रात के गहरे सन्नाटे में एक अजीब से अपराधबोध से घिरने लगी हूं। कहां गलती हो रही है ?
आखिर हिमांशु अपने काम्प्लेक्स से बाहर क्यों नहीं निकल पा रहा है ? कभी-कभी वह कितना पाॅजिटिव लगता है जब कहता है ,
” अगर ढ़ंग से जीवन जिया जाए तो उम्र कुछ भी माएने नहीं रखती
सामने बिस्तर पर हिमांशु पांव सिकोड़ कर अधलेटा है। देखने पर लग रहा है कि वह गाढ़ी नींद में सो रहा है। खिड़की से आते धुंधली लाइट में उसने आंखे खोली।
गहरी सांस के साथ सीधा हुआ कुछ क्षण नैना को देख कर टेबल पर पड़े माचिस के पैकेट को उठाया वह खाली थी। पैकेट नीचे फेंक दी,
” क्या सोच रही हो ? “
” शायद कुछ भी नहीं “
अभी कुछ आगे कहने के लिए शब्द तलाश कर रही थी कि भावावेग में आंखें भर आई।
आज कितनी गर्म उमस भरी शाम है।
बेहिसाब उमस वाले गर्म दिन और रातों के बाद आज सुबह यकायक तेज बारिश हुई है।
नैना उसके हाथ पर हाथ रखे कुछ क्षण चुपचाप बैठी रही। प्रेमियों के बीच सिर्फ हाथ के स्पर्श की भी महत्ता नैना को आज मालूम हुई। मन ही मन सोच रही है ,
इस पुरुष के साथ मेरी नियति भी बड़ी ही अजीब ढंग से जुड़ी हुई है।
इस बार हिमांशु ने नैना की ओर नहीं देखा सिर्फ स्पर्श की गहराई माप रहा है।
कुछ क्षण चुप्पी छाई रही।
एकाएक वे आलिंगन में बंध गए। चुंबनों की गहनता तीव्र और सघन थी।
नैना को अपने भीतर- बाहर हिमांशु के साथ ऐसी गहरी अनुभूति पहली बार हुई है। उन दोनों के बीच और साथ अब किसी प्रकार की आशंका और तनाव की छाया नहीं है।
चुंबन की गहनता तोड़े बिना वे बिस्तर पर लुढ़क गए।
और चादर पर ऐसे कई सिलवटें …बनती बिगड़ती रहीं।
‘ आगे के कुछ महीने नैना के लिए कितने भारी पड़ने वाले थे, जिसे शायद वो जिंदगी में कभी नहीं भुला पाएगी। वह हिमांशु से उसके डिटाॅक्सीफिकेशन के लिए बात करने वाली है ‘
फ़िलहाल इस वक्त …
अपने प्रेम से लाचार हुई विवश स्वर में ,
” हिमांशु ,शायद यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है।
मैं हमेशा अतीत की ओर मुड़ – मुड़ कर देखती हूं या फिर आने वाले कल की तरफ।
इसलिए इन दोनों के बीच खड़ा हुआ आज हमेशा अनदेखा कर देती हूं “
” इस दुनिया में सब कुछ हमेशा एक सा नहीं रहता है।
हम , हममें निहित मन , मन में बसी भावनाएं हमारा प्रेम कुछ भी स्थाई नहीं रहता “
” मैं अब भी अपने पूरे वजूद के साथ तुम्हारे प्रेम को जीना चाहती हूं ना मालूम क्यों ?
दूर कहीं बांसुरी की तान उभरी थी।
उन दोनों के बीच की शांति को भंग करते हुए।
“शायद मेरा आंचल हर तरह से भरने वाला है।
तभी इस घड़ी में मुरली की तान कानों में पड़ी है। मुरली वाले अपनी पुराने भक्त का साथ दे रहे हैं “
इधर हिमांशु … ख्यालों में बुदबुदाया …
” बांसुरी मेरे लिए कृष्ण को गांधारी द्वारा दिए जाने वाले शाप से जुड़ी है “
ना चाहते हुए भी नैना विक्षुब्ध हो कर ,
” हुंह … मेरे आराध्य को ले कर अशुभ बात मत कहो “
” … ओहृ मैं तो भूल ही गया था तुम मुरली वाले की साधिका हो “
” शायद यही ‘मुरली वाले’ की परम इच्छा है।
उस मुरली मनोहर की इच्छा के विपरीत जाऊं यह मेरे वश का नहीं ” नैना सोच रही थी
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -96)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi