अब तक आपने पढ़ा …
राघव और कावेरी की शादी की डेट फिक्स हो जाती है…. सब शॉपिंग के लिए जाते हैं…
अब आगे…..
आदित्य शॉप में अंदर जाते हुए आकांशा से टकरा जाता हैं….. आदित्य और राघव दोनो आकांशा को देख कर हैरान हो जाते है ….
राघव आकांशा से पूछता है – तुम इंडिया कब आयीं??
आकांशा मुस्कुराते हुए बोली – दो हफ़्ते पहले
तुमने बताया नहीं कि तुम वापस आ रही हो – आदित्य ने पूछा
कुछ प्लैन नहीं था मम्मी डैडी आ रहे थे कुछ काम था घर का तो मैं भी आ गयी -आकांशा ने कहा
तुम ये वेडिंग वाली शॉप में कुछ है क्या ??
तभी……आकांशा…. पीछे से किसी ने उसे आवाज़ दी
आकांशा पलटी और बोली ….हाँ
आदित्य और राघव ने देखा आकांशा के पीछे विक्रम था …. तब तक विक्रम आकांशा के पास आ गया
आकांशा ने आदित्य से कहा – ” आदि मीट माय वुड बी हसबैंड विक्रम ठाकुर “
तुम विक्रम से शादी कर रही हो अचानक क्या हुआ है?? राघव ने कहा
कुछ भी नहीं हुआ डैडी को विक्रम शुरू से पसंद था…. वो चाहते हैं कि अब मैं सेटल हो जाऊँ उन्होंने मुझसे इस बार पूछा तो मैंने हाँ कह दिया
आदित्य ने विक्रम की तरफ देखा तो वो इधर – उधर देखने लगा और आकांशा से बोला – शॉपिंग पूरी हो गयी हो तो चलें बाक़ी और भी लेना है
हम्म…. आकांशा ने कहा उसने शॉपिंग एक दो शॉपिंग बैग विक्रम के हाथ से लिए और बोली – शादी एक हफ्ते बाद है तुम आना ज़रूर कार्ड भेज दूँगी राघव तुम भी आना कह कर आकांशा चली गयी
राघव ने आदित्य से कहा – ये विक्रम से शादी कर रही है?? इसका दिमाग़ खराब हो गया है क्या??
आदित्य ने कहा – वो उसका फैसला है कि वो किस से शादी कर रही है.. तुम चलो अभी जो काम करने आए है व करें आदित्य आगे बढ़ा तो राघव भी उसके साथ आगे बढ़ गया
राधिका कावेरी के साथ ड्रेस देख रही थी उसने आदित्य को आते देखा तो बोली – कुँवर आ गए …… आप कहाँ रह गए थे??राधिका ने पूछा …. एक पुराना दोस्त मिल गया था भाभी उसी से बात कर रहे थे राघव ने आदित्य के बोलने से पहले बोला
अच्छा …. चलिए राघव जी अपनी वाली की शॉपिंग में हेल्प कीजिए हमने ड्रेसेज़ निकाल कर रखी है आप देख लीजिए…. कुँवर जी हम चलिए उधर कुछ देखते है
तब तक भुवन भी आ गया…. लाजो भुवन के साथ दूसरा कुछ देखने लगी
आदित्य और राधिका दोनों शॉप में घूमते हुए ऊपर की तरफ जाने लगे जहाँ वेस्टर्न ड्रेसेज़ थी….. आदित्य ने राधिका से कहा – आप कुछ क्यों नहीं ले लेती ? आपकी सबसे प्यारी सहेली की सगाई है…
राधिका ने कहा सगाई उसकी है मेरी नहीं इस बात पर आदित्य को याद आया उनकी शादी किस तरह हुई थी उसने राधिका का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला – हम आपके लिए कुछ लेते हैं अच्छा सा चलिए हमारे साथ…
कुँवर रहने दीजिए अभी सब नया ही है मेरे पास मम्मी ने और काकी ने बहुत सारी शॉपिंग की है ……
वो उन्होंने अपनी पसंद से की है… तो हम अपनी पसंद आपके लिए कुछ लेंगे…. हाँ वो अलग बात है कि आपको पसंद आए ना आए….
