अब तक आपने पढ़ा…..
आदित्य को आकांशा शॉपिंग स्टोर में मिलती है और बताती है उसकी शादी विक्रम से होने वाली है…… लाजो की शादी की बाट करने सब उसके गाँव जाते है…..
अब आगे……
गाड़ी में राघव भुवन के साथ आगे बैठा था….. बीच वाली सीट पर कावेरी और लाजो बैठे थे सबसे पीछे राधिका और आदित्य बैठे थे…… आदित्य राधिका के हाथ को अपने हाथों में पकड़े हुए था..
कावेरी और लाजो बातें कर रहीं थी बीच- बीच में वो राधिका से और कभी राघव से भी बात कर रही थी…. लाजो भुवन के पीछे ही बैठी थी…. भुवन को उसका अक्स सामने लगे शीशे में दिख रहा है वो लाजो को हँसते हुए….. कभी बातें करते हुए कभी दुपट्टा ठीक करते हुए मिरर में से देख कर मुस्कुरा रहा था……. राघव ने भुवन को मिरर में लाजो को देखते हुए देखा तो आदित्य से बोला – आदि क्या कभी तुमने भुवन को रोमांटिक होते हुए देखा है?
आदित्य ने कहा – नहीं… भुवन को काम के अलावा मैंने ना किसी से बात करते हुए देखा ना किसी से मिलते हुए ….. क्यों क्या हुआ???
कुछ नहीं ऐसे ही पूछा …. राघव ने भुवन से धीरे से कहा बाद में देख लेना लाजो जी को गाड़ी सामने देख कर चला लो….. राघव की इस बात पर भुवन झेंप गया और सामने देखने लगा
यूँ ही बातें करते – करते सब लाजो के गाँव पहुँच गए …
लाजो के गाँव पहुँच कर राघव ने लाजो से कहा – लाजो जी आ गया आपका गाँव यहाँ तक तो हम गूगल मेप से आ गए अब बताओ आपके घर का रास्ता
लाजो ने कहा – आप सीधे सीधे ही गाड़ी ले चलें……. मैं बता दूँगी कहाँ मुड़ना है
भुवन ने गाड़ी चलाना शुरू की लाजो उसे रास्ता बता रही थी….. कुछ ही देर में वो लाजो का घर आ गया…… सब लोग गाड़ी से उतरे….. लाजो के घर के आगे गाड़ी देख कर आस – पड़ोस के लोग अपने घर से बाहर निकल आये……
लाजो ने अपने घर का दरवाज़ा
खटखटाया…..
अंदर से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आयी….. दरवाज़ा एक लड़के ने खोला उसकी उम्र कोई 18 , 19 साल होगी वो लाजो का देखते ही खुशी से बोला दीदी लाजो ने उसे गले से लगा लिया कैसा है तू दीपक??
मैं अच्छा हूँ दीदी कह कर उसने आवाज़ लगायी – माँ दीदी आ गयी….
लाजो ने सबको अंदर आने के लिए कहा और कमरे में बैठाया तब तक लाजो की माँ भी बाहर आ गयी
लाजो माँ कहते हुए जाकर उसके गले से लग गयी लाजो को माँ ने कस के उसे गले से लगा लिया….. कैसी है बिटिया?
अच्छी हूँ माँ लाजो ने अपनी माँ की आँखों से बहते हुए आँसुओं को पोंछा और आदित्य को दिखाते हुए बोली – माँ ये ठाकुर साहब हैं और उनके पास जो बैठी है वो ठाकुराइन हैं….. लाजो की माँ ने हाथ जोड़ कर प्रणाम कहा आदित्य और राधिका ने भी हाथ जोड़ लिए…..ये राघव बाबु हैं ठाकुर साहब के दोस्त और उनके पास जो बैठी है वो कावेरी दीदी जिनसे इनकी शादी होने वाली है इतना कह कर लाजो चुप हो गयी ….
लाजो कि माँ ने भुवन को देखते हुए पूछा – और ये कौन है??
लाजो ने कुछ नही कहा और अपनी माँ के पीछे जा कर खड़ी हो गयी
राधिका ने देखा तो वो उठी और बोली – आप इधर बैठिए….. लाजो की माँ को राधिका ने बिठाया और उनका हाथ अपने हाथों में लेते हुए बोली – हम आपको अम्मा कह सकते है ….???
