नाइट डियुटी पर एक हप्ते के लिए आज आरक्षी अजय शर्मा .को भेजा गया था!
नयी चौकी पहला दिन, नयी जगह, नया अनुभव “
वैसे करने के लिए ज्यादा कुछ नही था!
पास ही एक पुलिसकर्मी वहाँ के आसपास के बारे मे बता रहा था!
बहुत बडी चौकी न थी, वह छोटा सा कस्बा तहसील होने की वजह से विकसित था!
बाहर मेनगेट पर एक पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए तैनात था!
काफी देर से अजय शर्मा की नजर चौकी के गेट पर अटक रही थी!
उन्हें ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे कोई आने वाला है!
सर चाय “
जी अभी यही रख दो”
इस बार नजर सीधे गेट पर गयी तो दूर से एक महिला नजर आयी, जो शायद बाहर खडे, सिपाही से कुछ पूछ रही थी!
उन्हें अंदर आने दो, चाय का गिलास हाथ से उठाते हुए अजय शर्मा बोले “
वो महिला अंदर आ गयी, उसके चेहरे पर गहन उदासी, और ठहराव था, साठ के आसपास उम्र लग रही थी!
अम्मा आप इतनी रात में ” घडी पर नजर डालते हुऐ बोले अजय शर्मा “
फोन लगा लेती, आपको घर ही सुरक्षा मिल जाती, वैसे हुआ क्या “
बेटा, वो बुजुर्ग महिला फफक कर रो पडी “
आप रोइये मत, आप बैठ जाईये, उठकर मानवता के नाते पास आ गये, अजय शर्मा “
आप शायद बहुत परेशान है, उस महिला की ओर देखते हुए टेबल पर रखा पानी का गिलास उस बुजुर्ग महिला की ओर बढा दिया “
नही बेटा इसकी जरूरत नही है!
उस महिला की पलकें ज्यादा रोने की वजह से सूज गयी थी!
अब बताईए “
इसी कस्बे के अखिरी मे रेजीडेंसी रिसोर्ट है, उसी के पीछे वाली गाली मे मेरा घर है, मकान नम्बर चौहत्तर “
इतना बोलते बोलते महिला हांफ गयी!
फिर लम्बी सांस लेकर बोली “
मेरे तीन बच्चे है, एक बेटा दो बेटी, जैसा की अक्सर माँ बाप सोचते हैं उनके बच्चे आगे बढे, पति डाक्टर थे तो, बेटे को पढने, विदेश भेज दिया “
उसकी पढाई पूरी हुई तो वो वही बस गया!
बेटियां अपनी ससुराल चली गयी!
रिटायर होने के बाद हम दोनों पति पत्नी अकेले हो गये, इस बीच, मुझे कैंसर हो गया, सारी जमापूंजी मेरे इलाज में जाने लगी,
मै ज्यादा पढी लिखी तो थी नही ,बस पति पर ही आश्रित थी!
फोन के बारे में बस इतना ही जानकारी थी की यदि कोई फोन आना तो हरा वाला बटन दबाकर उठा लेती “
काफी दिनों से मेरे पति कोशिश कर रहे थे की मेरा बेटा मुझसे मिलने आ जाऐ, और बहुत सालों बाद वो मिलने आ रहा था!
हम पति पत्नी खुश थे, बेटियों को भी फोन पर बता दिया था!
पर बेटियों के बच्चों की परीक्षा होने की वजह से हमने निर्णय लिया था की बेटे के आने पर हमलोग खुद उनसे मिलने जाऐगें”
पर अफसोस बेटा न आया ” मेरे पति उदास हो गये, और मै भी “
रात हो गयी थी, की अचानक फोन बजा, ममा मेरा एक्सीडेंट हो गया है!
इतना बोलते बोलते महिला रोने लगी “
चुप हो जाईए और बताईये कहाँ पर एक्सीडेंट हुआ है,
अपने कस्बे के पांच किलोमीटर आगे,
अम्मा आप चिंता मत कीजिये हम अभी जाते हैं,
अजय शर्मा उठते हुए बोले “
गश्त के लिए अभी निकलना होगा, कोई एक्सीडेंट हुआ है,
जल्दी करो, भगवान न करे देर हो जाऐ”
किसी को फोन पर बोले अजय शर्मा “
पर बेटा मुझे घर जाना होगा, मेरे पति की तबियत ज्यादा खराब शायद उनका रक्तचाप बढ गया है!
अम्मा आप किसके साथ आयी है!
महिला ने निराशा से उनकी ओर देखा,
चलिए छोड़िये ,मैं आपको छोडते हुए, निकल जाऊंगा “
करीब एक किलोमीटर की आबादी पार कर रिसोर्ट के पीछे बने आलीशान घर के सामने गश्त की जीप रूकी,
वो बुजुर्ग महिला, जीप से उतर कर धीरे धीरे घर के अंदर चली गयी!
अजय शर्मा के बैठते ही जीप दुर्घटना स्थल की ओर रवाना हो गयी!
वहाँ पहुचतें ही वहाँ का नाजरा चौकने वाला था!
कुछ जंगली कुत्ते किसी लाश को नोचकर खा रहे थे!
लाश पूरी तरह क्षत विक्षत थी!
