Short Moral Stories in Hindi : सुशील और वंदना दोंनो जैसे ही अपने अपने काम से घर आये तो देखा कि पास वाले गुप्ता जी के घर पर बहुत भीड़ लगी थी। वहाँ पुलिस भी आई हुई थी।उनका मन बहुत घबरा गया।
उन्होंने गाड़ी दूर ही खड़ी कर दी और उतर कर बाहर आये। थोड़ा घर के पास आकर उन्होंने अपने पास ही रहने वाले दूसरे पड़ोसी से पूछा अरे भाई सोहन क्या हो गया है गुप्ताजी के यहां पर ?
अरे शर्मा जी क्या बताऊं आज उनकी बेटी सोनम ने आत्महत्या कर ली है।
क्या कह रहे हो यार वह तो बहुत सुलझे विचार वाली और बहुत समझदार थी।
हाँ पर ना जाने क्या ? हुआ की उसने ये कदम उठा लिया अचानक ।
तब तक पुलिस की कार्यवाही पूरी हो गयी थी ।सोनम की डेड बॉडी को बाहर लाकर एम्बुलेंस में रख दिया गया था।
अब बस उनके घर से रोने की ही आवाज आ रही थी,कुछ लोग उनके घर पर रुक गए और कुछ लोग अपने घर को चले गए थे।कुछ लोग अभी भी कानाफूसी कर रहे थे “अरे दिखने में सीधी थी पर क्या पता कि कुछ लफड़ा होगा लड़के के साथ ,कोई बोला अरे दिन रात नए नए लड़को को लेकर घूमती रहती थी।ऐसी अनगिनत मन घड़न्त कहानियाँ अब लोग बना रहे थे।
शुशील और वंदना दोनों भी दुखी मन से घर मे आ गए थे।क्योंकि वह सोनम को अच्छी तरह से जानते थे वह बहुत सीधी और शरीफ लड़की थी जो कि अकेले में किसी से बात करने में भी डरती थी।
उसके परिवार वाले लोग बहुत ही पुरानी विचार धारा के रूढ़िवादी लोग थे ।
वह पढ़ाई में अच्छी थी इसी कारण वह अपनी व भाइयों की जिद्द से ही आगे पढ़ाई कर पा रही थी वरना उसकी मम्मी ने तो साफ मना कर दिया था उसको पढ़ाने का। उसके माता पिता तो कब की उसकी शादी की तैयारी कर चुके थे।
वंदना से उसकी अच्छी बात होती थी।वह अक्सर वंदना से कभी पढ़ाई का कुछ भी समझ नही आता था तो पूछने आ जाती थी,
क्योंकि वंदना जिस कॉलेज में लेक्चरार थी उसी में वह पढ़ती थी।
इसी कारण उसके बारे में बहुत सी बातें उसको पता थी। अक्सर वह अपने मन की सारी बातें वंदना से शेयर कर लेती थी ,अपनी बड़ी बहन जैसा व अपना हमराज मानकर।
उसकी ऐसे कोई खास सहेलियाँ भी नही थी।
अभी दो तीन दिनों के लिए वह दोनों बाहर शादी में गए हुए थे। आने के बाद एक दो दिन व्यस्त रहने के कारण वन्दना भी सोनम से मिल नही पाई थी ,और यह घटना हो गई।
अगर वाह लोग होते और सोनम को कुछ परेशानी थी तो शायद वह वंदना को बताती और वंदना उसको समझाती और इस कदम को वह नही उठाती पर अब सोचकर क्या होता वह तो इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी थी।
वंदना ने अंदर जाकर हाथ मुँह धोए ओर चाय व नाश्ता लेकर आ गयी थी।
वह और शुशील दोंनो चुपचाप चाय पीने लगे पर बेमन एस,उनके आगे रहरह कर सोनम का मासूम चेहरा घूम रहा था।
उनको आसपड़ोस के लोगो की घटिया सोच व उनकी मनघड़ंत कहानियों पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था।
कितना आसान होता है शुशील लोगों को किसी लड़की के दामन में दाग लगाना बिन कुछ सोचे
लोगो को अंदर की बात मालूम नही होती है बस टिक टिप्पणी करने लगते है । ,
पोस्ट मार्टम हो गया था।, उसके दूसरे दिन कुछ लोगो व परिवार वाले जाकर सोनम की बॉडी को लेकर आये शवयात्रा की पूरी तैयारी हो चूकि थी ,जैसे ही उसकी अर्थी को उठाया गया उसकी माँ चीख पड़ी नही मेरी बिट्टो को मत ले जाओ।बिट्टो क्या हुआ क्यों किया तुमने ऐसा ।कुछ बात थी तो हमको तो बतात ,मत जा मुझको यूँ ऐसे छोड़ कर और बेहोश हो गई । भाई व पिता को जैसे तैसे लोगो ने संभाला और जल्दी से ले जाकर दाहसंस्कार करवा दिया।
दो दिनों बाद पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ गई थी।उसके साथ किसी ने बहुत बुरी तरह से रेप किया था। चूंकि वो बहुत गम्भीर स्वभाव की लड़की थी और घर का वातावरण भी इतना फ्रैंक नही था, पिता व माँ दोनों पुराने विचार धारा वाले लोग थे पुराने जमाने के हिसाब से ही पालन पोषन किया था शुरू से ही वह दबकर ही रही थी ।
पर घर के वातावरण का प्रभाव इतना था कि कभी भी खुल कर अपने मन की बात वह किसी से नही कर पाती थी। उसकी मां ने कभी उसके जज्बातों को नही समझा क्यों कि वह ठेठ गांव की महिला थी जो हर वक्त सिर पर हाथ भर घुंघट लिए काम करती थी।
उस घटना का इतना सदमा उसके दिमाग मे बैठ गया कि वह अपने भाइयों को और किसी को यह बात बता नही पाई थी ,और निराश होकर उसने एक ऐसा कदम उठा लिया था।
आज वो बहुत दूर जा चुकी थी। पीछे अनगिनत सवाल छोड़ कर लोगो को रोता छोड़ कर।काश उसकी माँ उसकी भावनाओं को समझ पाती , उसको अपना दोस्त व हमराज बना पाती ।ताकि सोनम इतनी बड़ी घटना को उनसे शेयर कर पाती अपने दामन में लगे दाग को खुल कर उनको बता देती ।
तो आज शायद उनकी बेटी उनके साथ होती
अपने साथ हुए इतने बड़े हादसे को यूं न छिपाती अगर आज उसको परिवार वालो से थोड़ी सी हिम्मत मिली होती।
मंगला श्रीवास्तव
इंदौर
स्वरचित मौलिक कथा
#दाग