दहेज-एक लालच – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : वान्या एक उच्च  मध्यम परिवार में पली बढ़ी चुलबुली लड़की थी। पिता का एक छोटा सा बिजनेस था। सान्या उसकी छोटी बहन थी । यह दोनों ही माॅ पिता की दो आँखे थी। ऐसा लगता था कि जैसे वो दोनों बेटियों  को ही देख कर जी रहे थे। दोनों बेटीयो के मुहॅ से निकलते ही उनकी इच्छा पूरी करते । दोनो बेटी पढ़ने लिखने में होशियार सर्व गुण सम्पन्न थीं ।जिन बेटीयों को माता पिता एक दिन के  लिए भी अपनी आँखों मे ओझल न होने देते उन्हीं बेटियों की विदाई का समय आ गया उन्हें  पता ही नहीं लगा कब रूठते मनते वे इतनी  बडी हो गई।

आखिर दिल पर पत्थर रख उन्होंने वान्या के लिए वर तलाशना शुरू किया। आए दिन दहेज लोलुपों द्वारा बेटीयों को मार डालने वाली घटनाएं सुनकर वे बहुत घबराये हुए थे अत: बहुत ही सर्तकता बरत रहे थे। वे एक एक कदम फूॅक -फूॅक कर उठा रहे थे कि कहीं धोखा न खा जाऐं। आखिर उनकी तलाश निलेश और उसके परिवार पर जा कर रूकी। निलेश एक मल्टीनेशनल कम्पनी में  मैनेजर था।  छोटा परिवार माता पिता एवम एक बहन  जो अभी पढ़ ही रही थी। बहुत छानवीन एवं परिवार के बारे के पता लगाने के बाद वे सन्तुष्ट हो गए और बात आगे बढ़ाई। कदम  कदम पर सचेत थे सो उन्होंने सारी बातें पहले ही तय करनी चाही, ताकि आगे किसी भी प्रकार का झंझट न पडे ।

उस समय तो निलेश एवं उसके माता पिता ने कह दिया कि हम  दहेज  लेने-देने में  विश्वास नहीं रखते, स्वेच्छा से आप अपनी बेटी को जो देना चाहें दे सकते है उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है। राहुलजी एवं मीना जी उनकी बातों से बहुत खुश हुए एवं सोचा कि सही घर-वर मिल गया। देना तो उन्हें था ही किन्तु उन पर कोई दबाव नहीं रहेगा सो बात  पक्की  हो गई और सगाई एवं शादी का मुहुर्त निकलवाने की भी बात

हो गई।

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सगाई से पहले वरुण जी का फोन आया की हमें पता है आप अपनी तरफ से सब अच्छा ही करेंगे किन्तु एक बात कहनी थी कि हमारे रिश्तेदारों के सामने हमारी इज्जत बनी रहे सो थाल में कम  से कम पाँच लाख केश एवं लड़के एवम उसके माता पिता बहन के लिए सोने का आइटम जरूर रखें। चाँदी का नारियल भी अच्छा भारी होना चाहिए आगे आप खुद समझदार है।

 

राहुल जी ने उनकी यह बात यह सोचकर की पहली डिमांड उन्होंने रखी है अक्षरश: मान ली और खुशी भरे माहौल मे सगाई सम्पन्न हुई। 

निलेश वान्या से फोन पर प्यारी प्यारी बातें करता और खूब उसे जिन्दगी के सब्जबाग दिखाता।

सगाई के तीन दिन बाद सुमन जी का फोन  आया कपडे और साड़ियां बगैरह अच्छी होनी चाहिए कमसेकम प्रत्येक सूट  एवम साडी दस -दस हजार से कम न हो।

राहुल जी ने उनकी यह डिमांड भी पूरी कर दी।

फिर एक दिन वरुणजी बोले-अरे राहुल जीअपने दामाद को कम से कम दस पन्द्रह लाख वाली गाड़ी ही देना।

राहुल जी बोले गाडी लेने देने की तो कोई बात  ही नहीं हुई  थी।

वे  बडी ढिठाई  से बोले नही हुई थी  तो अब कर लो ।

 मीनाजी, बोली ऐसे तो इनकी माँग बढ़ती ही जा रही है।  हम कैसे पूरी करेंगे। 

 राहुल जी बोले तुम वान्या को कुछ मत बताना जरूरत पडी तो लोन ले लूगाॅ। उनके माथे पर चिन्ता  की रेखायें देख वान्या ने पूछा भी पापा कोई परेशानी है  क्या? 

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 वे हँसते हुए बोले अरे नहीं  काम ज्यादा है और समय कम सो   थोडी थकान हो गई है।

शादी से दो दिन पहले सुमनजी का फोन आया, भाई साहब बच्चों को हनिमून के लिए कहाँ भेज रहे हो। वैसे निलेश की इच्छा तो कहीं बाहर विदेश जाने की है सो सही जगह  चुनकर टिकट करवा दें और हाॅ वान्या  बेटी को न बतायें उसके लिए सरप्राइज  ही रहने दें ।

राहुल जी और मीनाजी बहुत  परेशान  हो गए  कि अब  क्या करेंगे, एक ओर धमाका वो भी लाखों में। अभी इस प्रश्न  पर विचार कर  ही रहे थे ,की वरूणजी का फिर  फोन आ गया।

 राहुल जी क्या  बतायें ,ये आजकल के बच्चे भी  किसी की नहीं सुनते  अब देखो हमारी बिटियारानी  जिद करके बैठी है कि भाभी के घर से मेरे लिए  तो डायमंड सैट ही आना चाहिए।  हमने कहा हम दिला देते हैं पर उसका कहना है भैया की शादी की याद  में उनकी ससुराल  से ही  लूंगी ।

 राहुलजी बोले- भाई साहब ऐन वक्त पर इतनी बडी बडी डिमांड हम कैसे पूरी करेंगे  यह तो कुछ  ज्यादा ही हो रहा है।

अरे नहीं राहुल जी शादी -व्याह, मकान में बजट से ऊपर लग ही जाता है,सो इतना तो मार्जिन रखना पडता है।हमने तो समय रहते आपको सूचित कर दिया अब आप देख लें।

उन्हें बोलने का मोका दिए बगैर ही फोन  काट दिया।  अब राहुल जी और मीना जी  बहुत परेशान क्या करें। इनका मुँह तो सुरसा की तरह फैलता ही  जा रहा था ।अन्त में उन्होंने अपना एक  मकान गिरवी रख कर पैसों का इंतजाम कर डायमंड सैट खरीदा और लक्ष्य द्वीप की टिकट करवा दी।

शादी सम्पन्न हुई। वान्या का ससुराल में स्वागत धूमधाम से हुआ। बहू नहीं साक्षात लक्ष्मी जो आई थी। तीसरे दिन वे हनीमून  पर चले गए। वहाँ से लौटने के बाद कुछ महिनों तक तो ठीक चला।

वह मायके जाति तो उसके चेहरे की रौनक देख उसके माता पिता अपनी चिंताएं भूला देते और उसके सामने सामान्य दिखने की कोशिश करते।

अब कुछ दिनों से वान्या को इन लोगों के व्यवहार में अन्तर दिखने लगा।धीरे-धीरे घर के सारे कामों का बोझ उस पर डालने  लगे ।निलेश की भी प्यार भरी बातें हवा हो गई वह बात-बात पर उसे झिडकने लगा। छोटी- छोटी गलतियों के लिए उसे बहुत कुछ सुनाया जाता। वह इस परिवर्तन का कारण समझ नहीं पा रही थी कि एक दिन उसकी सास बोली वान्या अकस्मात कुछ पैसों की जरूरत आ पड़ी है हम अभी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं सो तुम अपने पापा से दो लाख रुपये ले आओ उधार समझ कर दे दो, हमारे पास आते ही लोटा देंगें।

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पर मम्मीजी अभी शादी में इतना खर्चा हो गया  है पापा कहाँ से देगें। तुम्हें उस घर की नहीं इस घर की चिन्ता होनी चाहिए। अब जाकर पैसे ले आओ निलेश उसे लेकर मायके गया | वान्या अपने पापा से पैसे नहीं माँग पा रही थी निलेश बार बार उसे इशारे कर रहा था  वह अन देखा कर रही थी आखिर बेशर्म सी हॅसी हंसते हुए बोला पापाजी हम आज काम से आए थे वान्या तो बोल  नहीं पा रही  है में ही कह देता हूँ अचानक पेसों की आवश्यकता आ पडी है आप दो लाख रुपये की मदत कर दें। राहुल जी बोले, अभी तो बहुत मुश्किल है हम असर्मथ हैं।