राधिका मुस्कुरायी और बोली – ठीक है
आदित्य उसे जहाँ साड़ियाँ थी वहाँ ले आया….. शॉप वाले ने आदित्य और राधिका को देखा तो बैठने के लिए बोला
आदित्य ने राधिका को बैठने के लिए बोला
शॉप वाले ने पूछा आपकी कोई चॉइस हो तो बताए कोई कलर….??
आप दिखाइए वो हम देख लेंगे आदित्य ने कहा
जी सर…..
शॉप वाले ने साड़ियाँ दिखानी शुरू की राधिका ने बहुत सार साड़ियाँ देखी लेकिन उसे कोई पसंद नहीं आ रह थी…. आदित्य ने देखा कि राधिका को कुछ पसंद नहीं आ रहा है……. उसने एक साडी ली और उसे राधिका को ट्राई करने के बोला राधिका ने वहाँ लगे शीशे में देखा तो वो ओरेंज रेड कलर की साडी थी….. और राधिका पर बहुत सुंदर लग रही थी….
कैसी लगी??आदित्य ने पूछा
बहुत सुंदर …आप इसे पैक कर दें राधिका ने शॉप वाले को बोला
उसने साडी पैक कर के दे दी.. …. राधिका और आदित्य वापस राघव और कावेरी के पास आ गए….
उन्होंने देखा राघव और कावेरी अभी भी ड्रेस देख रहे है…… राधिका ने कावेरी के पास जा कर पूछा – क्या हुआ कुछ पसंद नहीं आया??
राधिका अच्छा हुआ तुम आ गयी मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा
राघव ने कहा भाभी आप ही बता दो इतनी देर हा गयी अभी मेरे लिए भी देखना है …. और कल लाजो जी के यहाँ जाना भी तो है
राधिका ने एक ड्रेस ली और उसे कावेरी को ट्राई करने के लिए बोला कावेरी चेंजिंग रूम मे गयी और ड्रेस पहन कर उसने शीशे मे देखा….. वो पिंक और ऑफ वाइट के combination की ड्रेस बहुत प्यारी लग रही थी…… उसने राधिका को बुलाया राधिका ने वो ड्रेस फाइनल की और बाहर आ गयी
लाजो ने भी एक लहंगा खरीदा
राघव ने कावेरी की ड्रेस से मिलता जुलता कुर्ता पैजामा खरीदा ……सबकी शॉपिंग हो गयी थी और सब घर वापस आ गए….
उधर एक बड़े से बंगले के सामने गाड़ी आ कर रुकी…..गाड़ी का दरवाज़ा खुला उसमें से आकांशा उतरी …. दूसरी तरफ से विक्रम उसने शॉपिंग बैग हाथ में लिए हुए थे.. … अंदर जाती हुई आकांशा को उसने पुकारा — अरे रुको तो मैं भी आ रहा हूँ और इतने सारे बैग तुमने मुझे…..
उसने इतना ही कहा था कि आकांशा मुड़ी और वापस चलते हुए उसके पास पहुँची और आवाज़ लगाई….. छोटू
उसकी आवाज़ सुनकर एक लड़का
दौड़ कर उसके पास आया और बोला जी दीदी
साहब के हाथ से बैग ले लो और मेरे कमरे में रख दो…. ये सब उसने इतना आराम से कहा जिसकी ना ही विक्रम को और ना ही उस लड़के को उमीद थी….
