दादी का जन्मदिन – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

 अनन्या की दादी की उम्र सतर वर्ष की थी | उसके दादाजी की मृत्यु एक साल पहले हुई थी |जबसे उसके दादाजी की मृत्यु हुई थी, तबसे दादी बहुत दुखित रहती थी | अनन्या संयुक्त परिवार में रहती थी | उसके दो चाचा, दो चाची, मम्मी-पापा और उनके दो – दो बच्चे, कुल छह बच्चे सभी एकसाथ रहते थे |

यूँ तो दादाजी के जाने से सभी दुखित थे, परन्तु धीरे- धीरे सब सामान्य हो गया था और सब अपने काम में लग गये थे | एक दादी ही सामान्य नहीं हो पाई थी और सदा उदास और खामोश रहती थी |सबने बहुत प्रयास किया, पर वह न तो किसी से ज्यादा बात करती और नहीं किसी से मिलती-जुलती,

नहीं हंसती- मुस्कुराती |सब लोग उन्हें लेकर चिंतीत रहते |बच्चे भी दादी के लिए कुछ करना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने इसबार दादी का जन्मदिन मनाने का निश्चय किया | उन्होंने गुपचुप तरीके से दादी का जन्मदिन मनाकर उन्हें खुश करने का प्रोग्राम बनाया |

उन्होंने अपने मम्मी-पापा को भी इसमें शामिल कर लिया था |घर में दादी का जन्मदिन कभी मनाया नहीं गया था और वे सब दादी का जन्मदिन मनाकर उन्हें आश्चर्यचकित करना चाहते थे | अनन्या पंद्रह वर्ष की थी और सभी भाई- बहनों में बड़ी थी  | 

           दादी के जन्मदिन के एकदिन पहले अनन्या का छोटे चाचा का बेटा अनंत जो घर में सबसे छोटा था और जिसकी उम्र छ साल थी, अनन्या के पास आकर जोर से बोला -” दीदी,हमने दादी के जन्मदिन मनाने का जो प्रोग्राम बनाया है, उसमें तुमने जलेबी तो लिखा ही नहीं, जो दादी को बहुत पसंद है |”

             उसने यह बात इतने जोर से कही कि दादी जो बाथरूम जा रही थी, सुन ली और रूककर आश्चर्य से पूछी -“तुमलोग मेरा जन्मदिन मना रहे हो ? भला इसकी  क्या जरूरत  है ? “

         अनन्या सिर पर हाथ मारते अनंत से बोली-” अनंत,क्या जरूरत थी, इतने जोर से बोलने की | तुमने तो सारा गुड गोबर कर दिया |”

        ” नहीं दीदी, मैंने गोबर नहीं किया, गोबर तो गाय करती है ना |” अनंत झट से बोला |

         अनंत की यह भोली बात सुन सब जोर से हंस पडे और दादी भी अनंत को गले लगाकर हंसने लगी |

# गुड गोबर करना 

 स्वलिखित और अप्रकाशित

 सुभद्रा प्रसाद

 पलामू, झारखंड |

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