्या है?तुम जल्दबाजी कर रहे हो..वो सहम गई थी कि इसे क्या हुआ?
शक तो मुझे पहले ही था तुम पर…लेकिन अब प्रूफ भी है,मेरी मां को बदनाम करेगी,मुझे अलग करेगी
उनसे?इतनी नफरत उस औरत से जिसने तेरे में न जाने क्या देखा जो अपना बेटा,घर बार सब सौंप दिया
और तुमने क्या किया उनके साथ!!छी!!घिन आती है मुझे कि तुम मेरे साथ रही इतने समय।
पूर्वी चुप थी,जान गई थी कि उसका खेल खत्म हो गया है,ये नहीं मानेगा अब..नफरत की जो दीवार उसने खड़ी
की थी अपनी सास के लिए वो अब उसके पति राज और उसके बीच में बन चुकी थी जिसे तोड़ना नामुमकिन
था क्योंकि उसने गलती नहीं गुनाह किया था जिसकी कोई माफी नहीं थी शायद अब।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली
#नफरत की दीवार