*”दामिनी का दम”* (भाग-13) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

राजेश की कार रुकते ही एक सिपाही दौड़ता हुआ आया और दामिनी की तरफ का दरवाजा खोल दिया।

दामिनी जैसे ही कार से उतरी सारे पुलिस ऑफिसर और जवानो ने उसे सैल्यूट किया।

दामिनी ने के पास एक जवान आया और कहा मैडम मैं यहां का इंचार्ज हूं । यहां के ऑफिस से लेकर आपकी कोठी तक का कोई काम हो मुझे बोल सकती है ।

ठीक है पहले मुझे अपने ऑफिस में ले चलो  और यहां के सभी स्टाफ और जवानों को बुलाओ सबका परिचय हो जाए।

उस जवान जिसका नाम राजकुमार शर्मा था ने कहा _ जी मैडम जरूर चलिए आपको आपके कोठी के ऑफिस में के चलता हूं।

ऑफिस काफी बड़ा था।राजकुमार  ने टेबल के पास रखी कुर्सी पर दामिनी को बैठाते हुए उसने वहा रखी हुई एक घंटी को बजाया तुरंत एक सिपाही हाजिर हुआ।उसके आते ही राजकुमार  ने कहा मैडम ये बबलू पांडेय है।ये आपका निजी सहायक  है।फिर उसने बबलू से कहा _ जल्दी जाओ और यहां के सारे स्टाफ को बुला लाओ।केवल सुरक्षा और दरबानी में लगे जवानों को छोड़कर ।उनका परिचय बाद में करवाऊंगा।

बबलू तुरंत बाहर गया और थोड़ी देर में सबको बुलाकर लाया।राजकुमार ने बारी बारी से रसोइया,माली ,सफाई कर्मी,धोबी,दाई,गार्ड और ड्राइवर के बाद ऑफिस के कर्मचारियों का परिचय कराया।

दामिनी ने कहा _ मुझे आप लोगो से मिलकर बहुत अच्छा लगा।मैं बस इतना ही कहूंगी सब लोग पूरी ईमानदारी और मेहनत से काम करे ।किसी भी चीज की कमी हो तो मुझे जरूर बताएं ।

तभी राजकुमार ने पूछा _ मैडम  अभी नाश्ते में क्या लेंगी ।उसके साथ चाय या काफी लेंगी ।रात के खाना में क्या खाएंगी ।

पहले किसी को भेजकर बाहर मेरी सरकारी गाड़ी में फाइलें  मंगवा लो आज रात मैं सबको स्टडी करूंगी। साथ में मेरा प्राइवेट ड्राइवर राजेश  की भी बुलवा दो।

राजकुमार ने तुरंत एक सिपाही को बाहर भेज दिया।

थोड़ी देर में दो सिपाही ढेर सारी फाइलें  लेकर आ गए।साथ में राजेश भी था।उसको देखते ही दामिनी ने कहा _ राजकुमार ये राजेश है ।कल रात से ही ये मेरे साथ  है और आगे भी रहेगा ।तुम इससे पुछ लो क्या खायेगा  वही बनवा दो ।साथ में चाय भेजवा देना ।

रात का खाना मैं राजेश के घर पर ही करूंगी ।तुम रात का खाना मत बनवाना।जो स्टाफ यहां रात में रहते है वे जो। खाना चाहे बनाकर खा सकते है ।

जी ठीक है मैडम बोलकर राजकुमार ने सबको बाहर भेजते हुए रसोइया से कहा तुमने सुन लिया न चाय बना दो ।राजेश ने कहा _ जो मैडम बोलेंगी वही खा लूंगा ।

राजकुमार ने दामिनी की तरफ देखा ।

दामिनी ने हंसते हुए कहा _ शरमाओ मत जाओ इसके साथ जो खाना है बोल दो ।

दामिनी ने एक दाई से कहा _ चलो मुझे मेरे कमरे में ले चलो मुझे कपड़े बदलना है।

राजेश राजकुमार के साथ बाहर निकल गया।

दामिनी अपनी दाई को लेकर अपने कमरे में चली गई ।

दामिनी आपने कमरे में पहुंच कर अपना बैग खोला और दूसरे कपड़े बदल लिए अब वो समीज सलवार पहने हुई थी ।उसने एक ओढ़नी ओढ़ ली।इस ड्रेस में देखकर कोई नही सकता था की वो एक तेज तर्रार आए और खतरनाक आईपीएस  अधिकारी है ।

उसने अपनी दाई से कहा _ अब तुम जाओ चाय नाश्ता यही भेजवा देना और राजेश को भी यही भेज देना।

दाई के बाहर जाते ही उसका मोबाइल बजने लगा।

उसने देखा उसके पापा का फोन था।उसने तुरंत उसे उठाकर उनको प्रणाम किया और बताया उसने आज शाम को ऑफिस ज्वाइन कर लिया है।अभी वो अपनी कोठी में  है ।

उसके पापा ने कहा _ बेटी तुमने फोन नहीं किया तो मुझे और तुम्हारी मम्मी को चिंता हो रही थी  ।

पापा समय नही मिला अभी आपको फोन करने वाली ही थी ।दामिनी ने कहा ।

उसके पापा ने कहा लो अपनी मम्मी से बात कर लो।

दामिनी ने अपनी मां को प्रणाम किया और कहा _ मम्मी मैं बिलकुल ठीक हूं तुम चिंता मत करो।

उसकी मां ने उसे बहुत कुछ समझाया।दामिनी ने कहा ठीक है मां मैं अपना ख्याल रखूंगी तुम क्यों परेशान हो रही हो ।मेरे साथ बहुत लोग है ।

उसके पापा ने फोन लेकर कहा _ मैने तुम्हारे नाना डीजीपी साहब से तुम्हारे बारे में बात कर लिया है।तुमको किसी चीज की कमी हो तो  उनसे बात कर लेना।

पापा जिसके पिता स्वयं केंद्र में गृह मंत्री हो उसे और किसी की क्या जरूरत हो सकती है।

फिर भी मैं नाना  से बात कर लूंगी।

नाना तो मुझे अब भी छोटी बच्ची ही समझते है ।जबकि मैं एसपी बन चुकी हूं।

दामिनी ने हंसते हुए कहा ।

तभी राजकुमार राजेश को लेकर उसके कमरे में उससे आदेश लेकर  हाजिर हुए ।उसके साथ दी सिपाही भी थे जो चाय और पकौड़ी लेकर आए थे।

दामिनी ने कहा _ मैं अब  फोन रखती हूं बाद में बात करूंगी प्रणाम ।

उसने फोन काटकर राजेशको बैठने के लिए बोली और चाय नाश्ता टेबल पर रखकर सबको जाने बोली।

सबके जाते ही उसने राजेश से पूछा _ तुमने अपनी मां से बात कर लिया क्या ।

जी मैडम मां आपका इंतजार कर रही है।राजेश ने कहा।उसे दामिनी सिविल ड्रेस में बड़ी सुंदर लग रही थी। मगर कुछ कहा नहीं ।

सुनो आज रात मैं फिर कई जगह धावा बोलने वाली हूं ।लेकिन तुमको डरने की जरूरत नही है । तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होगा ।रात के दो बजे तक वापस आ जाऊंगी।ताकि तुम भी सो सको ।

दामिनी ने पकौड़े खाते हुए कहा  तुम भी खाओ।

राजेश ने एक प्लेट उठाकर खाने लगा।

तुमको अब एक पुलिस की तरह स्मार्ट फुर्तीला ,निडर और साहसी बनना होगा राजेश ।तुम समझ लो टेक्सी ड्राइवर की नौकरी के साथ अब देश सेवा भी करनी है।दामिनी ने उसे समझाते हुए कहा।

राजेश अब दामिनी के बारे में जान चुका था इसलिए बहस नही करना चाहता था।

लेकिन बोला मैडम मुझे अपने परिवार की चिंता है ।भाई बहन की पढ़ा लिखा कर उनकी शादी करनी है ।मां की देखभाल  करनी है।

आप जिस तरह खतरा मोल लेती है उससे जान भी  जा सकती है।फिर मेरे परिवार का क्या होगा ।

दामिनी हंसने लगी और बोली _ तुम्हारी जान अब मुझसे बचने  वाली नही है।तुम एक ईमानदारी और साफ सुथरा दिल के आदमी हो।लेकिन बड़े सीधे साधे हो।

सुनो जबतक मैं हूं अपने परिवार की चिंता मत करो।

हर विभाग में प्राइवेट गाड़िया ठेका पर रखी जाती है ।तुम्हारी गाड़ी और तुमको मैं अपने ऑफिस में करार पर रखूंगी ।तुम्हारी महीने की आमदनी पक्की कर दूंगी ।साथ में पुलिस की ट्रेनिंग भी दूंगी ।अब तुम एक साधारण टेक्सी ड्राइवर नही रहोगे ।इसलिए रोना धोना बंद करो ।

दामिनी ने कहा ।

ठीक है मैडम आप जो कहे ।राजेश ने हार मानते हुए कहा।

ठीक आठ बजे राजेश दामिनी को अपनी कार में लेकर एसपी कोठी से निकला। निकलने से पहले दामिनी ने अपने होलेस्टर से रिवाल्वर निकाल कर खाली चेंबर में गोलियां भर ली थी।

।पीछे पीछे पुलिस की जिप भी आने लगी लेकिन दामिनी ने मना कर दिया ।कहा आप लोग यही खाना खा कर आराम करे ।

रास्ते में ट्रैफिक बहुत जाम था । काफी लंबा जाम लगा हुआ था।

दामिनी ने राजेश से कहा तुम गाड़ी यही रोको मैं देखती हूं ।

दामिनी कार से उतर कर पैदल चलते हुए चौराहे पर पहुंची। उसने देखा ट्रेफिक पुलिस शराब के नशे में धुत था ।वो दाए बाये गाड़ियों को बारी बारी से पास कराए बिना  सबको इधर उधर पास दे रहा था।

दामिनी ने उसके पास जाकर उसके जेब के बैच में उसका नाम पढ़ा अशोक कुमार लिखा हुआ था।

दामिनी ने उसके हाथ से डंडा और विहिसिल ले लिया।जवाब एक लड़की को देखकर चौंक गया ।लेकिन नशे में होने के कारण कुछ बोल नहीं पाया।

दामिनी ने पहले दाए वाली गाड़ियों को रोका और बाए वाली गाड़ियों को पास दिया ।सभी गाड़िया  धीरे धीरे निकलने लगी इसी तरह आमने सामने की गाड़ियों को बारी बारी से पास दिया। थोड़ी देर में प्यारा ट्रेफिक क्लियर हो गया ।

उसने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दो टेफिक हवलदार गांधी चौक पर भेजने को बोला।

करीब बीस मिनट में दो हवलदार वहा पहुंच गए।एक हवलदार ने खड़क दार आवाज में  दामिनी से पूछा तुम यहा हमारी ड्यूटी क्यों कर रही हो कौन हो तुम ।

दामिनी ने कहा _ जरा इनको देखिए ।उसने उस नसेड़ी ट्रेफिक पुलिस की ओर इशारा कर कहा ।इसलिए मुझे ट्रेफिक पुलिस बनना पड़ा।

अब आपलोग अपना काम संभाले मैं चलती हूं।इतना कहकर वो चली आई ।राजेश उसका इंतजाए कर रहा था।

कार की पिछली सीट पर बैठते हुए उसने कहा _ अब चलो।

मैडम ट्रैफिक जाम क्यो था और इतनी जल्दी खाली कैसे हो गया।

दामिनी ने उसे सब बताया।सुनकर राजेश ने कहा_ मैडम आप ने तो कमाल कर दिया। क्या करूं नही करती तो पता नही कब तक जाम लगा रहता । मान लो कोई इमरजेंसी हो जाती तो क्या होता ।दामिनी ने कहा।

थोड़ी देर में दोनों राजेश के घर पहुंच गए।उसकी मां ,बहन और भाई उन दोनो का इंतजार कर रहे थे।

राजेश ने घर में आते ही सबसे कहा _ मैडम और कोई नहीं बल्कि हमारे जिला की नई एसपी है।

सुनकर सब आश्चर्य से दामिनी को देखने लगे।

तभी तो इसने पिछली रात इतना कारनामा किया था वरना कोई साधारण लड़की इतनी रात में पुलिस और गुंडों से भिड़ सकती है क्या।उसकी मां ने कहा

।लेकिन दीदी आपको दिन में ही बता देना चाहिए था ।जब पुलिस की गाड़ी आपको लेने आई थी हमलोग काफी डर गए थे की कही  आपको गिरफ्तार करने तो नही आई थी ।राजेश की बहन रागिनी ने कहा।

दामिनी मुस्कुरा रही थी।

मेरे बेटे ने फोन पर सिर्फ इतना बताया की रात का खाना भी दामिनी मैडम यही करेंगी ।तुम एसपी हो इसने नही बताया।

उसकी मां ने नाराज होते हुए कहा।

सब लोग मुझे माफ करे लेकिन सुरक्षा के कारण मैने नही बताया था।

खाना खाने के बाद दामिनी ने मंजू देवी को ढाई हजार रूपए देते हुए कहा ” _ ये रात का भाड़ा है राजेश अभी मेरे साथ नाइट ड्यूटी पर जा रहा है।

दोनो रात के दस बजे घर से निकले ।दामिनी राजेश को लेकर शहर का चक्कर काटती रही ।ठीक बारह बजे उसके मोबाइल पर फोन आया।

खबर पक्की है न ।आज रात डेढ़ बजे पीएनबी बैंक के जवाहर नगर शाखा में डकैती होने है ।

उधर से कन्फर्म होने पर उसने राजेश को उस बैंक का पता बताकर तेज गति से पहुंचने को कहा ।

राजेश ने अपनी कार को तूफानी गति से भगाना शुर कर दिया ।

दामिनी ने उसकी तारीफ करते हुए कहा शाबाश अब एक पुलिस की तरह गाड़ी चला रहे हो ।

इतना कहकर दामिनी ने एक उसे एक रिवाल्वर देते हुए कहा लो इसे रखो ।जरूर पड़ने पर अपनी रक्षा में इसका इस्तेमाल करना ।सिर्फ निशाना लगाकर ट्रेंगर दवा देना ।ये अपना काम खुद कर लेगी ।

लेकिन मैडम मैने कभी चाकू तक न  चलाया है इसको कैसे चलाऊंगा।

दामिनी ने हंसते हुए कहा _ अरे बुद्धु जब मौत सामने आती है तो सब चलाने आ जाता है चुपचाप अपनी जेब में रख लो इसे।

राजेश चुप रह गया। उसने मन ही मन सोचा आज तो उसकी मौत पक्की है ।अब भगवान ही उसका मालिक है। मैडम तो उसका जान छोड़ ही नहीं रही है।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-14) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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