दास्तान इश्क़ की (भाग -8 )- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…

राधिका  पूजा में आदित्य के घर आती है वहाँ वो वीर प्रताप जी, रुपाली और राघव से मिलती है…राधिका आदित्य से गार्ड्स को हटाने के लिए कहती है …आदित्य तैयार हा जाता है

अब आगे……

रुपाली के कहने पर आदित्य राधिका की तरफ देखते हुए कमरे से बाहर निकल जाता है राधिका उसे देख कर मुस्कुरा रही थी 

“आओ आप बैठो यहाँ इन लोगो का तो काम ही है बस कुछ ना कुछ कहते रहना … मैं बात करूँगी आप मत रो और चेंज कर लो कुछ हल्का सा पहन लो…. आपका ही घर है “

रुपाली की बातों को सुनकर राधिका बैठ गयी

आदित्य कमरे से बाहर बड़बड़ाते हुए आ रहा था…” देखो कितना सीधी बन रही है??? और अभी मुझसे रिश्ता तोड़ने कि बात कर रही थी और अब देखो काकी से क्या बोल रही है मैं रहे डाँट रहा हूँ ” उसने पीछे मुड़ कर देखा तो किसी से टकरा गया..

ओ भाई… “क्या हुआ ?? राघव ने आदित्य को संभालते हुए कहा ..

कुछ नही….

कुछ तो… तुम तो भाभी से मिलने गए थे ना?

हाँ मिल लिया… आदित्य ने अपना मूहॅ बनाते हुए कहा

क्या हुआ??

चलो

ओहो !!  लगता है भाभी ने कुछ कह दिया . ???

कह दिया…. “अरे काकी से कहा कि मैं उनको डाँट रहा हूँ और काकी ने मुझे कमरे से बाहर निकाल दिया … “

“हाहाहा… तुम्हें कमरे से बाहर निकाल दिया…आदित्य को बाहर निकाल दिया बच के रहना आदि बाबू… कहीं घर से बाहर ना निकलवा दें … “

“चुप करो तुम…. वरना मैं कहीं तुमको ना बाहर निकाल दूँ “

राघव आदित्य की बात सुनकर चुप हो गया

चलो अब….

आदित्य और राघव दोनो जहाँ वीर प्रताप जी और देवेंद्र जी बैठे थे वहाँ आ गए

कुछ देर में नौकरों ने खाना लगा दिया… रुपाली राधिका का कपड़े चेंज करा कर खाने की टेबल पर ले आयी थी… उन्होंने राधिका को आदित्य के पास बिठा दिया

बाक़ी सब भी बैठ गए

नौकरों ने खाना परोसा…..”. आदित्य ने  राधिका का एक हाथ धीरे से अपने हाथों में ले लिया .”

.. राधिका ने उसकी तरफ देखा तो आदित्य मुस्कुराते हुए खाना खा रहा था…. लेकिन राधिका का हाथ आदित्य ने पकड़ रखा था…… वो कुछ खा नही रही थी

रुपाली ने देखा राधिका कुछ खा नही रही है.. उसने पूछा ” राधिका आप कुछ खा नहीं रहीं है…आपको कुछ और खाना है खाना पसंद नही आया आपको ?? “

जी ऐसी कोई बात नहीं है …. मैं खा रही हूँ “

कह कर उसने आदित्य की तरफ देखा जो मुस्कुराते हुए खाना खा रहा था

राधिका ने मन में सोचा कितने शरीफ़ बनते है और इनकी हरकतें देखो ….. अरे छोड़ें मेरा हाथ…. ये सबके सामने क्या कर रहें है प्लीज़ छोड़ दें मेरा हाथ वो मायूस हो कर आदित्य की तरफ देखने लगी..

उसने  अपने उलटे हाथ से चम्मच उठायी और खाने लगी… लेकिन वो ठीक से खा नहीं पा रही थी….. शीतल ने देखा राधिका कुछ परेशान हैं उसने पूछा – “क्या हुआ राधिका सब ठीक है”?

“हाँ माँ सब ठीक है “

तभी आदित्य ने उसका हाथ छोड़ दिया..

राधिका ने चैन की सांस ली और खाना खाने लगी….

सबने खाना खाया और बातें करने बैठ गए….शीतल ने रुपाली को बता दिया था कि राधिका अभी इस शादी का मानने के  लिए तैयार नही है …..रुपाली भी उनकी बात समझ रहीं थी….उन्होंने कहा ” आदित्य ने जैसे शादी की है कोई भी लड़की नही मानेगी.. हमें थोड़ा वक़्त देना होगा राधिका को “

वीर प्रताप जी ने देवेंद्र जी से कहा – ” आज आप यहीं रुक जाइए रात हो गये है इस वक़्त जाना ठीक नहीं है “

देवेंद्र जी बात को समझते थे तो उन्होंने रुकना ही ठीक समझा….

