आज शहर के जाने माने उद्योग पति मि.नरेश खन्ना का बंगला ” आशियाना ” की सजावट एक अनोखी भव्यता दे रही थी । मि.खन्ना और उनकी पत्नी चारूलता दोनों ही एक गर्वीला व्यक्तित्व था इस शहर में । चारूलता जिस कार्यक्रम में होती अन्य महिलायें उनको ईष्या की नजर से देखती क्योंकि वह अपने सामने किसी को भी महत्व नहीं देती थी । आज उनके इकलौते बेटे प्रखर की शादी का स्वागत समारोह था । बाहर से सजावट करने वाले बुलाये गये थे । फाइव स्टार होटल के शैफों की देख रेख में दावत का इन्तजाम हो रहा था ।
शाम ढल चुकी थी रात्रि का अधेंरा होने लगा मेहमानों का आना शुरू होगया । उसी समय हलचल हुई कि दुल्हन आगयी । परी जैसी दुल्हन उसका नाम था डा. पंखुरी साथ में प्रखर । दोनों की जोड़ी पर अतिथियों की निगाह ही नहीं ठहर रही थी । सब महिलायें चारूलता से कह रही थी कि बहुत भाग्य शाली हो कि पंखुरी जैसी बहू मिली है सुन्दरता के साथ शहर की मशहूर स्त्री रोग विशेषज्ञ । चारूलता बोली कि वह भी बहुत भाग्यशाली है कि उसे मुझ जैसी सास मिली है।
आज पंखुरी को यहाँ आये दूसर दिन था वह शादी से पहले भी एक दो बार आई तब उसने महसूस किया कि ऊपर के कमरे की खिड़की से दो दयनीय आँखें उसे बहुत प्यार से निहारती हैं । आज सुबह इस घर की सबसे पुरानी काम वाली शान्ता से पूछा पहले तो वह चुप रही फिर बोली आप मेरा नाम किसी को मत बताइये वह प्रखर की दादी हैं मैडम की आज्ञा नहीं है कि वह उस कमरे से बाहर आयें उनका भोजन नाश्ता भी कमरे में जाता है । वह साहब और मैडम के स्तर के हिसाब से कहीं फिट नहीं होती । बस प्रखर बाबा उन्हें बहुत प्यार करते हैं पर मैडम के सामने वह बोल नहीं सकते । सब मेहमानों के लिये भोजन शुरू करने के लिये बोला जा रहा था पर पंखुरी किसी का बेसब्री से इन्तजार कर रही थी । उसी समय एक बुजुर्ग महिला को लेकर पंखुरी के मम्मी पापा का पंडाल में प्रवेश हुआ । पंखुरी और प्रखर दोनों के चेहरे खिल उठे पर मि.खन्ना और चारूलता के चेहरे पर क्रोध झलकने लगा । पंखुरी ने सबसे कहा कि ये दादी मां हैं शायद आप सब इनसे परिचित नहीं ये अस्वस्थ थी और मेरे अस्पताल में थी क्योंकि गांव में रहती हैं । इनके बिना ये दावत फीकी थी हम सब बहुत भाग्य शाली हैं क्योंकि दादी मां ही नहीं होती तो हम कहां होते । असली दावत का आनन्द तो अब दादी मां के साथ आयेगा । सब पंखुरी की तारीफ करने लगे । पंखुरी धीरे से चारुलता के पास गयी बोली मां मुझे माफ करो नाटक करना पड़ा क्योंकि प्रखर ने मुझे सब बता दिया था । आप बहुत भाग्यशाली हैं की दादी मां जैसी सास मिली ।आइये दावत का मजा लीजिये ।
स्व रचित अप्रकाशित
डा. मधु आंधीवाल