निलेश बोला मैंनें अपनी      जरूरत आपको बता दी है आगे आप खुद समझदार हो वान्या  से बोला चलो अभी घर चलें उसे बोलने का मौका दिये बगैर ही बाहर निकल गया कहते हुए जल्दी आ जाओ ।वान्या चुपचाप चली गई। राहुलजी ,मीनाजी सिर पर हाथ रख कर बैठ गए । अब क्या करें। कहाँ से लाऐं इतना पैसा जो उनका पेट भर सकें । त्वरित गति से विजली सा विचार कौंधा कि यदि वान्या के साथ  कुछ अनहोनी  हो गई तो । उन्होनें तुरन्त फोन मिलाया वान्या ने अपने  को भरसक सय॔त करते हुए कहा हाँ पापा ठीक हूं। जबकि रास्ते भर निलेश  उसे प्रताडित करता हुआ गया था।

 अभी इस बात  को पन्द्रह दिन भी न बीते होंगे कि फिर उनकी नई डिमांड शुरू हो गई।  इस बार पाॅच लाख रूपए की मांग की गई, कारण पिछले दो लाख जो न मिले थे।वान्या पर सख्ती बढा दी गई अब गाली-गलौज के साथ-साथ बात मारपीट पर भी आ गई। वान्या समझ नहीं पा रही थी क्या करे।

 पिता की स्थिती को देखते हुए उनसे पैसों की माँग भी नहीं  कर पा रही थी। और उसके बदले उस पर शारीरिक अत्याचार  बढता ही  जा रहा था। उसकी सास  बोली की  आज जाकर  पैसे ले आ  ,नहीं तो तेरी खैर  नहीं। मम्मी जी इतना पैसा पापा कहाँ से लायेगें। 

 हमें  नहीं पता लड़की पैदा करने का खामियाजा तो भुगतना ही पडेगा।

 

वह बोली बेटी तो अपने घर में भी है क्या आप इतना पैसा देगें | उसका इतना कहना  भर था कि एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर  पडा ।तेरी इतनी हिम्मत की मम्मी से जबान  लडायगी। जा जाकर चाय लेके का सबके  लिए। वान्या  जैसे ही चाय लेकर आई उसके कानों  में  शब्द पड़े ,वह ठिठक कर सुनने लगी  दो चार दिन में लाती है तो ठीक नहीं तो ठिकाने लगा देते हैं, बेटा तेरी दूसरी शादी कर देंगें वहाॅ से फिर खूब दहेज  लेगें ।सुनकर वान्या की पैरों तले जमीन खिसक गई ।  हाथों से ट्रे गिरते गिरते बची। फिर उसने अपने  को संयत कर सबको चाय दी। सुन अब जा बाप के घर और पैसे ले आ। 

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वह बोली मम्मी जी  मैं  दो चार दिन रूक  कर आंऊ क्योंकि इतने पैसों इन्तजाम एक दो दिन में नहीं हो पाएगा। सामने रहूंगी तो पापा को चिन्ता रहेगी और जल्दी वयवस्था करेंगे।

हाँ ठीक है रह आ।

वह तुरन्त अपने कमरे में गई और जो जेवर उसके पास  थे सब फूर्ती से वैग में डाले,उन पर कपडे डाल आकर बोली अब मैं  जाऊं।

हाॅ जा रिक्शा कर के चली जा।

 वान्या तुरन्त निकल गई। रिक्शे वाले को पता बता तेज चलने को कहा।कारण वह डर रही थी कि कहीं अलमारी खाली देख निलेश उसके पीछे न आ जाए। 

वह घबराई हुई घर पहुँची पापा-पापा उसकी आवाज सुनकर वे बाहर आए। उसकी हालत देख सब समझ गए  बेटाअआ

नहीं पापा और बात बाद में पहले जल्दी थाने चलो ,मेरी जान को खतरा है,रास्ते में बताती हूं सब।

थाने पहुंच कर दहेज के लिए घरेलू हिंसा, जान से मारने की थमकी का केस दर्ज  कराया।राहुल जी एक संभ्रांत व्यक्ति थे एवम पहुंच भी थी सो तुरन्त पुलिस भी एक्शन में आ गई। 

 केस दर्ज  कर पुलिस वरूण जी के घर पहुँची और निलेश समेत मातापिता को गिरफ्तार कर थाने ले आए। आज उनका मुखौटा समाज में उतर गया था और परिवार पर दहेज लोलुप होने का धब्बा लग गया था। ये ऐसा दाग लगा था  कि ता उम्र  उतरने वाला नहीं था, अपने किए की सजा भुगत रहे थे।

 

इस तरह से  वान्या अपनी सूझबूझ से  जहां  एक ओर उनके  परिवार पर  धब्बा लगाने में सफल हुई वही दूसरी ओर एक ओर बेटी दहेज की बलिवेदी में आहुत होने से बच गई ।

शिव कुमारी शुक्ला

5।9।23

स्व रचित मोलिक अप्रकाशित

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