*”दामिनी का दम”* (भाग-23) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

दामनी ने फोन कर प्रभा से उसका लोकेशन पूछा उसने अपनी बोगी का नंबर बताया।उसने कहा तुम जल्दी अपनी टीम के साथ स्लीपर नंबर पांच छ और सात की तरफ आओ वहां लोगो के चीखने चिल्लाने की आवाजे आ रही है।

प्रभा ने कहा_  ठीक है मैडम मैं तुरंत आती हूं।

दामिनी ने तुरंत जीआरपी थाना इंचार्ज को फोन लगाया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ बता रहा था।

दामिनी ने बिना देर किए  उस बोगी को तरफ लपकी राजेश भी उसके पिछे लपका ।कुछ और सिपाही  उसके पीछे दौड़े।

जैसे ही दामिनी उस बोगी के पास पहुंची उसने देखा  दूसरी बोगी में जाने के लिए टॉयलेट के पास जो रास्ता है वहा एक बदमाश बंदूक लिए खड़ा था ।वो किसी को अभी अंदर जाने नही दे रहा था।

दामिनी ने अपनी रिवाल्वर निकाल लिया और निशाना लगाकर उसके हाथ पर चला दिया.एक जोर का धमाका हुआ और गोली उसके हाथ पर लगी।उसकी बंदूक उसके हाथ से छिटक गई।वो अपना हाथ पकड़कर नीचे बैठ गया।उसका हाथ लहूलुहान हो गया।

दामिनी ने अपने लोगो से इसको गिरफ्तार कर लो।और वो उस बोगी के अंदर चली गई तभी एक गोली उसके सिर को छूती हुई निकल गई।

दामिनी ने झुक कर खुद को बचा लिया।

राजेश ने अपना निशाना लगाया और उस हमलावर के सिर पर चला दिया।वो बहुत गुस्से में था।अगर जरा सी चूक हुई होती तो दामिनी के सिर में गोली लग गई होती।

गोली उस हमलावर के कान को छेदती हुई निकल गई।शायद निशाना चूक गया था।दामिनी ने उस पर निशाना लगा दिया लेकिन वो दूसरे बर्थ की तरफ भाग गया ।गोली ट्रेन की  दीवाल में जाकर घुस गई।

जैसे ही दामिनी ने वहा का नजारा देखा दहल गई।

डकैत बड़ी बेरहमी से औरतों के नाक नाक और गले को नोच नोच कर उनका गहना लूट कर बैग में भर रहे थे।

सबके बदन से खून निकल रहा था।

पुरुषो को बुरी तरह लोहे की रॉड से पिट रहे रहे थे।

चारो तरफ चीख पुकार मची हुई थी ।सभी यात्री निसहाय लूट रहे थे। बर्थ और फर्श खून से लाल होता जा रहा था।उनके रूपए पैसे और कीमती सामान लूटे जा रहे थे लुटेरे नशे की हालत में थे।लोगो की चीख पुकार  और उनके अंगों से निकल रहे खून से इनपर कोई फर्क नही पड़ रहा था।

वे उस समय बहसी दरिंदे बने हुए थे ।

दामिनी ने अपनी टीम से कहा टूट पड़ो

सब पर कोई बचने न पाए।

तभी बाकी बोगियो से बाई गोली चलने की आवाजे आने लगी।

दामिनी ने कहा _ शायद प्रभा ने आगे से डकैतों पर हमला कर दिया है।

छोटे बच्चे अपने माता पिता को लूटते , पीटते और लहूलुहान होते देख जाग गए थे और वे भी जोर जोर से रो रहे थे।

बच्चे, जवान ,औरते और यहां तक कि बुजुर्गो को भी नही छोड़ा था उन लूटेरो ने ।

तभी पांच लुटेरों ने एक साथ दामिनी पर चाकू और लोहे के रॉड से हमला कर दिया।वो झुक गई और एक तरफ सरकते हुए उनकी पकड़ से बाहर निकलते हुए इनपर लातों जूतों से करारा प्रहार करना शुरू कर दिया।

राजेश भी उसके बचाव में डकैतों से बुरी तरह भीड़ गया।

दामिनी का पुलिस बल भी उनपर हमला करने लगा।

डकैत चारो तरफ से घिर चुके थे।शायद उनको अंदाजा नहीं था की कोई उनसे इस तरह हमला कर देगा।

उधर चार बोगियो में भी लूट पाट और चीख पुकार मची हुई थी ।

ट्रेन अंधेरे में कहा खड़ी थी कुछ पता नही चल रहा था।

दामिनी ने अपने पुलिस बल से कहा _ उनको जल्दी काबू में करना होगा ।आगे अन्य बोगियो में भी लूट पाट और मार काट मची हुई है ।

डकैत अपने आपको  मजबूर पाते हुए दरवाजे से लूटा हुआ समान लेकर कुदकर भागने लगे।

दामिनी ने कहा _ तुरंत अपनी टार्च जलाओ ।टार्च जलते ही उसने निसाना लगाया दो डकैत घायल होकर रेल की पटरी पर चीख कर गिर पड़े।

दामिनी ने कूद कर जल्दी इनको गिरफ्तार कर लो कोई बचने न पाए।मैं दूसरी बोगी में जाती हूं ।कुछ सिपाही ट्रेन के दरवाजे से नीचे कूद गए।कुछ जवान और राजेश दामिनी के पिछे लपके ।

वहा का हाल और भी बुरा था।

हर तरफ खून ही खून फर्श पर पड़ा था ।दर्द और दहसत से कई औरते बेहोश होकर फर्श पर गिरी हुई थी। जो पुरुष यात्री उनका विरोध कर रहे थे उन्हे बुरी तरह पिट कर गेट से बाहर फेंक दे रहे थे।

दामिनी से यह सब देखा नही जा रहा था।क्रोध से उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था ।उसने उन दरिंदों पर बिना दया किए अंधाधुंध गोलियां चलाने लगी।

डकैत भी जवाब में फायर करने लगे।

दामिनी ने कहा _ एक भी हरामी का पिल्ला बचना नही चाहिए ।ये इंसान नही राक्षस है ।गोलियों से भून डालो इनको । धाय धाय की आवाज से पूरी ट्रेन थर्राने लगी थी ।चीख पुकार बढ़ती जा रही थी लेकिन उस बार यात्रियों की नही बल्कि डकैतों की हो रही थी।दामिनी के आने से यात्रियों ने बहुत राहत महसूस किया।सब लोग उसे दुआए से रहे थे।सबको आश्चर्य हो रहा था एक लड़की होकर इतनी बहादुरी और निडरता से डाकुओं से लोहा ले रही है।

कुछ डकैत गेट से कूद कर भागने लगे।दामिनी ने उनको भी अपनी रिवाल्वर का निशाना बनाया।वे सभी चीख कर अंधेरे ने रेलवे ट्रेक पर गिरते जा रहे थे ।

पांच बोगियो में बहुत ही दर्दनाक हादसा घटा था ।बहुत हृदय बिदारक दृश्य था।

दामिनी और उसकी टीम ने कई लू को काबू में कर लिया और कुछ भागने में सफल रहे और साथ में कूट का समान भी लेकर भाग गए।

दामिनी को लूट जा सामान पकड़ना एक चुनौती बन गई थी।घायल हुए यात्रियों का इलाज भी कराना जरूरी थी ।तभी ट्रेन से थोड़ी दूर से शायद वहा तक सड़क आई हुई थी।बम के गोले फेंके जाने लगे ।तेज टार्च की रोशनी  ट्रेन पर फेंकी जाने लगी । डकैतों ने चिल्लाकर कहा _ हमारे आदमियों को छोड़ दो वरना कई यात्री मारे जायेंगे।

