अतुल की शनिवार को छुट्टी रहती थी।इस शनिवार को विहान ने स्कूल जाते समय कहा” पापा आज स्कूल से आकर हम दोनों कैरम खेलेंगे।” उसकी मम्मी अनीशा दोनों की बात सुन मुस्कुरा रही थी। वह मन ही मन सोचने लगी दोनों बाप बेटा कैरम खेलते सब भूल जाएंगे । मैं उनका मनपसंद नाश्ता बनाने की तैयारी करके रख देती हूं ।विहान स्कूल से आया और फिर दोनों के खेलने का समय हो गया। दोनों ने मिलकर कैरम निकाला। उसकी सफाई की। उसमें गोटियां जमा लीं। विहान को हमेशा सफेद रंग की गोटियां ही पसंद थी तो उसने सफ़ेद रंग की गोटियां लीं और अतुल ने काले रंग की। दोनों खेलने लगे विहान की नन्ही उंगलियां स्ट्राइकर पर पड़ती। अतुल तो इस खेल में एक्सपर्ट थे इसलिए वह जीत रहे थे यह देख विहान उदास होने लगा। उसके चेहरे से रौनक जाने लगी ।अनीशा ने विहान का चेहरा देखा और आकर अतुल को इशारा किया कि देखो विहान को। कैसा उदास हो गया है।
अतुल को विहान को देखकर अपने बचपन की बात याद आ गई। वह अपने पापा के साथ कैरम खेलता था और पापा से जब वह हारने लगता था तो पापा जानबूझकर उसे खुश करने के लिए हार जाते थे और उसे जीता देते थे। वह तालियां बजा बजाकर खूब उछलता था। सबको बताता था। उसके पापा भी उसे देख कर खुश होते थे।
अतुल को यह बात याद आते ही उसने धीरे से खेल की दिशा बदली और ऐसा खेलने लगा कि वह हार रहा है। विहान जीतने लगा । फिर से उसके चेहरे पर रौनक आ गई।अतुल, अनीशा अपने बेटे को देखकर खुश हो गए। खेल खत्म होने के बाद नाश्ता कर विहान अपने दोस्तों के पास चला गया। अतुल खेल और विहान के बारे में सोच रहे थे ” आज तो विहान मेरे साथ खेल रहा था तो मैंने उसे जीत दिला दी। लेकिन क्या हमेशा ऐसे ही होगा ।उसे हार में निराश ना होने की बात मुझे ही समझानी पड़ेगी।
ऐसे ही जब अगली बार दोनों खेल रहे थे और विहान उदास होने लगा तब धीरे से अतुल ने विहान को समझाया ” पिछली बार तुम जीत गए थे और मैं हार गया था। तुम कितने खुश हुए थे। इस बार तुम इस बात से खुश हो सकते हो कि मेरे पापा जीत रहे हैं। बेटा हार जीत में कुछ नहीं रखा है। अगर हार भी गए तो निराश नहीं होना, उदास नहीं होना और ज्यादा कोशिश करना ताकि तुम्हारी हार जीत में बदल जाए। आने वाले जीवन में अनेक प्रकार की चुनौतियां आएंगी और तुम हार से इसी तरह उदास और निराश हो जाओगे तो जीवन में आगे नहीं बढ़ पाओगे। इसलिए हार को एक सबक की तरह लेना और ज्यादा मेहनत करके आगे बढ़ना। विहान धीरे-धीरे अपने पापा की बातें समझ गया और उसने पापा से प्रॉमिस किया कि वह अब कभी भी खेल हो चाहे कोई काम हो हारने पर उदास नहीं होगा और ज्यादा मेहनत करेगा।
स्वरचित
नीरजा नामदेव
छत्तीसगढ़