लाजो की माँ ने हाँ में सिर हिलाया…
राधिका मुस्कुरायी और बोली – अम्मा ये भुवन जी है राधिका ने जैसे ही ये बताया लाजो शर्मा कर घर के अंदर चली गयी राधिका ने आगे बताया ….कुँवर मतलब ठाकुर साहब के साथ काम करते है आप ये समझ लो कि कुँवर के मन की बात जो शायद हम भी नही जान पाते वो ये जान लेते है…. हम इनके लिए आपकी लाजो का हाथ माँगने आए हैं….
लाजो की माँ हैरानी से राधिका को देख रही थी वो बोली – आप रिश्ता ले कर आयीं हैं…. ???? लेकिन लाजो ने तो कहा था आप मिलना चाहती हैं हमसे…
अम्मा कोई भी लड़की ये कैसे कहेगी कि वो अपनी शादी की बात करने आ रही है – राधिका ने कहा
लेकिन ऐसे अचानक….. मैं कैसे??
राधिका ने कहा – अम्मा मैं आपकी दुविधा समझ सकती हूँ… आप भुवन जी को लेकर बिल्कुल परेशान मत हो….इनका घर परिवार सब हम हैं और ये हमारे साथ ही रहते हैं …
ठाकुराइन ……लाजो आप सबकी फोन पर बहुत तारीफ़ करती है ….. आपने तो मुझे भी ज़्यादा प्यार दिया उसको….लाजो के पिता के जाने के बाद मैं अक्सर यही सोचती थी कि इसके लिए एक अच्छा परिवार कहाँ ढूँढूंगी….. लेकिन देखो मुझे तो ज़रूरत ही नही पड़ी…..
ठाकुर साहब खुद आए है और आपने हाथ माँगा हैं लाजो का तो मैं मना कैसे कर सकती हूँ…. मेरे लिए तो ये बहुत बड़ी बात है कहते हुए उनकी आँसू बहने लगे ….
राधिका ने उसके आंसूओं को पोंछा और बोली – आप बिल्कुल फिकर ना करें अम्मा लाजो कि … भुवन जी बहुत खुश रखेंगे उसे……
और नहीं रखा तो हम है ही राधिका की बात ख़तम होने से पहले ही राघव ने कहा
राघव की इस बात पर भुवन ने उसकी तरफ देखा तो राघव ने कहा – अरे मेरा मतलब हम सब हैं फिकर की कोई बात है ही नही ना ……..राघव ने ये बोल कर राहत की सांस ली आदित्य उसे देख कर मुस्कुरा रहा था
वो सब तो ठीक है ठाकुराइन लेकिन अब जब शादी तय हो गयी है तो ऐसे हम लाजो को वापस आपके साथ नहीं भेज सकते …
मतलब ??? राधिका ने कहा
ठाकुराइन या तो आप शादी कर के ले जाओ या फिर आप जब की तारीख निकाले हम उस दिन शादी कर देंगे…
राधिका ने आदित्य की तरफ देखा… आदित्य ने कुछ सोचा और कहा – अम्मा एक दिन बाद राघव की सगाई है अगर आपको एतराज़ ना हो तो हम कल सुबह शादी करा के ले जाते हैं लाजो को …
इतनी जल्दी मैं कैसे सब इंतेज़ाम करूँगी… लाजो की माँ ने कहा
वो सबकी चिंता आप मत कीजिए….. बस आप ये बताइये कि आपको कोई एतराज़ तो नहीं है…
लाजो की माँ ने थोड़ा सोचा और बोली – ठीक है लेकिन ठाकुर साहब शादी इसी घर से होगी लाजो के पिता की इच्छा थी कि लाजो की डोली हमारे अपने घर से जाए
आदित्य ने कहा – ठीक है अम्मा … पर अब मूँह तो मीठा कराइये
ज़रा रुके कुँवर हम अभी आते है कावेरी चलो ज़रा हमारे साथ और राघव जी आप भी भुवन जी गाड़ी की चाबी दीजिए भुवन ने गाड़ी की चाभी दी राघव और कावेरी के साथ राधिका बाहर आ गयी उसने गाड़ी की डिक्की खुलवायी उसमें से एक अटैची बाहर निकाली और राघव को अंदर ले कर चलने के लिए बोला
राधिका अंदर आयी और लाजो कि माँ को अटैची देते हुए बोली – अम्मा ये हमारी तरफ से लाजो के लिए शगुन……
भुवन ने जब ये सुना तो उसकी आँखे भर गयी वो बोला – ठाकुराइन ये सब…. कब किया आपने???
