डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -34)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना बहुत खुश हैं,

अब दिल्ली , देश की राजधानी में उसका अपना खुद का अलग पता है।

खुद का घर है भले ही वह घर किराये के एक कमरे में सिमटा है।

अब उसे ये चिंता सता रही है। कमरा तो ले लिया है पर और बंदोबस्त कैसे  और किस प्रकार कर पाएगी वो ?

नयी-नयी नौकरी थी।  ऊपर से  महीने का अंत हो रहा है। उसके खाते में कुछ ही पैसे बच रहे हैं।  शोभित उसकी इन सारी परेशानियों को समझ रहा है।

अगले दिन सपना भी उसके साथ बरसाती में गयी थी।

जहां शोभित पहले से ही आया हुआ है।

जहां उन दोनों ने देखा कमरे में पलंग ,दीवान, कुर्सी – टेबल,गद्दे- चादर फिर किचन में भी जरूरत भर के बर्तन, विभिन्न प्रकार के साइज वाले डिब्बों  शुरुआत के काम चलने लायक राशन  भरे हुए थे।

और तो और छोटा सा कलर टी. वी भी है।

” इतना सारा सामान …  ? ”  नैना आंखें फाड़कर देख रही है।

” ऐसे क्या देख रही हो क्या तुमपर मेरा इतना भी अधिकार नहीं  है ?”

” नहीं, नहीं मेरा कहना यह नहीं है। शोभित पर यह उपकार मुझपर बहुत नहीं है  ? “

शोभित आहत हो गया, नैना ने तुरंत जीभ दांतों तले दबा कर कान पकड़ लिए।

” चलो अब जुट जाओ और सारे सामान अरेंज करने  में हेल्प करो “

” शोभित इससे मिलो ये सपना है ”  नैना ने उसका परिचय सपना से करवाया।

फिर उन तीनों ने मिलकर कर कमरे को घर का रूप दे दिया है।

घर की ऐसी साज-  सजावट देख कर नैना मन ही मन फूली नहीं समा रही है।

शाम में नहा-धोकर तीनों अजमल खां रोड घूमने निकले।  बीच में उन्होंने एक जगह रुक कर चाय पी।

सपना की मर्जी थी बाहर से ही खाना खाते हुए चलते हैं पर उमंग से भरी नैना  ने कहा ,

”  नहीं , गृहप्रवेश के नियम के अनुसार खाना घर पर ही बनना चाहिए ,

चलो आज घर पर पूरी और आलू की सब्जी बनाती हूं “

” मैं कहने ही वाला था ” शोभित ने भी नैना की बात पर हामी भर दी।

रास्ते में ही शोभित ने रूक कर मिठाई की दुकान से स्पोंज रसगुल्ले का डिब्बा खरीद लिया।‌‌

नैना के चेहरे पर मीठी मुस्कान फैली हुई है।

उसे लग रहा था , जैसे वह कोई सुहानी फिल्म देख रही है। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा है,

” कि उसके जीवन में कुछ इतना मधुर घट सकता है “

वापस लौट कर आने के बाद सपना और नैना किचेन में जुट गई थीं।

पूरी बेल कर सपना को कढ़ाई में तलने के लिए देनें समय उसे यों लगा ।

जैसे घर पर विनोद भैया वाली भाभी ‘अनुराधा’ के साथ पूजा की तैयारी करवा रही है।

शोभित मिसेज अरोड़ा से बातें करते हुए उन्हें ऊपर ले आया।  इतने सजे – सजाए कमरे को देख कर वे मन ही मन सोच रही हैं ,

” कहीं कमरे का किराया कम तो नहीं मांग लिया ? “

जया भी खुश है 

” नैना! मैंने बहुत जगह स्कूलों में अर्जी दे रखी थी। उनमें एक से काॅललेटर आया ‌‌‌‌है “

आगे …

अगला भाग

डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -35)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!