ये कहानी शुरू होती है एक ऐसे शहर से, नाम कुछ भी रख सकते है, कुछ भी, वैसे भी गुजरात मध्यप्रदेश से टच शहर, चलिऐ, दहोद रख देते, है!
ये शहर पलता है मध्यप्रदेश के नागरिकों से, भला सोचो वो कैसे, ज्यादा सोचिए मत, मध्यप्रदेश के सीमा पर बसा गुजरात का पहला शहर, जहाँ मकान तो कम है, हास्पिटल ज्यादा है!
यू कह लिजीए, जिन्दगी का शहर, जिस जगह ये शहर बसा है,
वहाँ से मध्यप्रदेश का वो प्रांत जुड़ा है जहाँ के सारे मरीज इसी शहर में आते हैं!
हर तरह का इलाज यहाँ संभव है, ऐसा मानना है, झाबुआ/अलीराजपुर, जैसे जिले मे बसे लोगों का,
और एक बात तो जरूरी है बताना “
ये, वही जिले है जहाँ आदिवासी जनजाति निवास करती है!
जो पहले से अब शिक्षित है!
पर आज भी सोच नही बदली है! वैसे इन शहरो मे खाने के शौकीन काफी है!
समय चक्र को कौन रोक सकता है!
सुबह से थम थम कर बरिश हो रही थी!
अन्नू का मन बेलगाम घोड़े सा इधर उधर भाग रहा था!
उसे काम पर जाना था, काम मतलब झाड़ू पोछा, बर्तन,
उसकी माई ने चार जगह उसके लिए बडे घरो में काम ढूंढ रखा था!,
मतलब उसकी कमाई महिने की बारह हजार “
चार भाई बहनों में अन्नू सबसे बडी, घर की कमाऊ बेटी, तो घर मे उसकी ठसक सबसे ज्यादा “
उसकी माई जानती थी की अन्नू पढना चाहती है पर, परिस्थितियों से ऐसा कुछ जोड़ तोड़ था, की चाहते हुए भी वो कुछ नहीं कर पा रही थी!
अन्नू का बापू भी, बडा वाला पियक्कड था!
अगर उसे पैसे मिल जाऐ, तो रातभर छककर पीये,
और अन्नू की अनपढ माई को भी पिलाऐ “”
वैसे अन्नू की माई सूम्मी रोज नही पीती थी, पर कभी कभी मौका मिलता तो छोडती भी नहीं!
सूम्मी वैसे गोरी चिट्टी पांच , चार हाईट, दिखने में खूबसूरत, देखने से लगता नही चार बच्चों की माँ है”
सच पूछिए तो, माँ बेटी की कमाई से ही घर चलता है!
वैसे इस क्षेत्र में बेटियों का जन्म बडा शुभ माना जाता है “
तीन बेटियों की माँ थी सुम्मी “
जब तक बेटियां उसके साथ है तब तक कमाकर खिलाऐगी “
जब ससुराल जाऐगी, तब एकमुश्त धन देकर जाऐगी “
आप चौंक गये न””
कैसे भला “
प्रथा है, हा जी “
आगे पढते रहिऐ, सब समझ में आ जायेगा “
चौथे बच्चे के रूप में जन्म हुआ बेटे का ” सुम्मी भी खुश उसका पति, बेटियां धन देगी, बेटा बुढापा संवारेगा,
समय बडा बलवान ,अन्नू बढने लगी, पहले उसका शरीर कमजोर दुबला पतला, था!
पर अब सोलहवा लगते लगते भरापूरा हो गया!
उसके जिम का नाप तौल सबसे पहले आकां उसके सेठ के बेटे ने ” जो कुछ मनचलों की गिनती में आता था!
वैसे वो शादी शुदा था, और एक बच्चे का बाप था!
फिर भी वो अन्नू के लिए कुछ भी करने को तैयार “
मंहगे कपड़े, मंहगा मेकअप ,
आभा सब समझती थी, और कभी अन्नू और संजय को घर में अकेला न छोडती, वो समझती थी, एक लडकी की इज्जत “
समाज जीने नही देगा ” अक्सर आभा बीमार रहती थी!
और अन्नू उसका ख्याल भी रखती थी!
पर उसे अच्छे बुरे का भान न था!
वो संजय की नजरों को समझ न पाती!
वैसे जिस छोटे से शहर में ये सब रहते थे “
वहाँ ढंग की कामवाली मिलना मुश्किल था!
अन्नू इमानदार थी! और अच्छे से काम भी जानती थी!
उसको काम से हटाने का जोखिम आभा नही उठाना चाहती थी!
एक शाम बरिश तेज थी!
अन्नू घर न जा पायी, आभा जी बीमारी के चलते गोली खाकर सो गयी थी!
उनका बेटा अन्नू के पास था!
वो अन्नू की गोद में ही सो गया था!
रात को एक बजने वाले थे!
अन्नू की आंखों में नीदं नाच रही थी “
नन्हा बच्चा कमल गहरी नींद में था!
अन्नू कमल को गोद मे उठा, मालकिन के कमरे की ओर बढ गयी!
क्रमश; रीमा ठाकुर “