दामिनी ने कहा सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दो कोई भी बाहर का आदमी अंदर न आने पाए।

सारे लोग शांति से बैठे रहे ।डरे नही हम लोग है आपकी सुरक्षा के लिए।

राजेश और बाकी जवानों ने और लपकर सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए।

दामिनी ने राजेश से कहा _ तुम कुछ जवानों को लेकर पकड़े गए लुटेरों की देखरेख और यात्रियों की सुरक्षा हेतु यही रहो और मैं कुछ जवानों को लेकर बाहर जाती हूं देखती हूं वे लोग क्या करते है ।उनको भी सबको  सिखाकर आती हूं।

नही मैडम मैं भी आपके साथ जाऊंगा। यहां प्रभा मैडम को रहने दे।राजेश ने जिद करते हुए कहा।

लेकिन तुम अभी इतने ट्रेंड नही हुए तुम्हे चोट लग सकती है तुम यही रहो।

लेकिन राजेश नही माना।

मजबूरन दामिनी ने राजेश और पांच जवानों को साथ लिया और ट्रेन की दूसरी तरफ से गेट खोलकर  नीचे अंधेरे में उतर गई।

ट्रेन के पहियों के बगल से रेंगते हुए वो दूसरी तरफ सरकने लगी ।राजेश  भी उसके पिछे आ रहा था।बाकी टीम भी  पीछे पीछे आ रही थी।

बाहर आकर उसने अंदाजा लगाया वे लोग सड़क पर कितने दूरी पर है ।वो रेंगती हुई उधर बढ़ने लगी।

अपनी रिवाल्वर की जद में आते ही उसने टार्च मारने वाले और धमकी देने वाले पर निशाना लगा दिया।वो एक जोरदार चीख के साथ गिर पड़ा।तभी एक बम का गोला उसके करीब आकर गिरा।

उसने अपना स्थान बदल लिया लेटे लेटे।

उसने देखा सामने बहुत घनी झाड़ियां है।उसने अपने लोगो से उन झाड़ियों की आड़ में जाने को कहा और सतर्क रहने को कहा।मैं जब बोलूं हमला कर देना है ।

उसने कहा तुम लोग बीच बीच  में गोलियां चलाकर स्थान बदलते रहो। मैं आगे बढ़ती हूं।इतना कहकर वो रेंगती हुई आगे बढ़ने लगी।राजेश भी उसके पिछे लगा हुआ था ।

उन लुटेरों के काफी करीब पहुंच गई थी वो उसने राजेश से धीरे से उसके कान में कहा _ तुम उस गाड़ी की दूसरी तरफ जाओ।जैसे ही मैं फायर करूंगी तुम भी फायर करना शुरू कर देना।

वहा दो मोटर साइकिल भी खड़ी दिख रही थी।उसने अंदाजा लगाया वहा मूल सात लोग थे।

उसने धीरे से अपने मोजे से दो चाकू निकाला और निशाना लगाकर दो लुटेरों की तरफ फेंक दिया।चाकू सीधे उनकी छाती में जाकर धंस गया।

वे दोनो बिना कोई आवाज किए कटे हुए पेड़ की भांति गिर पड़े।

उनके बाकी साथी चौंक कर कभी उन दोनो को कभी चारो तरफ देख रहे थे।

एक ने कहा _ लगता है हम लोग घिर चुके है ।लूट का सामान हमारे पास है चलो भाग चलते है ।वरना बाकी साथी भी मारे जायेंगे।

दूसरे ने कहा _ हम अपने साथियों को लिए बिना नहीं जायेंगे वरना बॉस हमलोगो  को छोड़ेगा नही ।

