दाग अच्छे हैं – ममता भारद्वाज : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : साधारण नैन नक्श और गहुए रंग वाली रश्मि दुल्हन के लाल जोड़े में बहुत ही सुन्दर लग रही हैं ।पूरा घर रिश्तेदारो से भरा हुआ है। हर कोई बहुत ही प्रसन्न नजर आ रहा हैं। रश्मि के पिता मनोहरजी चारो तरफ भाग भाग कर बारात के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं।उसकी मां नमीताजी होने वाले दूल्हे के स्वागत में आरती का थाल तैयार कर रही हैं।

तभी बारात आती हैं,सब लोग मिलकर बारात का स्वागत करते हैं। अंदर कमरे में रश्मि की सहेलियां उसे छेड़ रही होती हैं।वह शरमा कर मुस्कुराती है। पंडित जी दूल्हे  अक्षय को मंडप में बुलाते हैं। तभी दूल्हे के पिता मनोहर जी को एकांत में बात करने के लिए बुलाते है। जहां वो मनोहर जी से  दहेज में भारी रकम की मांग करते हैं।

मनोहर जी इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता व्यक्त करते हैं। वो कहते हैं कि वह एक साधारण सी नौकरी करते है, इतनी बड़ी रकम उनके लिए देना असंभव है। उन्हे अभी दूसरी बेटी की पढ़ाई और शादी भी करनी है । दूल्हे के पिता कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होते हैं।

मनोहर जी को बारात वापिस ले जाने की धमकी देते है, कहते हैं कि यदि बारात वापिस गई तो आपकी बेटी के चरित्र पर दाग लग जायेगा। कोई भी उससे शादी नही करेगा इसलिए आपको हमारी बात माननी ही पड़ेगी। मनोहर जी हाथ जोड़कर कर गिड़गिड़ाते है परन्तु दूल्हे के लालची पिता अपनी बात पर अड़े रहते हैं।ये सब बाते रश्मि की छोटी बहन उर्मी सुन लेती हैं जो कुछ काम से वहां से निकल रही होती हैं ।

अपने पिता को इस हाल में देखकर वो रोते हुए भागकर रश्मि के जाती हैं। उसे सारी बाते बताती है ।ये सब बाते सुनकर रश्मि अपने पिता के पास आती है और दहेज के लालची ऐसे घर में शादी करने से इंकार कर देती है। मनोहर जी उसे समझाते हैं कि बारात वापिस जाने के कलंक के साथ उसका जीना दुभर हो जायेगा।

शोर सुनकर दुल्हा और बाकि सभी लोग भी वहां एकत्र हो जाते हैं। रश्मि अक्षय से पूछती है कि आप तो नई पीढ़ी के पढ़े लिखे व्यक्ति हो ,क्या आप भी अपने पिता की बात का समर्थन करते है? अक्षय कहता है कि मेरे पिताजी ने मुझे पढ़ाने में बहुत पैसा ख़र्च किया है और अब उनके भी कुछ अरमान हैं,मेरी शादी को लेकर। इतना दहेज तो मेरे जैसे सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति को मिलना ही चाहिए।

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यह सब सुनकर रश्मि आग बबूला हो जाती है। वह कहती है कि यदि मैंने ऐसे इंसान से विवाह किया तो   वह मेरे लिए बहुत ही शर्म की बात होगी। मनोहरजी अपनी बेटी की बात का समर्थन करते हैं। दूल्हे और उसके पिता को बारात सहित वापिस जाने को कहते है।

बारात वापिस चली जाती हैं। रश्मि के माता पिता अपनी बेटी के भविष्य के लिए बहुत दुखी हो जाते हैं। रश्मि उन्हे हिम्मत बंधाती है, वह कहती है कि मैं अपने इस दाग को अपनी ताकत बनाऊंगी।आज से मैं आपका बेटा बनकर आपके और अपने सारे सपने पूरे करूंगी। वह उसी क्षण से जीवन में कुछ बनने की ठान लेती है।

उसके वह दिनरात एक करके सरकारी नौकरी की तैयारी करती है। प्रथम प्रयास में ही वह सफल हो जाती है। उसकी नियुक्ति जिस विभाग में अफसर बनकर होती हैं, उसी विभाग में ही अक्षय (पहले होने वाला पति)एक मामूली कर्मचारी के पद पर काम कर रहा होता है।

रश्मि को अपने बॉस के रूप में देखकर बहुत डर जाता है और उससे अपने कर्मो के लिए माफ़ी मांगता है। रश्मि कहती हैं कि अगर तुम उस दिन बारात लेकर वापिस नही जाते तो  आज मैं यह मुकाम हासिल नहीं कर पाती। मेरे जीवन पर लगाया हुआ वो दाग मेरी ताकत बना और मुझे आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध हुआ इसलिए कहते है कि कुछ दाग अच्छे होते हैं।

   जीवन में होने वाली परेशानियों से घबराने के बजाय हमे उनसे लड़ने का उपाय खोजना चाहिए।

   #दाग

ममता भारद्वाज

गाजियाबाद

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