दहलीज पार करा दो-  भाग-2 – रीमा ठाकुर

अन्नू दरवाजे तक पहुंची ही थी की आभा की धीमी सी आवाज सुनायीं दी”

संजय प्लीज गोलियों का असर है, नींद आ रही है सोने दो! 

ये रोज रोज के नखरे मेरी समझ से बाहर है, दुनिया में और भी औरते है तुम कोई अकेली नही हो, 

संजय ने शायद आभा को झिडक दिया था! 

फिर दरवाजे के पास आकर, दरवाजा तेजी से खोला, 

सामने ही कमल को गोद में उठाऐ, अन्नू खडी थी! 

संजय सकपका गया!!! 

अन्नू तम यहाँ इतनी रात को, 

कमल, बाबा को मालकिन को देने आयी “

अच्छा मुझे दो, 

संजय ने कमल को अपनी गोद में ले लिया, कमल को लेते समय उसका हाथ, अन्नू के जिस्म का नाप तौल कर गया! 

अन्नू को पहली बार एक पुरूष का छूना, 

कुछ अलग अहसास दे गया “

वो संजय को रूम में जाते देखती रही’

संजय कुछ देर बाद वापस आ गया! 

अन्नू अभी भी वही खडी थी! 

आज संजय उसे अच्छा लग रहा था! 

अभी तुम यही खडी हो गयी नही ” संजय बोला “

आपसे कुछ बात करनी थी साहब,,  अन्नू ने झिझकते हुए पूछा, 

संजय, हाँ बोलो, 

अन्नू, बाई बोल रही थी, की कुछ पिसे चाहिए, 

संजय चौका “””क्यूँ,  अभी पिछले हप्ते तो दिऐ थे! 

वो छोरे वाले, मुझे देखने आने वाले है, शर्माते हुए अन्नू बोली, 

संजय ने ऊपर से नीचे तक उसे देखा’

कितने बरस की है तू” संजय ने पूछा “

अन्नू, मुझे तो नही पता, पर बाई बोले है, सोलह की हूँ “

अच्छा, नजदीक आकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया संजय ने, 

कुछ प्रतिरोध न किया अन्नू ने “

अन्नू तू तो बहुत “””

भडक से दरवाजा खुला,  सामने आभा खडी गुस्से से थरथर कांप रही थी! 

यही सब करने के लिए तो कमरे से बाहर आये, हो””

अंदर चलो, घूरते हुए बोली आभा “

संजय सकपका गया! 

और चुपचाप कमरे में वापस  चला गया! 

और तू खडी खडी क्या देख रही है ” तुझमें दिमाग है की नही “

वो आदमी तेरे साथ क्या करने वाला था! 




तुझे पता है! 

अन्नू “”” नही 

मासूमियत से बोली अन्नू’

आभा “” जा अब सो जा ” अंदर से कुंडी लगाकर  सोना आभा बोली, 

अन्नू अंदर जाकर सो गयी! 

आभा अंदर कमरे में आयी, संजय आंख बंदकर सोने का नाटक कर रहा था! 

आभा ये जानती थी “

आभा पंलग के एक साइड में सो गयी “

नींद उसकी आँखों से कोशो दूर थी! 

संजय की बंद आंखों में अन्नू का जिस्म तैर रहा था! 

फिर कब किसको नीदं लगी, कोई जान न पाया “

सुबह आभा की आंख दूथवाले की आवाज से खुली “

वो उठी, संजय पंलग पर न था! 

उसके होश उड गये! 

वो भागकर अन्नू सोयी थी उस कमरे के पास पहुंची ” अदर से कमरा बंद था! 

उसकी सांसे रूक गयी! 

वो स्टूल खीच कर लायी और ऊपर चढकर झरोखे से झांकने की कोशिश “

अंदर अन्नू अकेली मदहोश सोयी थी! 

उसके शरीर के कुछ अंग खुले थे ” जिसके अंदर का  गोरा चिट्टा जिस्म साफ दिखाई दे रहा था! 

आभा की जान में जान आयी! 

वो स्टूल से उतरकर, दूध लेने गेट पर आ गयी! 

संजय सामने से आता नजर आ गया, वो  शायद बाहर घूमने गया था! 

वो नजदीक आ गया! 

संजय अरे उठ गयी आप”

आभा कुछ न बोली, दूध की थैली लेकर अंदर चली गयी! 

जाते जाते उसने महसूस किया, की संजय की नजर अन्नू सोयी थी, उस कमरे की ओर थी! 

अन्नू,,,,,

आभा जोर से चीखी,  अभी तक उठी नही ” उठ और अपने घर जा “

अन्नू आंखे मसलते बाहर आ गयी! 

क्या हुआ मालकिन ” 

आभा    “”””जा घर जा बारिश बंद हो गयी है! 

अपनी माँ को आज से काम पर , भेजना”

क्यूँ, मालकिन, मै” कर लूंगी “

तू जा बस, आभा तैश मे बोली “

ये मालकिन को अचानक क्या हो गया, हतप्रभ रह गयी अन्नू “

अन्नू बिना कुछ बोले अपने घर की ओर बढ गयी! 

अरे, बिटिया तू आ गयी,, माँ ने पूछा “

हा, वो मालकिन पगला गयी है! काम से निकाल दिया! 

क्या,, तूने कुछ किया होगा, आभा मालकिन ऐसी नही है! 

हा तो जा बाई, आज से तुझे काम पर बुलाया है! 

मुझे तो भगा दिया, नौरी “”” चाय भी नही पूछा “”

बिटिया तूने चोरी वोरी तो नही की “

अन्नू,   हा उस महारानी के घर डाका डाला, है! 

बाई ला चाय बनाकर दे, सुबह से वैसे भी मगज खराब कर दिया, 

अब वो बुलाऐ तब भी उसके घर न जाऊँ “

ऐसे कैसे काम छोड देगी ” अन्नू की माई बोली”

क्रमश;

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