राजीव और सुभाष एक ही बिल्डिंग में आमने सामने वाले फ़्लैट में रहते थे । उन दोनों में अच्छी दोस्ती थी । रिटायर होने के बाद रोज सुबह शाम वाकिंग के बहाने सामने के पार्क में बातें करते हुए एक राउंड मारकर आ जाते थे । उन दोनों की सोच एक जैसी ही थी ।
उस दिन राजीव अपने फ़्लैट से बाहर निकल कर देखते हैं कि सुभाष के घर का दरवाज़ा अभी भी बंद है । उन्हें कुछ हुआ है क्या सोचते हुए उन्होंने बेल बजाई । सुभाष ने दरवाज़ा खोला तो राजीव ने पूछा क्या बात है तबियत तो ठीक है ना ।
उन्होंने कहा कि मैं ठीक हूँ । आज उठने में देरी हो गई है ।मालूम नहीं क्यों परंतु रात को ठीक से नींद नहीं आई थी ।
तू थोड़ी देर बैठ मैं अभी तैयार होकर आ जाता हूँ ।
सुभाष के आते ही दोनों चलते हुए पार्क की तरफ़ चले गए थे । चलते चलते राजीव ने सुभाष से कहा था कि तुम लोग अपने बेटों के पास बैंगलोर जाने वाले थे । उसका क्या हुआ कब जा रहे हो ? सुभाष ने कहा कि मैंने ही मना कर दिया है कि मैं अभी नहीं आऊँगा ।
ऐसा क्यों यार तुम और सत्यवती घूम फिरकर आ सकते हो । उसे भी अच्छा लगेगा।
मैंने सोचा था कि हम दोनों के चले जाने से तुम अकेले रह जाओगे । तुम्हारी पत्नी सुमित्रा को गए हुए अभी तक एक साल भी नहीं हुआ है और हम तुम्हें छोड़कर कैसे जा सकते हैं ।
मेरे बारे में क्यों सोच रहा है । तुम्हारी पत्नी सत्यवती के बारे में सोच उसे अपने पोते पोतियों के साथ रहना अच्छा लगता होगा ना ।
सुभाष मेरी और तुम्हारी दोस्ती आज की नहीं है । ईश्वर माता-पिता भाई-बहन जैसे रिश्ते खुद बना देता है परंतु दोस्ती जैसे रिश्ते को हम खुद बनाते हैं । सत्यवती भी इस बात को अच्छी तरह से जानती है । वैसे उसने भी कहा कि हमारे बिना तुम अकेले रह जाओगे । हम जाएँगे ज़रूर परंतु थोड़े दिनों के बाद जाएँगे ।
इन दोनों की दोस्ती की दाद देनी पड़ेगी क्योंकि दोनों ही एक दूसरे को हौसला देते हुए कहते हैं कि छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों को तलाश करना सीखना है हमें ।आज फिर अपने पुराने दिनों को याद करने लगे थे ।
राजीव ने कहा कि हम दोनों कॉलेज हॉस्टल में एक ही कमरे में रहकर पढ़ते थे । तुम्हें याद है ना हम किसी और को अपने कमरे में आने नहीं देते थे ।
मुझे आज भी याद है जब बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित किया गया था तो मुझे बहुत कम अंक आए थे । मैं बहुत ही उदास होकर डिप्रेशन में चला गया और सुसाइड एटम भी किया था ।
तुमने ही मुझे देखा और खूब डाँटा कि कम अंक पाने वाले सब बेकार होते हैं क्या ? इस तरह के काम बुज़दिल लोग करते हैं मैंने नहीं सोचा था कि तुम इतने कायर होगे वरना मैं तुमसे दोस्ती कभी नहीं करता था । तुम्हारी बातों का मुझ पर इतना गहरा असर हुआ था कि फिर कभी मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
डिग्री कॉलेज में मुझे अच्छे नंबर आ गए थे फिर हम दोनों ने मिलकर नौकरी के लिए एक साथ इंटरव्यू दिया था और मजे की बात तो यह थी कि हम दोनों ही सेलेक्ट हो गए थे ।
ईश्वर की कृपा थी कि हम दोनों को अच्छी जीवन संगिनियाँ भी मिली। हम जैसे दोस्त थे वे भी अच्छी सहेलियाँ बन गई थी ।
दोनों पुरानी बातों को याद कर खुश हो रहे थे ।
सुभाष के दो बेटे थे । दोनों बेटे बैंगलोर में अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं । सुभाष अपनी पत्नी के साथ अकेले ही रहते थे ।
राजीव का एक ही बेटा है वह भी अमेरिका में बस गया है । पत्नी सुमित्रा ने कई बार कहा था कि बेटे को अमेरिका मत भेजिए सुभाष भैया के बच्चों के समान यहीं रहेगा हमारे पास ही लेकिन मेरी ही जिद थी कि वह अमेरिका जाए एम एस करके आ जाए परंतु वह वहीं की लड़की से शादी करके अमेरिका में ही बस गया था।
सुभाष ने राजीव के कंधे पर हाथ रखकर कहा क्या सोचने लग गए हो तो वह वापस इस दुनिया में आ गए थे ।
सुभाष ने पूछा कि राजीव खाना बनाने के लिए लक्ष्मी आ रही है ना?
कल तक नहीं आ रही थी लेकिन शायद कल से आ जाएगी।
ओह तो फिर ठीक है आज से लक्ष्मी के आते तक हम दोनों साथ मिलकर खाना खाते हैं । सुभाष ने सत्यवती को फ़ोन करके बताया था कि राजीव मेरे साथ आ रहा है। आज से लक्ष्मी के आते तक वह यहीं पर खाना खाएगा । वे दोनों चलते हुए घर पहुँच गए।
सत्यवती ने नाश्ता बनाया साथ ही खाना भी बना दिया था तीनों ने बातें करते हुए नाश्ता किया और राजीव अपने घर वापस आ गए थे यह कहकर कि लंच पर आ जाऊँगा । राजीव दूसरे दिन सुबह सुभाष को उठाने के लिए पहुँचे देखा कि उनके घर में ताला लगा हुआ था । समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी सुबह यह बिना बताए कहाँ चले गए हैं ।
सुभाष को फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि रात को अचानक सत्यवती की तबियत ख़राब हो गई थी तो वाचमेन की सहायता से उसे अस्पताल लेकर आया है ।
राजीव जल्दी से अस्पताल पहुँच गए । उन्हें देखते ही सुभाष रो पड़े । मैं बहुत डर गया था यार किसी को भी फोन नहीं किया है । तुम्हें बताना है यह बात भी मेरे दिमाग़ में नहीं आई है ।
राजीव ने सुभाष के बेटों को फोन किया उन्होंने कहा कि वे शाम की फ़्लाइट से ही निकल रहे हैं ।
रात तक दोनों पहुँच गए थे डॉक्टर ने कहा कि सत्यवती का बी पी बहुत बढ़ गया था । डरने की कोई बात नहीं है सब ठीक हो जाएगा ।
सुभाष के दोनों बेटे माँ से मिलने के लिए आए और कहा कि हम अब आप दोनों को यहाँ नहीं रहने देंगे । आप दोनों को सुभाष अंकल की फ़िक्र है तो हम उन्हें भी अपने साथ ले जाएँगे ।
रात को सिर्फ़ सुभाष ही वहाँ रुके बाकी सबको घर भेज दिया था । बेटे सुबह अस्पताल पहुँचे इसके पहले ही सत्यवती सुभाष और बच्चों को छोड़कर दुनिया से जा चुकी थी ।
राजीव ने ही सुभाष को सँभाला था । दस दिन के कार्यक्रम के बाद बच्चों ने पिता से पूछा क्या करना चाहते हैं । सुभाष ने कहा कि अभी थोड़े दिन हम दोनों दोस्त रह लेंगे । बच्चे यह कहकर चले गए थे कि ज़रूरत पड़ने पर हमें ज़रूर याद कीजिए ।
राजीव ने एक दिन सुभाष से कहा कि यहाँ एक एन आर आई वृद्धाश्रम है चल वहाँ चलकर देखते हैं कैसा है । हम दोनों को वह रास आ गया तो हम दोनों वहीं रह लेंगे और दोनों फ़्लैट किराए पर दे देंगे । हमारे लिए पैसों की कमी नहीं रहेगी ।
वहाँ जाकर दोनों को बहुत अच्छा लगा क्योंकि पैसों के हिसाब से आप चाहें तो विला में रह सकते हैं । दोनों ने मिलकर वहाँ एक विला अपने लिए ले लिया । वैसे भी दोनों के बीच बहुत सारी बातें होती थी इसलिए टाईम पास ना होने की वजह ही नहीं थी । साथ में यहाँ और भी बहुत से लोग मिल गए थे जिनके साथ भी दोनों ने दोस्ती कर ली थी ।
इस बीच राजीव का बेटा अमेरिका से यहाँ आकर एक हफ़्ता रहकर गया था ।
वैसे ही सुभाष के बच्चे भी आ जा रहे थे । दोनों ने एक दूसरे को अपना सहारा मान लिया था ।
दोस्तों राजीव और सुभाष के समान छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों को तलाश करना सीखो तो ज़िंदगी गुलज़ार बन जाएगी ।
के कामेश्वरी