दास्तान इश्क़ की (अंतिम भाग )- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…..

आदित्य के कहने पर राघव और कावेरी कुलदेवी के दर्शन करने के लिए जाते हैं…. और सब कुछ प्यार के पल साथ में बिताते हैं….

अब आगे….

आदित्य अभी घर से काम कर रहा था… बाहर जब बहुत ज़रूरी होता था तभी जाता था….. सब ठीक से चल रहा था…

राधिका और कावेरी ने  अपनी पढ़ाई वापस से करनी शुरू कर दी थी….. किसी को कुछ काम होता तो आदित्य पूरी सुरक्षा के साथ उनको लेकर जाता था..

पुलिस कमिशनर ने आदित्य को इस बीच कई बार कहा कि वो उन पकड़े हुए लोगो की कोपम्प्लेंट करे…. लेकिन आदित्य ने मना कर दिया… ना ही आदित्य ने कंप्लेंट की और ना ही कुछ कहा उसने सबको छोड़ने के लिए बोल दिया…..

देवेंद्र जी और वीर प्रताप जी ने भी आदित्य से कहा कि वो कंप्लेंट करे ओम ठाकुर की… लेकिन आदित्य ने मना कर दिया …. किसी को नहीं पता था कि इतना सब हो जाने पर भी आदित्य चुप क्यों है…

ओम ठाकुर के घर में आकांशा और विक्रम अपनी इस जीत का जश्न मना रहे थे…..जब उनको पता चला कि आदित्य ने कुछ नहीं किया उनके खिलाफ़ तो  दोनो बहुत खुश थे….

विक्रम ने आकांशा से कहा – “बस उस राधिका को मार देते ना तो और भी खुशी होती “

“हाँ… लेकिन चलो कम से कम इतना तो किया कि वो सब बुरी तरह से डर गए … और है आदित्य ने तो कोई कम्प्लेंट भी नहीं की बल्कि  उसने  उन्हें छोड़ने के लिए बोल दिया” – आकांशा ने कहा

“बड़ा कुँवर बना घूमता है?? ” विक्रम ने ठहाका लगाते हुए कहा

“पत्ता भी नहीं हिलता इनको बताए बिना ऐसा पापा ने कहा

था  “- आकांशा हँसते हुए बोली

“पत्ता क्या  पूरा घर हिल गया आदित्य का छुप कर बैठ

गया “….”बस एक आखरी वार और फिर सब कुछ अपना हो जायेगा … आदित्य और उसका वंश सब ख़तम….. आकांशा तुम सोच भी नहीं सकती मैं कितना खुश हूँ “- विक्रम ने कहा

“हाँ..खुश तो हो लेकिन जब तक वो दोनो ख़तम नहीं हो जाते तब तक हमारी ये खुशी अधूरी है…. इसलिए अभी ज़्यादा खुश मत हो..” आकांशा ने कहा

“बहुत कुछ किया है ये सब पाने के लिए खुश तो होना बनता है  कहते हुए वो आकांशा के बहुत क़रीब आ गया लेकिन आकांशा ने उसे हाथ से पीछे कर दिया… “

विक्रम वापस अपनी जगह पर बैठते हुएर बोला  ” मैं तो बसे खुशी ज़ाहिर कर रहा था “

” बाद में कर लेना ये खुशी ज़ाहिर पहले पता करो कि वहाँ चल क्या रहा है….अपने दुश्मन को कभी भी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए ‘ आकांशा ने अपनी जगह से उठते हुए कहा

“कुछ नहीं चल रहा सब नोर्मल है आदित्य घर से काम कर रहा है.. बाक़ी और किसी ऐसी बात की ख़बर नहीं है -” विक्रम ने कहा

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुयी….और “बधाई हो मेरे यार कहते हुए दिनेश आ रहा था..”. विक्रम उसे देख कर खुश हो गया और आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया..

“कैसे हो? कब आए दिल्ली से? और अब तबियत कैसी है? “

“अरे बैठने तो दो सब बताता हूँ….”दिनेश ने आकांशा को देखा तो बोला – हैलो कैसी हो आप?

