मुन्नी अनुराधा के बेटे को बस स्टैंड से पिक करने चली गई है। इसलिए फोन की घंटी बजते-बजते थक कर बंद हो चुकी है।
आंखें मूंदे हुए कल के रिहर्सल के सिलसिले में सोच रही नैना ने फिर हिमांशु को फोन करने के लिए हाथ में फोन उठा लिया है।
फरवरी महीने के अन्तिम दिन चल रहे हैं। हवा में अब भी ठंडक है।
जो देह में जब-तब हल्की सी सिहरन पैदा करती है। धूप खासी चमकीली और हल्की ऊष्मा लिए हुए है।
मुन्नी अनुराधा के बेटे को लिए हुए आ गई।
वह दौड़ कर नैना के पास चला आया ,
” बूआ , तुमने आते ही मुझे प्यार नहीं किया” वह रूठा हुआ सा है।
“अब कर तो रही हूं बच्चे, ऐसे गुस्सा नहीं करते” नैना बोली।
उसे इस लाड़-दुलार की आदत पड़ने लगी है। वह भतीजे के इस तरह के प्रेम प्रदर्शन से विमूढ़ हो जाती है।
वह सोता तो अपनी मां के साथ है। लेकिन लाड़ बूआ से दिखलाता है।
देर रात अक्सर नैना की छाती से चिपका उसे पकड़ कर कसमसा रहा होता है। तब ममत्व से भरी नैना अचकचा कर उसे बांह में भरकर अपने साथ सुला लिया करती है।
बहरहाल …
फिर चला था नाटकों के रिहर्सल का अनवरत सिलसिला। कभी रविन्द्र भवन, कभी शोभित का घर , कभी राॅय बाबू का शानदार बंगला।
इन सब जगहों के अतिरिक्त नैना का घर भी उसके औफिस के छुट्टियों वाले दिन लगातार , बार- बार डाॅयलौग,पटकथा , निर्देशन और तरह – तरह के डिस्कसन्श।
नैना इस सबमें में हिमांशु की भी इन्वौल्वमेंट बनाए रखने के लिए बराबर उससे भी चर्चा करती रहती है।
“तुम मुझे इस सबमें क्यों घसीटती रहती हो ? ” उसका ऐसा रुख नैना को थोड़ा अपसेट कर जाता है।
एक दिन हिमांशु ने आजिज हो कर पूछा था।
नैना किसी दूसरे चीज में व्यस्त थी ठंडे स्वर में ,
” मुझे नहीं पता तुम क्या सोचते हो ?
मुझे मेरे माया ने अपने पूरे परिवार के साथ तुम्हें संभालने की ज़िम्मेदारी भी सौंपी है।
जिसमें पैसे लगते हैं हिमांशु और पैसे कमाने पड़ते हैं “
नैना सोचती है, हिमांशु की प्रवृति बदल गई होगी, फ्रस्ट्रेशन ने उसे और आक्रामक बना दिया है।
वह कभी-कभी हिमांशु और शोभित इन दोनों के बीच अपनी भावनाओं के बंटवारे का तनाव महसूस करती है।
उस दिन शनिवार था जब नैना के घर रिहर्सल की तैयारी में हिमांशु ने स्क्रिप्ट उठा ली थी। उसका स्वर थोड़ा ढ़ीला और उंगलियां कांप गई थीं।
नैना ने गौर से उसे देखा। आंखें और गोरा चेहरा भी लाल है
नैना को ध्यान आया, कमरे में आते वक्त वह खुद को संतुलित करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन बैठते वक्त वो थोड़ा लड़खड़ा गया था।
जिसे शोभित ने भी गौर किया है।
और अब स्क्रिप्ट उसके हाथों से फिसल पड़ी सिर एक ओर लुढ़क गया।
” हिमांशु ! क्या हुआ ? ” नैना के दिल की धड़कन एक पल को रुक सी गई थी।
शोभित ने उसे सीधा किया, उसके मुंह सूंघे , फिर पलक थोड़ा सा खोल कर उसकी आंखें देखी ,
” इन्होंने कोई ड्रग ले रखी है। ऐसे ही सोने दो सुबह तक ठीक हो जाएंगे “
शोभित की यही आदत अच्छी लगती है। मुश्किल समय में भी वह हमेशा साथ खड़ा रहता है, और वह भी अहसान जताने वाले भाव के साथ नहीं।
इसके बाद नैना फिर रिहर्सल कन्टीन्यू नहीं कर पाई ।
दुखी हो कर शोभित से हाथ जोड़ लिए ।
” ओके! तनाव महसूस कर रही हो, थक भी गई हो, कल आता हूं “
वहां बैठी अनुराधा ने उसे रोकना चाहा लेकिन मौके की नाजुकता देख चुप रही, जो यह सब देखकर रोहन कुमार को फोन लगाने लग पड़ी है।
जया ने फोन उठाया था।
आगे …
अगला भाग
डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -95)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi