*”दामिनी का दम”* (भाग-18) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

उन बदमाशो को लगा दामिनी को अपनी बंदूक दिखाकर काबू में कर लेंगे लेकिन उनको पता नही था दामिनी अपराधियों के लिए काल थी ।उसे गोली बंदूक से डराया नही जा सकता था।पलक झपकते ही उसने कब अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल लिया और कब उनके हाथो पर चला दिया किसी को पता ही नहीं चला ।सब अवाक और भौचक्के दामिनी को देखने लगे ।यह लड़की है या आफत की पुड़िया।किसी को कुछ समझ में नहीं आया ।सीधी साधी दिखने वाली लड़की इतनी खतरनाक होगी उनकी सोच से परे थी।

सबके हाथ से रिवाल्वर छिटककर दूर जा गिरी थी ।सबके हाथो से खून बह रहा था।सबको असहाय पीड़ा हो रही थी।

एक बदमाश ने पूछा _ तुम कौन हो लड़की ।तुम कोई मामूली लड़की मालूम नही पड़ रही हो ।

लेकिन दामिनी ने जवाब देने के बजाय फुर्ती दिखाते हुए सबके गालों पर एक एक मुक्का जड़ दिया ।सबके मुंह के बत्तीस दांत हिल उठे ।

सब दर्द से चीख पड़े ।

तभी एक बदमाश ने  बहादुरी दिखाते हुए एक बड़ा सा चाकू निकाल लिया और झपट कर दामिनी के पेट परआई चला दिया ।लेकिन दामिनी ने फुर्ती दिखाते हुए उसकी कलाई पकड़ कर जोर से ऐंठ दी वो दर्द से चीख पड़ा।

दूसरे बदमाश ने कहा ,_ अरे लड़की बहुत खतरनाक मालूम पड़ती है ।किसी तरह इसे बस से बाहर उतारो वरना ये किसी को नहीं छोड़ेगी।

दामिनी ने कहा _ मैंने तो पहले ही कहा था मुझे उतार दो और जाने दो लेकिन तुमलोगो की शामत आई थी जो मुझसे ही भिड़ गए।

अब काम की बात सुनो _ बताओ लड़कियां कहा है ।मुझे पक्की खबर मिली है की लड़कियां इसी बस से बाहर जा रही है उनको बेचने के लिए।

उसकी बात सुनकर सभी चौंक गए।

तीसरे बदमाश ने खुद पर काबू  पाते हुए कहा _ मुझे नही पता है वो कहा है खुद देख लो पूरी बस खाली है ।

लेकिन तुम कौन हो कही पुलिस की आदमी तो नही हो ?

मैं कौन हूं इसको छोड़ो पहले बताओ  मुझे लेकर और बैरियर तोड़ कर क्यों भागे थे।इतनी बड़ी बस खाली क्यों जा रही है।केवल पांच लोगो को लेकर तो नही जा सकती इतनी रात में।

पहले ने कहा _ हमलोग जरूरी काम से बाहर जा रहे है ।काम खत्म कर कुछ सामान लेकर वापस आना है इसलिए बस बुक कर जा  रहे हैं।उसकी बात खत्म होते ही दामिनी ने एक लात उसके पेट पर चला दी।जितना झूठ बोलोगे उतनी ही मार खाओगे। जल्दी सच सच बताओ वरना मैं किसी को नहीं छोडूंगी।दामिनी ने गुस्से से कहा।

राजेश अब अपनी कार को तेज गति से भागती हुई बस के आगे निकालना चाह रहा था।लेकिन उसे पास  नहीं मिल रहा था ।उसने अपनी कार की हेड लाइट बुझा दिया और बस के हेड लाइट की धुंधली रोशनी में कार को दौड़ाने लगा ।

पीछे डीएसपी और प्रभा की जिप तूफानी गति से उस बस का पीछा कर रही थी।साथ में अन्य पुलिस की जिप भागी आ रही थी।