उसने चारो तरफ बिना देखे अंधाधुंध गोलियां चलाने लगा।

दामिनी ने निशाना लगाया और उसकी खोपड़ी को तरबूज की तरह उड़ा दिया।

अब चार लोग बचे थे  एक ने एक बैग उठाया और अपनी बाइक स्टार्ट कर भाग खड़ा हुआ ।

दामिनी ने उस गाड़ी के पहियों पर निशाना लगाया टायर जोर की आवाज के साथ फट गया।

अब सब भागने लगे ।

राजेश उस गाड़ी की दूसरी तरफ छिपा हुआ था ।उनके भागते ही उसने फायर कर दिया ।एक के पैर पर लगी ।वो लड़खड़ा कर गिर पड़ा।

दूसरा बाइक स्टार्ट करने लगा लेकिन दामिनी ने गोली चला दिया वो बच गया और बाइक छोड़कर भागने लगा ।भागते हुए उसने अपनी बैग से दो बम निकाला और दोनो की तरफ उछाल दिया। खुद को बचाते हुए राजेश ने देखा बम दामिनी के सिर पर गिरने वाला है।उसने दौड़कर दामिनी को अपनी बांहों में उठा लिया और एक तरफ कूद गया ।लेकिन उसका संतुलन बिगड़ गया।बम तो कुछ दूर जाकर गिरा और वो एक गड्ढे में गिर पड़ा ।उसका पैर मुचक गया ।उसे तेज दर्द होने लगा ।

दामिनी दूसरी तरफ गिरी हुई थी।वो फुर्ती से उठी और राजेश को उस गड्ढे से बाहर निकाला और उसे अपनी पीठ पर लादकर बाइक की तरफ भागी।बाइक में चाबी लगी हुई थी।

उसने राजेश को उस पर बैठाया और बाइक को स्टार्ट की। दो लुटेरे पैदल ही सड़क पर भाग रहे थे।

उसने  बाइक को तूफानी गति से उन दोनो के पीछे लगा दिया । वे दोनो बाइक को अपनी तरफ आता देख सड़क से नीचे उतरने लगे तभी दामिनी और राजेश ने गोलियां चला दिया दोनो के पैर में गोली लगी ।दोनो गिर पड़े ।

दामिनी ने उनके पास पहुंच कर बाइक रोक दिया ।उसने बाइक खड़ा कर ।राजेश को उतारा और उसे सड़क पर बैठा दिया ।फिर दोनो का कालर पकड़कर खड़ा की और सड़क पर खींच लाई।

उसने आपने बाकी साथियों को बुलाया और उनको सौप दिया।

उसने कहा गाड़ी में चेक करो लूट का सामान होगा। और मारे गए और घायल लुटेरों को उठाकर ले चलो ट्रेन में ।

कुछ लूट का सामान लेकर लुटेरे भाग गए हैं लेकिन चिंता नहीं ये सब उन्हें भी पकड़वाने में मदद करेंगे।

जवानों ने सबको उठाकर ट्रेन में ले आए ।

दामिनी ने यात्रियों से कहा_ आप लोग अपने लूटे गए सामानों की सूची बनाकर मुझे दे दे ।ट्रेन अब पुनः वापस स्टेशन जायेगी ।ताकि घायल यात्रियों का इलाज कराया जा सके ।

उसने अपने लोगो से कहा तुरंत गार्ड और टीटी को बुलाओ।जीआरपी के जवान नजर नही आ रहे है उनका भी पता लगाओ।उसने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर एंबुलेंस और पुलिस वाहन भेजने को कहा ।

उसने स्टेशन मास्टर को फोन कर घटना के बारे मे बताते हुए कहा आप तुरंत कुछ डॉक्टर और दवा का इंतजाम करे यात्रियों के इलाज हेतु।

साथ में जीआरपी थाना इंचार्ज का पता लगाए उसका फोन नही लग रहा है उसके जवान भी गायब है ।अप डीआरएम रेलवे को भी इस घटना की सूचना दे दे ।

