दर्द की दास्तान ( भाग-22 ) – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

कहानी के पिछले भाग के अंत में आपने पढ़ा के, सुरैया की दादी सुरैया की वजह से अपनी जान दे देती है… पर फिर भी सुरैया जिस को सहारा देने आया अंगद, के साथ बेरुखी से पेश आती है…

अब आगे…

सुरैया अकेले अपने कमरे में बैठी, अपनी दादी को याद कर रोए जा रही थी… रोते रोते ही वह दादी से कहती है… दादी..! इतना बड़ा फैसला कर लिया..? मुझसे एक बार भी मेरी हालत नहीं जाननी चाही…? एक बार भी अपनी सुरैया से नहीं पूछा कि, तू काहे ऐसा कर रहो है..? ठीक है, जब आपको अपनी ही मनमानी करनी थी, फिर अब मैं भी अपनी ही मनमानी करूंगी… मैं भी वैसा ही करूंगी जैसा मेरा मन कहेगा… मैं यह कस्बा ही छोड़ कर चली जाऊंगी… वहां चली जाऊंगी, जहां मुझे कोई नहीं पहचानता हो… बस एक बार आपके सारे क्रिया कर्म संस्कार हो जाए…

और भी बहुत कुछ सुरैया अपनी दादी से कहीं जा रही थी, कि तभी पीछे से अंगद आकर कहता है… आखिर कहां जाना चाहती हो तुम..? कहो तो मैं छोड़ दूं…?

अंगद अभी तक गया नहीं, जितना हैरान आप हो गए, उससे कहीं ज्यादा सुरैया हैरान हो गई… 

सुरैया:   क्या बात है सर जी..? कुछ भूल गए क्या यहां..? जो फिर आ गए…?

अंगद:   सोचकर तो गया था कि, यहां से जाने के बाद सब कुछ भूल ही जाऊंगा… पर क्या करूं..? उससे पहले ही मेरी सब भूल दूर हो गई, या यूं कह लो के किसी ने सब भूल दूर कर दी और अब इस भूल भुलैया में से सब कुछ निकलने आया हूं…

सुरैया अंगद की बातों का मतलब नहीं समझ पा रही थी… इसलिए वह बस उसे देखे जा रही थी..

अंगद:   सुरैया..! यह सच है कि मैंने तुमसे शादी अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किया था, और इस शादी को लेकर मैं बड़ा परेशान भी था… मैं अपनी हर भावनाएं, अपनी मां को बताता था… क्योंकि इस दुनिया में मुझे उनसे बेहतर कोई और जान नहीं सकता…

अंगद यह सब कह ही रहा होता है कि, सुरैया उसे बीच में ही टोक देती है…

सुरैया:   1 मिनट सर जी..! आपकी तो बस थी ना अभी..? आप वहां ना होकर यहां यह सब बताने आए हैं मुझे…? आप मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ते..? कहा ना मैंने, मुझे आपके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना… और ना ही मुझे आपके बारे में जानने में कोई दिलचस्पी है… कृपया करके चले जाइए इस कस्बे से और मेरी जिंदगी से…

अंगद:   बस भी करो अब सुरैया..! सब जान चुका हूं मैं… तो तुम अब यह नाटक खत्म कर सकती हो..

सुरैया हैरानी से:  नाटक..? कैसा नाटक..?

अंगद:   तुम भी मुझसे प्यार करती हो… इस बात को छुपाने का नाटक…

सुरैया:   प्यार..? यह किसने कहा आपसे..? जबरदस्ती या हालत के दबाव में बंधे रिश्तो में भी प्यार होता है कभी..? 

अंगद:  ठीक..! चलो मान लिया, के तुम मुझसे प्यार नहीं करती… फिर वह देखभाल..? वह हमदर्दी…? क्यों..?

सुरैया:   वह तो आपने मेरे लिए इतना किया, उसके लिए इतना तो बनता ही है ना..? चलिए मान लिया मैंने, के मैं आपसे प्यार करती हूं, बहुत प्यार… पर आप..? आप करते हैं मुझसे प्यार..?

इस पर अंगद चुप हो गया.. के तभी पीछे से एक औरत अंदर आकर कहती है…. यह भी तुमसे बेपनाह प्यार करता है सुरैया..! बस अपने जज्बात को समझ नहीं पा रहा था…

सुरैया उस औरत को हैरानी से देख रही थी…

औरत:   मैं इसकी मां हूं सुरैया..!

मां सुनकर सुरैया एकदम से घबरा जाती है और अपनी नजरें चुराने लगती है…

अंगद की मां:  बेटी..! माफ कर दो मुझे… मैंने तुम पर बड़ी ज्यादती की है… क्या करूं मां जो हूं..?

अंगद:   आप इससे माफी क्यों मांग रही हैं..? और आपने मुझे वापस इसके पास क्यों भेजा..? देखिए… कैसे अकड़ रही हैं..? आपने तो कहा था, यह नाटक कर रही है… पर इसके तेवर देखकर लग तो नहीं रहा कि यह नाटक कर रही है…

मां:  कहने को तो, तू एक पुलिस अफसर है… पर एक औरत का दिल कोई पुलिस वाला नहीं, एक प्रेमी ही पढ़ सकता है… तू इसको चाहता है, यह बात मुझे पहले ही मालूम चल गई थी.. पर मैं स्वार्थी बन गई थी… मुझे एक ऐसी लड़की जिसकी मानसिक अवस्था खराब थी… ऊपर से बलात्कार पीड़िता… अपनी बहू के रूप में नहीं चाहिए थी.. इसलिए मैंने 1 तार इसके नाम पर भेजा था… जहां मैंने इसे तुझसे दूर रहने की विनती की थी… वैसे मैं तो इसे चेतावनी देने वाली थी, पर फिर सोचा धमकियां अक्सर उतना काम नहीं कर पाती… जितना कि विनती कर जाती है… और हुआ भी यही… इसने तुझसे अपने सारे रिश्ते को स्वीकारने से मना कर दिया …

अंगद:   तो क्या यह अब तक आप के तार की वजह से ऐसा बर्ताव कर रही थी…? 

मां:   तू खुद क्यों नहीं पूछ लेता इससे..? वैसे तो तेरी बड़ी बहुत धौंस चलती है… इसके सामने कहां चली जाती है तेरी सारी धौंस…?

अंगद सुरैया से:   तो अब भी तुम यही कहोगी, कि इस रिश्ते को नहीं मानती..?

सुरैया:   हां..! अब भी मेरा फैसला यही है…

सुरैया के इस जवाब से अंगद के साथ-साथ, अब उसकी मां भी हैरान हो जाती है… क्योंकि अब तक तो उन्हें ऐसा लग रहा था कि, उनकी वजह से सुरैया इस रिश्ते को अपनाना नहीं चाहती… पर जब सुरैया फिर भी इस रिश्ते को नहीं मानती, तब वह भी हैरान हो जाती है…

आखिर सुरैया के फिर भी मना करने की वजह क्या थी..? और आगे क्या होता है…? यह जानिए इस कहानी के अंतिम भाग में…     

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