डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -80)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

अगले दिन …

नैना…

टैरेस के बागीचे में रखी कुर्सी पर बैठी अपने खुले बालों को ब्रश से सहला रही थी। सामने टेबल पर चाय का भरा मग कप रखा है। उसे बीच- बीच में घूंट भर कर चाय पीना अच्छा लगता है।

आज शनिवार है। शोभित ने आने का वाएदा किया है। नैना उसके ही आने का इंतजार कर रही है।

दरवाजे  की घंटी बजी- चिड़िया की मीठी चहक के सुर में।

मुन्नी से दरवाजा खोलने को कहा कर खुद कपड़े बदलने कमरे में चली गयी।

“हैलो ” शोभित वहां लगे सोफे पर बैठ गया।

कपड़े बदल कर आई नैना को बरसाती मौसम भला लगा। उसने हल्की कलफदार सूती साड़ी पहन रखी है।

मुन्नी सामने टेबल पर नाश्ता सजा रही थी। खूब ड्राइ फ्रूट्स डाल कर गाजर का हलवा,  दो- तीन तरह की नमकीन, आलू के लच्छे और टोस्ट ,मक्खन , जैम।

” दीदी , आमलेट लोगी या व्याल्ड एग ?

” इतना सब कुछ क्यों कर डाला मुन्नी  ? मैं तो सबेरे सिर्फ काॅफी लेता हूं “

”  काॅफी बनाओ मुन्नी झटपट”

” नहीं – नहीं बस रहने दो मैं चाय भी पी लेता हूं “

“शोभित, हलवा खाओ इसे मैंने बनाया है “

” तुमने! तुम कुकिंग भी कर लेती हो ? “

उसने मुस्कुराते हुए एक बड़े चम्मच से उठा कर हलवा मुंह में डाल खूब अच्छा सा मुंह बनाया।

दोनों एक साथ हंस पड़ी।

एक घंटे लगभग नाश्ता चलता रहा मुन्नी ने उन दोनों को चाय देकर खुद लंच की तैयारी में जुट गई।

” हां ! शोभित अब बताओ तुम कोई नयी जानकारी देने वाले हो “

” मेरे पास एक नये नाटक के मंचन का प्रस्ताव आया है। मुझे एक नए प्रोड्यूसर मिले हैं “

” दैट्स ग्रेट!  तुम्हारी उनसे कहां मुलाकात हुई ?”

यहां आने के पहले मैं टालीगंज कलकत्ता में ‘श्री पारितोष’ और ‘लेडी राॅय’  के इकलौते बेटे ‘कुमार राॅय ‘  के लिए स्क्रिप्ट लिखा करता था।

कलकत्ते के बांग्ला रंगमंच में कुमार राॅय की अच्छी – खासी धाक थी।

उस दर्मियान मैं कितनी बार उनसे मजाक करता,

”  कि दादा,आप बैंक में इतना पैसा ब्लॉक करके देश के आर्थिक और बौद्धिक विकास को भी ब्लॉक करते हो”

बस पिछले दिनों मुझे वे ही अचानक मिल गए।

वे दिल्ली में नयी प्रतिभा की खोज में आए हुए हैं।

मैं ने उनसे ही तुम्हारी उभरती प्रतिभा और नृत्य कुशलता के विषय में बात की है। अभी इन दिनो उनके थोड़ी मंदी चल रही है तो उन्होंने मुझे बुला कर हां कर दी है “

” बजट भी अच्छा – खासा रखा है। सिर्फ एक बार वो तुमसे मिलना चाहते हैं तुम्हें मेरे साथ उनके बंगले पर जाना होगा “

नैना की आंखों में कला- उमंग की रंगारंग तरलता फैल गई थी।

सपना कांड–  वाले प्रकरण से आहत भावनाओं की एक-आध किरचें जो अभी भी मन में चुभी हुई थीं। वह भी इस मोहक प्रस्ताव से निकल गई हैं।

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