मैडम इस स्टाइल का एक ही सूट है दुकान पर और ये वो सामने वाली मैडम खरीद चुकी है |दुकानदार मेरी तरफ इशारा करके किसी को बोल रहा था |
मै मन ही मन अपनी पसंद पर इतरा रही थी |ठीक है भइया अगर दुबारा स्टाक मे ऐसा सूट अाए तो मेरे लिए रख देना, ये कहते हुए जैसे ही वो मेरी तरफ मुड़ी, मै हैरानी से देख कर उसे पहचानने की कोशिश करने लगी |
टीना हाँ ये टीना ही है |मुझ भुलक्कड़ के औसत दिमाग मे उसका नाम याद आ ही गया था |मेरे अावाज देने से पहले ही उसने मुझे देख कर खुशी से चिल्लाना शुरू कर दिया था |वट अ पलैसंट सरपराइस ?रीमा कितने सालो बाद?
तुम यहाँ कैसे? मैने उसे गले लगाते हुए कहा, “इनका टरासफर यहाँ हो गया है, अब जहाँ ये वहाँ मै “|चल बाकी बाते अपने पूराने अड्डे पर चल कर करते है |मैने जल्दी से सूट का बिल दिया दुकान से बाहर आ गई |
थोडी देर बाद हम अपने पुराने कालेज के पास वाले चाय की टपरी पर थे |अपनी मनपसंद मैगी और अदरक वाली चाय का ऑडर देने के बाद उसके माथे की बिंदी और सिंदूर पर व्यंग करते हुए कहाँ, “सीता से गीता कया ट्रांसफोरमेशन है |
एक नजर मे तो कोई पहचान ही नहीं पाएगा ये वही कालेज की दबंग टीना है जिसके स्टाइल का पूरा कालेज दीवाना था “|
मेरी बात सुन कर खोखली हँसी हसँते हुए बोली, पचास सालो मे जिंदगी के इतने रंग देख लिए है, अब सब बलैक एनड वाइट ही लगता है |
मैने उसका हाथ दबाते हुए, “ज़िंदगी का ये फलसफा तेरे मुँह से अच्छा नही लगता |याद है तुँ कभी समाज के साथ नही चली तुँ तो हमेशा से बहती नदी की तरह थी जो अपने रास्ते खुद बनाती है |चाहे फिर तेरे कपड़े ही कयो ना हो याद है उस समय के तेरे छोटे छोटे टोप कसी हुई जींस |
उस समय कोई हिमाकत नही करता था ऐसे कपड़े पहनने की |मेरी बाते सुनकर टीना हसँने लगी उसकी आँखो मे नमी उतर आई भरी आवाज से बताने लगी एक वक्त ऐसा भी आया जब टीना दबंग ने जीवन से हार मान ली थी |
जिससे शादी हुई वो सुरा सुंदरी का शोकिन अय्याश आदमी था |लेकिन तुने उसके ऐसे आदमी से कैसे समझोता किया? कया करती माँ बाप दोनो मेरी चिंता मे दुनियां से चले गए भाई भाभी ने मेरे से किनारा कर लिया |तब का समाज इतना लिबरल भी तो नही था |
जो उसे छोड़ आती |सब अरमान दिल मे घटुते रहे, तभी एक साल की बेटी को मेरी गोद मे छोड़ कार दुर्घटना मे उसकी मौत हो गई |तब लगा बेटी के रूप मे जीने का मकसद मिल गया |पैसे की कमी तो थी नही शोरूम मैने संभालना शुरू कर दिया था |
दिल एक बार फिर टूटा जब बेटी ने एक दिन शादी के लिए लड़के को मेरे सामने ला कर खड़ा कर दिया बहुत समझाया पर वो तेरे पैसे से प्यार करता है पर नही मानी सिर्फ मेरा खून तो था नही उसमे जिद्दी बाप का खून भी तो था उसमे |
मेरी कैसे होती |शोरूम पर कब्जा करके मुझे पैसे पैसे को मोहताज करने का प्लान था जिसे मैने जायदाद के दो हिस्से करके नाकामयाब कर दिया |
एक उसे दे दिया |इस सारे झमेले मे एक बात अच्छी हुई कि शोरूम का सीए गुलशन जो विधुर था उसके सामने शादी का सुझाव रखा |
खूब भला बुरा बोला बेटी दामाद ने|सारा समाज धूँधू करेगा, कोढी की इज्जत नही रहेगी हमारी, नानी बनने की उम्र मे दुल्हन बन रही हो |लेकिन मुझे गुलशन जी अच्छे लगते थे |
मेने भी ठान लिया इस बार दिल की सुनुँगी और तेरी सहेली ने दबंगाई दिखाई और बन गई पचास साल मे फिर दुल्हन |कल हमारी शादी की सालगिरह है |नया सूट पहनना चाहती थी वही लेने मार्किट आई थी और देखो तुमसे मिलना लिखा था |
मैने उसे सालगिरह की मुबारकबाद देते हुए गले लगा कर सूट उसके हाथो मे पकड़ा दिया उसने कुछ कहना चाहा, पर मैने उसे यह कह कर चुप करा दिया ये मेरी दबंग का एनिवरसरी गिफ्ट |
पिंकी नारंग