*”दामिनी का दम”* (भाग-10) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

दामिनी नहा धो ली लेकिन कपड़े बदलने के लिए उसके पास कपड़े नही थे ।उसका सारा सामान अभी भी कार की डिक्की में पड़ा हुआ था ।राजेश की बहन ने कहा दीदी आप टेंशन मत लो कार की चाबी भईया के पास होती है ।लेकिन वो अभी सो रहे हैं।उन्होंने जगाने से मना किया है ।तब तक आप मेरे कपड़े पहन लो ।

दामिनी थोड़ी हिचकिचाई और बोली _ ठीक है थोड़ी देर के लिए पहन लेती हूं लेकिन ऑफिस जाते समय मुझे अपने कपड़े पहनने पड़ेंगे जाओ ले आओ।

रागिनी ने अपनी अलमारी से एक सेट समीज सलवार और ओढ़नी निकाल कर दे दी ।

दामिनी ने उसके कपड़े पहन लिए ।उसके बाल भींगे हुए थे ।रागिनी ने तौलिया उसके लबे बालो में लपेट दिया ।दामिनी ने कहा तुम छोड़ दो मैं अपने बाल खुद सुखा लुंगी।

कैसे सुखा लोगी दीदी ।बाहर अभी धूप खिली नही है ।हमारे घर में छत भी नही है की ऊपर जा कर हवा में सुखा लोगी ।हेयर ड्रायर भी नहीं है।इसलिए लाइए मैं तौलिए से सुखा देती हूं।रागिनी ने कहा।

दामिनी कुछ नहीं बोली ।अपने बाल उसके सामने कर दिया।

नहाने के बाद रागिनी बहुत सुंदर लग रही थी ।रागिनी बेड ध्यान से देख रही थी।दामिनी ने पुछा _ तुम इतने ध्यान से मुझे क्यों देख रही हो ।

मुझे विश्वाश नही हो रहा है दीदी की आप जैसे सुंदर और जवान लड़की एकदम  मासूम सी दिखने वाली इतनी बहादुर और खतरनाक हो सकती है।

दामिनी खिलखिला कर हंसने लगी।

ऐसा कुछ नही मेरी बहन तुमको भी ट्रेनिंग दे दिया जाय तो तुम भी मेरी तरह बहादुर लड़की बन जाओगी।

रागिनी को उसकी हंसी बहुत प्यारी लगी लेकिन गंभीर होकर बोली कास की मुझे भी थोड़ी ट्रेनिंग मिल जाती तो मैं उन आवारा लड़को के होश ठिकाने लगा देती ।

तुम किन आवारा लड़को की बात कर रही हो ।दामिनी ने चौंकते हुए पूछा ।

वही मेरे कॉलेज के बाहर लड़कियो को छेड़ने वाले बदमाश और लफंगे लड़के। हम सब लड़कियां उनसे परेशान हो चुकी है दीदी।वे इतने बदमाश है की उनका विरोध करने पर मारपीट करने लगते हैं।उनके पास चाकू और रिवाल्वर भी होती है ।

वे सब हमेशा नशे में होते है ।उनसे लड़के और लड़कियां सभी डरते है।

रागिनी ने चिंतित होकर कहा।

क्या ये सब अपने भईया राजेश को नही बताई।

नही दीदी उनके डर से भैया को नही बताई कही ये उनसे झगड़ा न कर ले और वे लोग भईया के साथ कोई खतरा न कर दे।

मां को सब  मालूम है ।लेकिन  मां बोलती है शरीफ लड़कियो की तरह चुपचाप सिर झुका कर निकल जाया करो ।उनसे मुंह मत लगाना ।

रागिनी ने कहा।

उसकी बात सुनकर दामिनी काफी गंभीर हो गई और बोली _ कल मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे कॉलेज की स्टूडेंट बन कर चलूंगी ।फिर देखती हूं उन बदमाशो को ।उनको छट्टी का दूध याद नहीं दिला तो कहना.।

तभी राजेश की  मां ने आकर बताया _ बेटी खाना तैयार हो गया है चलो खा   लो।

क्या राजेश अभी तक सो रहा है।दामिनी ने पूछा।

हां बेटी वो खुद जागेगा.।मंजू देवी ने कहा।

लेकिन मैं अकेली कैसे खाऊं चलिए उसको जगाती हूं ,चलो रागिनी तुम अपने भईया के पास ले चलो ।

राजेश अपने कमरे मे खर्राटे लेकर सो रहा था ।भईया रात भर जागे है इसलिए ऐसे सो रहे हैं।

रागिनी ने कहा ।

आज रात  जी भर कर सो लेगा तुम जगाओ इसे दिन के दो बज चुके है ।दामिनी ने कहा।

नही दीदी भैया नाराज होंगे ।आप ही जगाओ रागिनी ने डरते हुए कहा।

चलो ठीक है मैं कोशिश करती हूं ।

तभी उसके दिमाग में मजाक सूझा उसने उसके सिर के पास जाकर कहा_ ये टेक्सी वाले रामनगर चलोगे ।चलो जल्दी मुझे जाना है।

उसकी आवाज सुनकर राजेश थोड़ा हिला डुला लेकिन जगा नही।

दामिनी ने फिर वही बात दोहराई।

राजेश ने तुरंत अपनी आंखे खोल दिया। उसने जैसे ही दामिनी को देखा जोर जोर से चीख पड़ा।मानो कोई भूत देख लिया हो ।

उसकी इस हरकत पर उसकी बहन और दामिनी दोनों ठहाके मार कर हंसने लगी।

उन दोनो की हंसी सुनकर मंजू देवी भी वहा आ गई।पूरा माजरा समझ कर वो भी हंसने लगी।राजेश आवाक होकर उन तीनो को हंसते हुए देख रहा था।उसकी समझ में नहीं आ रहा था आखिर ये सब क्यों हंस रही हैं।

भईया ये दामिनी दीदी है कोई भूत नही है जो आप इनको देख कर इतना डर गए और चीख पड़े।

तुमने इनकी रात वाले कारनामे नही देखे इसलिए ऐसा बोल रही हो ।

राजेश ने कहा.।

जो भी हुआl लेकिन तुम्हारा कोई नुकसान तो नही हुआ दामिनी ने हंसते हुए कहा।

वो तो भगवान का शुक्र है की मैं बाल बाल बच कर  आ गया।लेकिन जो हुआ उसमे मेरी जान भी जा सकती थी ।राजेश ने कहा।

जब कुछ हुआ नहीं तो उस बात को भूल जाओ और चलो जल्दी से तैयार होकर आओ साथ में खाना खाते है ।तुमको मेरे ऑफिस भी चलना है।आज दिन में भी तुम्हारी टेक्सी बुक हो गई है मेरे नाम ।

ठीक है लेकिन सिर्फ ऑफिस जाऊंगा और कही नही ।राजेश ने कहा और बिस्तर से उतर गया.।

करीब आधा घंटा में सब लोग खाना खा रहे थे ।मंजू देवी साथ में खाना  नही खाना चाहती थी लेकिन दामिनी ने उनको भी साथ में बैठा लिया।

खाना बहुत स्वादिष्ट लगा था उसे।उसने खूब तारीफ किया।

खाना खाने के बाद दामिनी ने कहा _ राजेश मेरी लाल रंग वाला बैग अपनी कार की डिक्की से निकालकर ले आओ मुझे कपड़े बदलने है ।

राजेश ने उसका बैग कार की डिक्की से निकालकर ला कर दे दिया।

तभी पुलिस की तीन जिप और एक कार आकर राजेश के घर के पास सायरन बजाती हुई आकर खड़ी हो गई।

मोहल्ले में कोलाहल मच गया ।सब लोग डरे सहमे से अपने खिड़की और दरवाजों से पुलिस की गाड़ियों को देख रहे थे।

गाड़ियों के रुकते ही पुलिस के हथियार बंद जवान दनादन नीचे उतरकर सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए।

राजेश को जैसे ही पता चला वो भागता हुआ अपने घर से बाहर निकला ।पुलिस की गाड़ियां देख कर वो चौंक गया और डर भी गया की कही इस लड़की के रात वाले कांड की वजह से तो पुलिस नही आई है उसे गिरफ्तार करने लेकिन पुलिस को मेरे घर का  पता किसने दिया।

पुलिस को कैसे पता चला ये लड़की मेरे घर में है ।वो इन्ही सब सोचो ।ए डूबा हुआ भाग कर अंदर आया और दामिनी के पास गया ।उस समय दामिनी अपने कपड़े बदल चुकी थी ।अब वो सिविल ड्रेस में थी ।उसने सादे रंग की टी शर्ट,खाकी रंग की पेंट जिसमे लाल रंग के बेल्ट लगे हुए थे।उसके जूते भी लाल रंग के थे।

राजेश बड़ी हैरानी से उसे देख रहा है।उसने डरते हुए कहा _ बाहर पुलिस की गाड़ियां आई है ।कही आपको गिरफ्तार करने तो नही आई है  मैडम।

मेरा दिल घबडा रहा है।उसकी मां और बहन भी शंका से पुलिस की गाडियां देख रही थी।

दामिनी ने बड़े शांत लहजे में कहा_ ठीक है आई है तो देख लेंगे ।तुम तो जानते हो मैं किसी से डरती नही हूं ।

पहले तुम ध्यान से मेरी बात सुनो _ जैसे ही मैं बाहर निकलूंगी उनसे बात करके वे जहा ले जाएंगे जाऊंगी ।तुम फटाफट अपनी गाड़ी स्टार्ट कर तैयार रहना मैं उनसे कहूंगी कि मैं तुम्हारी गाड़ी में जाऊंगी ।जब मैं तुम्हारी गाड़ी में बैठ जाऊं तुम गाड़ी बढ़ा देना । देखो मैं तुम्हारे साथ हूं इसलिए बिलकुल मत डरना ।

राजेश ने कहा ठीक है मैडम _ और वो लपकता हुआ अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया।

दामिनी ने उसकी बहन से कहा _ तुम लोग डरो नहीं मेरा कुछ नही होगा।तुम मेरा बैग ले जाकर राजेश की गाड़ी की डिक्की में रख दो ।

रागिनी ने वैसा ही किया।

थोड़ी देर में दामनी जैसे ही घर से बाहर निकली तुरंत सारे पुलिस के जवानों ने उसे सलामी ठोका ।सारे लोग आंखे फाड़े कभी दामिनी कभी पुलिस को देख रहे थे।

राजेश का सिर चकराने लगा था।जिस लड़की से रात भर पुलिस से झड़प होती रही वही पुलिस उसे सलामी ठोक रही है।

तभी एक पुलिस ऑफिसर ने दामिनी के पास आकर कहा_ मैडम आपकी गाड़ी भी आ गई है आइए आप इसमें बैठिए ।दोनो जिप आपकी गाड़ी को कवर करती हुई आगे पीछे चलेंगी ।

रागिनी ने कहा_ सुरक्षा की दृष्टि से मैं प्राइवेट गाड़ी से चलूंगी ।फिलहाल आप उसमे बैठ जाए और ऑफिस में फोन कर दे की मैं आ रही हूं ।

इतना बोलकर रागिनी राजेश की कार में आकर बैठ गई ।

उस ऑफिसर ने अपने जवानों से कहा _ दोनो गाडियां  उस गाड़ी के आगे पीछे कवर करते हुए चलो जिसमें मैडम बैठी है। मैं उनकी गाड़ी में बैठूंगा।

जी सर हम वैसा ही करेंगे।

तभी उस ऑफिसर ने अपनी गाड़ी को लाकर दामिनी कि गाड़ी के आगे खड़ा कर फिर आगे बढ़वा दिया ।

दामिनी ने राजेश से कहा _ तुम उस सादे रंग की कार के पीछे पीछे चलते रहो।

राजेश ने कहा _ ठीक है मैडम लेकिन जाना कहा है और आप कौन है मेरी समझ में कुछ नही आ रहा है।

सब समझ में आ जायेगा थोड़ा धैर्य रखो रागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

राजेश ने कुछ नही कहा और उस सादे रंग की कार के पीछे चलता रहा।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-11) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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