दर्द जो कोई नहीं बांट सकता –  सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  ” बधाई हो भाभी, बेटा अफसर बन गया है और बहू भी अफसर ही आई है |दोनों तुम्हारी इज्जत करते हैं, बात मानते हैं और अब तो तुम्हें अपने साथ घूमने ले जा रहे हैं |बेटा -बहू तो बहुतों के है, पर कोई अपनी माँ के लिए इतना नहीं  करता है? बड़ी नसीबोंवाली हो भाभी |”रेखा की ननद जाते जाते संगीता से बोली |

     “नसीबोंवाली” इस शब्द ने रेखा को अतीत में पहुंचा दिया |आजतक तो वह अपने लिए मनहूस, बदनसीब, करमजली इत्यादि ही सुनते आई थी | बाइस साल की उम्र में उसकी शादी सोमेश से हुई थी |पति एक फैक्टरी में काम करते थे |घर में सास, दो ननद भी थी  | उसने अपने पति का पूरा साथ दिया |

सास और ननद तो उसे तंग करते थे, पर पति उसका सदा ध्यान रखते थे |वे कभी उसपर गुस्सा नहीं करते और हर समय उसके सहयोग के लिए तत्पर रहते | यद्यपि वे अपनी माँ और बहन का भी पूरा ध्यान रखते थे, परन्तु उनलोगों को उनका अपनी पत्नी का इतना ख्याल रखना नहीं भाता था | इस बात से वे लोग  रेखा से चिढ जाती थी |शादी के पांच साल हो गये थे |दोनों ननद की शादी हो गई |

एक पुत्र  राजन का जन्म हुआ |रेखा अपने जीवन से संतुष्ट थी, पर अचानक दुर्भाग्यवश फैक्टरी में हुए एक एक्सीडेंट में उसके पति की मृत्यु हो गई |उसका जीवन अंधेरे में डूब गया |वह मनहूस, करमजली, बदनसीब हो गई  | बस यही एक बात अच्छी रही कि उसे पति की फैक्टरी में काम मिल गया और पति के कुछ पैसे भी |वह भरण-पोषण के लिए किसी पर आश्रित न रही |उसे मिलने वाले पैसे सभी को दिखते थे, पर उसका दुख किसी को नहीं | उसके भाई ने उसकी दूसरी शादी करवानी चाही, पर वह तैयार नहीं हुई |

उसने साफ कह दिया कि सोमेश का उसके जीवन में जो स्थान था, वो स्थान वह पूरी जिंदगी किसी और को नहीं दे सकती |सोमेश चला गया, पर उसकी यादें सदा उसके साथ है |सोमेश का उसके जीवन से जाना वो रिक्त स्थान है, जो कोई भी, कभी भी नहीं भर सकता है | सोमेश, उसके जीवन साथी के जाने का दर्द कोई नहीं बांट सकता | किसी के यहाँ कोई मांगलिक कार्य होता तो पहले वह जाती थी, पर जब उसने देखा कि किसी भी शुभ अवसर या कार्य में उसकी उपेक्षा की जाती है और उसकी उपस्थिति कोई नहीं

चाहता |यहाँ तक की कोई उसका मुंह देखना भी शुभ नहीं मानते, तो उसने जाना भी छोड़ दिया |सोमेश के जाने  के लिए वह कतई दोषी नहीं थी और उसके जाने के बाद भी वह उसकी सारी जिम्मेवारियां भलीभाँति उठा रही थी, पर फिर भी कोई उसे पसंद नहीं करता था |उसने अकेले ही अपने दम पर अपने बेटे का पालन-पोषण  और पढाई -लिखाई अच्छे से किया |

उसने  सारी जिम्मेवारियों को निभाया, सारे कार्य किये |उपर से वह शांत बनी रही,पर सोमेश के जाने का दर्द हर घड़ी,हर पल उसके साथ रहा | बेटा भी  मेहनती और योग्य निकला | पढ़ लिखकर अफसर बना और पत्नी भी अफसर पाई |

दोनों रेखा का पूरा सम्मान करते और ध्यान रखते | उसे अब किसी चीज की कमी न थी, पर जीवन साथी के साथ न होने का दर्द सदा उसके साथ रहा और कोई भी खुशी उसे कम न कर पाई | सात माह पहले ही शादी हुई, बेटा- बहू हनीमून मनाकर आये और अब माँ को  घूमने ले जा रहे थे | बस इसी बात पर उसकी ननद उसे सुना गई |

     “क्या हुआ माँ? क्या सोच रही हो? ” राजन रेखा के पास बैठते हुए बोला |

       “काश, आज तुम्हारे पापा होते और हमसब एकसाथ जाते |” रेखा ने एक गहरी सांस ली |

         ” हां माँ, ऐसा होता तो बहुत अच्छा होता, पर हमारा सौभाग्य है कि तुम हमारे साथ हो | माँ हमारे लिए तुम खुश रहा करो और अपना आशीर्वाद बनाये रखो |”राजन माँ का हाथ पकडकर बोला | माँ ने उसे गले से लगा लिया | 

#जीवन साथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बांट सकता 

 स्वलिखित और अप्रकाशित

 सुभद्रा प्रसाद

 पलामू, झारखंड |


 

 

 

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