दामिनी को लेकर वो बस शहर से काफी दूर कई किलोमीटर आगे ले आ चुकी थी ।दामिनी जल्दी से जल्दी लड़कियो को कब्जा में लेना चाहती थी लेकिन उसे बस में कही कोई लड़की नजर नहीं आ रही थी।

अंत में उसने पूरी बस को कब्जा में लेना चाहती थी।

तभी एक बदमाश ने होशियारी दिखाते हुए बड़ी फुर्ती में नीचे फर्श पर गिरी अपनी रिवाल्वर उठा लिया ।वो दामिनी के पीछे खड़ा था।

राजेश अब बस ड्राइवर के बगल के गुजरने में सफल रहा था उसने बाए हाथ में रिवाल्वर पकड़ा और दाहिने हाथ से कार का स्टेयरिंग पकड़ते हुए बस ड्राइवर के ऊपर गोली चला दिया बड़ी जोर से धाय की आवाज हुई और गोली जाकर ड्राइवर के दाहिने बांह में धंस गई ।ड्राइवर  जोरदार आवाज में चीख पड़ा।उसके वाह से खून बहने लगा।

असहाय दर्द की वजह से उसे बस चलाने में दिक्कत हो रही थी।

पहला बदमाश शायद उन सबका लीडर था ने कहा _ थोड़ा खुद पर काबू रखो कुंदन बस को रोकना नही पीछे शायद पुलिस हो सकती है।

लेकिन ड्राइवर ने उसकी बात को अनसुनी कर बस में ब्रेक लगाना शुरू कर दिया। बस सड़क पर  लहराने लगी।

राजेश को मौका मिला और उसने अपनी कार को बस से आगे निकाल लिया ।उसे अंदाजा हो चुका था गोली ड्राइवर की बांह में लग चुकी है।

उसने अपनी कार को तेज गति से आगे निकाल कर कुछ दूर ले गया और कार के ब्रेक पर जैसे चढ़ गया । कार के पहिए  सड़क पर रगड़ाते हुए जोर की आवाज करते हुए कुछ दूर जाकर रुक गए।

कार रुकते ही राजेश फुर्ती से अपनी तरफ का गेट खोलकर कूद पड़ा और किनारे खड़ा होकर पास आती हुई बस को देखने लगा।

जैसे ही लहराती हुई बस उसके पास से गुजरी वो बस के पीछे केरियर को पकड़कर लटक गया।रिवाल्वर उसने अपनी जेब में रख लिया था।उसे दामिनी की जान खतरे में मालूम पड़ रही थी वो इतनी बहादुर और ईमानदार पुलिस ऑफिसर की जान अपनी जान पर खेलकर बचाना चाहता था। जो लड़की उसके और उसके परिवार के बारे में इतना सोचती थी वो उसके लिए भी कुछ भी करने को तैयार था ।उसे अपने जान की जरा भी परवाह नही हो रही थी ।

कुछ दूर जाकर लहराते हुए बस रुक गई ।

तभी धाय की आवाज हुई राजेश चौंक गया ।उसे दामिनी कि चीख सुनाई दी ।

बस के रुकते ही वो केरियर से नीचे कूद पड़ा और दौड़ते हुए बस के गेट के पास पास पहुंच गया।गेट खोलने की कोशिश करने लगा ।लेकिन गेट शायद अंदर से लॉक था ।उसने अपनी रिवाल्वर निकालकर जोर से चिल्लाया जल्दी दरवाजा खोलो वरना मैं गोली चला दूंगा ।

लेकिन दरवाजा नही खुला ।वो दौड़ता हुआ ड्राइवर की तरफ गया ।ड्राइवर अपनी बांह पकड़े स्टेयरिंग पर अपना सिर रख कर गिरा हुआ था ।उसने तुरंत ड्राइविंग गेट खोला और ड्राइवर की बांह पकड़कर नीचे खींच लिया।

ड्राइवर चीखता हुआ जमीन पर गिर पड़ा ।

वो फुर्ती से उछलकर ड्राइविंग सीट पर चढ़ गया और बस के अंदर कूद गया।अंदर का हाल देखकर उसका खून खौल उठा ।उसके सिर पर खून सवार हो उठा ।उसने देखा दामिनी की एक बांह खून से लहूलुहान थी ।उसकी सफेद रंग की टी शर्ट खून से लाल हो रही थी ।अकेले ही वो बदमाशो से उलझी हुई थी ।बदमाश बुरी तरह जख्मी हो रहे थे ।तभी राजेश ने देखा दामिनी के पीछे एक बदमाश खड़ा था जिसके हाथ में रिवाल्वर थी ।शायद इसी ने दामिनी की बांह में गोली चलाई होगी ।यह सोचते ही वो उस बदमाश पर कूद पड़ा । अब से पहले उसने एक थप्पड़ भी किसी को नही मारा था लेकिन आज पता नही कहा से उसमे इतना जोश और हिम्मत आ गई थी ।उसने ताबड़ तोड़ लातों जूतों  से उस बदमाश को मारना शुरू किया लेकिन वो बदमाश काफी हट्टा कट्टा था.,।उसने खुद को बचाते हुए राजेश की गर्दन पकड़ लिया और उसे बस की दीवाल से सटा कर गला दबाने लगा ।राजेश की सांसे रुकने लगी वो अपना हाथ पैर छटपटाने लगा।तभी दामिनी की नजर उस पर पड़ गई।राजेश का ऐसा हाल देखा कर वो गुस्से से बेकाबू हो गई।उसने फुर्ती से उस बदमाश की गरदन पर अपने हाथ को कटारी की तरफ इस्तेमाल करते हुए दे मारा एक कटे हुए पेड़ की तरह बस की कुर्सी पर गिर पड़ा।

राजेश का गला छूटते ही वो लंबी लंबी सांसे लेने लगा।

बाकी चार बदमाश भी बुरी तरह घायल हो चुके थे।तभी पुलिस की गाड़िया सायरन बजाती हुई उस बस को चारो तरफ से घेर लिया।

राजेश ने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर दामिनी की बांह में बांध दिया जहा गोली लगी थी।

तभी डीएसपी राघव और प्रभा हाथ में रिवाल्वर लिए दनदना कर बस में चढ़ गए ।

दामिनी ने कहा इन सारे बदमाशो को गिरफ्तार कर जिप में डाल दो  और जल्दी से दिन तीन टार्च ले आओ।

पुलिस ने सबके हाथो मे हथकड़ी पहना कर जिप में डाल दिया।

दामिनी ने राजेश से पूछा तुम ठीक तो हो ।राजेश के गले से आवाज नही निकल रही थी।उसने हां में सर हिलाकर बताया की वो ठीक है।दामिनी को उसके हाल पर बड़ी दया आई और उसकी बहादुरी पर बड़ी खुश भी हुई ।उसने एक जवान को गाड़ी से पानी की बोतल लाने को कहा।बोतल आते ही उसने राजेश को देते हुए कहा_ लो पी लो तुमको थोड़ा आराम मिलेगा।

राजेश ने बोतल लेते हुए कहा_ मैडम मुझे अपनी चिंता नहीं है पहले अपनी देखो आपके हाथ में गोली लगी है।कितना खून बह रहा है जल्दी चलो यहां से आपको इलाज की जरूरत है ।उसकी बात सुनकर दामिनी ठहाका मारकर हंसने लगी।बुद्धु और भोले हो तुम मैं एक पुलिस ऑफिसर हूं ।हम पुलिस वालो के साथ ये सब चलता रहता है लेकिन तुम तो एक ड्राइवर हो फिर भी इतनी बहादुरी का काम किया है।यह बहुत बड़ी बात है ।फिर उसने दो जवानों से कहा इसको ले जाकर इसकी कार में बैठाओ ।उस बदमाश ने इसका बुरी तरह गला दबा दिया था ।तुम दोनो वही इसके साठ रहना ।वे दोनो राजेश को लेकर चले गए।

तभी जवान तीन टार्च लेकर आ गए।

दामिनी ने डीएसपी राघव से कहा _ आइए चलिए पहले बस की छत पर देखते है शायद लड़किया ऊपर छुपा कर रखी गई हो ।

उसने प्रभा से कहा तुम टार्च लेकर बस के नीचे चेक कर एक एक जगह को ठीक से खंगलो।

दोनो ने बस की छत पर जाकर देखा  वहा कोई नहीं था।

दोनो निचे उतर आए।दामिनी ने डीएसपी राघव से कहा  जब मैं बस में थी तो लग रहा है बस पूरी तरह भरी हुई है क्यो कि वो लोड लेकर चल रही थी।जबकि अंदर केवल मुझे और ड्राइवर को  लेकर कुल सात लोग ही थे ।फिर बस इतनी भारी क्यों चल रही थी जरूर कोई बात है।

दोनो बात करते हुए फिर बस में चढ़ गए।तभी प्रभा ने आकर बताया मैडम बस के नीचे कुछ भी नही मिला ।

दामिनी ने टार्च लेकर बस की फर्स पर रोशनी  डाला तभी वो चौंक गई।बस का फर्श सामान्य रूप से बहुत ऊंचा था ।जैसे सीट के नीचे खोल बना हुआ हो ।

उसने तुरंत डीएसपी राघव से कहा _ आप तुरंत बस की सभी सीट को खोल कर हटवाए और बस की फर्स को उखड़वा दे शायद लड़किया इसके नीचे छिपाई गई हो।करीब आधे घंटे में बस की सारी सीटें खोल दी गई और बस के फर्श को उखाड़ दिया।

चद्दर हटते ही सब आवाक रह गए।उसके नीचे बड़ा सा खोल बना हुआ था ।जिसके अंदर बेहोशी की हालत में करीब बीस लड़कियों का हाथ पैर बांध कर जानवरकी तरह भर दिया गया था।दामिनी ने प्रभा से कहा _ तुरंत सभी महिला कांस्टेबल को बुलाएं और सभी लड़कियों को निकालकर हाथ पैर खोलवाए।

बस को फिर से पहले जैसा करवाए।सभी लड़कियों को तुरंत अस्पताल ले जाकर होश में लाना होगा ।

थोड़ी ही देर में सारी लड़कियों को मुक्त कर लिया गया ।

दामिनी ने कुछ महिला जवानों को बस में बैठाया और पुलिस के ड्राइवर से कहा तुम बस को लेकर सरकारी अस्पताल चलो बाकी लोग तुम्हारे  साथ रहेंगे आगे पीछे चलो जल्दी चलो।

दामिनी ने एक ड्राइवर को राजेश की कार को चलाने को कहा । उसने डीएसपी राघव और प्रभा से कहा आप लोग बस को लेकर इसे कवर करते हुए अस्पताल पहुंचे मैं भी वही पहुंच रही हूं।राजेश और मुझे भी इलाज की जरूरत है उसने बांह को पकड़ते हुए कहा

उसकी बांह से काफी खून बह चुका था।काफी दर्द भी हो रहा था।

उसने एक महिला और पुरुष कांस्टेबल को भी अपनी गाड़ी में ले लिया ।उसने राजेश को पीछे अपनी बगल में बैठा लिया ।एक महिला कांस्टेबल को भी अपने साथ बैठाया और जवान को ड्राइवर की बगल में बैठा दिया और ड्राइवर को जल्दी अस्पताल चलने को कहा।

उसकी आंख भारी होने लगी थी।राजेश पर भी बेहोशी छाने लगी थी।दामिनी ने उसका सर अपनी गोद में ले लिया ।दोनो की आंखे मुंदती चली गई।

एक महिला कांस्टेबल ने दामिनी को थाम लिया और ड्राइवर से कहा भईया करा गाड़ी तेज चलाइए मैडम बेहोश हो चुकी है ।गाड़ी हवा से बात करती हुई अस्पताल की ओर निकल गई।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-19) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

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