*”दामिनी का दम”* (भाग-9) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

राजेश अपने बेड पर लेटते ही खर्राटे मारने लगा।वो गहरी नींद में सो गया ।

दामिनी भी गहरी नींद में सो रही थी।

राजेश की मां मंजू देवी ने जाकर उसे देखा ।नींद में वो काफी भोली भाली और मासूम लड़की लेग रही थी । उस समय दिन के करीब ग्यारह बज रहे थे।दामिनी करीब बारह बजे उठी ।अब उसे काफी हल्का महसूस हो रहा था।लेकिन सिर में पत्थर लगने की वजह से वहां अभी भी दर्द हो रहा था।उसने सोचा लगता है दवा का असर कम हो गया है ।तभी दर्द हो रहा है। दवा के चलते ही उसे गहरी नींद आ गई थी।तभी उसका मोबाइल बज उठा।उसने देखा उसके पापा का था ।उसने तुरंत फोन उठाया और उन्हे प्रणाम किया ।उसके पापा ने पुछा _

बेटी तुम ठीक ठाक  पहुंच गई क्या ।कोई दिक्कत तो नही हुई ।तुमने अभी  तक कोई फोन नही किया। इसलिए तुम्हारी मां तुम्हारे बारे में चिंता कर रही थी।

मैं ठीक ठाक से पहुंच गई हूं पापा।चिंता की कोई बात नही है।मां को भी बोल देना ।दामिनी ने कहा।

बेटी टीवी पर तुम्हारे शहर के बारे में खबरे आ रही है ।सब कह रहे हैं एक ही रात में एक अनजान लड़की ने वो कर दिखाया जो आजतक किसी ने नही किया है।उसके पापा ने पुछा।

ओह अच्छा टीवी पर ऐसा न्यूज आ रहा है।मैंने देखा नही ।बाद में देख लूंगी ।दामिनी ने अनजान बनते हुए कहा।

मुझे तो शक हो रहा है बेटी कही इन सारी घटनाओं में तुम्हारा तो हाथ नही है।उसके पापा ने पूछा।

पापा अब मैं क्या बताऊं इस शहर के बारे में ।बहुत बुरा हाल है यहां का ।में कल ही रात में पहुंची हूं और जो देखा है मैं बता नहीं सकती।दामिनी ने कहा।

बेटी अपना ख्याल रखना।उस शहर में अपराधियों का बोलबाला है।वहा का क्राइम चरम सीमा पर है ।उसके पापा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा।

पापा आप बेकार ने चिंता कर रहे हैं।अब मैं आ ही गई हूं तो जो होगा देखा जाएगा।मैं सब संभाल लूंगी ।आखिर इसी काम के लिए तो मुझे इतनी ट्रेनिंग देकर यहां भेजा गया है।

दामिनी ने अपने पापा को समझाते हुए कहा।

ठीक है बेटी तुम फोन करते रहना।

ठीक है पापा ।इतना कहकर उसने मोबाइल रख दिया ।तभी उसने सामने देखा _ राजेश की मां और बहन खड़ी थी ।

तुम जाग गई बेटी ।मैं राजेश की मां मंजू देवी और ये उसकी बहन रागिनी है।राजेश की मां ने कहा।

दामिनी ने उसको नमस्कार किया ।

बेटी तुम बाथरूम जाकर हाथ मुंह धो लो ।तब तक मैं चाय बनाकर लाती हूं ।

जी ठीक है लिकन राजेश कहा है।

जी भईया सो रहे हैं। रागिनी ने जवाब दिया।

ओह अच्छा बाथरूम किधर है उसने रागिनी से पूछा ।

चलिए दीदी मैं आपको ले चलती हूं।

रागिनी ने कहा।

वो रागिनी को लेकर बाथरूम की ओर  जैसे ही जाने लगी उसका मोबाइल फिर बज उठा।उसने मोबाइल रिसीव कर अपने कान पर लगाया और कहा  _ हा मैं आ गई हूं और चार बजे ऑफिस पहुंच जाऊंगी तुम सब तैयारी कर के रखना.। अपने बड़े साहब को भी बता देना की मै उनका चार्ज लेने आ रही हूं।

देखो ज्यादा ताम झांम मत करना।मैं सादे  तरीके से ज्वानिंग लुंगी ।और ठीक चार बजे सुरक्षा सहित दो गाड़ियां भेज देना।

फिर उसने फोन काट दिया।

रागिनी ने बाथरूम जाते हुए रागिनी से  पूछा दीदी आप कौन है ।भईया आपकी रात वाली घटनाएं बता रहे थे ।आज टीवी पर भी वही सब खबरे दिखाई जा रही है ।

दामिनी मुस्कुराने लगी ।धीरज रखो सब जान जाओगी।

थोड़ी देर बाद वो रागिनी को लेकर उसके कमरे में आ गई ।राजेश की मां भी तीन कप चाय लेकर आ गई ।

चाय का प्याला लेते हुए दामिनी ने कहा _ सॉरी आंटी मेरी वजह से कल रात आपके बेटे राजेश को परेशानी हुई और अब आप लोगो को बिन बुलाए मेहमान की तरफ परेशान कर रही हूं ।

नही बेटी ऐसा कुछ नही है।राजेश का तो काम ही सवारी को यहां से टीवहा ले जाना।

आपका मामला कुछ अलग था बस ।मंजू देवी ने कहा।

उसकी बात सुनकर दामिनी मुस्कुराने लगी।उसने अपनी जेब से रूपये निकालते हुए उसने पूछा_ राजेश ने कुछ भाड़ा बताया था क्या।

जी दीदी भैया ढाई हजार रूपए भाड़ा बता रहे थे।रागिनी ने बताया।

लीजिए आंटी कुल पांच हजार रूपए है राजेश को दे देना. ढाई हजार रुपए उसके मेरे साथ रातभर जगाने के इनाम है।

नही बेटी मेरा बेटा इतना रुपए नही लेगा ।उसे केवल अपना भाड़ा ही चाहिए।मंजू देवी ने कहा।

रख लीजिए उसकी ड्यूटी अभी खत्म नहीं हुई है उसे तीन बजे जगा देना ।एक घंटे में तैयार होकर मेरे साथ चार बजे चलना है ।

ठीक है बेटी तब तक तुम नहा धो लो जब मेरे घर आ ही गई हो तो खा कर जाना ।मैं खाना बना देती हूं ।

मंजू देवी ने रुपए लेते हुए कहा।

ठीक है आंटी ।वैसे खाना बनाने में दिक्कत हो तो मैं किसी होटल में खा लूंगी।दामिनी ने कहा ।

नही बेटी मुझे कोई दिक्कत नही होगी तुम जाओ नहा धो लो।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-10) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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