भुवन जी शादी तो आपकी हमें आपकी लाजो से करानी ही थी हमने माँ से कह कर सब करवा लिया था… यहाँ आते वक़्त माँ ने इसे गाड़ी में रखवा दिया शायद उनको पता होगा ऐसा कुछ होने वाला है
राघव ने उसे साइड से पकडा तो भुवन ने उसे गले से लगा लिया… राघव उसकी पीठ सहला रहा था…
आदित्य ने कहा अरे अब तो मूँह मीठा करवाओ
लाजो की माँ ने दीपक को कहा सबके लिए मिठाई ले कर आओ…. लाजो ने तब तक सबके लिए चाय नाश्ता बना दिया था….
राधिका ने फोन करके सारी बात शीतल को बता दी थी
शाम को लाजो और भुवन की हल्दी मेहंदी की रस्म हुयी….. रात भर में सारी शादी की तैयारी सभी ने मिल कर की …..
अगली सुबह पंडित जी आए उन्होंने पहले भुवन को मंडप में बुलाया पूजा करवायी फिर लाजो को बुलाया…. लाजो ने गुलाबी रंग का लेहंगा पहना था वो बहुत सुंदर लग रही थी भुवन ने जब उसे मंडप में आते देखा तो देखता ही रह गया…. राघव ने उसे कहा – ये तो आज बहुत सुंदर लग रही है
आदित्य ने उसे साइड से कोहनी मारी तो उसने देखा भुवन उसे ही देख रहा था…. वो चुप हो गया
सारे रीति रिवाजो के साथ भुवन और लाजो की शादी हो गयी…. फिर वो पल जिसमें सबकी आँखे नम हो गयी लाजो की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे लाजो ने दीपक को गले से लगाया और बोली खूब पढ़ना और माँ का ध्यान रखना…. लाजो ने अपनी माँ के आँसू पोंछे और उन्हें गले से लगा लिया….. लाजो की माँ ने भुवन से कहा – जमाई जी मेरी लाजो का ध्यान रखियेगा थोड़ा बचपना है इसमें अभी
भुवन ने लाजो की माँ के पैर छुए…
आदित्य और राघव को भी लाजो की माँ ने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया राधिका और कावेरी को उन्होंने गले से लगा लिया… सबको धन्यवाद कहा
राघव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया उसके साथ वाली सीट पर कावेरी ….. भुवन और लाजो बीच में ….राधिका और आदित्य पीछे बैठ गए… राघव ने गाड़ी स्टार्ट की और सड़क पर दौड़ा दी….
लगभग तीन घंटे बाद की ड्राइविंग के बाद राघव ने गाड़ी आदित्य के घर के सामने रोक दी….. सब लोग गाड़ी से उतर आए
शीतल और देवेंद्र जी बाहर ही खड़े थे लाजो और भुवन ने उनके पैर छुए दोनो ने उन्हें आशीर्वाद दिया और सब अंदर आ गए….
सभी थके हुएर थे…..शीतल ने नौकरों से कह कर खाना लगवाया…. सबने खाना खाया और राघव अपने घर चला गया
शीतल ने राधिका से कहा – सब काफी थक गए होंगे ….
हाँ माँ थक तो गए है… यहाँ का सब काम हो गया ??
हाँ लाडो सब हो गया कल सजावट का काम हो जायेगा…. देवेंद्र जी ने कहा
अब जाओ तुम आराम करो बाक़ी कल सुबह देख लेना
राधिका उठी और अपने कमरे में चली गयी…..
वो अंदर गयी तो देखा आदित्य सो गया था उसने अपने कपड़े बदले और बेड पर लेट गयी…..
मिल गयी फुर्सत आपको – आदित्य ने अपनी आँखों को बंद करे हुए ही बोला
अच्छा जी आप जाग रहे है ???
ह्म्म ….नींद नहीं आ रही थी
क्यों??
आप जो नहीं थी कैसे आती कहते हुए आदित्य ने अपना एक हाथ राधिका की कमर पर रखा और उसे अपनी तरफ खींचा….
कुँवर आप ये क्या कर रहे है??
सोने की कोशिश… कर रहा हूँ आदित्य की आँखे अभी भी बंद ही थी
ऐसे आपको नींद आयेगी…. ???
नहीं….
तो फिर……???
आप मूँह मीठा करा दें तो शायद आ जाए…
ओह!! आपको मीठा चाहिए रुकें हम ले कर आते हैं ??