आकांशा दिनेश को पहले से ही जानती थी वो बोली – “ठीक हूँ आप कैसे है? “

“”बिल्कुल ठीक और ये खबर सुनकर तो और भी ठीक कि आदित्य को तुमने आख़िरकार मात दे ही दी…… लेकिन अफसोस वो देखने के लिए मैं यहाँ नहीं था “

“कोई बात नहीं अभी तो फाइनल बाक़ी है..”.. कहते हुए विक्रम हँसने लगा

“तुम बताओ कैसे हो? “

“सब ठीक है और तुम सब? “- दिनेश ने कहा

“सब बढ़िया ही है और आगे भी बढ़िया ही रहेगा ” विक्रम ने कहा

“राधिका का खेल तो उसी दिन ख़तम हो जाता अगर वो बेवकूफ लडकी ना पकड़ी जाती…” दिनेश ने कहा

“अरे छोड़ो अब जो हो गया सो हो गया….. तुम अब साथ हो तो ये काम हम मिलकर करेंगे अब “- विक्रम ने दिनेश के हाथ पर हाथ रखते हुए कहा… दिनेश ने हाँ मे सिर हिलाया… थोड़ी देर बैठ कर दिनेश चला गया ..

एक महीने बाद ….सुबह का वक़्त  …..ओम ठाकुर, विक्रम और आकांशा बैठ कर नाश्ता कर रहे थे… तभी कांता प्रसाद जी और रेखा दोनो  आए… उनको देख कर आकांशा खुश होते हुए बोली – पापा आप इतनी सुबह मुझे कह देते मैं आ जाती ….

ओम ठाकुर ने कहा  “आइये बैठिए और हमारे साथ नाश्ता कीजिए “

कांता प्रसाद जी कुछ नहीं बोले —

“क्या हुआ आप परेशान लग रहे हैं?” ओम ठाकुर ने पूछा

सब कांता प्रसाद जी की तरफ देखने लगे….

कांता प्रसाद जी ने एक  पेपर  आकांशा की तरफ बढ़ाया…. आकांशा ने वो पेपर अपने हाथ में लेते हुए कहा –

” ये क्या है “???और पढ़ने लगी….. वो जैसे – जैसे पेपर  को पढ़ रही थी उसके चेहरे पर गुस्सा आ रहा था…

पेपर पढ़ने के बाद वो तेज़ से बोली -“उसकी इतनी हिम्मत…. ‘

क्या हुआ विक्रम ने पूछा तभी दरवाजे पर दस्तक हुयी और एक आदमी विक्रम को एक पेपर दे कर चला गया.. विक्रम ने पेपर पढ़ा तो उसे भी गुस्सा आ गया … उसने अपना हाथ टेबल पर दे कर मारा…

“कोई बतायेगा कि क्या हुआ है और ये पेपर”?? ओम ठाकुर ने पूछा

“पापा आदित्य ने हमारा और अंकल का  सब कुछ खरीद लिया है ये नोटिस है हमें ये सारी प्रोपर्टी खाली करनी है दो दिन में? “

क्या? ???ओम ठाकुर ने हैरानी से पूछा

कांता प्रसाद जी अपना सिर पकड़ कर बैठ गए…..

‘आदि ये नहीं कर सकता वो कैसे सब खरीद सकता है जबकि….. “आकांशा कहते – कहते रुक गयी…..

“विक्रम और आप सब चलें मेरे साथ ये हो ही नहीं सकता…”

आकांशा तेज़ कदमों से चलती हुयी बाहर आयी और गाड़ी में बैठ गयी… बाक़ी सब भी गाड़ी में बैठ गये और आदित्य के घर की तरफ चल दिए…..

कुछ देर में वो सब  आदित्य के घर पहुँच गए …. आकांशा गाड़ी से उतरी… वो अंदर जाने लगी तो वॉचमैन ने उसे रोकते हुए कहा – “मैम आप ऐसे अंदर नहीं जा सकतीं … ‘

आकांशा बहुत गुस्से में थी… उसने वॉचमैन की तरफ देखा और उसके ज़ोर का थप्पड़ लगा कर बोली – “औकात देखकर बात किया करो समझे “

वॉचमैन ने कहा – “मैम बिना परमिशन आप अंदर नहीं जा सकती…  आप अपना नाम बताएं मैं पूछ कर बताता हूँ… “

तब तक विक्रम और बाक़ी सब भी गाड़ी से उतर कर आ गए

“क्या हुआ??”विक्रम ने पूछा

वॉचमैन  ने फिर वही कहा – “आप  बिना परमिशन के अंदर नहीं जा सकते.. “

“विक्रम  ठाकुर ‘नाम है…. बता दो

वॉचमैन ने भुवन को फोन किया – ” सर विक्रम ठाकुर आए हैं …. “

भुवन ने कहा -” ठीक है भेज दो…. “

वॉचमैन ने विक्रम को अंदर जाने के लिए बोला … सब अंदर चले गए

आकांशा ने जैसे ही घर के दरवाज़े पर कदम रखा वो ज़ोर से चिल्लायी….. “आदित्य ठाकुर बाहर आओ .”…. सारे नौकर काम करते – करते रुक गए सबने दरवाज़े की तरफ देखा….

