छोटी सी लापरवाही !! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बापू चरण स्पर्श ट्रेन का समय हो गया चलता हूं अपना ख्याल रखियो आंख वाली दवाई डालते रहना  तुम्हारी आँख का इलाज बाकी रह गया है… किसना ने सुबह सुबह ही खेत की तरफ जा रहे पिता के पैर छूते हुए कहा तो जाते हुए कदम पिता के थम से गए। देख बेटा आराम से जइयो साथ में कौन जा रहा है वो बल्लू.!!

उसकी आदत मुझे ठीक नहीं लगती उसकी बातो में ना आना तू । सुन …चलती ट्रेन से बिल्कुल ना उतरना जब ट्रेन ठीक से टेसन में खड़ी हो जावे तभी आराम से उतरना समझा और वहां कॉलेज में भी बस पढ़ाई में ही ध्यान लगाना मेरे बुढ़ापे की लाठी है तू बेटा ध्यान रखना अपना कृषक दीनू की आंखें पनियाली हो उठीं थीं।

अरे बापू दुखी ना हो ना ही चिंता कर मैं कोई छोटा बच्चा हूं जो   इस तरह समझा रहे हो कोई पहली बार ट्रेन से जा रहा हूं क्या वो बल्लू मेरा पक्का दोस्त है आप भरोसा रखो अगले हफ्ते आता हूं तो आपको भी सहर के आंख वाले डॉक्टर को दिखाऊंगा चश्मा लगवाओगे ना बापू किसना ने छेड़ा था बापू को।

अरे मैं क्या कोई परोफेसर हूं जो चस्मा पहनूंगा जा तू भी मसखरी  करता है जा जल्दी और पहुंचते ही फोन कर देना आंखों के आंसू छिपाते मुस्कुरा दिया था दीनू और बेटे को कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए शहर जाने वाली ट्रेन के लिए विदा कर दिया था।

दो घंटे में पहुंच जाएगा सहर लेकिन  तब तक दीनू चिंता करता रहेगा।

दोपहर होने को आई कोई खबर ना मिली दीनू को अपने बेटे के सहर पहुंचने की।

चिंता से आकुल दीनू स्टेशन पहुंच गया था ।साहब सुबह जो ट्रेन सहर जाती है  वो सहर पहुंच गई ना!!

कौन सी ट्रेन थी??स्टेशन मास्टर ने फाइल बांधते हुए पूछा।

सुबह जाती है जो……दीनू क्या जाने ट्रेन का नाम।

अरे वो वाली…. उसमें तो भरी हादसा हो गया है आज तुम्हे नही पता..!!

क्या हो गया साहब दीनू का दिल धड़क उठा।

दो लड़के क्या तो नाम थे उनके हां किसना और बल्लू …स्टेशन आने के पहले ही  ट्रेन के धीमे होने पर रेलवे फाटक के पास उतरने लगे थे आस पास के यात्रियों ने मना भी किया लेकिन वे नहीं माने ..ट्रेन की रफ्तार तेज ही थी उनका बैलेंस बिगड़ गया और…..

इतना सुनते ही दीनू को कड़ी दोपहर भरे# दिन में तारे दिखाई देने लगे थे।आगे कुछ सुनने की उसकी हिम्मत चुक गई थी..!

….और जब तक कोई उनकी सहायता के लिए पहुंचता वे दोनो दम तोड चुके थे.. स्टेशन मास्टर अपनी बात कहता जा रहा था… ये आजकल के नौजवान किसी की सुनते ही कब है जरा सी लापरवाही से किसी मां बाप के घर के चिराग बुझ गए….. !!उसे क्या पता था उनमें से एक चिराग इस गरीब पिता की आंखों की रोशनी था जिसकी दुनिया अब अंधेरी हो चुकी थी ….. एक जरा सी लापरवाही के कारण.!!!!

क्यों किया बेटा मैंने मना किया था ना तुझे..!!दीनू की आंखों के सामने अंधेरा छा गया था।

लतिका श्रीवास्तव

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