सब सामान छोटू ने ले लिया….. आकांशा ने मुस्कुराते हुए विक्रम से कहा – चलें
विक्रम के मूह से कोई शब्द नही निकला बस उसने अपनी गर्दन हिला कर हाँ कहा
ये घर आकांशा शर्मा का था…. आकांशा के पिता कांता प्रसाद शर्मा कभी ज़मींदार थे लेकिन अब ज़मीन के नाम पर केवल ये ही एक बंगला था …..पैसा कमाने के लालच में सब कुछ बेचकर तीन साल पहले वो अपनी पत्नी रेखा और आकांशा के साथ london चले गए ….. आकांशा जाना नही चाहती थी लेकिन उसे जाना पड़ा
दोनो घर अंदर आ गए …. अंदर पहुँच कर विक्रम ने देखा ओम ठाकुर वहीं बैठे है और कांता प्रसाद जी से बातें कर रहे है..
दोनो को अंदर आता देख उन्होंने कहा – लो अभी हम तुम्हारी ही बात कर रहे थे बिटिया… हो गयी खरीदारी अब तो कुछ ही दिन रह गए शादी के….. कांता प्रसाद जी भाई हमें तो बहुत खुशी है कि आकांशा बिटिया हमारे विक्रम की बहू बन कर आ रही है …….
कांता प्रसाद ने उनके हाथों को अपने हाथ में लिया और बोले – आपका धन्यवाद जो आपने…
अरे बस भी करिए आप कितना धन्यवाद करेंगे – ओम ठाकुर ने कहा
आओ बच्चों बैठो…. विक्रम ने आगे बढ़कर कांता प्रसाद के पैर छुए तो उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया ….. आकांशा ने उनसे कहा अंकल आप बुरा ना माने तो मै थक गयी हूँ थोड़ा आराम करना चाहती हूँ ..
अरे हाँ हाँ आराम करो इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है… जाओ …..ओम ठाकुर ने कहा
आकांशा ओम ठाकुर को प्रणाम करके ऊपर अपने कमरे में चली गयी….. कमरे में जाकर उसने पर्स में से अपना mobile निकाला और पर्स एक तरफ फेक दिया …. फोन से उसने एक नंबर डायल किया उधर से आवाज़ आयी
जी मैडम
जी के बच्चे एक काम बोला वो भी नही किया तुमने एक टक्कर ही तो मारनी थी ना उसने तेज से बोला
मैडम मैं बिल्कुल उनके पास ही था लेकिन किसी ने फुर्ती से उन्हें खींच लिया….. अगर मैं भागता नहीं तो पकड़ा जाता आप मुझे एक मौका और दो मैं आपका काम कर दूँगा
अभी नही मैं कहूँ तब
ठीक है मैडम…
आकांशा ने फोन काट दिया….. वो पलटी तो देखा विक्रम दरवाज़े पर खड़ा था…. आकांशा ने पूछा – तुम मेरे कमरे में क्या कर रहे हो??
अभी किया कहाँ कुछ…. वो तो तुमने किया…….
क्या मतलब ?????
आकांशा तुम्हें क्या लगा तुम कुछ करोगी और मुझे पता नहीं चलेगा कहते हुए वो आकांशा के बहुत क़रीब आ गया..
आकांशा ने पूछा – क्या मतलब ??
तुम क्या मुझे बेवकूफ समझती हो…..? विक्रम ने अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रखते हुए कहा……. जानेमन ये किशनगढ़ है….. राज है हमारा
उसकी इस बात पर आकांशा ने ताली बजायी और उसे पीछे धक्का दे दिया…. आकांशा उसकी तरफ बढ़ी और बोली – आज छू दिया है गलती से भी मुझे हाथ लगाने की कोशिश मत करना.. समझे
क्यों तुम मेरी होने वाली पत्नी हो और तुम्हारे इस बच्चे के होने वाले पिता की हैसियत से मैं तुम्हें हाथ लगा सकता हूँ..
विक्रम….आकांशा ने तेज आवाज़ में कहा
ओह!! मैं तो भूल गया तुम्हें हाथ लगाने और संभालने का हक़ तो सिर्फ आदित्य को है….. है ना?? तो फिर ये???
विक्रम इसी वक़्त बाहर चले जाओ मेरे कमरे से… आकांशा फिर तेज़ से बोली
विक्रम मुस्कुराया और बोला देखो गुस्सा करना तुम्हारे लिए ठीक नही और मैं नहीं चाहता की हम यूँ ही लड़ते रहे…… मैं तो बस इतना कहना चाहता हूँ जो तुम चाहती हो वो मैं भी चाहता हूँ तो क्यों ना मिलकर लड़े एक से भले दो…… अभी जा रहा हूँ
सोच कर बताना…. गुड नाइट डार्लिंग
अगले दिन सबको जाना था तो सब जल्दी सोने चले गए….. आदित्य रूम मे जा ही रहा था कि केशव का call आया… वो अपने रूम मे ना जा कर स्टडी रूम मे गया
और फोन पिक किया…
हैलो
कुँवर प्रनाम
इतनी रात मे फोन किया कोई खास बात ??
जी कुँवर बात तो खास ही है…… आकांशा जी के बारे मे मैंने आपको लिस्ट भेजी थी वो आपने देखी होगी….
हम्म देखी थी
.
कुँवर आकांशा जी विक्रम ठाकुर से शादी कर रहीं है….. और वो 2 months प्रेग्नेंट हैं?
क्या??
जी कुँवर उन पर नज़र रखी तो एक हफ्ते पहले वो होस्पिटल मे जाती हुयी दिखायी दी हमने पता किया तो पता चला
ठीक है नज़र रखो और कुछ पता चले तो बताना.
जी प्रणाम….
आदित्य ने फोन कट किया और स्टडी रूम से बाहर निकल कर अपने रूम में गया….. उसने देखा राधिका सो गयी थी….उसने धीरे से दरवाज़ा बंद किया और बेड पर आ कर लेट गया….. राधिका सुकून से सो रही थी उसके बालों की एक लट कभी उसके गालों तक आती और कभी हट जाती आदित्य ने राधिका की तरफ करवट ली धीरे से आती हुयी उस लट को राधिका के कान के पीछे किया… तकिए पर उसका जो हाथ रखा था उसको अपने हाथ में लिया…… और मन में बोला – अब से किसी भी मुसीबत को आप तक आने से पहले हमारा सामना करना होगा हम एक पल के लिए भी आपको अकेला नहीं छोड़ेंगे वादा है हमारा खुद से…. आपको कुछ नहीं होने देंगे …
आदित्य राधिका को देखते हुए सो गया…
अगली सुबह सब लाजो के घर जाने के लिया रेडी हो कर हॉल में आ गए… राघव अभी नहीं आया था….. आदित्य ने राघव को फोन किया …… राघव ने अंदर आते हुए बोला हम आ गए आज हम लेट कैसे हो सकते है लाजो जी के घर जो जा रहे हैं….. कहते हुए उसने लाजो की तरफ देखा जो थोड़ा नाराज़गी से उसकी तरफ देख रही थी….
क्या हुआ लाजो जी आप गुस्से में है क्या भुवन ने कुछ कह दिया…… अरे सोच लो एक बार फिर से शादी के बारे में…. ??
लाजो ने कावेरी से कहा दीदी आप सोच लो एक बार फिर से ……इनकी परसों सगाई है और ये अभी भी ऐसी बातें कर रहे है….
अरे आप हमारी साली जो बन गये तो इतना हँसी मज़ाक इतना तो बनता है….
मैं आपकी साली कैसे हो गयी? लाजो ने पूछा
तुम कावेरी का दीदी कहती हो और कावेरी भी तुम्हें बहन की तरह मानती है तो तुम हो गयी ना हमारी साली….. राघव ने हँसते हुए कहा…
आप दोनो चुप करो ,. बाक़ी लडाई गाड़ी में कर लेना……भुवन गाड़ी निकालो आदित्य ने भुवन से कहा
शीतल ने जाते समय सबको दही शक्कर खिलाया और बोलीं – आप सब जिस काम के लिए जा रहे हो वो पूरा करके ही लौटो….
सब गाड़ी में बैठ कर लाजो के गाँव के तरफ निकल गए….!!!!!!
आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा
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दास्तान इश्क़ की (भाग -26)- अनु माथुर : Moral stories in hindi
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर