छोटी सी बात – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

क्यों रश्मि.. इस बार नंद बाईसा का चक्कर नहीं लगा क्या छुट्टियों में, हर बार तो छुट्टियां लगते ही मायके आ जाती हैं! अरे भाभी…

आपको नहीं पता.. जब आप लोग सपरिवार घूमने गए थे तब पलक दीदी मायके आई थी और 8 दिन रहकर चली भी गई!

दो दिन तो वह हमारे यहां पर भी आई थी, आपसे शायद  नाराज है, आप दोनों में किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया था,

आपने उनके बच्चों के लिए कुछ उल्टा सीधा बोल दिया था इसी बात से वह नाराज बैठी है! क्या.. नाराज होकर बैठी है?

तभी मैं कहूं मैं जब फोन करती हूं तभी हां हूं के अलावा अपनी तरफ से कोई बात नहीं करती, मैंने तो कभी उन बातों पर ध्यान ही नहीं दिया

, इस बार में भी 5 दिन से बाहर थी, कल ही लौटी हूं, तो मेरी किसी से बात भी नहीं हो पाई थी ,और तुम्हारे जेठ जी को तो तुम जानती ही हो

यह तो कोई खास बात किसी से करते भी नहीं है, सीमा ने अपनी देवरानी रश्मि से कहा! सीमा और रश्मि दोनों देवरानी जेठानी एक ही शहर में दूर-दूर रहते थे

और उनके साथ ससुर भी इसी शहर में रहते थे, कहने को तो एक ही परिवार, किंतु आजकल के हालात के हिसाब से घर में लड़ाई झगड़ा ना हो या मनमुटाव ना हो इसी के चलते नारायण जी 

अपनी पत्नी के साथ रहते थे और उनके दोनों बेटा जो नौकरी वाले थे, भी इस शहर में  अपने-अपने परिवारों के साथ  रहते थे!  हर चीज त्योहार पर, और छुट्टियों में सब एक साथ इकट्ठा हो जाते थे,

बाकी माता-पिता से दोनों बेटो को कोई खास मतलब नहीं था, नारायण जी और उनकी पत्नी सुमित्रा जी भी अपने दोनों बेटा बहू के  बजाय अपनी इकलौती बिटिया पलक पर अत्यधिक स्नेह रखते

और उनका ही पक्ष लेते, चाहे वह कितनी भी गलत हो! पिछली छुट्टियों में नारायण जी की बेटी पलक जब घर आई थी तब दोनों बहू का परिवार भी वही चला गया था,

एक दिन बातों बातों में सुमित्रा जी ने कहा… पलक के बच्चे देखो कितने कमजोर हो रहे हैं, कुछ खाते ही नहीं है, और पता नहीं क्यों सीमा के मुंह से निकल गया मम्मी जी..

सुबह से इतना तो खा रहे हैं, अभी तो 10:00 बजे हैं, उसमें इन्होंने एक-एक समोसा,  लड्डू ,केला और एक-एक गिलास दूध का पी लिया, बेचारा पेट भी क्या करेगा, अभी इनकी उम्र भी तो 5-6 साल ही है,

और इसी बात पर पलक अपनी भाभी से नाराज हो गई और कहने लगी भाभी… मेरे बच्चे तो पहले ही कुछ नहीं खाते ऊपर से आप इस तरह की टोका टाकी  करोगी

तो कुछ भी नहीं खाएंगे, आप तो मेरे बच्चों को देखकर खुश हीं नहीं होती! तब सीमा ने कहा,  नहीं पलक दीदी.. मैं तो मजाक में ही कह रही थी, मेरा ऐसा कोई मतलब नहीं था

, किंतु पलक ने इसे गंभीरता से ले लिया और उसके बाद से 1 साल तक पलक और सीमा में कोई खास बातचीत नहीं हुई सीमा ने पलक को मनाने की हर संभव कोशिश की, सीमा को नहीं पता था

कि पलक इतनी सी बात पर इतना नाराज हो जाएगी, जब सीमा को पता चला इस बार पलक तो  पीहर आकर चली भी गई है और बड़ी भाभी से मिलने की कोशिश भी नहीं की,

तब सीमा को लगा मामला वाकई  गंभीर है, तब उसने  पलक को फोन किया और कहा पलक दीदी..

आप अभी तक पिछली बातों पर नाराज हैं,  ऐसी तो कोई बात भी नहीं हुई थी, दीदी क्या मै आपके बच्चों का  बुरा चाहूंगी, अरे वहां सभी लोग हंस बोल रहे थे मैंने भी हंसी में ऐसी कह दिया, 

इतनी छोटी सी बात पर आपने तो जैसे रिश्ता खत्म कर लिया! दीदी आपको पता है ना आजकल रिश्ते कितने नाजुक होते हैं, और अगर आप बाकई  में हमसे रिश्ता नहीं रखना चाहती ,

तो आपकी मर्जी, मैं भी आपको आज के बाद में फोन नहीं करूंगी, यह कहकर सीमा ने फोन रख दिया! उधर सीमा का फोन पलक के मन में हलचल मचा गया,

उसने सोचा, बड़ी भाभी हमेशा उस के और उसके बच्चों के लिए इतना कुछ करती है, अगर मजाक में उन्होंने कुछ कह भी दिया तो क्या हो गया,

इतनी छोटा सा  मनमुटाव हमारे रिश्तों के बीच नहीं आना चाहिए! तब पलक ने अपनी भाभी को फिर से फोन किया और कहा.. सॉरी भाभी..

छोटा सा मनमुटाव हमारे रिश्तों को खत्म नहीं कर सकता, अब मैं समझ गई हूं, बस कई बार कुछ हंसी मजाक  दिल को चुभ जाते हैं किंतु आगे से मैं भी ध्यान रखूंगी,

तो सीमा ने भी कहा और मैं भी! और ऐसा कहकर दोनों और दूसरी बातें करने लगी और उनके मन का मनमुटाव हमेशा के लिए खत्म हो गया!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित 

  कहानी प्रतियोगिता 

#मनमुटाव

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