राधिका और लाजो किचन में थी उन्होंने आवाज़ सुनी तो एक दूसरे की तरफ देखने लगीं……

आकांशा ने फिर पुकारा -” आदित्य ठाकुर”

राधिका ने लाजो से कहा -” कौन है जो कुँवर को नाम से पुकार रहा है चलो देखें ज़रा..”.. लाजो के साथ राधिका बाहर आ गयी…

तभी वीर प्रताप जी , राघव , रुपाली और कावेरी भी आ गए….. राधिका ने उनको देखा तो उनके पास गये…..

राधिका ने पूछा -” आप सब सुबह – सुबह क्या हुआ है??

राघव ने आकांशा और बाक़ी सब को देखा तो उसे समझ नहीं आया कि ये सब लोग यहाँ क्या कर रहे है….

भुवन भी आ गया था…. राघव को आदित्य कहीं नहीं दिखा तो उसने भुवन से पूछा -” ये सब क्या हो रहा है और तुमने फोन करके इतनी सुबह क्यों बुलाया…. “?

भुवन ने कहा – “आपको सब पता चल जायेगा आप बैठिए…” राघव और बाक़ी सब बैठ गए.

कावेरी राधिका के पास जा कर खड़ी हो गयी..

आकांशा का गुस्सा सातवें आसमान पर था  उसने फिर पुकारा – “आदित्य ठाकुर बाहर आओ “

आदित्य अपने शर्ट की बाजू को फोल्ड करता हुआ चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लिए कमरे से बाहर आ रहा था…

आकांशा ने उसे देखा तो चिल्लाकर बोली-” ये क्या तमाशा है… आदि “?

आदित्य बिल्कुल शांत चेहरे पर मुस्कान लिए सोफे पर जा कर बैठ गया और आकांशा को बैठने का इशारा किया…

आकांशा आगे आयी उसके हाथ में जो पेपर्स थे उसने वो आदित्य की तरफ उछालते हुए कहा – “ये नहीं हो सकता कभी नहीं…. “

आदित्य ने उसकी तरफ देखा उसकी तीखी नज़रे जब आकांशा की नज़रों से टकराई तो आकांशा एक पल को डर गयी और एक कदम पीछे हुयी तो गिरने लगी…. उसे विक्रम ने संभाल लिया

आदित्य ने कहा –  “संभल कर…. अभी गिर जाती तुम और तुम्हें अपने बच्चे का तो खयाल करना चाहिए ना? “

“आदित्य ये सब क्या है? “उसने तेज़ से पूछा

“क्या है “? आदित्य ने कहा

आकांशा फिर बोली – “तुम्हें सब पता है”

“क्या पता है? ” आदित्य ने कहा

“आदित्य …”उसने ज़ोर  से पुकारा

“जब तुम बताओगी नहीं तो मुझे क्या पता है मुझे कैसे पता चलेगा “? आदित्य ने शांत होकर जवाब दिया

“इन पेपर्स का क्या मतलब है? “आकांशा ने पूछा

“वहीं जो इसमें लिखा है….. ” आदित्य ने कहा

“ऐसा नहीं हो सकता कभी नहीं ” आकांशा ने तेज़ से कहा

“क्यों नहीं हो सकता? ” आदित्य ने पूछा

“क्योंकि पापा ने कभी कुछ बेचा ही नहीं था तो तुम ख़रीद कैसे सकते हो बताओ मुझे “? आकांशा एक सांस में बोल गयी

सब इस बात को सुनकर हैरान हो गए

“लेकिन यहाँ से बीस गाँव दूर तक तक तो सबको ये ही पता है कि कांता प्रसाद जी ने अपनी सारी ज़मीन बेच दी थी और london चले गए थी… तो मैं ख़रीद क्यों नहीं सकता? ” आदित्य ने कहा

“वो मुझे नहीं पता बस…. ये गलत है.. धोख़ा है ” – आकांशा ने कहा

“अंकल ने बची मैंने खरीदी इसमें गलत या धोखे वाली बात कहाँ से आ गयी? ” आदित्य ने पूछा

“आदित्य…”.. आकांशा फिर ज़ोर से बोली

आदित्य बस मुस्कुरा रहा था….. और उसे देख रहा था….. आकांशा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया…. विक्रम ने आदित्य से कहा – ” धोखेबाज़ हो तुम हम तुम्हें जालसज़ी और धोखाधड़ी के केस में अंदर करवा देंगे… “

“कैसे..??”ज़रा मैं भी तो सुनूँ…” आदित्य ने कहा

“क्योंकि कुछ बिका ही नही तो कोई खरीदेगा कैसे? ” विक्रम ने कहा

“विक्रम तुम कितने सीधे हो… अरे छोटे से बच्चे को भी पता होता है किकि जब कोई चीज़ बेच दी जाती है तो उसे फिर कोई भी खरीद सकता है , तो मैंने खरीदी ली ” आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा

“आदित्य ये क्या मज़ाक है??सारे पेपर्स सुरक्षित हैं… जिसमें सारी प्रोपर्टी मेरी है , तो फिर तुम्हारी कैसे हो गयी “?? – कांता प्रसाद जी ने पूछा

“लेकिन वो घर जिसमें आप अभी रहते  हैं… उसके अलावा आपने सब बेच दिया था याद नहीं आपको “??? – आदित्य ने कहा

“अगर ऐसा है तो दिखाओ पेपर्स .”.. इस बार ओम ठाकुर ने कहा

आदित्य ने पुकारा -” वकील साहब अंदर आ जाइए …. और इन्हें ज़रा पेपर्स दिखाइए “

वकील साहब अंदर आए और उन्होंने पेपर्स ओम ठाकुर को दिखाए और कांता प्रसाद जी को दिखाए

दोनों ने पेपर्स देखे तो उनके होश उड़ गए…. उनकी सारी प्रोपर्टी आदित्य की हो चुकी थी और उनके सिग्नेचर भी थे….

ओम ठाकुर और कांता प्रसाद जी दोनों एक दूसरे को देख रहे थे…

आकांशा ने आगे बढ़ कर पेपर्स देखे तो वो भी हैरान हो गयी उसने पेपर्स फाड़ करे फेकते हुए कहा –  ” धोखाधड़ी की है तुमने आदित्य … मैं तुम्हें इसकी सज़ा दिलवाउँगी… ये सब झूठ है …”

“तो सच क्या हैं आकांशा ??  इस बार आदित्य ज़ोर से बोला और अपनी जगह से उठ कर आकांशा के पास चला गया

“मैंने पूछा सच क्या है आकांशा ? “आदित्य ने आकांशा से फिर पूछा

इस बार विक्रम आकांशा की तरफ बढ़ा तो आदित्य ने उसे अपनी उंगली दिखा कर वहीं रोक दिया विक्रम वहीं रुक गया …

“क्या है सच बोलो..”. आदित्य ने चिल्लाते हुए कहा

“वो…. वो…. आकांशा हकला रही थी.. “

“तुम इस तरह मेरी पत्नी को डरा धमकट कर कुछ भी नहीं कहलवा नहीं सकते मैं पुलिस को बुलाता हूँ..”विक्रम ने आगे बढ़ते हुए कहा और आकांशा का साइड से पकड़ लिया…..

“उसका कष्ट तुम मत करो…. “कमिशनर साहब अंदर आ जाइए….”- आदित्य ने कहा

एक- एक करके सबको आता हुआ देख राघव और बाक़ी सब हैरान थे कि ये हो क्या रहा है… पहले वकील और अब कमिशनर साहब ???

कमिशनर साहब को देख कर… ओम ठाकुर और कांता प्रसाद के होश उड़ गए…

“हाँ तो क्या कहना चाहते हो पुलिस से” – आदित्य ने विक्रम से पूछा

विक्रम थोड़ा डर गया लेकिन फिर हिम्मत कर के बोला…. “कमिशनर साहब ये आदित्य ने हमारी सारी प्रोपर्टी खरीद ली जबकि हमने बची ही नहीं और ये मेरी पत्नी को डरा रहा है पकड़ लीजिए इसे… “

कमिशनर साहब ने पेपर्स माँगे तो वकील ने पेपर्स दिखाए…..” कमिशनर साहब ने पेपर्स देख कर कहा ये पेपर्स बिल्कुल असली है और ये सारी प्रोपर्टी ठाकुर साहब की है “

आदित्य मुस्कुराया और बोला –  और कुछ विक्रम?

