दाग अच्छे हैं – स्नेह ज्योति : Moral stories in hindi

रणजीत जी मेहूल कुर्सी ढंग से लगाना और खाने का इंतज़ाम अच्छे से करना । अपनी बीवी को बोलना जरा अपने ग़ुस्से पे पकड़ बना के रखे । बहुत समय बाद मेरी बेटी के लिए कोई रिश्ता आया है । ख़ाना पीना सब अच्छे से होना चाहिए ।

सुनो जी ! बाबू जी तो ऐसे खुश हो रहे है , जैसे इनकी लाड़ली की आज ही शादी हो रही है । अभी तक तो कोई बात बनी नहीं, आगे जाने क्या होगा ! वैसे मुझे तो उम्मीद कम ही लग रही है । रुक्मणी तुम चुप करो ! अगर बाबू जी ने सुन लिया तो …….तो मैं डरती नहीं हूँ ! अच्छा अंदर जाओ और खाने का इंतज़ाम करो ।

रणजीत जी अपनी बेटी सुलोचना के पास गए । बेटी ! तुम तैयार हो गई हो ना वो लोग आते ही होंगे…. देखो अगर वो तुमसे कुछ पूछे , तो ज़्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं है ! समझ रही हो ना मैं क्या कहना चाहता हूँ ।

अगर तुम्हारी माँ होती तो वो तुम से खुल के बात करती लेकिन उसे जाने की जल्दी ज़्यादा थी । और तेरी भाभी से तो कोई अच्छे की उम्मीद नहीं हैं ।इसलिए मैं ही समझा रहा हूँ ,जो कुछ भी अतीत में हुआ उसे मत बताना ।तुम्हारी एक गलती की वजह से कितने रिश्तों से इंकार हो चुका है । बस अब एक उम्मीद जागी है ,इसे अपनी नयी सोच से बर्बाद मत करना ।

ऐसा मैंने क्या ग़लत किया था बाबूजी ! अपनी मर्ज़ी से जीना चाहा था ,जो मेरा हक भी हैं और अधिकार भी ।

लो सुन लो बाबू जी ! गलती कर कर भी अफ़सोस नहीं है !

गलती कैसी गलती भाभी ??।

माना तुम शहर में पढ़ नयी सोच विचार धारा की मालकिन हो । पर हम आज भी अपनी ज़मीन , अपने रीति रिवाजो से जुड़े है । तुम्हारी तरह एक साल किसी अनजान के साथ बिना किसी रिश्तें के अकेले रहना हमारे संस्कारों में तो नहीं है !

भाभी उसे लिव इन कहते है । इसे हमारे क़ानून ने भी मान्यता दी है ।

अब चाहें तुम उसे कुछ भी कहो ….. लेकिन तुम्हारे चरित्र पे इस लिव इन की वजह से जो दाग लगा है ! कोई तुम्हें अपना ले यही बड़ी बात है ।

आप जैसी छोटी सोच के कारण ही देश में लड़कियाँ सिर उठा के नहीं चल सकती ।

बाबू जी देख लो मैं तो भले का सोच कह रही थी ।

बहू तुम चुप करो ! मुझे बात करने दो ….ठीक है आप बात करिए मैं चलती हूँ बोल रुक्मणी चली गई।

देखो सुलोचना ! मैंने जो कह दिया वो कह दिया , शादी तो करनी पड़ेगी ।

आगे भगवान भला करेगा …..बोल रणजीत जी बाहर चले गए ।

रुक्मणी मेहूल के ओर ताकती हुई इशारो में समय का पूछने लगी । मेहूल अपने पिता जी की ओर देखता हुआ बोलता है ….. बारह बजे आने का कहा था ,अब तो एक बजने को आ रहा है क्या करे ??

रुक्मणी – मुझे लगता है उन्होंने अपने आने का इरादा बदल लिया है । तभी तो अब तक नहीं आए ,बताओ मैंने इतनी मेहनत से ख़ाना बनाया है , लगता है सब बर्बाद हो जाएगा । रणजीत जी चिल्ला के बोले-“ तुम ज़्यादा संजय बनने की कोशिश ना करो “! धैर्य तो तुम में है ही नहीं बहू रानी ! तभी कार के हॉर्न बजने की आवाज़ आयी मेहूल भाग के गया । आइए आइए आप लोगो का ही इंतज़ार कर रहे थे ! शंभु जी” माफ़ करना गाड़ी का टायर पंचर हो गया था इसलिए आने में देरी हो गई “। रणजीत जी कोई बात नहीं अंदर आइए आपका स्वागत है !

शंभु जी – ये मेरी पत्नी नर्मदा जी , ये मेरा बेटा कपिल और ये इसका दोस्त राघव है ।

मेहूल पानी देता हुआ ….कपिल सुना है तुम शहर में काम करते हो !

थोड़ी देर में रुक्मणी सुलोचना को लेकर आती है । सब चाय पीते पीते बाते कर रहे होते है ,तभी कपिल बोलता है क्या हम थोड़ी देर अकेले में बाते कर सकते है ! ये सुन रणजीत जी आश्चर्य से ज़्यादा परेशानी में नज़र आए । लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत कर बोल दिया …..रुक्मणी जाओ इन्हें बाहर के बरामदे में बैठा दो । कपिल ने बोला मेरे साथ मेरा दोस्त भी जाए तो कोई एतराज़ तो नहीं ? जी नहीं आप जा सकते है ।

दोनों एक दूसरे को झिझक भरी नज़रों से देखते हुए …..कपिल ने पूछा क्या आपने अंग्रेज़ी साहित्य में पी. एच. डी. की है ।

हाँ जी ! इससे पहले आप मुझ से इम्तिहान के परचों से सवाल पूछे? मैं आपसे एक सीधा साधा सवाल करती हूँ !

बोलो !

अगर किसी पर दाग लग जाए तो आप क्या करेंगे ?

मतलब…… मुझे समझ नहीं आ रहा ?

ठीक है ऑप्शन देती हूँ

दाग को धो डालोगे या दाग संग चलोगे

कपिल इस पहेली को समझ नहीं पा रहा था और बोला आप सीधे बोलिए ना ये क्या कौन बनेगा तुम्हारा पति प्रतियोगिता करा रही है ।

ठीक है तो सीधी बात ये है कि मैं एक साल किसी के साथ लिव इन में रह चुकी हूँ ।

ये सुन कपिल खड़ा हो गया क्या कह रही है आप ??

मैं सच कह रही हूँ जिसे सब छुपाना चाहते है …. लेकिन मैं सच बता साथ चलना चाहूँगी ।

मैं तुम से शादी नहीं कर सकता मेरे माँ बाप छोड़ो मैं ऐसी लड़की से शादी कैसे कर सकता हूँ जिसके चरित्र पे दाग है ।

राघव ने उसे समझाने की कोशिश की यार तुम नये जमाने में रह कर ऐसा सोचते हो । तुम्हारे भी तो इतने अफ़ेयर थे । माना उसका एक अतीत था, पर वो सच्ची है तुम से कुछ नहीं छिपाया ।

राघव मैं तो नहीं अपना सकता इसलिए चलो ।

लेकिन कपिल सुनो तो !

बाहर आकर कपिल ने सबसे हाथ जोड़ विदा ली और अपने माँ बाप के साथ बिना कोई जवाब दिये चले गए ।

रणजीत जी ख़ामोश सिर झुकाए अपने कमरे में चले गए …..

समय ऐसे ही बीत गया एक साल बाद कपिल का दोस्त राघव रणजीत जी के घर आया और उनसे सुलोचना का हाथ माँगा ! ये सुन वो स्तब्ध रह गए क्या कह रहे हो बेटा ! तुम मेरी बेटी से शादी करना चाहते हो !

जी ,आप सुलोचना को बुला लीजिए मैं उससे बात करना चाहूँगा ।

रणजीत जी ने सबको बुलाया और दोनों को अकेले बात करने का अवसर दिया । ये देख रुक्मणी बोली देख लो बाबू जी कहीं ये भी !

राघव ने बाते ना घूमाते हुए सीधे पूछ लिया….. देखिए मैं आपके बारे में सब जानता हूँ और मैं शादी करने के लिए तैयार हूँ ।

सुलोचना – आप सब जानते थे तो एक साल लगा आपको मन बनाने में ??

नहीं मन तो मैंने उसी पल बना लिया था जब मैं यहाँ से गया था ।

तो फिर इतना समय बताने में क्यों ??

क्योंकि मैं एक अच्छी नौकरी की तलाश में था । मैंने सोचा कि शादी के बाद आपको कभी कोई तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए इसलिए मैं ख़ामोश था पहले कुछ बन जाऊँ फिर बोलूँगा

देखिए मैंने तो अपनी मन की बात बोल दी ….. अब तुम्हारी बारी है बोलो !

आपके परिवार वाले वो क्या सोचते है ?

मेरी माँ को कोई आपत्ति नहीं है ।

ये सब सुन ! सुलोचना ने भी एक अंतराल के बाद हाँ बोल दी !

आज हम दोनों शादी कर हंसी ख़ुशी साथ रह रहे है । सब अच्छा है क्योंकि साथ सच्चा है । दाग से बुरा लगता है ,भद्दा लग सकता है पर उस दाग की वजह से रिश्तें नहीं टूटते । यही सोच सुलोचना राघव के तेल मालिश करते हुए राघव को गुदगुदाने लगी ।

राघव – क्या कह रही हो…… यही कि अगर मुझे तुम जैसा जीवन साथी नहीं मिला होता तो ना जाने क्या होता ।

राघव – माना हमारे क़ानून ने इसे स्वीकृति दे दी पर आज भी हमारे समाज का बहुत बड़ा हिस्सा लिव इन को गलत समझता है । इसे हमारी संस्कृति का हरण समझता है ।

तुम ठीक कह रहे हो ,लेकिन मेरी वजह से तुम पर जो दाग लगा है उससे बुरा तो लगता होगा ! तुम्हारे परिवार में भी लोग बाते बनाते है ।

अगर किसी की मदद करते हुए किसी को अपनाने में दाग लगतें है तो दाग अच्छे है !

स्वरचित रचना

स्नेह ज्योति

#दाग

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