मैं ट्रेन को वापस लेकर स्टेशन आ रही हूं।तुरंत प्लेटफार्म खाली करवाए।बाकी ट्रेनों को दूसरे प्लेटफार्म पर खड़ी करे।

थोड़ी देर में टीटी,गार्ड और ड्राइवर को लेकर जवान हाजिर हुए ।

दामिनी ने कहा _ ट्रेन अब सुरक्षित है ।ट्रेन को तुरंत वापस स्टेशन ले चले यात्रियों का इलाज बहुत जरूरी।आप लोग आगे नियमानुसार फोन कर बात कर ले।

ड्राइवर ने बताया _ मैडम जैसे ही मैंने ट्रेन आगे बढ़ाया था दो हथियार बंद बदमाश मेरे केबिन में जबरज्ती घुस आए और कहा जहा हम बोलेंगे वहा ट्रेन रोक देना ।

कोई बात नही अब लगभग लुटेरे पुलिस के कब्जे में है।

तभी राजेश ने पांच जीआरपी के गार्डों को पकड़ कर लाया और बताया_ मैडम ये पांचों एसी बोगी में छिपे हुए थे।

दामिनी ने उनको डांटते हुए कहा_ शर्म आनी चाहिए तुम लोगो को।जीआरपी के नाम पर कलंक हो तुम लोग। मैं तुम्हारे एसपी से तुम सबकी और थाना इंचार्ज की शिकायत करूंगी। डीआरएम और रेलवे चेयरमैन को लिखूंगी ।सबको डिसमिस कराऊंगी।

वे पांचों दामिनी के पैर पकड़ लिए और रोते हुए बोले इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है।हमारे इंचार्ज ने ही ऐसा करने को कहा था।

ठीक है कोर्ट में गवाही देना लेकिन दोषी तुम लोग भी ।अपनी ड्यूटी नही निभाया तुम लोगो ने दामिनी ने गुस्से से कहा।

उसने गार्ड और टीटी से कहा जल्दी ट्रेन वापस ले चले।

गार्ड ने कहा _ मैडम दूसरा इंजन मंगाना होगा तभी ट्रेन पीछे जाएगी ।

ठीक है जो करना हैं जल्दी करो अपने स्टेशन मास्टर से बात करो ।ताकि घायल यात्रियों को बचाया जा सके।

करीब आधे घंटे में दूसरा इंजन आया और उसे जोड़कर वापस स्टेशन लाया गया।

पहुंचकर उसने जीआरपी थाना इंचार्ज का पता लगाया।वो शराब के नशे मे सोया हुआ था।उसे जगाकर दामिनी ने लूट के सामान यात्रियों की सूची और डकैतों को उसे सौंपकर रिसीविंग ले लिया ।बाकी घायलों और मारे गए लुटेरों को अस्पताल भेज दिया।

घायल यात्रियों का तुंरत  का इलाज शुरू करवा दिया।

गार्ड ,टीटी ड्राइवर  स्टेशन मास्टर और  सभी यात्रियों ने दामिनी और उसकी टीम की तारीफ करते हुए आभार व्यक्त किया।

राजेश से चला नही जा रहा था।दामिनी ने उसकी बांह पकड़कर अपने कंधे पर रख लिया और उसे अपनी गाड़ी तक ले आई और बोली तुमको मना की थी मत आओ मेरे साथ लेकिन नही माने अब भुगतो ।चुपचाप बैठो मैं गाड़ी चलाऊंगी।

राजेश ने कहा _ मुझे आपकी चिंता है मैडम ।आप सही सलामत है।यही बहुत है ।मोच तो कभी भी ठीक हो जायेगी।

तुम नहीं सुधोरोगे दामिनी ने उसके सिर पर मुस्कुराते हुए हाथ फेरते हुए कहा और गाड़ी आगे पढ़ा दी। पीछे पूरी पुलिस की टीम भी पीछे पीछे आने लगी।

अगला भाग

*”दामिनी का दम”* (भाग-24) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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