राधिका की इस बात पर आदित्य ने अपनी आँखें खोली उसे अपने और क़रीब ले आया आदित्य ने अपनी उंगली से राधिका के होंठों को छुआ और बोला ये मीठा चाहिए हमें…..उसने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए ….. कुछ देर बाद वो अलग हुआ राधिका सिमट कर उसकी बाहों में समा गयी…… आदित्य ने अपनी आँखें बंद की और राधिका को अपनी बाहों में भर कर सो गया
अगले दिन बहुत काम थे सजावट करने वाले ,केटरर और भी बहुत लोग थे सब अपने अपने काम कर रहे थे
शाम तक सब काम हो गया…. शीतल ने राधिका को और कावेरी को तैयार होने के लिए कहा
.
कावेरी को तैयार करने के लिए पार्लर से लोग आए हुए थे उसे कमरे में छोड़ कर राधिका अपने कमरे में तैयार होने के लिए गयी….
उसने वही साड़ी पहनी थी जो आदित्य के साथ खरीदी थी…… वो तैयार हो रही थी तभी दरवाज़े पर दस्तक हुयी और आदित्य अंदर आ गया…… आदित्य ने राधिका को देखा तो उसकी नज़र राधिका पर थम सी गयी…… राधिका बहुत प्यारी लग रही थी …
वो उसके पास गया उसने राधिका का हाथ अपने हाथ में लिया उसे कुर्सी पर बैठाया और अपनी पॉकेट से एक बॉक्स निकाला और उसे राधिका को दिया
ये क्या है कुंवर ???
खोलिए इसे….
राधिका ने वो बॉक्स खोला तो उसमें एक बहुत सुंदर रिंग थी …. राधिका ने आदित्य की तरफ देखा….
आदित्य ने वो रिंग राधिका के हाथ से ली और उसकी उंगली में पहना दी…
ये किसलिए कुँवर…..???
आदित्य ने कहा – ये स्पेशल रिंग है इसे आप कभी मत उतरियेगा आप कहीं भी हो ये रिंग हमें बता देगी कि आप कहाँ है…
आप को डर है कि ….
आगे कुछ मत बोलिए राधिका …. चलिए सब नीचे इंतज़ार कर रहे होंगे…
राधिका ने कुछ ना कहना ही ठीक समझा वो मुस्कुरायी और आदित्य के साथ कमरे से बाहर निकल आयी…
लगातार बजती हुयी फोन की घंटी से आकांशा की नींद खुली …. उसने देखा विक्रम का फोन है…… उसने फोन पिक किया और बोली – क्या हुआ इतनी call??
यार तुम कितना सोती हो मैं 1 घंटे से तुम्हें call कर रहा हूँ
क्या बात हो गयी?? भूकंप आ गया क्या या सुनामी आ गयी ???
हाँ वही समझो…. तुम मस्त हो कर सो और उधर आदित्य के घर में खुशियाँ मनायी जा रहीं हैं
विक्रम की इस बात पर आकांशा उठ कर बैठ गयी उसने पूछा क्या हुआ है?
राघव की सगाई है ..
क्या??? किसके साथ??
राधिका की बचपन की सहेली कावेरी के साथ
क्या बकवास कर रहे हो??
सही बोली रहा हूँ…
आधे घंटे में मिलो कैफे में मैं लोकेशन भेज रहा हूँ… विक्रम ने कह कर फोन काट दिया
आकांशा ने लोकेशन देखी जल्दी से फ्रेश हुयी और गाड़ी ले कर उस लोकेशन पर पहुँच गयी….. कैफे में विक्रम उसका इंतज़ार कर रहा था….. आकांशा उसकी तरफ बढ़ गयी …. विक्रम ने उसे आते देखा तो अपनी जगह से उठ गया उसने आकांशा के बैठने के लिए कुर्सी सरकायी आकांशा उस पर बैठ गयी…
उसने पूछा अब बोलो ये सब क्या है??
क्या है मुझे नहीं पता…. मैं तो तुम्हें बता रहा हूँ कि दुश्मन के घर में जशन हो रहा है..
राघव की सगाई….. वो भी राधिका की दोस्त से कैसे?
वो सब मुझे नही पता….. लेकिन अब हमें दो और कमज़ोरी राधिका की मिल गयी राघव और कावेरी…..
हमें उनसे क्या??
आकांशा डार्लिंग वो कहावत सुनी है कि गेहूँ के साथ घुन भी पिस्ता है तो राघव और कावेरी वो घुन है…. उनको कुछ होगा तो राधिका को फर्क पड़ेगा
आकांशा ने कॉफी का सिप लेते हुए कहा पहली बार तुमने कोई बात सही की है…. अब लग रहा है कि तुम कुछ कर सकते हो !!!!!
अगला भाग
दास्तान इश्क़ की (भाग -27)- अनु माथुर : Moral stories in hindi
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर