अब तक आपने पढ़ा….
राघव और कावेरी की सगाई हो जाती है… कांता प्रसाद जी को बीता हुआ वक़्त याद आ जाता है और वो आकांशा को शादी तक घर से बाहर ना निकलने के लिए बोल देते हैं …..
अब आगे…..
आदित्य और राधिका स्टेज पर से उतर कर नीचे आ जाते है……बाक़ी आए हुए मेहमान एक – एक करके राघव और कावेरी से मिलने जाते है…..वीर प्रताप जी और रुपाली आए हुए मेहमानों से कावेरी का परिचय कराने के लिए स्टेज पर पहुँच जाते है….
आदित्य राधिका के साथ चेयर पर बैठ जाता और राधिका कावेरी की तरफ देखते हुए कहती है – कावेरी कितनी खुश लग रही है ना कुँवर….. सुधा ऑन्टी के जाने के बाद कावेरी बिल्कुल अकेली हो गयी थी….. अब उसे राघव जी का साथ मिला है
जैसे मुझे आपका साथ मिला …माँ पापा के जाने के बाद मैं बिल्कुल अकेला हो गया था….. आपने मेरी ज़िंदगी में आ कर घर को खुशियों से भर दिया…… सिर्फ भुवन और मैं ही रह गए थे घर में…… मन ही नहीं करता था घर आने का… बस राघव आ जाता तो मैं भी आ जाता था…और अब मेरा जाने का मन नहीं करता… आदित्य ने कहा
हाँ… देखा मैंने आपने तो घर में ही ऑफिस खोल लिया है…. राधिका ने कहा
तो क्या चाहती है आप मैं ऑफिस जाऊँ??? आपको मेरे घर में रहने से परेशानी होती है??
राधिका ने उसकी इस बात पर कुछ नहीं कहा
सच में आप नहीं चाहतीं??? आदित्य ने देखा राधिका कुछ बोल नहीं रही है …. वो उठा और जाने लगा उसने एक बार पलट कर देखा राधिका अभी भी कुछ नही बोली आदित्य ने भुवन को बुलाया और उसके साथ आए हुए मेहमानों के पास चला गया…
लाजो ने देखा राधिका अकेली बैठी है तो उसके पास गयी और बोली – क्या हुआ??आप यहाँ अकेली क्यों बैठी हैं ??
कुछ नही…. ऐसे ही चलो कावेरी के पास चलते है….. राधिका उठी और लाजो के साथ कावेरी के पास चली गयी…..
राघव ने लाजो को देखा तो बोला – लाजो जी अभी एक ही दिन हुआ है शादी का आप तो बड़े खुश लग रहे हो…..
तो आप नहीं हो रहे क्या खुश.???… कावेरी दीदी मैंने पहले ही कहा था सोच लो……आप बगल में बैठी हो और इनकी नज़रे तो इधर – उधर ही हैं – लाजो ने मूँह बनाते हुए कहा
उसकी बात सुन कर कावेरी और राधिका दोनों हँसने लगी
आदि नही दिख रहा कहाँ हैं?? राघव ने पूछा
राधिका ने राघव की बात पर आदित्य जहाँ खड़ा था वहाँ देखा तो वो किसी से बात कर रहा था……. वो रहे राधिका ने कहा
राघव ने आदित्य की तरफ देखा उसने भुवन को जो राघव की तरफ देख रहा था इशारे से आदित्य को बुलाने के लिए कहा
भुवन ने आदित्य से कहा – कुँवर आपको राघव जी बुला रहें हैं
आदित्य ने स्टेज की तरफ देखा तो राधिका मुस्कुरा कर उसकी तरफ देख रही थी आदित्य ने उसे अनदेखा किया और भुवन के साथ स्टेज पर आ गया …
आदित्य राघव से बात कर रहा था… राघव ने देखा कि आदित्य राधिका की तरफ देख भी नही रहा है उसने पूछा भी कि क्या हुआ…… लेकिन आदित्य ने बात को टाल दिया…
धीरे धीरे रात गहरी होने लगी और सगाई में आए हुए मेहमान एक – एक करके जाने लगे…. कुछ देर में सब चले गए अब सिर्फ वीर वीरप्रताप जी ही रह गए…… राघव और कावेरी को स्टेज पर से उतार कर सबने सात बैठ कर साथ खाना खाया….. इस वक़्त भी आदित्य राधिका के साथ नहीं बैठा था….. लेकिन किसी ने इतना ध्यान नहीं दिया
कुछ देर बाद वीर प्रताप जी ने जाने के लिए बोला… सब उन्हें छोड़ने दरवाज़े तक आए….और वापस घर में आ गए
देवेंद्र जी ने आदित्य से कहा – कुँवर बहुत अच्छे से सब हो गया…
. हाँ शीतल ने भी कहा अब बस शादी की तैयारी करनी है…
आप फिकर नही करिए सब हो जायेगा…..आप सब भी थक गए होंगे अब आराम कीजिए..
हाँ ठीक कहा आपने… आप भी आराम कीजिए.. देवेंद्र जी ने कहा
सब अपने – अपने कमरे में चले गए…
राधिका कावेरी और लाजो के साथ उसके कमरे में जाने लगी तो कावेरी ने पूछा – तुम कहाँ चली मेरे साथ ??
हम तुम्हारी मदद करने के लिए आ रहे हैं – राधिका ने कहा
मेरी मदद बाद में कर लेना पहले कुँवर जी को मनाओ पता नहीं क्या कह दिया है तुमने जो वो उदास है
चलो लाजो….. कावेरी लाजो को लेकर अपने रूम में चली गयी
राधिका अपने कमरे में गयी तो उसने देखा आदित्य वहाँ नहीं था… उसने सोचा वॉश रूम में होगा लेकिन वो वहाँ भी नहीं था…. वो कमरे से बाहर आयी तो देखा स्टडी रूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला हुआ था….. उसने थोड़ा सा दरवाज़ा और खोला तो देखा आदित्य टेबल पर बैठ कर laptop में कुछ देख रहा है….. वो अंदर गयी और धीरे से दरवाज़ा बन्द कर दिया…
आदित्य को पता नही चला या फिर उसने अनदेखा किया……. राधिका बिना कुछ आवाज़ किए आदित्य के पास गयी और बोली – आप यहाँ हैं??
आदित्य ने बिना राधिका की तरफ देखे हुए कहा – ह्म्म….
आज का फंक्शन अच्छा हो गया ना??
ह्म्म….
आप नाराज़ है मुझसे??राधिका के इस सवाल पर आदित्य ने कुछ नहीं कहा वो अपने laptop पर काम करता रहा .
सॉरी…… राधिका ने कहा
आदित्य ने फिर भी कुछ नही कहा
राधिका आदित्य की चेयर के पीछे गयी और अपने दोनों हाथ उसके गले में डाल कर उसकी तरफ थोड़ा झुकी उसके ऐसा करते ही आदित्य के हाथ laptop पर रुक गए राधिका ने धीरे से कहा – सॉरी
आदित्य ने उसके दोनों हाथों को अपने गले पर से अलग किए…. Laptop बंद किया और चेयर पर से उठ कर जाने लगा…… राधिका ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सामने वाली दीवार पर जाकर टिका दिया….
आदित्य ने उसकी तरफ देखा…… राधिका भी उसकी तरफ देख रही थी…….राधिका की बड़ी – बड़ी आँखों में आदित्य खो सा गया ……राधिका मुस्कुरायी उसने आदित्य के गले में हाथ डाला उसे अपनी तरफ झुकाया और उसके होंठों को अपने होंठों के बहुत क़रीब लाकर बोली – सॉरी आदित्य
राधिका ने जैसे ही आदित्य का नाम लिया आदित्य की आँखें बड़ी हो गयी ….राधिका जाने लगी तो आदित्य ने उसकी कमर में हाथ डाला और उसे दीवार की तरफ करके खुद उसके सामने खड़ा हो गया उसने पूछा – क्या कहा आपने??
राधिका ने उसकी तरफ देखा और फिर अपनी नज़र नीचे कर ली…..
आदित्य ने उसके और क़रीब आते हुए कहा – एक बार फिर से बोलिए
राधिका ने कहा – सॉरी
नहीं….वो जो आपने सॉरी के बाद कहा ….
राधिका ने फिर कुछ नहीं कहा…..
आदित्य ने उसे गोदी में उठा लिया….
ये आप क्या कर रहे हैं कुँवर?
अभी जो आप कर रहीं थी वही …आदित्य उसे स्टडी रूम से बाहर ले आया
राधिका ने कहा उतरिए मुझे अभी कोई देख लगा
तो क्या हुआ हम अपनी पत्नी के साथ है किसी और के साथ नही..देख भी लगा तो क्या हो गया
ये क्या हो रहा है???? आदित्य ने आवाज़ की तरफ देखा तो कावेरी और लाजो खड़े थे
आदित्य ने कहा – क्या हो रहा का क्या मतलब है??
ये जो आपने राधिका को……… कावेरी आगे बोलती उस से पहले आदित्य बोला – शर्म करो ऐसे कोई पति पत्नी को रोमांस करते देखता है…??? और आप जाओ राघव से बात करो हमें अकेला छोड़ दो……
कुँवर साहब……. लाजो ने कुछ बोलना चाहा तो आदित्य ने बोला – लाजो जी कल ही आपकी शादी हुयी है और आप भुवन को अकेला छोड़ कर यहाँ क्यों घूम रहीं है..?????… जाए वरना कहीं ऐसा ना हो आप यहाँ बातों में वक़्त बर्बाद करती रहे और भुवन किसी और को खोज ले …….
कावेरी और लाजो दोनों अब कुछ बोल नहीं पायी और अपने कमरों की तरफ चल दी
आदित्य ने राधिका की तरफ देखा…..राधिका ने आदित्य के गले अपने दोनों हाथ डाले और उसकी बाहों में सिमट गयी
रूम में आ कर आदित्य ने राधिका को बेड पर बिठाया और बोला – एक बार फिर से बोलिए ना??
क्या -??? राधिका ने कहा
मेरा नाम….. आदित्य ने कहा
राधिका ने अपनी नज़रे नीची कर ली और बोली – कुँवर आप जानते हैं कि हम आपका नाम नहीं लेते
आदित्य मुस्कुराया उसने कहा – पर अभी तो लिया था ना
वो तो आप नाराज़ थे इसलिए…..
तो मैं फिर से हो जाऊँ नाराज़
कुँवर……. आप
आदित्य ने राधिका के कुछ बोलने से पहले उसे अपनी बाहों में ले लिया और बोला – हम आपसे कभी नाराज़ नहीं हो सकते …. बहुत प्यार करते है हम आपसे…. कहते हुए उसने और कस के राधिका को अपनी बाहों में भर लिया… राधिका भी आदित्य की बाहों में खुद को समेटे जा रही थी…..
ज़िंदगी के इन पलों ने दोनों को एकदूसरे के बहुत क़रीब ला दिया था….. लेकिन उन्हें पता नहीं था उनकी इस इश्क़ की दास्तान को कितनी परीक्षा से गुज़रना पड़ेगा
अगली सुबह सभी बैठ कर नाश्ता कर रहे थे कि तभी दरवाज़े पर दस्तक हुयी….. एक नौकर ने दरवाज़ा खोला तो आवाज़ आयी….
सभी को गुड मोर्निंग …..
ओम ठाकुर…. देवेंद्र जी ने कहा
प्रणाम समधी जी… ओम ठाकुर कहते हुए नाश्ते की टेबल तक आ गए… उनके साथ विक्रम भी था
आदित्य ने पूछा – क्या बात है आप यहाँ कैसे ???
ओम ठाकुर ने टेबल पर लग हुई कुर्सी खींचते हुए बोला – अरे चाचा है कुछ नाश्ता पानी नहीं पूछोगे???
नहीं…… क्यों आए हैं आप?? आदित्य ने सवाल किया
शादी है ना इसलिए आए हैं अब तुमने तो नहीं बुलाया अपनी शादी में…… ओह !!! मैं तो भूल गया….कैसे बुलाते ज़बरदस्ती से जो की थी कह कर ओम ठाकुर मुस्कुराने लगे
चलो वो बात छोड़ो….
शादी का कार्ड देते हुए ओम ठाकुर ने कहा ये लो तुम्हारे भाई विक्रम की शादी है कांता प्रसाद जी की बेटी आकांशा से….
आदित्य ने कुछ नही कहा
ओम ठाकुर फिर बोले – अरे विक्रम के भाई ना सही कांता प्रसाद जी की बेटी के लिए आ जाना….. वो तो तुम्हारी बचपन की दोस्त है… कांता प्रसाद जी तो चाहते थे की आकांशा की शादी तुमसे हो जाए लेकिन भाईसाहब ने तो पहले ही तुम्हारे लिए सुरेंद्र को वादा कर दिया था…..
ये क्या बकवास कर रहे हैं आप?
जो सच है वही बता रहा हूँ….. खैर छोड़ो
ओम ठाकुर ने फिर राधिका की तरफ देखते हुए कहा……. बहुरानी आपके देवर की शादी है आना ज़रूर
कह कर ओम ठाकुर कुर्सी से उठे देवेंद्र जी को हाथ जोड़ कर बोले प्रणाम भाईसाहब आप भी आईयेगा….सपरिवार लिखा है मैंने कार्ड पर ……चलो विक्रम…..
ओम ठाकुर चले गए…. लेकिन आदित्य के मन में कई सवाल छोड़ गए…. जिनका जवाब सिर्फ उदय ठाकुर दे सकते थे या कांता प्रसाद जी
आदित्य ने भुवन को गाड़ी लाने के लिए बोला और ऑफिस की तरफ निकल गया ,.. ऑफिस में आदित्य को बार- बार ओम ठाकुर की बात याद आ रही थी…… आकांशा उसकी दोस्त थी बचपन से साथ थी वो उसके….. उसने कुछ इस तरह उसके साथ महसूस नहीं किया था…..
तभी राघव नॉक करके उसके रूम में आते हुए बोला – आदि आज की मीटिंग जो अभी होनी थी 2 घंटे बाद होगी….. सक्सैना जी का फोन आया था उन्होंने तुम्हें किया था लेकिन तुमने फोन उठाया नही….. राघव बोले जा रहा था उसने देखा आदित्य उसकी बात सुन नही रहा कुछ सोच रहा है उसने फिर पुकारा – आदि
हम्म आदित्य ने कहा … आदित्य को जैसे होश आया हो
क्या हुआ??
क्या सोच रहे हो तुम ?? कहते हुए वो आदित्य के सामने वाली चेयर पर बैठ गया
आदित्य ने सुबह वाली सारी बात राघव को बता दी
तुम भी ना आदि ओम ठाकुर की बात का यकीन कर रहे हो वो तो कुछ भी बोल देते है
लेकिन आकांशा का यूँ चला जाना और फिर लौट कर आके विक्रम से शादी करना कुछ तो बात ज़रूर है राघव – आदित्य ने कहा
तो तुम बात करना चाहते हो कांता प्रसाद जी से..????
समझ में नहीं आ रहा क्या करूँ..???.. इस से भी ज़्यादा बड़ी बात है कि ये सब बात ओम ठाकुर ने सबके सामने कही….. राधिका ने कुछ कहा नही लेकिन उनकी आँखों में सवाल देख लिए थे मैंने ….. जब तक पूरी बात पता नहीं चलेगी मैं जवाब कहाँ से दूँगा… ??
हम्म ये बात तो है सच जानना बहुत ज़रूरी है ……उस दिन राधिका बाल – बाल बच गयी जब वो हादसा हुआ वरना…… कहते – कहते आदित्य रुक गया
राघव ने उस से पूछा कौन सा हादसा??? कब हुआ??? तुमने बताया नहीं??
आदित्य नहीं कहा उस दिन जब राधिका का प्लास्टर कटा ….. आदित्य ने पूरी बात राघव को बतायी….
आदि इतना कुछ हो गया और तुमने बताना ज़रूरी नहीं समझा ???
मैं बताने वाला था लेकिन बीच में भुवन की शादी और फिर तुम्हारी सगाई की बात थी
मैं नहीं चाहता था कि सब परेशान हो….
लेकिन भाभी की क्या दुश्मनी है किसी से?? उनको कोई क्यों चोट पहुँचाना चाहता है???
राधिका को नही मुझे चोट पहुँचाना चाहते हैं जिस से कि मैं टूट जाऊँ…. और तुम्हें पता है ये हमला किसने करवाया??
किसने??
आकांशा ने….
क्या?? आकांशा ने???
हम्म….
तो उसे पकड़वाओ दिमाग खराब हो गया है उसका???
आधा दिन नही लगेगा मुझे उस आदमी का पकड़ कर लाने में और सच उगलवाने में….
तो फिर???
बात अब सिर्फ़ राधिका की या मेरी नहीं है सबकी जान का खतरा है……. पता नही और कितने लोग मिले हुए है…….. घर में शादी होने वाली है….. लोगो का आना जाना लगा रहेगा…… राधिका और कावेरी और बाकी सब कभी ना कभी तो बाहर जायेंगे ही ना…. अकेला था तब फर्क नही पड़ता था लेकिन अब हर बात सोचनी पड़ रही है. . ….
सही कह रहे हो तुम …… सोचने वाली बात तो है ही
आदि कहीं ऐसा तो नहीं कि आकांशा और विक्रम के साथ ओम ठाकुर और कांता प्रसाद भी मिले हो???
हो सकता है…… मैं एक बार मिलना चाहता हूँ उनसे.
ठीक है मैं भी साथ चलूँगा
हम्म…. लेकिन किसी को अभी कुछ बताना मत
ठीक है…. एक बात और आदि
क्या???
तुम भाभी के साथ हॉस्पिटल गए ये बात तो सिर्फ घर में ही पता होगी ना??
हाँ….. आदित्य ने कहा
तो फिर कोई वहाँ कैसे पहुँच गया…… इसका मतलब कोई है जो खबर दे रहा है कि घर में क्या चल रहा है….. राघव ने कहा
हम्म…..ये बात मुझे भी परेशान कर रही है कि कोई तो ज़रूर है और घर में ही है …. भुवन को मैंने इसलिए घर पर वापस भेज दिया है किशन तो है ही वहाँ
और तुम यहाँ अकेले हो???
आ जायेगा भुवन मेरे निकालने से पहले
लेकिन ऐसे तो नही चलेगा आदि कब तक हम ऐसे करेंगे???
मिलते है उनसे फिर देखते हैं कि क्या करना है….. फिल्हाल मीटिंग ख़तम करते है और घर चलते हैं …..
आदित्य और राघव दोनों ने मीटिंग खत्म की तब तक भुवन भी आ गया था…. दोनों गाड़ी में बैठ कर घर की तरफ चल दिए….. !!
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धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर