अपने बेटे विराट के लिए सुंदर सुशील संस्कारी बहू ढूंढने के लिए चौधरी परिवार जी जान से जुटा हुआ था। पिछले 1 साल में लगभग एक दर्जन लड़कियां देखने और रिजेक्ट करने के बाद एकता ,जो कि पेशे से एक मेकअप आर्टिस्ट थी,से विराट का रिश्ता तय हो गया ।
विराट एमबीबीएस पूरी कर चुका था और अपना प्राइवेट क्लीनिक खोल कर प्रैक्टिस कर रहा था। डॉक्टर की डिग्री पाने के बाद ना केवल विराट को,अपितु, घर के हर एक सदस्य को इस बात का अच्छा खासा घमंड था कि उनका बेटा डॉक्टर है।अड़ोस पड़ोस में विराट की तारीफों के पुल बांधते ना थकने वाले परिवार के सदस्य एकता के परिवार से शादी संबंधी जरूरी बातें करने उनके घर पहुंचे और शादी की तारीख निश्चित हो गई।
लगभग 1 महीने की तैयारियों के बाद एकता दुल्हन बन कर विराट के घर आई। सब ने घर आई नई बहू का पूरे जोर-शोर से स्वागत किया ।एकता यह देखकर बहुत खुश थी कि उसका संबंध बहुत ही अच्छे और आधुनिक विचारों के लोगों के साथ जुड़ा है। शादी के बाद की सारी रस्में पूरी होने के लगभग 10 दिन पश्चात एकता ने अपने काम पर जाने की बात कही तो उसकी बात सुनकर विराट की छोटी बहन, जो कि अविवाहित थी, ने हैरानी जताते हुए कहा कि अभी तो भाभी तुम्हारे हाथों की मेहंदी भी नहीं उतरी है और तुम्हें काम पर जाने की पड़ी है। एकता ने बहुत ही प्यार से ननद शिवानी की बात का जवाब देते हुए कहा कि “दीदी जाना जरूरी है ,नहीं तो मेरी नौकरी जा सकती है ,शादी के लिए मुश्किल से मुझे 20 दिन की छुट्टियां मिली थीं, अब मुझे वापिस काम पर जाना ही होगा। भाभी की यह बात सुनकर शिवानी मुंह बनाकर वहां से चली गई ।उसकी इस बात का जवाब शिवानी की जगह शिवानी की मां अर्थात एकता की सासू मां ने दिया।
गुस्से के स्वर में सासू मां ने एकता को ताना देते हुए कहा कि अभी शादी को जुम्मे जुम्मे 4 दिन हुए हैं और तुम्हारी जबान गजभर लंबी चलने लगी है ।आज तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अपनी ननद को पलट कर जवाब दो।एकता गर्दन झुकाए सब सुनती रही पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसने ऐसा भी क्या किया है जो सासू मां इतना गुस्सा कर रही हैं।
और उसके बाद से शुरू हुआ सिलसिला ताने मारने का।आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं होने के कारण एकता के पापा ने शादी में ज्यादा पैसा नहीं लगाया था और इधर विराट के घर वालों ने भी यह सोच कर एकता और विराट की शादी के लिए हामी सिर्फ इसलिए भरी थी क्योंकि विराट मांगलिक था और उसके लिए ज्यादा रिश्ते नहीं आ रहे थे। परंतु,उनके भीतर का लालच अब जागने लगा था और वे मन ही मन पछता रहे थे कि क्यों उन्होंने अपने डॉक्टर बेटे के लिए एक गरीब घर की ऐसी लड़की को चुना, जो अपने साथ दहेज के नाम पर सिर्फ चार कपड़े लेकर आई है। एकता की ननद और सास दोनों ही दहेज को लेकर ताने मारने से नहीं चूकते थे।
छोटी-छोटी बात पर एकता को सुनाना और ताने देना अब घर के सभी सदस्यों का रूटीन बन गया था।एकता के खाने-पीने और यहां तक कि जरूरी सामान तक में कटौती की जाने लगी और बात बात पर उसे ताने दिए जाते थे कि अपने घर में उसने यह सब देखा भी नहीं होगा जो उसे ससुराल में मयस्सर हो रहा है।
अब एकता को जबरदस्ती ससुराल वालों ने कुछ दिनों के लिए उसके मायके भेज दिया। 15 दिन बीत जाने के बाद भी जब विराट उसे लेने नहीं आया तो एकता के पिताजी ने उसकी सासू मां को फोन लगाया।उनकी बात का जवाब देते हुए सासू मां ने कहा कि शादी के बाद तो उन्होंने दहेज के नाम पर एक फूटी कौड़ी तक नहीं दी थी,पर अब एकता इस घर में तभी आएगी जब वह साथ में नई कार की चाबी लेकर आएगी।यह बात सुनकर एकता के पिताजी स्तब्ध रह गए।उनके पैरों के तले मानों जमीन ही खिसक गई ।घर के खर्चे निकालने के बाद उनके पास इतना नहीं बचता था कि वे विलासिता की चीजों पर खर्च कर सकें।नई गाड़ी खरीदना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था ।उधार लेने की उनकी आदत कभी नहीं रही थी।वह अपने सीमित संसाधनों में ही गुजर बसर करने में विश्वास करते थे।
जब उन्होंने गाड़ी खरीदने की असमर्थता जाहिर की तो विराट के परिवार वालों ने साफ साफ कह दिया कि बिना गाड़ी साथ लिए एकता इस घर में एक कदम तक नहीं रख सकती । 6 महीने बीत गए,लेकिन विराट के घर से ना ही कोई फोन आया और ना ही कोई उसे साथ लेने आया। अब पानी सिर से ऊपर जा रहा था। एकता ने आगे बढ़ते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया कि वह अब कभी ससुराल नहीं जाएगी और किराए पर जगह लेकर अपना ख़ुद का सैलून खोलेगी।
एकता के पिताजी ने कोर्ट में तलाक के पेपर दाखिल कर दिए और घरवालों की सहमति के पश्चात एकता का सैलून खुल भी गया। देखते ही देखते उसका काम इतना बढ़ गया कि उसने किराए के सैलून को खरीद लिया और अब वह पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुकी थी। शहर में उसके सैलून की दो से तीन शाखाएं भी खुल गई थी।
दूसरी तरफ विराट का क्लीनिक बिलकुल ठप्प पड़ा था क्योंकि एकता के जाने के बाद वह तनाव का शिकार हो गया था और क्लीनिक पर ध्यान नहीं दे पा रहा था।घर वालों के सामने अपनी बात ना रख पाने के कारण वह अंदर ही अंदर घुट रहा था और इसके चलते उसकी मन:स्थिति बिगड़ चुकी थी ।जब तक घरवालों को इस बात का एहसास हुआ कि उनके बेटे की हालत क्या है तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विराट को रिहैबिलिटेशन सेंटर में दाखिल कराना पड़ा। आज घर वालों को इस बात का अंदर ही अंदर पश्चाताप हो रहा था कि दहेज के लालच में उन्होंने हीरे जैसी बहू को सताया और घर से निकाल दिया। ऐसा करके उन्होंने अपने ही बेटे की बसी बसाई गृहस्थी अपने ही हाथों खराब कर दी। परंतु एक कहावत है ना
कि
“अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।”
पिंकी सिंघल
दिल्ली