उस दिन हिमांशु से मिलने सेंटर जाने के लिए पिता भी साथ हो लिए थे।
नैना को हिमांशु के चेहरे पर पहले जैसा ही आभा पूर्ण तेज पसरा हुआ दिखा था। चेहरा दमक रहा था आंखों में फिर वही पुरानी जीवंत चमक लौट आई है।
नैना ने देखा,
लेकिन पिता की चौकन्ना मूल्यांकन करने वाली तेज निगाहों में आश्वस्ति से ज़्यादा तटस्थता के भाव हैं।
उनके आंखों के अवरोध स्पष्टतया नैना को चुभी थी।
अगले पन्द्रह दिनों बाद हिमांशु को रिहैबिलिटेशन सेंटर से छुट्टी मिलने वाली है।
डौक्टरों की सख्त हिदायत है,
” इस समय अकेले रहने देना उसे फिर से खतरे में डालना होगा “
उनके अनुसार,
” किसी कमजोर पल में वह दुबारा ड्रग की दुनिया में वापस लौट सकता है। “
लेकिन पिता के लिए यह सब गौण है।
वे हिमांशु का मूल्यांकन एक बार फिर से अपनी कसौटी पर करने का मन बना चुके थे।
फिर भी नैना ने हिम्मत जुटा कर पिता से अनुमति मांगी थी।
स्थिर दृष्टि से उनकी ओर देखते हुए,
” हिमांशु को सेंटर से यहां मतलब इस घर में ही ले आती हूं ,
डाक्टरों का कहना है उसे कुछ दिन अकेला नहीं छोड़ना चाहिए “
पिता पहले तो कुछ समझे नहीं जब समझे तो
उनका चेहरा तमतमा गया।
” यह क्या बेहूदगी है ? विवाह के पहले ही उसे घर ले आओगी क्या सारी लाज शर्म बेच कर रख दी है “
” फिर भी घर तुम्हारा है, तुम्हारी मर्ज़ी “
नैना ने होंठ काट लिए थे।
इस वाकये के अगले दिन ही पिता वापस हो लिए।
हिमांशु के सेंटर से वापस लौटने वाले दिन…
नैना ने मुन्नी से हिमांशु के मन पसंद की सारी चीजें बनाने को कही थीं ,
और खुद शोभित के साथ गाड़ी ले कर उसे लिवाने के निकल गई थी।
…
” कौन हिमांशु ? वे तो तीन दिन पहले ही चले गये”
” क्या? “
सुनकर नैना जहां खड़ी थी वहीं बैठ गई।
” लेकिन घर नहीं पहुंचा अब तक ?”
” यह देखिए उनके साइन किए हुए पेपर आप खुद ही देख लीजिए “
उसके हाथ से रजिस्टर ले कर पैनी नजर से सर्च किया
रिशेप्शन पर बैठी लड़की सच कह रही थी। पेपर पर खुद हिमांशु के साइन हैं।
” फिर वो गया कहां ? “
” पता नहीं ” कहती हुई लड़की
ने नीचे झुक कर ड्राअर खोल एक लिफाफा निकाल नैना को थमा दिया।
” इसे लीजिए ,
उन्होंने इसे जाने समय आपके आने पर सिर्फ आपके हाथों में ही देने को कहा था “
नैना ने कांपते हाथों से लिफाफा थाम लिया।
” नैना , कुछ समझ में आया ?
तुम्हें हिमांशु को यहां से लौट कर आने के बाद उसे फिर से बसाने की चिंता सता रही थी ना,
लेकिन उसने तुम्हें बिना बताए ही इस चिंता से मुक्त कर दिया “
शोभित कह रहा है …।
” लेकिन, कहां? कहां ? कहां गया वो आखिर?
कम से कम बता कर तो जाता “
शोभित ने उसके कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना देते हुए ,
” चलो, पहले यहां से चलें फिर आगे की सोचते हैं “
थके- हारे वे दोनों गाड़ी में बैठ गये।
नैना ने कांपते हाथों से लिफाफा खोला है।
आगे …
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -110)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi