दाग – उषा शर्मा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अरे सुमित्रा तुम्हें पता है कमलेश की बहू रेखा  का चरित्र ठीक नहीं है । काम करने के बहाने जाती है और ना जाने कितने आदमियों से बातें करती रहती है ।  उसने अपनी बहू को हमेशा से ही ढील दे रखी है  ।

मैंने तो अपनी बहू से कह दिया है कि अगर मैंने तुझे रेखा के साथ देख लिया तो मुझसे बुरा कोई नहीं । मना कर दिया है कि उसकी बहू के साथ ना रहे  , और तू भी अपनी बहू से कह देना रेखा के साथ ना रहे । उसका चरित्र बिगड़ा हुआ है । मैंने तेरी बहू को कई बार उससे बातें करके देखा है । इसलिए तुझे पहले ही आगाह कर रही हूं  ।  वरना तेरी बहू भी उसके साथ रहकर बगड़ जाएगी  , आगे तेरी मर्जी ,जो तुझे ठीक लगे ।

मेरा काम तो समझाना है , मानना ना मानना तेरी मर्जी ।

पड़ोस में रहने वाली  शीला अपनी पड़ोसन सुमित्रा से कहती है । सुमित्रा कहती है , अरे छोड़ यार , उसकी बहू कुछ भी करें , हमको क्या , मुझे कौन सी उसके घर खीर खाने जाना है ।

हमें ज्यादा किसी की जिंदगी में दखल नहीं देनी चाहिए । वो उनका अपना निजी मामला है ।

सुमित्रा की बहू रागिनी  ऊपर छत पर कपड़े सुखाने गई थी , वो उन दोनों की बातें सुन लेती है  ।

नीचे आ कर अपनी सास से पूछतीं है , मम्मी जी वो आंटी आपसे क्या कह रही थी , सुमित्रा बताती है  वो रेखा के बारे में बता रही थी , कि उसका चरित्र बिगड़ा हुआ है अपनी बहू से कहना कि उससे दूर ही रहे , 

क्या मम्मी जी आप भी सुनी सुनाई बातों पर ध्यान देती हो  , उन आंटी का तो काम ही इधर की उधर करना है , अपना घर तो सम्हाला नहीं जाता और दूसरों के घरों में पत्थर फेंकने से मतलब।

जिनके घर खुद शीशे के होते हैं वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते हैं , हां बेटा तुम सही कह रही हो ।

लेकिन रेखा बारे में सब यही सोचते हैं , किस किस का मुंह बंद करेंगे , लोगों की तो सोच ही ख़राब है ।

आज संडे है रेखा सब्जी लेने के लिए बाहर गई , वहां पर उसकी मुलाकात रागिनी से हो गई ।

रागिनी रेखा से कहती हैं कि एक बात पूछूं , बुरा तो नहीं मानोगी ,

रेखा बोली , हम दोनों दोस्त हैं इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है, बोलो क्या कहना चाहती हो , तो रागिनी कहती हैं कि पड़ोस वाली शीला आंटी कल मेरी सासु मां से तुम्हारे बारे में उल्टा सीधा बोल रही थी ,

कह रही थी कि कमलेश की बहू रेखा का चरित्र ठीक नहीं है, तो अपनी बहू से कह देना कि उससे दूर ही रहे , नहीं तो तेरी बहू भी उसके साथ रहकर बिगड़ जाएगी , उसका बाहर आदमियों के साथ उठना-बैठना है , नौकरी के बहाने ना जाने कहां कहां जाती होगी ।

तो तुम्हारी सासु मां ने क्या कहा ,,

मेरी सासु मां तो कह रही थी कि उनकी आदत है इधर की उधर करना , उन्हें इस काम में बहुत आनंद मिलता है , और कह रही थी कि सभी लोग रेखा के बारे में ऐसा ही सोचते हैं किस – किस का मुंह बंद करेंगे ,  नजर का तो इलाज हो सकता है लेकिन नजरिए का नहीं ,  मेरी सासू मां दिल की बहुत अच्छी है ।

वो किसी किसी सुनी सुनाई बातों पर भरोसा नहीं करती हैं ।

मेरी सासू मां तो कहती हैं,,,,,,,, 

 जाके पैर ना फटे बिवाई

 बो का जाने पीर पराई  ,

 उनके घर में तो चार चार लोग कमाने वाले हैं , तो उसे किसी बात की चिंता नहीं है । इसलिए वह दूसरों के घर में तांका -झांकी करती रहती है  ।

बिल्कुल सही कहा रागिनी  । अब एक बात बताओ , रागिनी जब मेरे सास ससुर को मेरे कमाने पर कोई आपत्ती नहीं है , तो फिर मैं दुनिया की फिकर क्यों करूं । उनके लिए तो वह कहावत सही है अंगूर मिले नहीं तो खट्टे ही लगेंगे ना । 

 इसलिए वो आंटी फिजूल की बातें करती कहती हैं ।

मुझे तो अपने पति से साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है , एक इंसान की कमाई से घर नहीं चलता है , कमाने वाला एक और खाने वाले चार  , अब इस तरह से गुजारा नहीं हो सकता  , पहले की बात अलग थी , जब बच्चों पर ज्यादा खर्च नहीं किया जाता था  ,

थोड़े बहुत पढ़ाई-लिखाई कर ली , काम चल जाएगा , लेकिन आज बच्चों में कांपटीशन लगा हुआ है  , और एक इंसान की कमाई से घर में खाने की व्यवस्था होगी , बिजली का बिल भरेंगे , बूढ़े मां बाप की दवाइयों का खर्चा उठाएंगे  ,

या फिर बच्चों की जिंदगी बनाएं , मुझे तो अपने परिवार की जिम्मेदारी निभानी है , और जब मेरे सास – ससुर को कोई ऐतराज नहीं है, तो दुनिया का क्या , जब उन्होंने  सीता माता  के चरित्र पर उंगली उठाई है ,

तो मैं तो फिर भी साधारण सी नारी हूं , ये समाज ऐसा ही है। इस समाज से किसी की खुशी नहीं देखी जाती , इसलिए वह किसी पर भी उंगली उठा सकता है और किसी के चरित्र पर

” दाग  ”   लगा सकता है 

स्वरचित,,,,, उषा शर्मा

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