वैसे तो बहुत केस देखे थे! अजय शर्मा ने पर इस केस मे उनके अंदर सिहरन पैदा कर दी “
उस बीमार माँ को क्या बोलेगें,
सुबह हो गयी थी, पुलिस कर्मी कुछ लोगों के साथ घर के अंदर आ गये, बरामदे मे ही एक महिला ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया!
अखिर शाम होने आ गयी!
अजय शर्मा , उस महिला के बेटे का शव पोस्टमार्टम के बाद लेकर आ गये थे!
पर कोई बाहर न आया, पडोसी इकट्ठा होने लगे थें!
दोनों बेटियों को मोहल्ले वालो ने सूचना भेज दी थी!
वो बस पहुंचने वाली थी!
अजय शर्मा घर के अंदर घुस गये ”
एक गंदी सी बदबू उनके नथुनो से टकराई “
पूरा घर खाली पडा था!
सब ओर खामोशी ”
वो बरामदे के आगे बने कमरे तक पहुँच गये!
सामने दीवार पर कुछ तस्वीरें लगी थी!
उसमें वो रात वाली बुजुर्ग अम्मा की भी तस्वीर थी “
तस्वीरो के हिसाब से बडा खुशहाल परिवार लग रहा था!
पास ही किचन से कुछ आवाज आ रही थी!
शायद अम्मा किचन में है,
अजय शर्मा किचन की ओर बढ गये!
वहाँ एक बडी खूखार काली बिल्ली बर्तनो को चाटती नजर आयी “
अजय शर्मा को कुछ भय सा लगा, वो बिल्ली उन्हें ही घूर रही थी “
वो दो कदम पीछे हट गये “
वो पीछे मुडे ही थे की अम्मा सामने खडी नजर आ गयी “
वो बहुत उदास लग रही थी!
अम्मा हम आपके बेटे को नही बचा पाये “
अम्मा खामोशी से उन्हें देखती रही,
अम्मा सर की तबियत अब कैसी है,
वो सो रहे हैं “
बस दोनों बेटियां आ जाऐ उन्हें रात को फोन लगा दिया था!
बस पहुंचती होगी,
फिर इनको भी उठा दूंगी,
पर एकबार सर से मिल लेता, और उन्हें,डाॅक्टर को भी दिखा देता “
इंसानियत के नाते अजय शर्मा ने अपनी बात रखी!
अब जरूरत नही “
उन्हें आराम है “
जैसे अम्मा बदली और खोई हुई नजर आयी अजय को “
बाहर शोर सुनाई देने लगा था,
शायद दोनों बेटियां आ गयी थी!
रोने का क्रदन तेज सुनाई दे रहा था!
अम्मा कमरे की ओर बढ गयी!
और अजय उनके पीछे, अदंर बहुत अंधेरा था!
अजय ने मोबाइल की रोशनी से स्वीच ढूँढा “
रोशनी फैलते ही अजय के मुहं से चीख निकल गयी!
सामने दो लाशे नजर आयी!
वो पूरी क्षतरह गल चुकी थी!
अम्मा के शरीर पर बस चमडी शेष थी!
और सर का शरीर नीला पडकर काले रंग में तब्दील हो रहा था!
एक कागज का टुकड़ा टेबल पर पडा था!
अजय उस कागज को पढने लगा “
उसके आंसू रूक न रहे थे!
तो अम्मा को मरे एक हप्ता हो गया!
फिर अभी तक जिनके साथ था वो कौन थी,
शायद वो ममतामयी आत्मा जो अपने बच्चों से मिलने के लिए तडप रही थी!
आगे सोच न सका अजय”
अम्मा अबतक दोनो बेटियां अंदर आ चुकी थी!
वो माँ के पैरों को पकड कर रो रही थी!
अम्मा हमें नही पता था!
अब नही मिलोगी पापा का फोन आया था पर हमने लापरवाही में लिया,
सबकुछ खतम हो गया!
तीन अर्थियाँ अपनी अंतिम यात्रा पर निकल चुकी थी!
जबकि उनको लाश बने हुए सालों हो गये थे!
आज इस घटना को एक महिना बीत चुका था, वो लेटर अब भी अजय के पास था!
उसमें लिखे शब्द अजय को झझोड रहे थे!
मै डाॅ भार्गव, मै इच्छा मृत्यु की इच्छा रखता हूँ!
मेरी पत्नी कैसंर पीड़ित जो इस दुनिया को छोड चुकी है!
मेरा बेटा विदेश में है उसके पास हमारे लिए समय नही है, दो बेटियां है, उनकी अपनी दुनियां है!
तीन दिन से मै उसकी लाश के पास बैठा हूँ बिना खाये पीये, बच्चों का इंतजार कर रहा हूँ!
बस अब और नही बेटे ने वादा किया पर आया नही “
बेटियों के पास समय नही, अब मै भी अलविदा करता हूँ “
वो सुसाइड नोट था,
जिसे अजय ने छुपा लिया था!
ताकि संसार में मां बाप का भरोसा बच्चों से न उठे “
समाप्त
ये कहानी काल्पनिक है, यदि किसी घटना से मेल खाती है तो क्षमाप्रार्थी है! इस कहानी का उद्देश्य मात्र इतना है, माँ बाप को अकेला न छोडे, आप उनके बुढापे का सहारा है!
कितना भी जरूरी काम हो उनके लिए वक्त जरूर निकाले, धन्यवाद🙏
रीमा ठाकुर