“डर का इलाज कहीं नहीं है” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

कितनी बार मना किया है इस लड़की को छत पर जाकर ना बैठे पूरी दुनिया भर के लड़कों का इस मोहल्ले में जमावड़ा लगा रहता है,  मोहल्ले वालों को पता है सबके घरों में लड़कियां है  फिर भी पता नहीं क्यों लड़को को कमरा किराए पर दे देते हैं

और यह लड़के पढ़ाई कम करते हैं उल्टी सीधी हरकते ज्यादा करते हैं इसलिए मैं बार-बार गौरी को ऊपर जाने से रोकती हूं पर यह लड़की मेरी सुनती कहां है? यह लड़के भी इतनी छोटी सी जगह में क्या पढ़ लेंगे,

सीधे एक बार ही बडे शहर में जाकर क्यों नहीं रहते? अरे.. क्यों सारे दिन चिल्लाती रहती हो क्या अब बेटी अपने घर की छत पर भी ना जाए तुम देख रही हो नीचे कितनी सर्दी हो रही है धूप में किताब लेकर ही तो गई है तुम तो उसके पीछे ही पड़ी रहती हो

और मोहल्ले में रहने वाले लड़के भी सारे अच्छे-अच्छे घरों के हैं क्या कभी तुमने इनके बारे में कुछ गलत सुना है, बेचारे जा जाने कहां-कहां से शिक्षा के लिए यहां आते हैं कितने ही सपने लेकर आते हैं पर बस तुम्हें तो कोई भी लड़का दिखा नहीं

अपनी बेटी का डर सताने लगता है! हां तो क्या मेरा डर गलत है, बेटी घर की इज्जत होती है और किसी दिन यह इज्जत मिट्टी में ना मिल जाए इसी बात कि मुझे चिंता रहती है  तुम्हें क्या पता मेरा दिल न जाने कैसी कैसी आशंका से घिरा रहता है,

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आजकल अखबारों में देख लो कितने सारे केस ऐसे ही आने लग गई, मैं क्या अपनी बेटी की दुश्मन हूं मुझे भी उसकी चिंताहै पर क्या करूं मां का दिल है एक अनजाना सा डर हमेशा ही लगा रहता है, मेरी गोरी अभी दुनियादारी से बहुत दूर है

किंतु बेटी की उम्र भी तो छुपाने से नहीं छुपती, पूरी 18 वर्ष की हो जाएगी इस साल! हां दमयंती तुम सही कह रही हो किंतु क्या ऐसे बेटी को घर में बंद करके तुम उसे सुरक्षित जिंदगी दे सकती हो?

कल को वह दूसरे शहर में कॉलेज जाएगी कोचिंग जाएगी तब क्या हर समय हम उसके साथ रहेंगे, ,इसलिए कहता हूं बेटी को बहादुर बनाओ उसे अपने फैसले लेने दो और उसे आगे बढ़ने का मौका दो

ताकि वह किसी भी अनजान लड़के को देखकर या विपरीत परिस्थितियों में घबराएं नहीं बल्कि हिम्मत से उनका सामना करें! गौरी की मां डर का इलाज कहीं नहीं है अगर तुम ऐसे ही डरती रहोगी तो गोरी तो कमजोर पड़ जाएगी

हमें उसकी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनना होगा! गौरी की बोर्ड की परीक्षा  भी हो गई और गौरी ने बहुत अच्छे नंबरों से परीक्षा पास कर ली, नीट में सफल होने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उसे बाहर जाना था माता-पिता दोनों ही डर रहे थे

उनकी बिटिया बड़े शहर में अकेली कैसे रहेगी किंतु गौरी ने उन्हें हिम्मत दिलाइ कि वह बाहर जाकर हीतो अपने सपने पूरे कर पाएगी कुछ कर पाएगी, आप दोनों का नाम रोशन करेगी और अपने घर की इज्जत पर कभी  आंच नहीं आने देगी!

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माता-पिता गौरी को अच्छे से हॉस्टल में दाखिला दिलवा कर वापस आ गए, गोरी भी दिन-रात मेहनत करने लगी उसकी कई सहेलियां जिनका पढ़ने में मन नहीं लगता था वह गौरी को अपनी और आकर्षित करने की कोशिश करती 

किंतु गौरी अपने मम्मी पापा को दिया वचन नहीं तोड़ना चाहती थी, और वह स्वयं एक अच्छी स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थी और आखिरकार गौरी की मेहनत रंग लाई, कुछ सालों की मेहनत के बाद गौरी आज  एक सफल डॉक्टर बन गई ,

उसकी पहली पोस्टिंग अपने ही शहर में हुई वह अपने कार्य में इतनी निपुण थी की दूर-दूर तकउसकी उसकी  ख्याति फैल गई, वह स्त्री रोग विशेषज्ञ बन गई थी, उसकी हाथ में इतनी सफाई थी

की आसपास के सभी लोग इन सभी कामों के लिए उसी के पास आते, घर की नेम प्लेट पर अब उसके मम्मी पापा के साथ एक नया नाम जुड़ गया डॉक्टर गौरी अग्रवाल! आज मम्मी पापा को उस पर बहुत गर्व हो रहा था क्योंकि उनकी बेटी ने उनके घर की इज्जत को चार चांद लगा दिए थे!

  हेमलता गुप्ता स्वरचित 

    कहानी प्रतियोगिता “घर की इज्जत”

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