“देखिए कमिशनर साहब मेरी पत्नी प्रेग्नेंट है और ये उसे डरा धमका रहा है सारे लोग गवाह है इस बात के….. आप इसको पकड़िए.. ” विक्रम ने कहा

आदित्य आकांशा के थोड़ा पास गया और बोला – तुम सच बताओगी या मैं बताऊँ ??

“कौन सा सच मुझे कोई सच नहीं पता “- आकांशा ने कहा

“कोई बात नही मैं बता देता हूँ…..  जिस दिन ओम ठाकुर पहली बार राधिका को ले गए थे…. उसी दिन मैं समझ गया था कि ये काम इनके अकेले के बस का नहीं है……. और मैंने ही इनको पुलिस से कह कर बाहर निकलवाया था पता करना था कि चल क्या रहा है???

“फिर दिनेश जब राधिका को ले गया तब भी मुझे शक़ हुआ .. शक़ दूर करने के लिए मैंने फिर केशव को नज़र रखने के लिए कहा…”.. केशव आ जाओ

केशव अंदर आया… उनसे राधिका और बाक़ी सबको हाथ जोड़ कर प्रणाम किया भुवन ने मन में कहा – “केशव इसे मैं कैसे भूल गया  और मुस्कुराने लगा “

“हाँ तो आगे बढ़ते है…. अब यहाँ से एंट्री हुयी कांता जी की…. ये अचनाक london से वापस आ गए…. क्योंकि ये london में थे ही नहीं….. “

अब हैरान होने की बारी खुद कांता प्रसाद जी की थी….. वो हैरानी से आदित्य की तरफ देखने लगे… कि उसे कैसे पता चला

“पापा से ये पता लगने के बाद कि मेरी शादी राधिका से ही होगी  ……..इन्होंने अपना प्लान बनाया….मुझसे बदला लेने के लिए…..ये मिल गए हमारे चाचा से और कई बार मुझ पर हमला करवाया……. वो तो हर बार हम बच गए…

इन्होंने अपनी इमेज खराब बनानी शुरू की और ये दिखाया कि ये दिवालिया हो गए और अब कुछ भी नहीं है इनके पास…

इन्होंने जो प्रोपर्टी बची वो सब नकली थी…

फिर ये अपने बहुत पुराने दोस्त के घर छुप कर रह रहे थे …. ये गए ज़रूर थे london लेकिन सिर्फ 15 दिनों के लिए घूमने…..वहाँ कोई आकांशा की शादी नही हुयी ….वहाँ से वापस आने का नाटक इन्होंने किया….. फिर आकांशा का मुझसे शॉप मे मिलना… विक्रम से शादी ये सब नाटक था ….

और ….आदित्य चुप हो गया… उसने केशव की तरफ देखा.. केशव ने कुछ पेपर्स आदित्य को दिए….

आदित्य ने पेपर्स आकांशा को दिखाते हुए कहा…… “तुम प्रेग्नेंट हो ही नही.. “आदित्य का इतना कहना था कि आकांशा  के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी…. सब हैरान हो गए ये बात सुनकर

आदित्य ने कहा -“राधिका पर हमला ये सब इनके प्लान के मुताबिक हुआ..बस वहीं मुझसे चूक हो गयी….”सॉरी राधिका”आपको हमारी वजह ज़रा सी चूक की वजह से ये सब हो गया….”उसने राधिका की तरफ देखते हुए कहा

“मैं चुप था क्योंकि सुबूत नहीं थे …. अब है “

“आदि तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते… तुम मुझसे प्यार करते थे ना हमेशा मेरे साथ रहते थे…. तुमने कभी किसी और लड़की की तरफ देखा भी नहीं…. ” आकांशा ने कहा

“इसलिए तुमने समझ लिया कि मैं तुम्हें चाहता हूँ…. कब कहा मैंनें ऐसा कुछ? कभी भी कोई बात इस तरह की तुमसे मैंने की….. कोई वादा या कुछ भी कहा… अपने से तुमने सोच लिया .. तुम मेरी दोस्त थी…..और दोस्ती की मर्यादा मैं जानता हूँ….. मै किसी लड़की के साथ नहीं बात करता था ये मेरी मर्ज़ी थी….तुमसे बात करता था क्योंकि तुम कांता अंकल की बेटी थी… बस और तुम्हारा घर आना जाना था….इसलिए ….तुम दोस्त थी बात करती मुझसे ….लेकिन दुश्मनी करनी थी तुमको और तुम इतना गिर गयी कि किसी की जान लेने के बारे में सोच लिया “- आदित्य ने कहा

आकांशा चुप खड़ी थी….

आदित्य ने ओम ठाकुर की तरफ देखते हुए कहा – “बाहर वालों से क्या शिकायत आप तो घर के थे …. विक्रम के दिमाग में अच्छी बातें भरने के बजाए गलत ही सिखाया उसको….भाई है वो मेरा लेकिन आपने दुश्मन बना दिया उसको…. कभी सोचा आपने दादाजी ने आपको ज़मीन का एक हिस्सा और पापा को इतने गाँव क्यों दिए ? “

ओम ठाकुर कुछ नहीं बोले….. सब चुप थे

आदित्य ने कमिशनर साहब से कहा – “आप ले जाइए इन सबको मैं इनकी कंप्लेंट करता हूँ… इन्होंने हमला करवाया राधिका पर….. एक बार नहीं कई बार… और आप दिनेश को भी गिरफ्तार कीजिये… “

“अटेम्पट टू मर्डर का चार्ज लगेगा इन पर”- कमिशनर साहब ने कहा उनके साथ जो लेडी पुलिस थी उसने आकांशा को ले गयी… बाक़ी सबको पुलिस ने पकड़ लिया….

आदित्य सोफे पर बैठ गया….वीर प्रताप जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो आदित्य उन्हें पकड़ कर रो दिया….. वीर प्रताप जी उसकी पीठ  सहला रहे थे…

कुछ देर बाद वो शांत हुआ…. लाजो सबके लिए पानी और चाय ले आयी थी….

शाम को सब हॉल में बैठे हुए बातें कर रहे थे ….रुपाली ने सबसे कहा मुझे कुछ कहना है  “अब जब सब ठीक हो गया है तो  तुम सब  कहीं घूम आओ…. जब से आदित्य की शादी हुयी है तब से कुछ ना कुछ हो ही रहा है.. थोड़ा मन बदल जायेगा  “

“ये बात बिल्कुल सही कही आपने” – वीर प्रताप जी ने कहा

“कहाँ जाना है ये बताओ “- देवेंद्र जी ने कहा

“कहीं भी चले जायेंगे “- राघव ने कहा

“ठीक है तो आप सब पैकिंग करो हम कर देते टिकेट बुक “- वीर प्रताप जी ने कहा

पापा भुवन के लिए भी….

“पर हम क्यों?” लाजो ने पूछा

“वो क्या है ना लाजो जी आपके बिना मज़ा नहीं आयेगा “- राघव ने उसे आँख मारते हुए कहा

सब हँस दिए….. लाजो खड़ी शर्मा रही थी

रात को राधिका जब रूम में आयी तो आदित्य ने उसे बाहों में भर लिया…. राधिका ने भी उसे अपनी बाहों में कस लिया..

राधिका ने आदित्य से कहा -“एक बात कहूँ”

हम्म  – आदित्य ने कहा

आकांशा आपसे सच में प्यार करती थी… और मुझसे तो ज़्यादा सुंदर है

आदित्य ने सांस भरी और बोला – “हाँ वो है तो सुंदर और पता है हमें लोग लव बर्ड्स कहते थे “

‘क्या  ?? “राधिका आदित्य से अलग होते हुए बोली…. मतलब आपको पता था.. कि आकांशा आपसे प्यार करती है???

“हम्म पता था….. लेकिन मैंने कभी उस से प्यार नहीं किया…मुझे तो आपसे प्यार है  , इश्क़ है, मुहब्बत है , मेरी इश्क़ की दास्तान आपसे शुरू है और आप पर ही खतम कहते हुए आदित्य ने राधिका के होंठों पर अपने होंठ रख दिए ,… राधिका की आँखें बंद हो गयी….. !!!!!

समाप्त ….

आदित्य और राधिका की “दास्तान इश्क़ की ” आप सबको पसंद आयी होगी……. कहानी को पढ़ने के लिए ,  हौसला अफ़ज़ाही और साथ बने रहने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर 

5 thoughts on “दास्तान इश्क़ की (अंतिम भाग )- अनु माथुर : Moral stories in hindi”

  1. best story i had read again,thank u writer for nice story.i hope in near future u will wright more stories like this

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  2. Kahani bahut hi achi thi, aisa lag raha tha ki main usi kahani main aditya aur radhika ke saath hoon, kuch bhi hota tha toh tension si ho jati thi ab kya hoga.

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