कप देखकर अन्दाजा लगाना गलत हैँ – मीनाक्षी सिंह

नहीं रमा ,मैं अपनी सुमन का ब्याह उस घर में नहीं कर सकता जहां 6 कप भी एक जैसे ना हो ! अशोक जी रोष दिखाते हुए अपनी पत्नी से बोले !

तुम भी किस बात को लेकर बैठे हो ,हो सकता हैँ ,उनके यहाँ छोटे बच्चें हो ! कप कांच के होते हैँ ,टूट ज़ाते हैँ ! बेटा बाहर रहता हैँ ! बेचारे दोनों बुढ़े हैँ ! गांव में रहते हैँ ! नहीं ला पाये होंगे ! रमा पतिदेव को समझाते हुए बोली !

रमा बात सिर्फ कप की नहीं ,उनके यहाँ जब हम गए नमकीन बिस्कुट भी हमारे सामने ही लेकर आयें ! जिस घर में खाने पीने के चीजों की ही व्यवस्था ना हो वहाँ तो मेरी  लड़की भूखी मर जायेगी !

आप भी कैसी बात करते हैँ !जब मैं आपके घर ब्याहकर आयी थी  तब आपके यहाँ कुरसी भी ढंग की नहीं थी ! पिता जी मेरे भारी भरकम शरीर के ,बड़ा देखभालकर एक कुरसी जो सही सी लगी ,बैठ गए ! पर अगले ही पल पिता जी जमीन पर धड़ाम से गिर गए ! शुक्र हैँ जमीन कच्ची थी ,नहीं तो पता नहीं कितनी हड्डी टूटती  ,,आज भी उस दिन से उनकी  कमर का दर्द गया नहीं हैँ ! तो ये गलत कह रहे हो कि लड़की सुखी नहीं रहेगी ! अगर मेरे पिताजी आपकी तरह सोचते हो मैं आज इतने ठाठ से ना रह रही होती ! लड़का तो सभ्य ,सुशील ,नौकरी वाला हैँ ! गांव घर से जुड़े लोग हैँ ! धोखा भी नहीं होता ऐसी जगह !

वो समय अलग था रमा ! आजकल कौन ऐसे रहता हैँ ! सब हाई फाई स्टैंडर्ड वाले हो गए हैँ !

हाँ ,सही बोले जी ,मिश्रा जी जैसे ,हाई फाई ! घर में दो एसी लगवा ली ! कर्ज में ड़ूबे हैँ ! जब बिजली वाले बत्ती काट गए तब पता चला ! कितनी हंसी बनी उनकी ! इसलिये खुद को अंदर से मजबूत रखना ज्यादा ज़रूरी हैँ ! समझे जी !

तुम्हारे सामने ,कोई नहीं जीत सकता ! ठीक हैँ ,तुम्हे जैसा सही लगे !

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बीटिया का ब्याह वहीं एक जैसे कप नहीं थे जिस घर में ,वहाँ तय हो गया !

जब टीका लेकर अशोक जी बीटिया के ससुराल वाले घर गए ,वहाँ का इंतजाम ठाठबाट देखकर आँखें खुली रह गयी उनकी ! उन्हे अपनी पत्नी के फैसले पर नाज हो रहा था !

आज बीटिया के घर चार गाड़ी हैँ ! उसके ससुर जी की चार मिलें चल रही हैँ !

आँखों देखी

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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