वीर प्रताप जी और रुपाली और राघव  वापस अपने घर चले गए

अब घर में सिर्फ आदित्य,देवेंद्र जी, शीतल और राधिका थे…

शीतल ने आदित्य को कहा – “कुंवर घर तो दिखाए राधिका को   “

आदित्य सबके साथ घर दिखाते हुए उदय ठाकुर के कमरे में पहुँचा…. उसने दरवाज़ा खोला सब अंदर गए तो देखा एक तरफ उदय जी और सावित्री जी की तस्वीर लगी हुयी थी

शीतल ने राधिका को बताया ये आदित्य के माता – पिता हैं

शीतल ने तस्वीर के आगे हाथ जोड़े

राधिका ने भी उनका तस्वीर के आगे हाथ जोड़े

देवेंद्र जी ने उदय प्रताप जी की फोटो को छू कर कहा…. आपके दिए वादे को आदित्य ने पूरा कर दिया देखिए आपकी बहू को लेकर आए है,. और उनकी आँखों में नमी आ गयी |

आदित्य ने देवेंद्र जी को पुकारा – ताऊजी

देवेंद्र जी पीछे घूमे तो आदित्य ने कहा ” चलिए आराम कीजिए आप सुबह से थक गए होंगे “

देवेंद्र जी ने अपनी आँखों को पोंछा और आदित्य के साथ कमरे से बाहर निकल आए..

शीतल और राधिका एक कमरे में, देवेंद्र जी अलग और आदित्य अपने कमरे में चले गए…

आधी रात को राधिका उठी उसने देखा पानी नही है… वो उठी और बाहर निकल कर किचन में पानी कहाँ है देखने लगी..

पानी लेकर जब राधिका अपने कमरे की तरफ जाने लगी तो उसने देखा उदय ठाकुर के कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ था और हल्की सी रोशनी आ रही थी  वो उस तरफ बढ़ गयी…उसने खुले हुए दरवाज़े को थोड़ा और खोला तो आदित्य सिर पीछे किए हुए आँखों को बंद किए हुए बैठा हुआ था…. राधिका ने देखा तो थोड़ा सा दरवाज़ा और खोला और अंदर की तरफ गयी….

उसने देखा आदित्य ने हाथ में कोई कपड़ा पकड़ा हुआ था और उसकी आँखों के कोने से आँसू बह रहे थे …..

राधिका उसे देख रही थी

आदित्य ने कमरे में किसी कि आहट को महसूस किया तो उसने अपनी  आँखों को खोला…. और देखा सामने राधिका खड़ी थी

राधिका को देख कर आदित्य ने कहा “आप यहाँ? “

हाँ वो मैं पानी लेने आयी थी तो कमरे कि लाइट जली देखी ..राधिका ने कहा.

आदित्य कुर्सी से उठा उसने हाथ में पकड़ा हुआ कपड़ा सामने वाली अलमारी में रखा उसे बंद किया और राधिका की तरफ देखते हुए बोला – आए बैठे

राधिका वहीं रखी हुयी कुर्सी पर बैठ गयी

आदित्य भी वहीं बैठ गया

कुछ देर की ख़ामोशी के बाद आदित्य ने कहा – माँ गयी थी तब पापा थे तो इतना महसूस नहीं होता था….हाँ माँ की कमी तो लगती ही थी….. लेकिन अब पापा नही है तो बहुत अकेला महसूस होता हैं…. राघव इसलिए अक्सर रुक जाता है आज आप सब हो तो घर में अच्छा लग रहा है… वरना तो बस नौकर मैं और राघव…. नौकर भी काम कर के चले जाते है… कभी राघव नही होता तो मैं यहाँ आ जाता हूँ….माँ पापा के कमरे में और उनको महसूस करता हूँ कि वो यहीं है

राधिका चुप हो कर उसकी बात सुन रही थी…आदित्य कि बातें सुनकर उसकी आँखों में भी नमी तैर गयी उसने बोला – यहीं हैं ऑन्टी, अंकल आपके साथ इसी घर में वो कहीं गए ही नही… जैसे मेरे पापा मेरे साथ है हमेशा कहते हुए वो आदित्य की तरफ देख कर हल्के से मुस्कुरा दी

आदित्य उठा और बोला – चलें

राधिका भी उठी और कमरे से बाहर आ गयी… आदित्य ने कमरे की लाइट बन्द की तो बाहर अंधेरा हो गया आदित्य ने राधिका का हाथ पकड़ा और किचन कि तरफ बढ़ गया

आदित्य ने किचन की धीमी वाली लाइट जलायी और राधिका को पानी देकर कह “.मैं कॉफी बनाऊँ पियेंगी आप “

इतनी रात में….

आदित्य ने कॉफी का पैन गैस पर रखते हुए कहा…. इस बहाने आप थोड़ी देर बैठेंगी मेरे साथ

राधिका ने कहा – मैं बना देती हूँ

आदित्य ने कहा-  “नहीं अभी वो आपकी रस्म होना बाक़ी है काकी ने बोला है आप पहले कुछ मीठा बनाएंगी तब आप किचन में कुछ कर सकती हैं “

राधिका पीछे हो गयी..

आदित्य ने कॉफी बनायी और एक कप राधिका को दिया

राधिका किचन के प्लेटफॉर्म पर टिक कर खड़ी हो गयी कप  दोनो हाथों से पकड़ कर एक सिप लिया

वैसे मैं कॉफी बहुत अच्छी बना लेता हूँ आदित्य ने कहा

और क्या – क्या बना लेते  है ??- राधिका ने थोड़ा शरारत भरे अंदाज़ में पूछा

आदित्य  उसकी तरफ बढ़ा उसने कप को किचन प्लेटफॉर्म पर रखा और अपने दोनो हाथों को राधिका के दोनो तरफ रखा ….राधिका उसके ऐसे पास आने से थोड़ा पीछे हो गयी

आदित्य ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखते हुए कहा….. आप मेरा टेस्ट लेना चाहती हैं? राधिका ने अपनी नज़रों को नीचे कर लिया ..

बोलें??

राधिका ने धीरे से कहा – नहीं

आदित्य थोड़ा और उसके नज़दीक गया उसने उसके गालों को उसके गालों से छुआ और उसके कान में बोला -आप सिखायेंगी हमे तो सीख लेंगे “

राधिका वैसे ही खड़ी रही उसको अजीब सी बेचैनी होने लगी

आदित्य पीछे हुआ तो देखा राधिका का फेस एक दम से लाल हो गया और उसकी नज़रें झुकी हुयी थी

आदित्य गुनगुनाता हुआ राधिका के पास खड़ा हो गया

“हो गया है तुझको तो प्यार सजना

लाख कर ले तू इंकार सजना

है ये प्यार सजना…. “

राधिका ने उसकी तरफ देखा और बिल्कुल वैसे ही जैसे आदित्य खड़ा हुआ था खड़ी हो गयी वो उसके तरफ झुकी तो आदित्य उसकी आखों में देखते हुए कहा – क्या कर रहीं हैं आप  ???

राधिका थोड़ा और झुकी दोनों की नज़रें मिली राधिका मुस्कुरायी और पीछे हो गयी उसने अपनी कॉफी ख़तम की कप रखा और भागती हुयी अपने कमरे में चली गयी तेज़ चलने लगी उसने मन में सोचा –  उफ्फ….मुझे लगा मेरी धड़कन रुक ही जायेगी

कितनी खतरनाक है ये… उसने सांस ली और कॉफी ख़तम करके वापिस अपने  कमरे में चला गया

सुबह सब जाने के लिए रेडी थे… वीर प्रताप जी रुपाली और राघव भी आ गए थे… राधिका को रुपाली ने गले से लगाया और कहा “इस घर को आपके आने का इंतज़ार रहेगा “

राधिका कुछ नही बोली

उसमे सबके पैर छुए और गाड़ी में बैठ गयी

राधिका कि गाड़ी के आगे और पीछे दो गाडियाँ और चल रह थी एक गाड़ी में भुवन और बाकी में गार्ड्स थे जो राधिक को छोड़ कर वापस आने वाले थे.. राधिका ने देख तो आदित्य उसे कहीं दिखायी नहीं दिया….उसे थोड़ा अजीब लगा… राघव ने उसके पास आ कर कहा जिसे आपकी नजरे ढूँढ रहीं हैं वो अपने कमरे में हैं

राधिका ने उसके हाथ जोड़े और गाड़ी आगे बढ़ गयी….

राघव आदित्य के कमरे में आया व उसने पूछा- क्यों नहीं आए तुम.. भाभी तुमको ढूंढ रहीं थी

आदित्य वैसे ही कुर्सी पर सा टिकाए हुए बोला- हम्म …

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा… फिर मिलूँगी नये भाग के साथ….

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -9)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहनी

अनु माथुर 

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